नहले पे दहला – कमलेश राणा

आज जिस कहानी से आपको रुबरु कराने जा रही हूँ,वह कहानी मैंने बचपन में कहीं सुनी थी,,, बहुत मस्त है,,,आप  भी सुनिये।

 

ठाकुर ब्रजराज सिंह के यहाँ किसी चीज की कोई कमी नही थी,,,,अपार धन सम्पदा के मालिक थे वो,,,बस कमी थी तो एक सन्तान की,,,,दोनों पति पत्नी ने पूजा पाठ से लेकर डॉक्टर के इलाज़ तक,,,,कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी।

 

आखिर किस्मत मेहरबान हुई,,,और उनके घर एक बहुत ही सुन्दर कन्या का जन्म हुआ बिल्कुल चांद का टुकड़ा थी वो,, ,जैसे चांद को नज़र से बचाने के लिए उसमें दाग होता है,,ठीक उसी तरह  ईश्वर ने उस के सौंदर्य में भी दाग लगा दिया था,,,उसकी एक आँख में रोशनी नहीं थी अर्थात् वह कानी थी।

 

जैसे जैसे वह बड़ी होती गई,उसका रूप यौवन भी निखरता गया,,,,अब ठाकुर साहब को उसके विवाह की चिंता सताने लगी तो योग्य वर की तलाश में उन्होनें उन्होंने अपने आदमी भेजे,,,वह अपनी कन्या के लिये ऐसा घर -वर चाहते थे जहाँ उनकी बेटी रानी की तरह राज्य करे।

 

इधर ठाकुर महेंद्रप्रताप का बेटा भी विवाह योग्य था,,,,वह एक स्वस्थ और हृष्ट-पुष्ट नौजवान था,,,, उन्हें भी सुन्दर और सुशील कुलवधू की तलाश थी,,,,बस एक ही कमी थी उनके बेटे के पैर खराब थे।


 

बिचौलिया ने उन दोनों के विवाह की बात चलाई,,दोनों ही स्वस्थ वर वधू चाहते थे,,,,अब क्या हो,,,बिचौलिया बहुत चतुर था।उसने ठाकुर ब्रजराज सिंह से कहा,”पहले आप लड़का देख लो। “लड़का सुन्दर तो था ही उन्हें तुरंत पसंद आ गया,,,,लड़के से खड़ा होने के लिए पहले ही मना कर दिया था।

 

फिर बारी आई लड़की देखने की।ठाकुर व ठकुराईन लड़की को देख कर खुश हो गये,,,लड़की की एक आँख पर पट्टी बंधी हुई थी,,,,जब कारण पूछा तो बोले,”उसकी आँख आ गई   है तो दवाई डाली है।”दोनो ही ठाकुर सोच रहे थे कि अच्छा ठग लिया हमने उसको।

 

आखिर विवाह का दिन भी आ गया दूल्हे के दोस्तों ने उसे गोद में उठा कर मंडप में बैठा दिया।महिलायें मंगलगान गा रही थीं,,,एक महिला के पेट में बात पच नहीं रही थी,,,वह गाते -गाते बोली,”हम जानी कै तुम जानी,हीरा लै लऔ दै कानी।”अर्थात् कानी लड़की का विवाह हीरा जैसे लड़के से कर दिया,,,

 

लड़के का एक दोस्त बहुत होशियार था,,,वह तुरंत समझ गया  कि  माज़रा क्या है,,,, वह बहुत हाज़िरजवाब था ,,,,बात उसे भी हजम नहीं हो रही थी,,वह बोला,”हम जानी कै तुम जानी,ठाड़ौ कर लेऔ तौ जानी।”,,,,

 

दूल्हा दुल्हन के माता पिता भौंचक्के हो कर एक दूसरे को देख रहे थे और बाकी लोग हँस- हँसके लोट पोट  हो रहे थे,,,ये हुआ न,,,नहले पे दहला

कमलेश राणा

ग्वालियर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!