नज़रिया – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

छवि जब से बड़ी बहन अरुणा की बेटी संजना की शादी से लौटी है,कुछ अन्यमनस्क दिख रही थी, कभी दर्पण के सामने अपने केश देखती तो कभी माथे की लकीरें…, उसको इस तरह देख विशाल जी से रहा ना गया पूछ बैठे,

  “क्या बात है छवि… जब से संजना की शादी से लौटी हो, कुछ अन्यमनस्क दिख रही, हर वख्त कुछ सोचती सी रहती हो, वहाँ कुछ हुआ है क्या…, जिससे तुम परेशान हो….।”

      “न…… न.. ऐसी कोई बात नहीं हुई बल्कि मैंने तो घर की पहली शादी में भरपूर मस्ती की, सब भाई -बहनों के संग… आपने तो देखा था “छवि ने टालते हुये कहा।

     “कोई बात तो है छवि… पिछले तीस बरस से तुम्हे कभी इतना गंभीर नहीं देखा…।”विशाल ने छवि के कंधे पर हाथ रखते कहा, संवेदना पाते ही छवि से रहा न गया, छलक आये आँसुओं को पोंछते बोली,

    “सुनो जी, क्या मैं ज्यादा बूढ़ी दिखती हूँ, “

   “नहीं छवि… तुम आज भी खूबसूरत हो…”विशाल जी ने समझाया 

      “क्या आप मुझसे प्यार नहीं करते…, क्योंकि अब मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ…”

       “ये तुमसे किसने कहा….. क्या तुम्हे मेरे प्यार में कमी दिखती है..”

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    ” शादी में आई अपनी सहेलियों से दीदी मेरा परिचय करा रही थी तभी उनकी एक सहेली बोल पड़ी…”अरुणा ये तुम्हारी बड़ी बहन है क्या…, तुम तो कह रही थी तुम घर में बड़ी हो.., सब हँस पड़े, और तो और दीदी ने भी उनका साथ दिया …..,दीदी तो उम्र होने पर भी अपने बाल रंगती है, नियमित रूप से पार्लर जाती है,मुझे ये सब पसंद नहीं…….और अब ढलती -साँझ में इन सबकी क्या जरूरत….”।रूहासे स्वर में छवि ने बताया।

     .”ओह… तो तुम्हारी उदासी का ये कारण है…,पगली…. जीवन के हर पड़ाव पर प्यार का रंग भी अलग होता है … अब उम्र होने पर एक दूसरे की परवाह ही प्यार का रूप है, ऊपरी रूप नहीं अब आंतरिक रूप लुभाता है……,देखो छवि दीदी से ईर्ष्या करने से अच्छा उनसे सीखो…वे पार्लर जाती है लेकिन वो योगा भी करती है, यही नहीं अपने खानपान और स्वास्थ्य का भी दूसरों के साथ खुद का भी ध्यान रखती है…

सलीके से रहने में कोई बुराई नहीं….,माना हम अब जीवन की ढलती साँझ है लेकिन साँझ भी खूबसूरत हो सकती है बस नज़रिया बदलना है…,, और शौक जिन्दा रखना है…..,अपने को फिट रखना, समय के अनुरूप चलने में कोई बुराई नहीं है, तुम स्वस्थ्य रहोगी तो जीवन का हर पड़ाव सुन्दर लगेगा…., इसके लिये प्रयास तो हमें ही करना होगा…।

    अगर हम सारे कार्य बंद कर दें, ये सोच कर कि हम बूढ़े हो गये अब क्या शौक रखें…तो जीवन कष्टदायी हो जायेगा…, जीने के लिये अपने को सकारात्मक तरीके से व्यस्त रखना होगा….अब तो बच्चे बड़े हो गये… तुम अपने शौक को जीवित करो.. उन कार्यों को करो जिससे तुम्हे प्रसन्नता मिले …. बस थोड़ा अपने लिये भी जीना सीखो…, “प्यार से उसके अधपके बालों की उलझी लट सुलझाते हुये विशाल बोले…।

    पति की बातों से छवि को हौंसला मिला…., कुछ बातें पति से छुपा ले गई थी छवि…. दीदी की एक सहेली ने ये भी कहा था, “इसके पति तो इतने स्मार्ट है और ये देखो … माता जी लग रही..”व्यंगात्मक हँसी सुन छवि वहाँ से हट गई थी….।

        आज कई दिन बाद छवि को अच्छे से नींद आई…,। मन हल्का हो तो नींद अच्छी आयेगी…,।

    अगले दिन से छवि अपने अभियान में जुट गई, जल्दी उठ, योगा शुरु किया, सुबह तला -भुना छोड़ कर जूस और फ्रूट्स लेना शुरु किया…, विशाल के ऑफिस जाने के बाद, स्टोर से अपना हारमोनियम निकाला .., बजाने की कोशिश की, लेकिन बेसुरा बजने पर छवि एक बाऱ फिर हिम्मत हारने लगी, हिम्मत कर उसने और कोशिश की…

तीन -चार कोशिशों के बाद हारमोनियम के स्वर ठीक होने लगे…., धीरे -धीरे छवि के और हारमोनियम के सुर एक होने लगे….।छवि को जीने की राह मिल गई, धीरे -धीरे गायन में छवि ने अपनी एक पहचान बना ली, अब उसका आत्मविश्वास भी बढ़ गया…,।

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फिर गृह प्रवेश – जयश्री बिरमी

      छवि अब खुश रहने लगी, शीशे में माथे की लकीरें देख अब वो दुखी नहीं होती…न ही केशों में झलकती चांदी अब उसे परेशान करती…..,जानती है, इस पड़ाव पर यही खूबसूरती है…।अपने को व्यस्त रखने की कला से छवि अकेलेपन और ऊब से छुटकारा पा चुकी थी…।छवि की आंतरिक खुशी ने उसके चेहरे को भी कांतिवान बना दिया .।

           ठीक एक साल बाद जब बहन अरुणा के बेटे की शादी में गई, वहाँ बहन की सहेलियां ही नहीं… नाते -रिश्तेदार भी छवि के चेहरे की चमक देख दंग थी…, यही नहीं पिछली बाऱ जो अपने मोटापे से, रहन -सहन से माता जी लग रही थी…. आज उसकी फुर्ती देखने लायक थी…। अरुणा ने छवि को गले लगा बोली…,

“माफ करना छवि, तेरे अंदर की प्रतिभा निकालने के लिये सहेलियों संग मैंने भी तेरा मजाक उड़ाया था…, आज तेरा आत्मविश्वास देख मैं बहुत खुश हूँ…, याद रखना,”उम्र तो बस एक नंबर है, लेकिन शौक जीने का खूबसूरत बहाना है ..”।

          आज जब विशाल ने उसके अधपके बालों की लट किनारे कर गुलाब का फूल लगाया तो छवि की सुंदरता में चार चाँद लग गये… “तुझ जैसा कोई नहीं…”विशाल जी बुद्बुदा उठे…और छवि के गाल गुलाबी हो गये….।

   . छवि और विशाल जी की जोड़ी शादी में खूब चर्चित हुई .. छवि ने जहाँ अपने आंतरिक गुणों को निखार…अपने गायन और व्यक्तित्व से शादी में रंग जमा दिया, वहीं विशाल जी ने अपने चुटकुलों से सबको खूब हंसाया …।जीवन के हर पड़ाव को खूबसूरत बनाने के लिये हमें खुद कोशिश करनी चाहिए …, अब उम्र ही गई, अब क्या करना…. जी नहीं सोच बदलिए और बिंदास जीने की सोचिये .।

                        —-=संगीता त्रिपाठी 

        . स्वराचित और मौलिक 

    #ढलती साँझ

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