निपुण ही चमकते हैं – जया शर्मा प्रियंवदा : Moral Stories in Hindi

दिवाकर जी ने अपने बेटे राहुल का अपनी पहुंच और पैसे के लेनदेन से अच्छे स्कूल में एडमिशन करवा दिया और सोचा अच्छे स्कूल की स्टैंडर्ड की पढ़ाई से उनका बेटा जरूर ऊंचे पद पर पहुंचकर भविष्य में उनका नाम रोशन करेगा,इसी सोच में उनके भीतर घमंड ने भी पैर फैलाना शुरू कर दिए ,

दिवाकर जी के ही ऑफिस में पीतांबर जी भी काम करते थे दिवाकर जी पीतांबर जी के सीनियर रहे पीतांबर जी भी अपने दोनों के बच्चों के भविष्य को लेकर सजग रहते उन पर अपने पूरे परिवार की जिम्मेदारी रहती तो अतिरिक्त खर्च का भार उनके लिए कठिन हो जाता वह प्रतिदिन अपने बच्चों के साथ

बैठकर उनसे बातचीत करते उनकी पढ़ाई के विषय में पूछते दिवाकर जी अपने बच्चों को समझाते व्यक्ति को मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए मेहनत और अपने क्षेत्र में लगन व्यक्ति को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में  कोई भी रोक नहीं सकता , 

कभी असफल हो भी जाओ तो अपनी कमी ढूंढ कर उसे दूर करने की कोशिश करना कोशिश करते रहने से एक न एक दिन विजेता बन जाओगे । 

पीतांबर जी का सान्निध्य और सलाह बच्चों को बहुत अच्छी लगती अपने पिताजी के द्वारा बताएं रास्ते पर चलते हुए पीतांबर जी के बेटे मेहुल और बेटी प्रियांशी ने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया,

वहीं दिवाकर जी के बेटे राहुल ने अपने स्कूल की कठिन पढ़ाई होने के कारण मुश्किल से पास कर नई क्लास ली दिवाकर जी के बेटे राहुल ने अपने नए स्कूल के दोस्तों पर रौब जमाने के लिए समय और पैसे दोनों का दुरुपयोग किया ,समय बढ़ रहा था बहुत बड़े पद पर बेटे को देखने का सपना दिवाकर जी को अब पूरा होता नहीं दिखाई दे रहा था,पर पैसे का घमंड बरकरार था ,

पीतांबर जी के दोनों बच्चों ने मेहनत और लगन से प्राप्त किए अच्छे परसेंटेज के द्वारा शहर के बड़े कॉलेज में एडमिशन लिया और मेहनत से ही अपने ही कॉलेज में पढ़ाई पूरी करके बेटा लेक्चरर बन गया और बेटी भी बैंक में अधिकारी की पोस्ट में नियुक्त हो गई । 

आज पीतांबर जी ने अपने बच्चों की सफलता पर ऑफिस में सबका मुंह मीठा करा कर सबसे बधाई ली, दिवाकर जी  को भी पीतांबर जी ने मिठाई का डिब्बा दिया ,आज दिवाकर जी को मन ही मन  एहसास हो रहा था कि पैसे और घमंड से बच्चों के लिए सफलता नहीं खरीदी जा सकती अपने से छोटे पद पर काम करने वाले के बच्चों की सफलता उनके असफल बेटे पर भारी पड़ गई। आज दिवाकर जी कोई अपने से छोटे व्यक्ति के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के सामने अपने बेटे का भविष्य धुंधला दिखाई दे रहा था। 

जया शर्मा प्रियंवदा

टका सा मुंह लेकर रह जाना

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