नई रोशनी – सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

तेजस्विनी हमेशा खुश रहती थी और कोशिश करती थी सभी उसकी बातों से खुश रहें लेकिन “जो दर्द उसने अपने अंदर छुपा रखा था वह किसी से नहीं कह पाती थी”  इस “अन कहे दर्द” को कुछ लोग भांप भी लेते थे बोलते थे क्या बात है आप इतनी खुश तो दिखती हैं, पर—– कहीं ना कहीं—— आपके मुंह पर कुछ उदासी भी झलकती है वह कहती कोई बात नहीं है।

तेजस्विनी बैंक में मैनेजर थी और उसके पति इंश्योरेंस में ब्रांच मैनेजर थे दोनों की ही जोड़ी बहुत अच्छी थी नौकरी भी बहुत अच्छी थी पर उसको एक ही गम था उनके कोई बच्चा नहीं हुआ एक दिन अचानक तेजस्विनी की सहेली रश्मि जो उसको बहुत चाहती थी तेजस्विनी से कहती है तुम अपने दर्द को इतना मत छुपाओ ,

आज हाफ डे है अपन कैंटीन में बैठकर बात करते हैं, तुम मुझे बताओ और मैं कभी किसी से कुछ नहीं कहूंगी हर बात मुझसे शेयर करो यह सुनकर तेजस्विनी की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह बोलती है अच्छा चलो मैं आज अपने दिल की बात बताती हूं।

बैंक के हाफ डे के बाद तेजस्विनी और रश्मि दोनों कैंटीन में बैठती हैं ,तेजस्विनी रश्मि को बताती है मेरी शादी को 6 साल हो गए मेरे कोई बच्चा नहीं हो पाया वह गलती हम पति-पत्नी की है क्योंकि हम दोनों को हमारी शादी के एक साल बाद ही डॉक्टरनी ने बताया था कि मैं मां बनने वाली हूं——इस बात को 2 महीने ही हुए थे, कि हम दोनों ने कुल्लू मनाली घूमने का प्लान बना लिया और मेरे सास- ससुर ने मना भी किया लेकिन——-

मेरे पति अनुराग की इच्छा थी कि हम शादी के बाद कहीं घूमने नहीं गए, इसलिए हम तो घूमने जाएंगे, उन्होंने किसी की नहीं सुनी, और हम दोनों घूमने चले गए वहां पर खूब इंजॉय किया, घुड़ सवारी की, लेकिन जिस घोड़े पर में बैठी थी वह घोड़ा पता नहीं क्या हुआ एकदम तेजी से भागने लगा और बेकाबू हो गया और मैं उस पर से गिर गई और बेहोश हो गयी  जब मुझे होश आया तो पता चला नजदीक के अस्पताल में मेरे पति ने मुझे भर्ती कर दिया था,

और मेरा अवर्शन हो गया ,पर मेरे पति ने मुझे बहुत सांत्वना दी कि कोई बात नहीं तुम तो बच गईं पर उसे कहीं ना कहीं यह डर लग रहा था कि मेरे सास ससुर मुझे बहुत उल्टा सीधा कहेंगे ताने मारेंगे पर मेरे पति ने कहा अरे प्लान तो मैंने बनाया था तुम्हें कौन कहेगा फिर हम दोनों वापस आते हैं।  

अपनी मां को अनुराग बताता है, मां हम घूमने गए थे तब——- हमारा एक्सीडेंट हो गया था। तेजस्विनी घोड़े से गिरकर बेहोश हो गई थी और उसका अवर्शन हो गया था। यह सुनकर मां ने——– चिल्ला चिल्ला कर घर सर पर उठा लिया सभी को पता चल गया।                                           

मेरे पति तो मुझे बहुत चाहते हैं, लेकिन मेरी सास बहुत ताने मारती हैं, ससुर तो अच्छे हैं वह कहते हैं कोई बात नहीं बच्चे हैं। फिर हम दोनों ने कई डॉक्टरनियों को दिखाया स्पेशलिस्ट डॉक्टर और गाइनेकोलॉजिस्ट को दिखाया उन्होंने बोला अंदरूनी कमजोरी आ गई है इसलिए अब बच्चा ठहरना मुश्किल है! इस तरह हम निराश हो गए।

और मेरी सास तो बात बात पर ताना  मारती हैं ,मैं तो अपने बच्चे की दूसरी शादी कर दूंगी मेरा तो एक ही बेटा है यह सुनकर मुझे डर लगने लगता है मैं क्या करूं? मैं और मेरे पति यही कहते हैं

अगर हम अपने सास ससुर की बात मान जाते और घूमने नहीं जाते तो अच्छा था, क्या करें जो भगवान को मंजूर था वैसी मती हो गई डॉक्टर ने दुख भरी न्यूज़ सुना दी थी कि—– अब तुम्हारे कोई बच्चा नहीं होगा! तुम मां नहीं बन सकतीं।         

रश्मि ने अपनी सहेली की पूरी बात सुनी एकदम बोली अरे——- उदास मत हो आजकल हर चीज का इलाज है, और एक खुशखबरी है कि मेरे भाई भाभी इंडिया आए हुए हैं, और दोनों ही डॉक्टर हैं मेरे भाई डॉक्टर आकाश लीवर के एक्सपर्ट हैं और मेरी भाभी डॉक्टर प्रीति बहुत बड़ी गाइनेकोलॉजिस्ट हैं और इंग्लैंड में रहते हैं।

आजकल कोई सेमिनार में आए हुए हैं, मैं उनको तुम्हारी सारी रिपोर्ट दिखाऊंगी तुम उनको एक बार चेकअप कराओ फिर कोई निर्णय लेना यह सुनकर तेजस्विनी के मन में एक आशा की किरण दिखाई देती है——— और फिर वह रश्मि से कहती है मैं अपने पति से बात करके जरूर दिखाती हूं। 

 तेजस्विनी मन ही मन बहुत खुश होकर अपने घर जाती है, रात को जब अपने पति से बात करती है तो बताती है कि मेरी सहेली के भाई भाभी दोनों ही डॉक्टर हैं, और उसकी भाभी डॉक्टर प्रीति एक्सपर्ट गाइनेकोलॉजिस्ट हैं इंग्लैंड से आए हैं अपन उनको दिखाएंगे यह सुनकर अनुराग कहता है चलो अच्छा है तुम्हारी सहेली से टाइम ले लो—– अपन दिखा कर आएंगे।

तीन दिन बाद तेजस्विनी और अनुराग रश्मि के घर जाते हैं डॉक्टर प्रीति बहुत ही अच्छे नेचर की थीं और रश्मि की सहेली से बहुत अच्छे से बात करती हैं उसे  बहुत हिम्मत बंधाती हैं ,और उसका पूरा चेकअप करके बोलती हैं कि मैं तुम्हें कुछ अच्छी दवाई लिख कर देती हूं 1 साल तुम्हारा ट्रीटमेंट चलेगा उसके बाद देखते हैं कुछ अच्छा ही होगा

और वह कुछ टेस्ट लिखती हैं कि यहां अस्पताल में करवा लो, दूसरे दिन अनुराग और तेजस्विनी अस्पताल में टेस्ट करवाने जाते हैं पर अस्पताल में चारों तरफ बहुत शोर और हू हल्ला सा मचा हुआ था! वह दोनों कहते हैं क्या बात हो गई? सिस्टर से पूछते हैं तो वह बताती हैं कि कोई एक कुंवारी लड़की बच्चे को जन्म देकर रातों-रात गायब हो गई अभी तक वापस नहीं आई यह छोटी सी बच्ची कितनी प्यारी है! अस्पताल में अकेली पड़ी है।

उस अकेली बच्ची को देखकर तेजस्विनी का मन भर जाता है और अनुराग से कहती है——– कितनी प्यारी बच्ची है! इसकी मां कैसी है ? ऐसी निर्दयी मां कौन हो सकती है? अपनी ही बच्ची को छोड़ कर चली गई !और मैं मां बनने के लिए तरस रही हूं दोनों के मन में प्यार उमड़ता है, फिर अनुराग कहता है चलो तेजस्विनी पहले अपने टेस्ट कराओ इधर ध्यान मत दो, और तेजस्विनी के दो-तीन घंटे में टेस्ट होते हैं, उसके बाद जब वह घर जाने  लगते हैं

तो बार-बार तेजस्विनी का मन उस बच्ची को देखने का करता है! अनुराग समझ जाता है कहता है वह बच्ची अपनी तो नहीं है, पता नहीं किसकी है! अपन उसको देख कर क्या करेंगे?—— नहीं मैं तो उसको देखूंगी नर्स के पास दोनों जाते हैं पूछते हैं , यह कौन है ?अगर इसको हम लोग गोद लेना चाहें तो ले सकते हैं क्या? वहां की हेड  नर्स बोलती है अभी तो हम अपने ऑब्जर्वेशन में रखेंगे! कहीं इसकी मां लौट कर आ गई

तो अगर 8 दिन में कोई भी नहीं आता तब हम यह प्रक्रिया शुरू करवाएंगे की किसको गोद दिया जाए! यह सुनकर अनुराग और तेजस्विनी अपना पता और फोन नंबर वहां पर लिखवा कर घर आजाते हैं। तेजस्विनी के मन में वही प्यारी सी बच्ची का प्यार उमड़ता है और उसको ऐसा लगता है जैसे वही उसकी मां है। पता नहीं उसको भी उस बच्ची से लगाव सा होने लगा था।

10 दिन बाद अस्पताल से हैड नर्स का फोन आता है, अनुराग देखता है किसका नंबर है अरे——- यह तो अस्पताल से हेड नर्स का फोन है! अनुराग जल्दी से फोन उठाता है और उस नर्स से बोलता है बताएं क्या बात है वह खुशखबरी सुनाती हैं कि अगर आपको यह बच्ची को गोद लेना है तो इसकी प्रक्रिया शुरू करवाई जाये! क्योंकि लिखा पड़ी करनी पड़ेगी तभी किसी को दे सकते हैं, अगर आप इच्छुक हैं तो आज 12:00 बजे आ जाएं वैसे भी अनुराग और तेजस्विनी को अपनी रिपोर्ट लेने हॉस्पिटल जाना ही था जैसे ही अस्पताल जाते हैं तो उसकी रिपोर्ट भी नॉर्मल आती हैं रिपोर्ट डॉक्टर प्रीति को भी दिखानी थीं।

अनुराग तेजस्विनी की रिपोर्ट ले लेते हैं और तुरंत उस बच्ची के पास दोनों जाते हैं दोनों का प्यार उमड़ ने लगता है और उसको झूले में से उठाकर अपने सीने से लगा लेते हैं जैसे कि यह उनकी ही बच्ची हो यह देखकर नर्स भी खुश हो जाती है, और कहती है सही मायने में तो आप इसके मां-बाप लग रहे हैं फिर वहां पर जो वकील वगैरा बैठे थे उनसे प्रक्रिया शुरू करवा के लिखा पड़ी कर दोनों उस बच्ची को भी अपनी रिपोर्ट के साथ अपने घर ले आते हैं यह देखकर मां——— एकदम हैरान रह जाती हैं !—–अरे तुम रिपोर्ट लेने गए थे ——–आश्चर्य से बोलती हैं—यह बच्चे को कहां से ले आए?

अनुराग मां को सारी बात बताता है मां खुश होने की जगह गुस्सा हो जाती हैं पता नहीं——- किसका पाप उठा लाये——- अनुराग के पिताजी भी अपनी पत्नी को समझाते हैं ,अरे गुस्सा मत हो लक्ष्मी घर में आई है, उसे स्वीकार करो और प्यार से उस बच्ची को गोद में उठा लेते हैं यह देखकर मां थोड़ी झुकती हैं फिर कहती हैं अगर तुम सब को यह मंजूर है तो फिर ठीक है सारे समाज वालों को बुलाकर एक फंक्शन करते हैं और इसका नामकरण कर देते हैं बस फिर तो घर में खुशियां छा  जाती हैं।

दूसरे दिन अनुराग और तेजस्विनी अपनी सहेली रश्मि के घर डॉक्टर प्रीति को अपनी सारी रिपोर्ट दिखाने जाते हैं, डॉक्टर प्रीति उसकी रिपोर्ट देखकर कहती हैं ,यह तो आश्चर्य की बात है कोई ज्यादा खराबी नहीं दिखाई दे रही तुम्हारा 1 साल में ट्रीटमेंट करती हूं “शायद उस बच्ची के अच्छे पांव पड़े जो मेरी रिपोर्ट इतनी अच्छी आई जिसकी उम्मीद भी नहीं थी तेजस्विनी मन ही मन सोचती है”! और डॉक्टर प्रीति को भी उस बच्ची के बारे में बताती है, डॉक्टर प्रीति उन दोनों को बहुत बहुत शाबाशी देती हैं, यह तुमने बहुत अच्छा किया एक बच्ची को अनाथ होने से बचा लिया।

अनुराग के माता-पिता घर में उस बच्ची का फंक्शन करने के लिए सारे रिश्तेदारों को न्योता दे देते हैं और हवन पूजा करवाते हैं उसके बाद उस बच्ची का नाम “रोशनी” रखते हैं सभी रिश्तेदार कहते हैं “अरे वाह इस बच्ची ने तो घर को रोशन कर दिया यह तो लक्ष्मी है” बस फिर उसको सब “रोशनी” नाम से ही  पुकारते हैं और वह बच्ची घर में सबकी लाड़ली हो जाती है, देखते-देखते 1 साल की भी हो जाती है घर में एक खिलौना आ जाता है सब का मन लग जाता है। अनुराग और तेजस्विनी बच्ची के प्यार में एकदम खो जाते हैं पर तेजस्विनी का इलाज चलता रहता है 1 साल के ट्रीटमेंट के बाद तेजस्विनी अपनी बच्ची रोशनी के प्यार में इतनी खो जाती है उसे कोई और बच्चे की चाह नहीं होती। 

जब रोशनी 1 साल की हो जाती है तो अचानक——-से तेजस्विनी की तबीयत थोड़ी खराब रहने लगती है उसे समझ में नहीं आता मैं क्या करूं जब डॉक्टरनी को दिखाते हैं तो वह कहती हैं—– अरे यह तो आश्चर्य—– है तुम तो मां बनने वाली हो रश्मि की भाभी डॉक्टर प्रीति का ट्रीटमेंट सफल हो गया था, यह दूसरी खुशखबरी तेजस्विनी और अनुराग को मिलती है—– और वह घर में अपने माता-पिता को जब बताते हैं तो सब रोशनी को बहुत प्यार करते हैं बोलते हैं यह हमारे घर की लक्ष्मी है इसी के कारण घर रोशन हो रहा है और, ठीक 9 महीने बाद तेजस्विनी के एक बेटा होता है , घर में खुशियां और दुगनी हो जाती हैं और सबके मुंह से एक साथ निकलता है——अरे यह तो अपने घर “तेजस “आ गया बस—- उसका नाम”तेजस” रख दिया जाता है ,यह “अनकहा दर्द” एक “नई रोशनी” में बदल जाता है।

 सुनीता माथुर 

मौलिक अप्रकाशित रचना 

 पुणे महाराष्ट्र

# अनकहा दर्द

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