सुधा की ननद रीना और ननदोई सुरेश अपने छः साल के दो जुड़वा बेटों के साथ राखी के लिए उसके घर आने वाले थे| सुधा और विकास की शादी को छः महीने ही हुए थे, दोनों ने मिलकर अपना छोटा सा फ्लैट बड़े मन से सजाया था| नया फर्नीचर, नये पर्दे, नया कालीन, नई क्राक्ररी, नया टीवी, फ्रिज, एसी|
सुधा को फूल-पौधों का भी बहुत शौक था इसलिए उसने अपनी छोटी सी बालकनी में रंग बिरंगे फूलों के पौधे भी लगा दिए थे|
पहली बार कोई ससुराल की तरफ से उनके घर रहने को आ रहा था सोच कर सुधा और विकास बहुत खुश थे वे कोशिश कर रहे थे कि उनकी खातिरदारी किसी तरह की कमी ना रहे|
वे लोग सुबह की ट्रेन से आ गए, उनके दोनों बच्चों के घर में घुसते ही जैसे भूचाल आ गया|
दोनों भाग कर सबसे पहले सोफे पर जा चढ़े और कूदने लगे, फिर कुशन उठा कर एक दूसरे पर उछालने लगे| बड़ी मुश्किल से उन्हें दूध पीने को डायनिंग टेबल पर बिठाया, टांगें हिलाते- हिलाते आधा पिया आधा फैलाया|
नाश्ते में सुधा ने पोहा बनाया था प्लेट में पोहा लेकर एक बच्चा ड्राइंग रूम में जा पहुँचा, विकास के बहुत रोकने पर भी उसने पूरा पोहा नये कालीन पर गिरा दिया| दोनों साॅस की शीशी के लिए खीचतान करने लगे, देख कर सुधा का कलेजा मुंह को आ रहा था कि कब शीशी से साॅस बिखरेगा|
नाश्ते के बाद एक बच्चे ने नये पर्दे से साॅस के हाथ पोंछ दिये|
फिर एक ने सुधा के ड्रेसिंग टेबल का रूख किया जिसे सुधा ने बड़े शौक से सजाया था, बच्चे ने सबसे पहले लिपस्टिक उठा कर ऐठ दी जिससे वह टूट कर गिर गई, फिर परर्फ्यूम की शीशी से सारे घर में स्प्रे कर दिया|
दूसरा लाडला बाथरूम में घुस गया उसने टूथपेस्ट की ट्यूब दबा दी, शैम्पू सर पर उडेल लिया, पाउडर का डिब्बा मुंह पर पोत लिया|
सुधा ने कोने में एक मेज पर मेजपोश बिछा कर कुछ शो पीस रखे हुए थे, बच्चे को मेज पर रखा सामान तो नहीं दिखा, उसने मेजपोश का कोना खींच लिया और सारा कांच का सामान गिर कर टूट गया|
दूसरे ने सुधा के गमलों में लगे पौधे नोच कर फेंक दिए|
कुछ देर बाद टेबल पर रखी फलों की टोकरी में से सेब और संतरों का बाॅल बना कर एक दूसरे की तरफ उछाल- उछाल कर फेंकने लगे|
मजे की बात तो यह थी कि सुधा की ननद ननदोई उन्हें रोकने की बजाय उन दोनों बच्चों के उधम का आनंद उठाते रहे|
दरअसल बच्चे उनकी शादी के काफी समय बाद बड़े ट्रीटमेंट के बाद आपरेशन से हुए थे, इसलिए कुछ ज्यादा ही सर चढ़े थे|
जब उन्होंने फ्रिज से पानी और जूस की बोतलें जूठी करके वापस फ्रिज में रखने की कोशिश की तो सुधा से रहा नहीं गया उसने जरा सा धीरे से टोकना चाहा तो रीना बोलीं “मेरे बच्चों को मत टोको-इनकी ग्रोथ रुक जाएगी”|अरे बड़े इंतज़ार के बाद तो मामा के घर आने का मौका आया है ऐंजॉय करने के लिए!
सुधा और विकास हक्के-बक्के रह गए, वो समझ नहीं पाए कि बच्चों को तमीज सिखाने के लिए ग्रोथ कहाँ रुक जाएगी|
नाश्ते में सुधा ने ब्रेड बटर, पोहा ,कटलेट और सूजी का हलवा बना रखा था!
ननदोई जी बोले भाभी! ये अंग्रेजी नाश्ता हमसे नहीं खाया जाता!हमारे लिए तो परांठे और सब्जी बना दो!
भई रात के चले हैं पेट में चूहे दौड़ रहे हैं जरा जल्दी हो जाए तो अच्छा!
रीना बोली भाभी आप तो जानती हैं मेरी ससुराल में अंडा नहीं बनता और मुझे अंडा बहुत पसंद है मैं तो सोचकर आई थी कि मायके जाकर रोज अंडा खांऊंगी !तो मेरे लिए तो जल्दी से दो अंडे का आमलेट बना दो तो मजा आ जाए!
पोहा कटलेट एक तरफ छोड़ सुधा परांठे और आमलेट बनाने में जुट गई!
सुधा की सास की सख्त हिदायत थी कि उनकी बेटी और दामाद की खातिर में कोई कोर कसर ना रहनी चाहिए!
सुधा ने तीन दिन का मेन्यू बना रखा था !जिसमें उसने छोला भटूरा,पावभाजी,चाऊमीन,पास्ता पिज्जा-बर्गर,चाट सब एक एक टाइम परोसने का प्रोग्राम बनाया था!
उसी के हिसाब से उसने पहले से ही तैयारी भी कर रखी थी!
पर उसकी आशाओं के विपरीत जब वह छोला भटूरे बनाती तो कभी रीना तो कभी ननदोई जी दाल-भात या रोटी की फरमाइश कर बैठते!साथ ही उनके टाइम से नाश्ते खाने का कोई ठिकाना ही नहीं था!
सुबह से 9-10बजे तक चाय के दौर चलते -चलते ब्रेकफास्ट करने में 12 बजा देते तबतक सबकुछ ठंडा हो जाता बार-बार गर्म करने पर जब टेस्ट उतर जाता तो दोनों नाक भौं सिकोड़ने लगते!
एक दिन तो हद ही हो गई! सुधा ने शाम की चाय पर
चाट का प्रोग्राम रखा!उसने गोल गप्पे,दही बड़े,पापड़ी चाट,आलू की टिकिया,मटर की चाट के साथ ठंडाई और कुल्फी बनाई!
सबने खूब मन भरकर चटकारे लेकर लेकर खाया!ननद ननदोई दोनो बोले भई पेट भर गया पर मन नहीं!
खैर पहली बार था जो बिना मीन-मेख के बिना कोई नुक्स निकले खाना निपट गया!
खा पीकर ननदोई जी बोले “भाभी !डिनर में बस रोटी सब्जी बनाईयेगा! कुछ हल्का ही खा लेंगे!
ननदोई के लिए रोटी सब्जी का मतलब कम से कम एक रसदार और दो सूखी सब्जी और रायता!
रीना बोली मैं तो बस मूंग की दाल की खिचड़ी खा लूंगी”!
सुधा मरती क्या ना करती! सब बनाया चाहे किसी ने ढंग से खाया या नहीं!सासू मां तक बात पहुंचती तो वे दस बातें सुनातीं!
राखी पर सुधा का भाई समर आया! जब भी सुधा मायके जाती सुधा की मां सुधा के साथ बाज़ार जाकर उसकी पसंद की दो तीन साड़ियां खरीद कर रख लेती जिससे तीज-त्यौहार पर सुधा के मनपसंद की साड़ी भेज दें!
समर सुधा की साड़ी,विकास के लिए ब्रांडेड शर्ट-पैंट सुधा की सास की साड़ी फल मिठाई शगुन के लिफाफे लाया था!
सुधा की सास को पता चला तो उन्होंने फौरन सुधा से कहा कि अपने भाई से राखी के शगुन का रुपयों का लिफाफा रीना को भी दिलवा दे !जैसा तेरा भाई वैसे रीना का!
सुधा ने दिलवा दिया!कुछ कहती तो चार बातें सुननी पड़ती!
विकास ने रीना को दस हज़ार रूपये दिये कि सुधा के साथ बाज़ार जाकर साड़ी खरीद ले !साड़ी की दुकान पर रीना ने उलट-पलट कर कई साड़ियां निकलवाई पर उसे कोई भी पसंद ना आई!क्यूंकि उसकी आंखों के सामने तो सुधा की मां की भेजी साड़ी नाच रही थी!
घर आकर सुधा बोली”मुझे तो समर की लाई हुई सुधा की साड़ी पसंद है अगर सुधा बुरा ना माने तो मैं वह ले लूं ,सुधा तो मायके जाती रहती है फिर ले लेगी! शर्मा शर्मी में सुधा मना ना कर सकी विकास उस वक्त तो चुप रहा!
रीना को सुबह की ट्रेन से वापस जाना था!
रात को खाना वाना खाकर जब सब टीवी देखने में व्यस्त थे विकास बोला”थोड़ी देर हम भाई-बहन भी अपनी पुरानी यादें ताजा कर लें “कहकर रीना के साथ छत पर आ गया!
उसने रीना को बहुत प्यार से समझाया “पिछले तीन दिन से सुधा एक पैर पर खड़ी होकर सबकी खातिर दारी में लगी है,उसके चेहरे पर शिकन तक नहीं आई! वह दिल से चाहती है किसी को शिकायत का मौका ना दे!
कल जो तुमने उसके भाई की लाई साड़ी की फरमाइश की वह सरासर गलत थी!मुझे पता है मेरे ऐसा कहने को तुम और अम्मा जरूर कहोगी कि मैं जोरु का गुलाम बन गया! पर तुम खुद को सुधा की जगह रखकर सोचोगी तो देखोगी मैं गलत नहीं हूं!
तुम जितने भी पैसों की महंगी से महंगी साड़ी खरीद लो!मैं दिलवाऊंगा,पहली बार हमारे घर आई हो तुम्हारा हक बनता है!पर सुधा की साड़ी मत मांगो!मैं नहीं चाहता एक साड़ी की वजह से सुधा के मन में तुम्हारे प्रति कोई कड़वाहट आऐ!तुम उसकी इकलौती ननद हो वह तुम्हारी अकेली भाभी!अपने रिश्ते में बदमजगी मत आने दो!एक छोटी सी चीज को लेकर सुधा के मन में ऐसी गांठ पड़ जाऐगी कि भविष्य में कभी भाई के घर आओगी तो भाभी तुम्हें अनचाहा अतिथी समझेगी!
और हां!अम्मा को मत बताना वर्ना वे सुधा को चार बातें और सुनाऐंगी! रहना तो हम सबको साथ है तो इन छोटी छोटी बातों को लेकर अपने रिश्ते क्यूं खराब करें!
सुधा रात भर सोचती रही !विकास की बात उसके दिल की गहराई में उतर गई!
सुबह सुधा एक पैकेट लेकर रीना के कमरे में आई!उसमें वही साड़ी थी जो सुधा की मां ने भेजी थी!रीना ने पैकेट खोल कर देखा और आंखों में आंसू भरकर सुधा को गले लगाकर कहा”मुझे माफ कर दो!मेरे मन में लालच आ गया था! देने लेने में नापतौल करके हम रिश्तों की मर्यादा भूल जाते हैं!ऐसे में रिश्तों में ऐसी गिरह पड़ जाती है जो लाख कोशिश करने पर भी नहीं मिटती!
विकास ने पीछे से आकर कहा”देर आऐ दुरूस्त आऐ”!
ननद भाभी का रिश्ता बहुत नाजुक है!संभाल कर रखना!”
कुमुद मोहन
स्वरचित-मौलिक