किशोर कक्षा दसवीं का छात्र था। वह धनवान माता पिता की इकलौती संतान, पढ़ने लिखने में होशियार, एक अच्छा खिलाड़ी था। मगर उसमें एक बुराई थी, स्कूल में कोई भी गतिविधि होती तो वह अपनी टॉंग अड़ाए बिना नहीं रहता,
उसे कोई काम करना नहीं रहता। वह बस सब कार्य के बीच टांग अड़ा कर दूर खड़ा तमाशा देखता।एक बार सांस्कृतिक कार्यक्रम में, एक कोरस गीत में बच्चों ने किराए से ड्रेस अरेंज की तो उसने कहा कि- ‘यह ड्रेस अच्छी नहीं है,
इससे अच्छी ड्रेस मैं लाकर दे सकता हूँ।’ संगीत शिक्षक ने कहा- ‘ठीक है तुम लाकर दे देना।’ बच्चों ने वह ड्रेस वापस कर दी। जिस दिन कार्यक्रम था, उस दिन वह माता पिता के साथ बिना सूचना दिए दूसरे गॉंव चला गया। बच्चों को अपनी युनिफोर्म में प्रस्तुति देनी पड़ी
और उन्हें बहुत दु:ख हुआ।ऐसे ही एक बार पिकनिक पर जाना था, बच्चों ने बस की व्यवस्था की तो उसने कहा कि- ‘वह पापा से कहकर अच्छी बस का इन्तजाम कर देगा।’ मगर वक्त पर वह बसआई ही नहीं और बच्चे पिकनिक पर नहीं जा पाए।
बच्चों ने कई बार उसकी शिकायत की मगर कक्षा अध्यापक ने उस पर ध्यान ही नहीं दिया। इस बार बच्चों ने तय कर लिया था कि उसकी हर काम के बीच में टांग अड़ाने की आदत छुड़ा कर रहेंगे,और इस बार अपनी बात प्राचार्य महोदय से कहेंगे।
भारी बारिश में विद्यालय की इमारत बहुत जर्जर हो गई थी,दीवारों और छत से पानी रिस रहा था। विद्यालय की सारी पूंजी इसको रिपेयर करने में लग गई, अत: प्राचार्य महोदय ने कहा कि इस वर्ष विद्यालय में खेलकूद स्पर्धा नहीं होगी, मैदान को ठीक करने के लिए विद्यालय के पास फंड नहीं है।
दसवी कक्षा के विद्यार्थियों ने सोचा यह हमारा विद्यालय है, हम श्रमदान करके और चंदा इकट्ठा करके मैदान को ठीक करेंगे, उन्होंने इसकी अनुमति प्राचार्य महोदय से लेली। आदत के अनुसार किशोर ने फिर अपनी टॉंग अड़ाई। बोला -‘यह हमारा काम नहीं है,
विद्यालय का काम है, विद्यालय में सरकार की तरफ से मोटी रकम आती है, मैं अपने पापा से बात करूँगा, विद्यालय बंद करा दूंगा ।’ और भी उल्टा सीधा बोलता रहा। विद्यार्थी कुछ नहीं बोले अपना कार्य चुपचाप करते रहै। वह भुनभुनाता हुआ चला गया।
बच्चों ने उसकी आवाज रिकार्ड करली थी, वे प्राचार्य महोदय के पास गए और उन्हें सारी बात बताई, और यह भी कहा कि -‘सर हम बस यही चाहते हैं कि वह हमें परेशान न करे, और हमारे कामों में टॉंग न अड़ाए,हम उसका भविष्य खराब करना नहीं चाहते हैं।’
प्राचार्य महोदय ने बच्चों की प्रशंसा की और दूसरे दिन किशोर को बुलाकर हिदायत दी कि अगर उसने आगे से कोई ऐसी हरकत की तो उसे विद्यालय से निकाल दिया जाएगा। आगे से किशोर को नसीहत लग गई और उसने लोगों के काम में टॉंग अड़ाना बंद कर दिया।
प्रेषक-
पुष्पा जोशी
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित