नज़र – विनय कुमार मिश्रा

“अबे देख! क्या लग रही है”

“हाँ यार! एकदम जबरदस्त माल है”

चिड़ियाघर में, अपने तीन साल के बच्चे के साथ घूम रही, एक गांव की खूबसूरत लड़की को दिखा, वो पांच-सात कॉलेज के लड़के यही बातें कर रहे थे। वो उस खूबसूरत, अकेली देहाती लड़की के पीछे हो लिए। लड़की अपने बच्चे को कभी गोद में तो कभी उंगली पकड़े उसे बारी बारी से जानवरों को दिखा रही थी। पीछे लगे आवारा लड़कों से बेखबर।

“चलती है क्या नौ से बारह”  फिल्मी गाने गाते वो उसे कट मारकर अट्टहास करते आगे निकल गए। युवती ने उनपर ध्यान नहीं दिया। वो हिरन के बाड़े के पास अपने बच्चे को उन्हें दिखा रही थी। बच्चा चहकता हुआ उन्हें देख रहा था। आवारा लड़के उस लड़की को घुर रहे थे। वो लड़के बगल में ही शेर के बाड़े के पास जोर से उसे देख फब्तियां कस रहे थे। उनमें से एक लड़का पूरे जोश में था। बाड़े के ऊपर लगे ग्रिल पर बैठ भद्दे गाने गा रहा था। युवती बच्चे को लिए शेर को दिखाने बढ़ चली थी। युवती को देख ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसे उन लड़कों से तनिक भी भय नहीं या वो उन्हें अनदेखा, अनसुना कर रही है।।युवक अतिउत्साहित हो उठा। सभी ठहाके लगा रहे थे। युवती बाड़े के पास पहुंच चुकी थी। तभी बाड़े के ऊपर चढ़ा लड़का,लड़खड़ाते हुए, बाड़े के अंदर गिर पड़ा। लोगों के होश फाख्ता हो गए। बाड़े से दूर  बैठा शेर उठ चुका था। उसने गुर्राते हुए कदम धीरे धीरे लड़के की तरफ बढ़ा दिया। उसके दोस्त असहाय होकर खड़े थे और सिर्फ चिल्ला रहे थे। भागता हुआ एक गार्ड आकर शेर को आवाज देकर जाने को कह रहा था। एक मिनट के भीतर अफरा तफरी मच चुकी थी। शेर को आता देख गिरा हुआ लड़का डर से कांप रहा था। उसके जोश के साथ शायद होश भी ठंढे पड़ चुके थे ।” माँ.. माँ.. बचाव..बचाव” की आवाज लगातार तेज हो रही थी और शेर की चाल भी। तभी उस देहाती युवती ने, अपने बदन से साढ़े पांच मीटर लंबी साड़ी उतार बाड़े में लटका दिया। लोगों की मदद से उसे निकाल लिया गया। गार्ड युवक को संभालता हुआ बोल पड़ा

“पहले तुम्हारी माँ ने जन्म दिया था, आज इस युवती ने तुम्हें दुबारा जन्म दिया है”

सिर्फ ब्लाउज और पेटिकोट में खड़ी वो अर्ध नग्न युवती अब उन लड़कों को उनकी माँ नज़र आ रही थी..!

विनय कुमार मिश्रा

रोहतास (बिहार)

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