नंनद – सविता शर्मा : Moral Stories in Hindi

शादी को लेकर हर लड़की के अरमान होते हैं हर रिश्ता बड़ा ही खास होता है ।पर कभी-कभी कुछ अपने रिश्ते ऐसे जख्म दे देते हैं जो जिंदगी भर नहीं भरते। ऐसी  कहानी जया और, नंनद,की 

जया की शादी माता-पिता ने बड़े धूमधाम से करें ।जया के घर वालों को यही पता था कि लड़का मुंबई में रहता है ,आगे की बातें गुप्त रखी ।जया घर आती है उसके बाद धीरे-धीरे एक-एक पत्ते खुलते हैं ।पति के ऊपर घर की पूरी जिम्मेदारी का बोझ था। पिताजी काम करने में असमर्थ थे। बहुत कम उम्र में ही उसे अपनी बहन के ससुराल जाना पड़ा था ।

अपने जीजा जी के साथ काम करता। वह जो भी देते वह उसे अपने घर के उत्तरदायित्व में लगा देता ।शादी के बाद जया पति के साथ मुंबई जाती है लेकिन कुछ ही दिनों में ननंद उसे घर से निकाल देती है। भाई को अपने साथ रखती है लेकिन भाभी के साथ बहुत ही गलत व्यवहार करती थी ।

शादी के कुछ दिनों बाद ही जया की जिंदगी में अमावस का ग्रहण लग जाता है। बहुत कोशिश करती अपने पति को अपना अलग काम करने के लिए लेकिन हर बार घर के लोग उसे बहन के पास भेज देते थे ।बेटा बहुत ही सीधा था और वह अपने घर  वालों की बातों को टाल नहीं पाता था। इसी का बस घर वालों ने फायदा उठाया

छोटी ननद – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

जया को ससुराल वालों ने पनाह नहीं दी पति अपनी बहन के साथ रहता था । जया कभी मायके में रहती कभी ससुराल जाती बस जिंदगी के थपेड़े सहती रही। उसका कोई अस्तित्व नहीं था ।एक बेटे और एक बेटी को जन्म दिया लेकिन बच्चों की जिम्मेदारी से परिवार वालों  ने मुंह मोड़ लिया।जया को बच्चों के एजुकेशन की चिंता सताने लगी

उसने मायके में ही किराए से घर लेकर बच्चों की परवरिश करने लगी ।पति ने बहन का ही साथ दिया जया एक स्कूल में नौकरी करने लगी । एक बार जया की ननंद जया के घर आती है तब जया के अंकल बोलते हैं जी आप ऐसा कैसे कर सकती हैं बच्चे  को अपने पिता की कमी खल्ती है

इस पर ननंद कहती है कि बच्चे अगर मेरे पास आ भी जाएंगे तो मेरी आज्ञा के बिना वह अपने पिताजी से नहीं मिल सकते । यह सुनकर अंकल जी की आंखें भर आती है पर वह समाज के बने आडंबरों के कारण जया के पिता और अंकल चुप हो जाते थे और जया भी मना कर देती थी मेरी किस्मत जैसा हो रहा है

होने दो। आठ दस महीने में उसके पति देव कभी-कभी मिलने चले आते थे। जया ने सब कुछ सहा लेकिन अपना वैवाहिक बंधन को तोड़ा नहीं ननंद हमेशा जया को ताना मारती  मुझे मेरा भाई बहुत प्यार करता है मेरे एक बार बुलाने से तुम्हें छोड़कर दौड़ा चला आता है!  जया उदासी लिए जीवन में अपने बच्चों के लिए जीने लगी!

माता-पिता को देखकर बहुत  दुख होता था पर कुछ कर नहीं पाते थे! बस बेबस होकर देखते रहते ! महीने के खर्च भी बड़ा रो रो कर भेजती थी पति को पैसे भी नहीं भेजने देती थी। जया और देव को कभी एक नहीं होने दिया एक दीवार बनकर पूरी उम्र खड़ी रही अचानक बीमारी से नंदोई भी चल बसे अब नंनद की और उनके पांचो बच्चों की जिम्मेदारी भी देव संभालने लगे।

छोटी  बहू – अनामिका मिश्रा

जया के बच्चे बड़े हो गए अपने पिता की कमी हमेशा खल्ती रही पर ननंद को कभी दया नहीं आई बच्चे हमेशा कहते हैं मम्मी सबके मम्मी पापा साथ रहते हैं पापा हमारे साथ क्यों नहीं रहते जया समझाती है पापा जी पर घर की जिम्मेदारी है। कभी अपने बच्चों के मन में पिता के लिए जहर नहीं घोला हर बात अपने बच्चों को पिता से पूछ कर करने के लिए कहती थी। 

बेटी कहती मम्मी पापा जी तो इतने पैसे भी नहीं कमाते बुआ गंदी है मेरे पापा जी को भी नहीं भेजती जया के पास कोई जवाब नहीं रहता आंखें डब डबा जाती छुप छुप कर रो लेती बच्चों को देखकर बहुत दुख होता है जया मन की बहुत अच्छी थी ।नंनद के जब भी बच्चों का कोई काम पड़ता

उसे नौकरों की तरह काम कराया जाता और काम होने के बाद उसे कोई भी पूछता नहीं था! फिर भी  जया कुछ नहीं कहती थी और  शादी के 27वर्ष अकेले काट ली।

जया की उम्र 45 के वर्ष पूरे हुए तभी खबर आती है की ननंद को कैंसर हो गया है उनके बच्चे उनकी सेवा नहीं करते भाई ही सेवा करता था भाई ने तय किया की बहन को मैं अपने साथ लेकर अपने गांव जाऊंगा और वह गांव ना जाकर मेरे ही घर में लेकर आए 

जया नौकरी भी करती ननंद की सेवा भी करती उसकी दौड़ हॉस्पिटल से घर-घर से हॉस्पिटल स्कूल 1 महीने तक ऐसे ही चलता रहा समय ने बदली करवट डॉक्टर ने जवाब दे दिया आखिरी में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। जया ने कहा अब कोई मतलब नहीं है दीदी आज आप तकलीफ में है

बहू – डाॅ संजु झा

तो आपको एहसास हो रहा है मेरी तकलीफों का क्या जो मैंने अकेले काटा? वह समय अब वापस आ सकता है मैंने जो बच्चों को अकेले  बड़ा किया क्या-क्या मैंने  सहा सारी उम्र गुजर गई बच्चे बड़े हो गए अब क्या आखिर उसने एक दिन दम तोड़ दिया। लेकिन उसने जो दूरी बना दी थी जाने के बाद भी नहीं भरी ।

पति को बच्चों से पत्नी से इतना लगाव नहीं था वह उनके बच्चों को ज्यादा महत्व देते थे। आज बुढ़ापे की ओर बढ़ रहे हैं और साथ होकर भी दो किनारे हैं जया का जीवन एक प्यासी नदी की तरह था

जिसने सबकी प्यास बुझाई लेकिन खुद प्यासी ही रही। जख्म दिया ऐसा  जो आज भी भर नहीं  पाया नंनद ने सब कुछ पाया  भाभी का दामन सब कुछ होकर भी खाली रह गया। नंनद मरकर भी उनके साथ रही जया साथ होकर भी दूर रही।

 

श्रीमती सविता शर्मा 

मुंबई

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