नाराज़गी – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

हेलो चाचा , कैसे हो आप, हां ठीक है ।और कैसे याद किया भाई चाचा को ।आज तीन साल बाद भतीजे अनुज का फोन आया तो उमेश जी थोड़े हैरान हुए और मन भी भर आया क्यों कि चाचा भतीजे में आपस में बहुत पटती थी। चाचा भतीजे के बीच नाराजगी चल रही थी तीन साल से बात नहीं हो रही थी ।

उमेश और महेश दो भाई थे दोनों भाई साथ साथ बिजनेस करते थे । पिता जी थे नहीं तो बड़े भाई महेश जी बिजनेस शुरू कर रहे थे तो मां ने छोटे भाई उमेश को भी अपने साथ लगा लेने को कहा ।बड़े भाई का मन तो नहीं था लेकिन छोटे भाई के पास कोई काम नहीं था तो लगाना पड़ा । महेश जी की पत्नी सरोज थोड़ी शातिर दिमाग थी

उन्होंने जब देखा कि छोटे भाई को भी लगाना पड़ रहा है तो पाटर्नरशिप में 60, और 40  का हिसाब रखा ।और फिर उसी हिसाब से पैसे लिए जाते थे उमेश को कम और महेश खुद ज्यादा लेते थे । कि कहीं उमेश की फैमिली कुछ अच्छा ंनकर ले ।हर समय उमेश और उनकी पत्नी पुष्पा को दबा कर रखा जाता था ।काम धंधा एक में होने से दबना भी पड़ता था ।

                         महेश जी के दो बेटे थे एक बेटा अभी पढ़ रहा था और दूसरा पढ़-लिख कर नौकरी कर रहा था । उमेश के एक बेटा और एक बेटी थी ।जो अभी पढ़ रहे थे ।अब बिजनेस में दोनों भाइयों के बीच में भतीजा अनुज दखलंदाजी करने लगा था और उसका पूरा साथ सरोज जी भी देती थी । मम्मी और बेटा दोनों चाहते थे

कि अब चाचा का काम धंधा अलग कर दिया जाए ।जो कुछ भी चाचा का का थोड़ा बहुत हिस्सा बनता है देकर उनका काम अलग कर दो ।अनुज हर वक्त पापा के कान भरता रहता था ।भाई महेश तो थोड़ा ठीक थे भाई से  थोड़ा मोह था लेकिन महेश की पत्नी सरोज और बेटा अनुज दोनों उनको अलग करना चाहते थे।

              आज दोनों भाइयों में बातचीत एक बहस के रूप में बदल गई कि उमेश तुम्हारा जो कुछ भी बनता है ले लो और अपना काम धंधा अलग कर लो अनुज ऐसा बोल रहा है।तो उमेश जी ने कहा थोड़ा  बहुत क्या होता है ।मेरा सही से जो बनता है वो दे दो । तुमने तो वैसे भी मेरे साथ 60 और 40 का हिसाब करकें

धोखा दिया है। मेरे पास कोई काम नहीं था इसलिए तुम्हारे साथ करना पड़ा है ।40 है तो उतना ही सही उसी के हिसाब से हिसाब किताब करो ।बड़े भाई महेश इस बात से तैयार हो गए और बोले ठीक है मैं पेपर बनवा रहा हूं तुम उसपर साइन कर दो तुम्हारा हिस्सा तुम्हें मिल जाएगा।

              आज पेपर उमेश ने साइन कर दिए । महेश जी बोले ठीक है मैं पंद्रह दिन को अनुज के पास पूना जा रहा हूं वहां से लौट कर हिसाब कर देंगे।और पंद्रह दिन के बजाय एक महीने बाद पूना से लौटना हुआ‌। लौटते समय ट्रेन में सुबह सुबह टायलेट गए और वहीं पर उनको हार्टअटैक आया । टे्न जब भोपाल में रूकी तो मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई गई

लेकिन दो दिन के बाद उनका देहांत हो गया ।अब घर पर उनकी डेड बॉडी आई । हिसाब किताब अधूरा रह गया ।

               पेपर पर साइन तो उमेश जी पहले ही कर चुके थे कि मेरी इस बिजनेस में कोई हिस्से दारी नहीं है ।मैं अपने हिस्से का पैसा ले रहा हूं । पापा के जाने के बाद अनुज ं

  ने पांच दिन में ही सारा कार्यक्रम निपटा कर वापस जाना था। उठावनी के बाद उमेश जी ने अनुज से कहा  अनुज तुम्हारे पापा कह गए थे कि पूना से लौटकर तुम्हारे पैसे का हिसाब कर दूंगा तो अब भाई तो है नहीं जो कुछ मेरा बन रहा हो वो मुझे दे दो जिससे मैं अपना कुछ काम कर सकूं। भतीजे अनुज ने साफ़ साफ़ मना कर दिया

कि चाचा तुम्हरा  अब कुछ नहीं है पापा हमसे ऐसा कुछ नहीं कह गए ।आप पेपर पर साइन कर चुके हैं अब सबकुछ हमारा है आपका कुछ नहीं । इतना बड़ा धोखा खाकर उमेश जी सकते में आ गए ।तब से लेकर आज तीन साल हो गए भतीजे , भाभी किसी से उमेश जी की बात नहीं होती।

               उमेश जी के पास एक प्लाट था कभी खरीदा था ।उसको बेचकर उमेश जी ने अपना काम धंधा शुरू किया । उमेश जी की पत्नी पुष्पा ने और बेटे ने कहा पापा अपने हक के लिए लड़ो  केस कर दो । लेकिन उमेश जी बोले जिन बच्चों को गोद में खिलाया है उनके खिलाफ केस करूं और फिर मेरे पास कोई लिखा पढ़ी में सबूत भी तो नहीं है

किसी बूते पर केस दायर करूं ।अब कुछ नहीं हो सकता ।ले जाने दो किसी दूसरे का हक मार कर कोई फल-फूल नहीं सकता ।वो तो सब समय बताएगा ।

        ‌‌        और फिर कुछ समय बाद अनुज ने शेयर मार्केट में पच्चीस लाख रुपए लगाए थे जो सब डूब गए उमेश को पता लगा तो सोचने लगे ऊपर वाला तो सज़ा  दे ही देता  है।

              उमेश जी के घुटने का आपरेशन हुआ था तो अनुज ने आज फोन किया तो बात हुई । पैसा तो नहीं मिला उमेश जी को संतोष कर लिया ।एक बार पैसा चला जाए तो फिर कमा सकते हैं लेकिन रिश्ते टूट जाए जो जन्म से बंधे हैं तो उनको जोडना मुश्किल होता है। रिश्तों की अहमियत कुछ समय बाद पता चलती है ।

और यदि समय रहते सुधार लिया जाए तो बहुत अच्छा ।इस तरह दोनों की नाराज़गी दूर हुई और दोनों चाचा भतीजे मिल गए ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

7 अगस्त 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!