वोव-अंकल,आप इस उम्र में भी बड़े हैंडसम लगते हैं।ये नीला सूट अंकल आप पर खूब फब रहा है।
थैंक्यू, बेटा, बैठो प्राची बस आने ही वाली होगी।चाय साय तो चलेगी।
चलेगी-अरे अंकल दौड़ेगी।कहकर सोनम जोर से हंस पड़ी
मुकेश जी ने एक धौल सोनम की पीठ पर जमा कर कहा-हां हाँ बैठ तो।
मुकेश जी एक हैंडसम पर्सनालिटी के कुशल उद्योगपति थे।प्राची उनकी एकमात्र पुत्री थी। प्राची और सोनम दोनो घनिष्ठ सहेली थी।एक दूसरे के यहां दोनो का आना जाना था।सोनम जरा मुंहफट और निःसंकोची स्वभाव की थी।अपने स्वभाव के अनुरूप वह प्राची के पापा से भी मजाक करने से नही चूकती।
वह प्राची के पिता को भी अपने पिता समान ही मानती थी। प्राची के पापा सोनम के इस खुले व्यवहार से अपने मे भ्रम पाल बैठे कि सोनम उनकी ओर आकर्षित है,बिना यह समझे कि सोनम उनकी बेटी की उम्र की है तथा उनकी बेटी की सहेली भी है।
और-एक दिन- प्राची घर पर थी नही,सोनम उसके घर आ गयी और वहां प्राची के पिता उपस्थित मिले।सोनम ने उन्हें हैंडसम क्या कहा,मुकेश जी के ऊपर तो वासना का ज्वर सवार हो गया।उन्होंने सोनम का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया,सोनम कुछ समझ पाती इससे पूर्व ही मुकेश जी ने सोनम को अपनी बाहों में भरकर चूम लिया।
अप्रत्याशित रूप से घटी घटना से हतप्रभ सोनम चीख पड़ी,अंकल ये क्या कर रहे हैं आप?मैं तो आपकी बेटी की तरह से हूँ, आपको जरा भी शर्म नही आयी।सोनम की आवाज को अनसुनी कर मुकेश जी जबर्दस्ती पर उतर आये।
बेबस सी सोनम अपने को किसी प्रकार से बचाकर वहां से निकल कर भाग आयी।सोनम के जाने के बाद मुकेश जी की तंद्रा भंग हुई और वे धरातल पर आये।वे सोच रहे थे कि जब सोनम इस घटना की जानकारी उनकी बेटी प्राची को देगी,तब उनकी अपनी बेटी की नजर में क्या इज्जत रह जायेगी।कैसे अपनी ही बेटी से आंख मिला पायेंगे?
भारी कदमो के साथ वे सोनम के घर की ओर चल दिये।सोनम अकेली थी,मुकेश जी को देख सोनम तेजी से दरवाजा बंद करने लगी।मुकेश जी बोले बेटी दरवाजा बंद मत कर,मैं अंदर भी नही आ रहा हूँ,मैं नराधम तुझसे माफी मांगने आया हूँ।मुझे माफ़ कर देना,मैंने बड़ा पाप किया है।
सिसकती सोनम अंदर अपने घर मे भाग गयी और मुकेश जी गरदन झुकाये वापस आ गये।
सोनम ने इस घटना का जिक्र किसी से नही किया और न ही वह फिर प्राची के घर गयी।शायद सोनम ने भी सोच लिया था कि घटना बताने पर प्राची का घर टूट जायेगा।
बालेश्वर गुप्ता,नोयडा
मौलिक एवं अप्रकाशित
*#आंखों से गिरना* मुहावरे पर आधारित लघुकथा: