नाराज – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

सुधा अपने बेटे शलभ से बेहद नाराज थी क्योंकि उसने उनकी मर्जा के खिलाफ सिया से लव मैरिज की थी!वे उठते-बैठते अपने जहरीले वाक्य बाणों के तीरों से बेचारी सिया का दिल छलनी किया करतीं!

सिया चुपचाप उनकी नाराजगी और हर अत्याचार को बर्दाश्त करती !शलभ से बेइंतिहा प्यार जो करती थी!

सिया हर वक्त यह कोशिश करती किसी तरह सुधा जी अपनी नाराजगी खत्म करके उसे अपना लें पर हर बार नाकामयाब ही रही!

और एक दिन जब शलभ के एयर क्रैश में शहीद होने की ख़बर आई तो सुधा जी का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा!

वे गुस्से से तमतमाकर चिल्लाकर बोली”ये सब इस मनहूस की वजह से हुआ! जब वो जा रहा था कैसे रो रो के इसने अपशकुन किया था!

जब से फ्रंट पर जाने की बात सुनी थी इसने शलभ को चैन की सांस तक ना लेने दी थी पूरे घर में मनहूसियत फैला के रखी थी!हर वक्त मुंह सूजाऐ घूमा करती!

अरे!जब ब्याह किया था तो क्या इसे पता ना था कि जंग पर जाने की जरूरत होगी तो जाऐगा ही,इस के पल्लू से बंध कर थोड़े ही बैठेगा!

टीवी पर खबर सुनते ही सिया की तो जैसे जान ही निकल गई!उसकी तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई! 

शलभ और सिया के ब्याह को सिर्फ दो महीने हुए थे!शलभ एयर फोर्स में पायलट था फ्रंट पर लड़ाई छिड़ जाने की वजह वापस गया ही था कि मौसम खराब होने की वजह से उसका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया!

बेटे के दुख ने सुधा जी के मन का गुबार सिया पर चिल्लाकर एक बारगी ही उतार दिया!वे भूल गई कि जहां उन्होने अपना बेटा खोया सिया ने भी तो अपना पति खोया है!

सुधा जी सिया और शलभ के ब्याह से खुश नहीं थी! क्योंकि सिया गैर जातीय थी !दोनो ने पसंद की शादी जो की थी!सुधा जी अपने पसंद की पैसेवाले घर की लड़की चाहती थीं।

शलभ के पिता भी फौज में थे उन्होने भी सीमा पर देश के लिए जान गंवाई थी!शलभ का छोटा भाई बारहवीं में पढ़ाई कर रहा था!

सिया ने बी एड किया था वह शादी के पहले भी पढाती थी,शादी के बाद भी नौकरी करना चाहती थी पर सुधा जी बहू के नौकरी करने के खिलाफ थी!शलभ ने भी सिया को समझाया कि अभी मां की बात मान ले वक्त गुजरने के साथ सुधा जी जरूर उसे पूरी तरह अपना लेंगी तब वह खुद उनको सिया की नौकरी करने को मना लेगा!

शलभ ने सिया को कहा कि सुधा जी ने हमारे पिता के जाने के बाद बहुत दुख उठाऐ हैं इसी से उनमें चिड़चिड़ापन आ गया है वे दिल की बुरी नहीं,और शलभ ने सिया से वादा लिया कि वह सुधा जी को पलट कर जवाब नही देगी! उनकी जगह शलभ उससे माफी मांग लेगा !

शलभ ने कई बार सुधा जी को समझाने की कोशिश की कि वे सबकुछ भूलकर सिया की तरफ से अपनी नाराज़गी खत्म कर दें !वे उल्टे ही शलभ से भी नाराज होकर उसे ताना देकर बोली “तू जोरू का गुलाम बन गया है”!

कभी शलभ उसे कहता फौज की नौकरी में जीने मरने का पता नहीं होता !अगर कल उसे कुछ हो जाऐ तो वह वादा करे वह रिशु को अच्छी तरह पढ़ा लिखाकर बड़ा अफसर बनाने में सहायता करके शलभ का सपना पूरा करेगी!

सिया उसके मुंह पर हाथ रख रूठ जाती अगर वो ऐसी बातें करेगा तो वह कभी शलभ से बात नहीं करेगी!

शलभ के प्यार और दुलार के आगे सिया के लिए सबकुछ बेमानी था इसलिए वह सुधा जी की बातों को अनदेखा कर देती !

अब जब शलभ ही नहीं रहा सिया समझ नहीं पा रही थी कि वो कैसे जियेगी!दो महीने में शलभ ने सारी दुनिया की खुशियां उसके दामन में भर दी थीं!उसकी दुनिया तो शलभ पर शुरू होकर उसपर ही खतम होती थी!उसे तो शलभ के बिना जीना ही नहीं आता था!

शलभ की तेरहवीं पर सिया के मां-बाप आऐ!उन्होने सिया को अपने साथ ले जाना चाहा पर सिया ने सुधा जी को छोड़कर जाने से साफ इंकार कर दिया!

उसके मां-बाप ने समझाया भी कि जब सुधा जी उसे पसंद ही नहीं करती,सभी देखते वे कैसे उठते बैठते अपने जहरीले शब्दों के बाणों से सिया का दिल छलनी करती रहतीं हैं!ऐसे में घुट घुट कर रहने से अच्छा है वह उनके साथ चले और अपनी शादी से पहले की नौकरी कर ले उसका मन भी लगेगा और उसे मां-बाप का सहारा भी रहेगा!अभी उम्र ही क्या है पहाड़ सी ज़िन्दगी अकेले कैसे गुजारेगी!

“नहीं पापा!अब मुझे आपलोगों के सहारे की नहीं बल्कि शलभ के जाने के बाद रिशु और मम्मी को मेरे सहारे की जरूरत है ,मम्मी और रिशु को छोड़कर मैं कहीं नहीं जाऊंगी! मुझे शलभ से किया वादा निभाना है!

मैं रिशु को पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाऊंगी,मैं शलभ का सपना पूरा करूंगी”!

जब रिशु नौकरी में चला जाऐगा तभी अपने बारे में सोचूंगी”सिया ने फैसला कर दिया!

“पर बेटा!सिया कीं मां ने कहा !समधन जी तो तुम्हें बिल्कुल पसंद नहीं करती ऐसे में कैसे निभाओगी?”हम लोग तो पके फल हैं जाने कब टपक पडें हमारे बाद तो कोई पूछने वाला भी ना रहेगा बेहतर है अपने सामने तुम्हें सेटल कर दें यही हमारी इच्छा है “!

पर सिया ने किसी की एक न सुनी!सुधा जी चाहती तो नहीं थी कि सिया वहां रूके पर शलभ की पैंशन और मुफ़्त की नौकरानी के लालचवश चुप रहीं!

समय बीता सिया ने एक काॅलेज में प्रार्थना दी और उसे टीचर की नौकरी मिल गई! ब्याह से पहले भी वह पढ़ाती थी उसके ऐक्सपिरियेंस काम आऐ!

वह जहां भी पढ़ाती बच्चे और साथ के लोग उससे बहुत खुश रहते!उसकी सुन्दरता,सादगी और सौम्य स्वभाव के कारण लोग उसे बहुत पसंद करते!

सुधा जी काॅलेज जाती हुई सिया को सर से पैर तक घूरती!कहीं किसी दिन सिया थोड़ी सी भी रंगीन साड़ी पहन लेती या काॅलेज में कोई फंक्शन हो तो ढंग से तैयार होती सुधा की आँखों में किरकिरी सी दरकती!वे उसे ताना मारते ना चूकती”किस के लिए ये सजधजकर निकल रही हो,विधवा को ये सब नहीं सुहाता!”मेरा नहीं तो मेरे मरे हुए बेटे का ही ख्याल कर लो उसकी आत्मा को तो दुःख मत दो”सुनकर सिया चुप रह जाती ये सोचकर कि क्या जवाब दे!

इस बीच सिया के लिए दो एक अच्छे रिश्ते आऐ भी पर सिया ने पत्ता सा फेर दिये!

सिया रिशु को पढ़ाई में सहायता कर देती या वो दोनों कभी हंस बोल लेते तो सुधा जी उनके रिश्ते में भी खोट देखने लगती,फौरन जबान से कड़वे शब्द निकाले बिना बाज ना आतीं”एक को मार कर मन नहीं भरा जो दूसरे पर डोरे डालना शुरू हो गई “!

 रिशु को सुधा जी का सिया के साथ ऐसा व्यवहार रत्तीभर भी पसंद नहीं आता था वह कभी सिया के पक्ष में मुंह खोलता तो सुधा उसे घुड़क कर चुप कराते कह देती” बड़े भाई को तो अपने जादू के जाल फंसाकर मार दिया अब तेरे पर इसका साया नहीं पडने दूंगी”

सिया जब भी दुखी होकर सुधा जी को कोई जवाब देना भी चाहती उसके सामने माफी मांगते हुए शलभ का चेहरा आ खड़ा होता और वह चुप लगा जाती!

रिशु सिया के इतने ज्यादा लाड-प्यार की वजह से उसे भाभी मां बुलाता तो सुधा फौरन नश्तर चुभोती “दिखावे के प्यार से कोई मां नहीं बन जाता !मेरी जगह लेने की कोशिश की तो घर से निकाल बाहर करूंगी”सुनकर सिया और रिशु दुखी हो जाते!

उसपर अब सुधा जी के जहरीले तानों का कोई असर नहीं होता,उसे तो आदत सी पड गई थी!

उसके जीवन का एक ही लक्ष्य रह गया था वह रिशु को पढ़ा लिखाकर कर बडा अफसर बनाना कुछ भी करके शलभ का सपना पूरा करना चाहती थी!

सुधा जी की बातों पर ध्यान न देकर सिया रिशु को पढ़ाई में मदद करती स्कूल से आकर रात रात जागकर उसके नोट्स तैयार करती और जहाँ उसे समझ नहीं आता वहाँ यथासंभव समझाने की कोशिश करती!

 सिया और रिशु की लगन काम आई और रिशु सिविल सर्विस में सलेक्ट हो कर ट्रेनिंग पर चला गया!

उधर सुधा जी को डाक्टर ने कैंसर बता दिया!

सिया यथासंभव सुधा की तीमारदारी करती,उनके खानेपीने का ध्यान रखती पर पता नहीं क्यूं इतने बरस बाद भी उनके दिल से सिया के प्रति कड़वाहट जाने का नाम ही नहीं ले रही थी!

रिशु के चले जाने के सिया के मां-बाप ने फिर कहा कि अब शलभ से किया वादा पूरा हो गया यहां रहने की कोई वजह नहीं,सुधा जी के लिए वह कुछ भी कर ले उनका रवैया नहीं बदलेगा,बेहतर है कि सिया उनके साथ चली चले!पर सिया की दलीलों के सामने उनकी एक न चली!

रिशु की पोस्टिंग से पहले ही उसके लिए एक से बढ़कर एक रिश्ते आने लगे!सुधा जी की खुशी का ठिकाना नहीं था!बड़े से बडे अफसर और बिज़नेस मैन उनके आगे पीछे चक्कर लगा रहे थे!फिर एक दिन उन्होंने अपनी पसंद की लड़की रिया से रिशु की शादी तय कर दी!

सिया भी बहुत खुश थी!रिशु हर फंक्शन में सिया को आगे रख रहा था!सुधा जी से यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था!

उन्होंने आते ही रिया को सिया के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया!

रिया को तो पहले से ही सिया के लिए रिशु का जरूरत से ज्यादा ध्यान देना कुछ पसंद नहीं आ रहा था!

सुधा जी ने तय कर लिया था कि वे भी रिशु और रिया के साथ चली जाऐंगी!उन्होंने तो रिशु की बहू से सेवा कराने के जाने कितने सपने संजोकर रखे थे! और अब जब उनका कैंसर बहुत बढ़ गया था वे अपने आखिरी वक्त में रिशु और रिया के साथ ही रहना चाहती थीं!

रिशु और रिया के जाने से पहले एक रात जब सुधा जी बाथरूम जाने को उठीं तो रिशु के कमरे से आती आवाज़ों को सुनकर दंग रह गई !रिया रिशु से बहस कर रही थी”खबरदार!जो दो दो विधवाओं को मेरे सर पर बैठाने की कोशिश भी की!तुम से शादी तुम्हारी पोस्ट और रूतबा देख कर मौज उड़ाने के लिये की या ज़िन्दगी भर तुम्हारी बीमार मां की तीमारदारी के लिए!

दोनों का आगे पीछे तो कोई है नहीं ज़िन्दगी भर अपनी छाती पर मूंग दलने को अपने साथ कभी नहीं ले जाऊंगी कहे देती हूं!अरे! भाभी जिस तरह इनकी सेवा कर रही हैं,मुझसे ये सब नहीं होगा!और मम्मी कीमो थेरैपी के बाद कैसी हो गई हैं बाल उड़ गए हैं,कोई हमारे घर आऐगा तो मुझे तो उनको इंट्रोड्यूस कराने में भी शर्म आऐगी! हमारा इतना शानदार सर्कल होगा!शादी के बाद ऐंजॉय करेंगे कि अस्पताल के चक्कर काटेंगे?

रही भाभी की बात वो तो मुझे पहले ही दिन से फूटी आंख नहीं सुहा रही!ऐसा लगता है हमारे बीच कुंडली मार कर बैठ गई हैं!बाद में साल दो साल बाद देखेंगे “

सुधा ने देखा रिशु एकदम चुप सुनता रहा!

सिया ने तो पहले ही रिशु को मनाकर दिया था कि वह यहीं अकेली रहेगी स्कूल में काम करेगी!

सुबह सुधा जी के ऊपर से छोटी बहू से सेवा कराने का भूत उतर चुका था।उन्होंने खुद ही रिशु को मना कर दिया यह कहकर “अभी तुम लोग घूमो फिरो ,अच्छे से सैटल हो जाओ,बाद में जब तबियत सुधर जाऐगी तब की तब देखी जाऐगी!”

रिशु ने भी चैन की सांस ली चलो बिना झंझट सब सही हो गया सोचकर! 

रिया की तो सुनते ही बाछें खिल गई! 

उनके जाने के बाद सुधा जी समझ नहीं पाई कैसे सिया से माफ़ी मांगे उनकी नफ़रत के वाबजूद भी सिया ने उनकी खिदमत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी! आज शलभ होता या उनकी बेटी होती तो शायद वह भी इतना न कर पाती!सिया के सामने शर्मिन्दा होकर उन्होंने उसे गले से लगा लिया!बिना कहे सुने सुधा जी की नाराजगी और अंदर का गुबार उनके आंसुओं में बह गया!

वक्त ने सुधा जी को ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सबक सिखा दिया!

वक्त के मिजाज से रिश्ते वो टूट गए 

 समझा था जिनको अपना वही पराऐ हो गए ।

कुमुद मोहन 

 स्वरचित-मौलिक

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