नंनद – राजेश इसरानी : Moral Stories in Hindi

मै ससुराल में अभी अभी आई थी कुल मिला कर एक सप्ताह हुआ था।

ससुराल में मेरे पति के अलावा मेरी सास ससुर और एक देवर एक नंनद थी।

मुझे मिला के कुल 6 सदस्य थे परिवार में।

अभी शादी को 7 दिन ही बीते थे  तो कुछ मेहमान अभी भी घर पर ही थे बुआजी मामाजी और कुछ एक दो उनके छोटे बच्चे।

मै अपने कमरे में बैठी थी दोपहर का समय था बाहर नंनद ने आवाज लगाई भाभी सबके लिए चाय बना दो और हॉल में ले आओ साथ में बिस्कुट भी ले आना।

नंनद कोई 15 बरस की थी इसी वर्ष 10 वी में उत्तीर्ण हुई थी और अभी कॉलेज में दाखिला लेना था।

दिखने में एकदम सुंदर और बातचीत में एकदम निपुण। मै उससे शादी के पहले से मिलते रहती थी तो मुझे उसका व्यवहार पता था। वो काफी सुलझी विचारधारा की लड़की थी।

घर में सब सास ससुर की बात का सम्मान करते थे। और थोड़े डरते भी थे।

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मेरे पति तो बिना उनसे पूछे कुछ भी नहीं करते थे, न जाने मुझसे प्रेम विवाह की हिम्मत उनमें कहां से आई। वैसे मेरी नंनद ने हमारी शादी के लिए परिवार में सबको समझाने की एकमात्र कड़ी बनी थी। 

देवर अपने भाई के साथ उनके व्यापार में सहयोग करते थे।

बस न जाने कब हंसते खेलते पांच वर्ष बीत गए पता ही नहीं चला । पापाजी की तबियत अब थोड़ी नर्म गर्म रहती थी तो उनकी इच्छा थी नंनद की शादी जल्द से जल्द हो जाए।

पर अभी वो 20, वर्ष की ही थी और वो इस परिस्थिति के लिए तैयार भी नहीं थी। 

अभी अभी उसकी एक कंपनी में नौकरी लगी थी। वो उस कंपनी में एकाउंटेंट की हैसियत से जुड़ी थी। उसे आगे व्यापार करने की इच्छा थी तो वो व्यापार की बारीकियां सीखना चाहती थी। वैसे मेरे पति ने उससे कहा भी था कि हमारे व्यापार में ही हाथ बंटा दे। बाहर नौकरी करने की क्या जरूरत है।

पर उसे खुद पे विश्वास भी था और कुछ अलग भी करना था।

और उसके लिए मैने भी उसकी हौसला अफजाई की थी।

सासू माँ की इच्छा नहीं थी कि इतनी जल्दी उसकी शादी हो जाए।

इसी वजह से अब घर में थोड़ी तनाव जैसी स्तिथि हो गई थी।

नंनद ने मुझसे स्पष्ट कह दिया था कि वो अभी विवाह के पक्ष में नहीं है। वो मेरी सहेली जैसे ही थी। तो अब मै एकदम कश्मकश में फंस गई थी।

ससुरजी को भी पता था कि नंनद मेरी बात सुनती है। पर मुझे ही ये बात नहीं पच रही थी तो में उसे कैसे मजबूर करू।

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मेरे पति इसमें पड़ना नहीं चाहते थे। पर न जाने कहां से उसी समय सामने से ही एक अच्छा रिश्ता आगया। तो ससुरजी पीछे ही पड़ गए और मुझे और सासुमा को समझाने लगे जब ऊपरवाले ने ही एक अच्छा रिश्ता भेज दिया है तो तुम लोग क्यों इतना सोच रहे हो।

मैने और नंनद ने मिल के एक प्लान तैयार किया कि पहले हम लड़के से मिलेंगे फिर घर पे मना बोल देंगे कि हमें लड़का नहीं जमा।

दो दिन बात मिलना तय हुआ। मैं और मेरी नंनद लड़के को मिलने पास ही के एक रेस्टोरेंट में मिलने गए। 

हम कुछ पांच मिनट लेट पहुंचे तो देखा लड़का अपने दोस्त के साथ पहले से वहां मौजूद था।

जैसे ही हम करीब पहुंचे और लड़के को देखा जो दिखने में बहुत ही सुंदर था और बहुत ही सुशील भी लग रहा था उसने मुझे देखते ही मेरे पैर छू लिए। 

मुझसे ज्यादा छोटा नहीं था। पर भाभी जैसी होने की वजह से उसने ये सम्मान मुझे दिया था।

हमने तो पहले से ही ठान लिया था कि हम औपचारिक बातचीत कर घर आके मना कर देंगे। तो ज्यादा बात करनी नहीं थी तो हमने सीधे कॉफी ही मंगा ली और बातचीत शुरू की न जाने उसकी बातों में और व्यक्तित्व में क्या आकर्षण था कि कब एक घंटा बीत गया पता ही नहीं चला।

अब मुश्किलें और बढ़ गई लड़का हमें पसंद आगया पर रिश्ता करना नहीं था। घर जाके क्या बोले समझ नहीं आ रहा था।

मैने नंनद से पूछा तो वो रोने लग गई और कहने लगी भाभी क्या करू कुछ भी समझ में नहीं आ रहा।

मुझे भी लड़का अच्छा लगा घर जाके ससुरजी को क्या कहूं और मेरी सहेली जैसी नंनद को कैसे समझाऊं।

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मैने नंनद से कहा घर पे सबको दो दिन में सोच के बताती हूं कह के कुछ रास्ता निकलेंगे।

उस रात अपने पति से मै नंनद के साथ उसके कमरे में ही सोने  जा रही हूं कहके नंनद के कमरे में आ गई ।

पूरी रात कश्मकश में निकली नंनद को नींद नहीं आरही थी।

हमने ये तय किया कि लड़के से अपने भविष्य को लेके पूरी तरह से खुल के बात करेंगे।

तो सुबह ससुरजी जल्दी उठ मेरे कमरे के पास आके मुझे पुकार के बुला रहे थे।

मै नंनद के कमरे से बाहर निकली तो उन्हें कुछ आस बंधी की बहु उसे मना लेंगी।

उन्होंने उम्मीद भरी नजरों से मेरी और देखा और पूछा क्या सोचा।

मैने उनसे कहा एक बार फिर लड़के से मिलना है। सुनते ही उनका गुस्सा फुट पड़ा। और वो जोर जोर से संस्कारों की बाते करने लगे। नंनद ये सब सुन कर रोने लगी। मैने हिम्मत करके ससुरजी को समझाया वो अभी बच्ची है एक बार और मिलना चाहती है तो क्या हर्ज है शायद बात बन जाए।

कुछ नानुकुर के बाद वो मान तो गए पर उन्होंने कहा मै उनसे बात नहीं करूंगा तुम अपने पति से कहो वो ही बात कर बुला लेगा। इसमें कही मेरा नाम नहीं आना चाहिए।

मैने लड़के का मोबाइल नंबर लिया था तो पति से बात कर मैने ही लड़के से फिर मिलने की बात कही। वो मान गया तो हम उसी जगह फिर मिलने का प्लान कर दोपहर को वहां पहुंचे पर लड़का वहां नहीं था। थोड़ी देर इंतजार किया फिर फोन मिलाया तो सामने से कोई डॉक्टर बोल रहा था उन्होंने कहा ये जिसका मोबाइल है

वो अभी हॉस्पिटल में है उनकी बाइक का एक्सीडेंट हो गया है। आप जल्दी से अस्पताल आ जाइए। हम एकदम घबरा गए मैने अपने पति को फोन किया वो कार लेके आए और हम सब अस्पताल पहुंचे हमने उनके घर भी फोन कर दिया था तो उनके परिवार से भी सब थोड़ी देर में पहुंच गए।

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मेरी नंनद का और मेरा हाल बहुत बुरा था। हमें अपने फैसले पे गुस्सा आ रहा था क्योंकि एक तो लड़के के घर पे किसी को पता नहीं था आज की मीटिंग का।

डॉक्टर जैसे ही बाहर आया तो सब उनकी और दौड़े डॉक्टर साब ने 48 घंटे से पहले कुछ नहीं कह सकते और ऊपर वाले पे विश्वास रखने को कहा।

वो 48 घंटे सात जन्मों जैसे निकले। ऊपरवाले का चमत्कार ही था कि लड़के को होश आया और सबको शांति हुई।

घर पर ससुरजी को किसी ने कुछ नहीं बताया था क्योंकि वो भी बीमार रहते थे।

अब दोनों परिवार में एक अलग तरीके का रिश्ता बन गया जिसमें कुछ खटास सा तनाव सा हो गया।

पर सब लड़के का स्वस्थ होने का इंतजार कर रहे थे।

इस एक हफ्ते में मैने अपनी नंनद को इस तरह से समझाया कि शायद होनी को यही मंजूर है वो माने या न माने तू हां कह देना सबके लिए अच्छा होगा।

अंत भला तो सब भला कुछ दिनों बाद लड़का एकदम स्वस्थ हो गया लड़के से बात की लड़के ने लड़की की सब शर्त मान ली। 

अब पांच साल बाद मेरी नंनद उनकी कंपनी में एमडी के पद पर है। और बहुत ही अच्छी तरह से उनके व्यापार को आगे बढ़ा रही है। 

और एक बात मेरी दोस्त जैसी नंनद इस सबका पूरा श्रेय मुझे देती है।

और मेरे ससुरजी भी मुझे ही इसका श्रेय देते हे। वैसे उस समय जो मेरे ससुरजी बीमार रहते थे अभी पूरी तरह स्वस्थ हो के अपनी कंपनी को संभाल रहे अपने दोनों बेटों के साथ। 

और मै …

मै अपने छोटे से मुन्ने के साथ अपने घर में अपनी मां जैसी सास के साथ ….

राजेश इसरानी

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