सुमन अपनी ननंद को लेकर मायके में भाई की शादी में शामिल होने के लिए पहुँची । उसकी ननंद श्रीजा इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करके एक बहुत बड़ी कंपनी में जॉब कर रही थी । नवीन की नज़रें बार बार श्रीजा की ओर आकर्षित हो रहीं थीं । वह जानना चाहता था कि इस बला की खूबसूरत लड़की कौन है ।
आख़िर में उसकी सब्र का बाँध टूट गया और वह श्रीजा के पास गया और अपना नाम और परिचय बता दिया । श्रीजा ने अपना नाम और वह जिस कंपनी में नौकरी करती है उसका नाम बता दिया । नवीन के यह पूछने पर कि वह किसके साथ आई है उसने बताया था कि वह सुमन की ननंद है बस नवीन का दिल बल्लियों उछलने लगा क्योंकि सुमन उसकी दीदी यानी कि मौसी की बेटी है ।
वह धीरे से उसके पास पहुँच गया और कहा सुमन दीदी आप अपने साथ अपनी ननंद को लेकर आईं हैं ।
सुमन ने मुस्कुराते हुए कहा हाँ क्या बात है ?
अरे दीदी आपको इस तरह से मुस्कुराते हुए देख मैं समझ गया कि मेरे बिना कहे ही मेरे दिल की बात समझ गई है । आप के घरवालों और श्रीजा की इजाज़त हो तो मैं उससे शादी करूँगा ।
सुमन बहुत खुश हो गई थी क्योंकि वह श्रीजा को अपने साथ इसलिए लाई थी ताकि उसे कोई अच्छा सा लड़का पसंद कर ले साथ ही वह अपने पुराने घावों को भूल कर थोड़ी सी ख़ुशियाँ बटोर ले।
सुमन मौसी के बुलाने पर उनके कमरे में पहुँची जहाँ मौसाजी और नवीन भी उपस्थित थे ।
मौसी ने ही बात शुरू की थी कि तेरी ननंद हमें पसंद आ गई है अगर तुम कहो तो घर आ जाएँगे ।
सुमन ने कहा कि उससे पहले मैं श्रीजा के बारे में कुछ बताना चाहती हूँ उसे सुनने के बाद भी आप शादी के लिए राजी हैं तो मैं श्रीजा से बात करूँगी ।
उसने कहना शुरू किया कि मौसी आपको पता ही है कि जब मैं उस घर में ब्याह कर गई थी तब श्रीजा इंजनीयरिंग अंतिम साल में थी कैंपस सेलेक्शन में उसे नौकरी भी मिल गई थी इस बीच मेरी सासु माँ बीमार हो गई थी और एक साल में उनकी मृत्यु हो गई थी । श्रीजा को मैंने ननंद नहीं अपनी बहन के समान देखा है वह भी मुझे उतना ही मान सम्मान देती है साथ ही हम दोस्त के समान हर बात एक दूसरे को बताते हैं ।
सासु माँ की बरसी के बाद ससुर जी ने एक दिन मुझसे कहा कि सुमन बेटा श्रीजा को नौकरी करते हुए एक साल हो गया है अब हम रिश्ते देखना शुरू करते हैं तुम एक बार उससे बात करके देखो ।
मैं उस दिन छत पर कपड़े उतारने गई और वहीं पर शाम के डूबते सूरज को देखते हुए आनंद उठा रही थी कि श्रीजा यह कहते हुए आई कि भाभी आप यहाँ हैं मैं पूरे घर में आपको ढूँढ रही थी । मैं नीचे बैठी हुई थी वह भी वहीं नीचे बैठकर मेरे गोद में सर रख कर सो गई। मैंने हँसकर कहा कि क्या बात है ननंद रानी कुछ कहना है क्या ? उसने ना में सर हिलाया पर मुझे लग रहा था कि वह कुछ कहना चाहती है ।
मैंने ही कहा कि श्री पापा आपके लिए रिश्ते देखना चाहते हैं आप इसके लिए तैयार हैं आपके मन कोई है तो मुझे बेझिझक बता सकती हो ।
यह तो वक्त ही बताएगा कि बहुएं हसाएंगी यां रुलाएंगी – गीतू महाजन
वह झट से उठकर बैठ गई और कहा भाभी थैंक्यू मैं आपसे कैसे कहता कि मेरी शादी करा दो आपने ही बात उठाई है तो मैं आपको बता दूँ कि मैंने सौरभ से प्यार किया है और उससे शादी करना चाहती हूँ ।
मैं बताती हूँ यह सौरभ कौन है आप अपने चेहरे का यह प्रश्न चिह्न तो हटा दीजिए कहकर उसने बताया था कि सौरभ उनकी ही कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत है दो साल से दोनों एक दूसरे को जानते हैं आप सोच रहीं होंगी कि अभी एक साल पहले ही तो नौकरी मिली है फिर यह दो साल का माजरा क्या है?
भाभी वह मेरे कॉलेज में सीनियर है कॉलेज के बाद हम दोनों एक ही कंपनी में आ गए यह हमारी ख़ुशक़िस्मत है । आप कहें तो मैं उसे घर पर बुला लेती हूँ ।
मैंने हाँ में सर हिलाया और ससुर जी और पति देव को भी बताया । उन्होंने भी कुछ नहीं कहा क्योंकि श्री पढ़ी लिखी है नौकरी कर रही है तो सही फ़ैसला ले सकती है ।
हमने सौरभ को घर लाने के लिए कह दिया था । वह एक दिन सौरभ के साथ घर आई । लड़का दिखने में बेहद खूबसूरत था पढ़ा लिखा था नौकरी कर रहा था और श्रीजा को चाहता था इसलिए हमें कोई आपत्ति नहीं थी ।
हमने उनके घर गए और माता-पिता से बात की दोनों परिवारों को बच्चों के फ़ैसले से कोई आपत्ति नहीं थी इसलिए हमने उन दोनों का एगेंजमेंट कर दिया। अब दोनों खुश होकर घूमने लगे ।
रविवार का दिन था श्रीजा को घर पर देखकर सबको आश्चर्य हुआ कि आज छुट्टी के दिन यह घर पर कैसे सौरभ कहाँ गया । उसने कहा कि आप सब शांत हो जाइए क्योंकि सौरभ माता-पिता के साथ नानी के घर गया है एक हफ़्ते में आ जाएगा ।
श्रीजा रोज ऑफिस जाकर आ रही है लेकिन उसके चेहरे पर उदासी छाई हुई थी । सौरभ एक हफ़्ते के लिए बोलकर गया था लेकिन दस दिन हो गए थे वह नानी के घर से नहीं आया था ।
श्रीजा को उदास देखकर सुमन और उसके पति सौरभ के घर गए यह देखने के लिए कि वे लोग आ गए हैं या नहीं और कुछ खबर तो मिल ही जाएगी ।
सौरभ के घर पर ताला लगा हुआ था तो पड़ोसियों से पता लगाने की कोशिश की तो उनसे जो खबर मिली उसे सुनकर सुमन के पैरों तले जमीन खिसक गई थी ।
जी खबर ही ऐसी मिली कि मेरी आँखें भर आई थीं और मैं सोचने लगी कि श्रीजा को हम कैसे सँभालेंगे ।
मौसी ने उत्सुकता से पूछा कि आख़िर ऐसी कौन सी खबर मिली है ।
सुमन ने कहा कि मौसी नानी के घर का तो बहाना था सौरभ ने वहाँ जाकर दहेज के लालच में शादी कर ली थी ।
हम जब वापस आए तो श्री पीछे पड़ गई थी कि सौरभ की क्या ख़बर है हमें मजबूरन उसे सब बताना पड़ा था कि उसने शादी कर ली है । वह तो बिचारी टूट गई थी । उसे सँभालना हमारे लिए बहुत मुश्किल हुआ था । इस हादसे को हुए आज छह महीने हो चुके हैं । जब भाई की शादी का निमंत्रण आया तो मेरे ससुर और मैंने यह निर्णय लिया था कि मैं श्रीजा को लेकर शादी में शामिल हो जाऊँ ताकि श्रीजा को उस घटना से उभार सके।
अब आप लोग सोच लीजिए कि आपको आगे बढ़ना है या नहीं । नवीन ने तो कह दिया कि मेरा कोई दूसरा ओपिनियन नहीं है मेरी तरफ से अभी भी हाँ है कहते हुए वहाँ से चला गया ।
सुमन श्रीजा के साथ वापस आ गई और उसने घर में नवीन के बारे में बताया तो उन्होंने भी नवीन के रिश्ते के लिए हाँ कह दिया था ।
अब श्रीजा को कौन समझाए ससुर जी ने सुमन को ही यह ज़िम्मेदारी सौंप दी थी । अब सुमन श्रीजा के साथ हर दिन थोड़ा थोड़ा बात करने लगी उसे कई उदाहरण दिए और अंत में पिता की चिंता का वास्ता दिया तब जाकर वह शादी के लिए राजी हो गई थी वह भी एक शर्त पर कि नवीन और घरवालों को सब कुछ बता दिया जाए ।
सुमन ने बताया कि नवीन और उसके परिवार वालों को सब कुछ मालूम है । श्रीजा के राजी होते ही दोनों की शादी करा दी गई थी ।
नवीन और श्रीजा खुश ही थे माता-पिता गाँव में रहते थे नवीन पत्नी के साथ बैंगलोर में रहता था ।
उस दिन सुमन रसोई में व्यस्त थी तब श्रीजा सुमन को पीछे से हग करके कहती है भाभी मैं वहाँ नहीं रहूँगी नवीन आए दिन मुझे हग करने की या कभी किस करने की कोशिश करता है। जब आपने सब कुछ नवीन को बता दिया है तो वह इस तरह की हरकतें क्यों करता है ।
सुमन उसे देखकर समझ गई कि श्री की गलती होगी । इसकी अच्छे से कौंसिल करके नवीन के पास भेजने का प्रयास मुझे ही करना पड़ेगा । उसे चाय पिलाई और खाना बनाकर टेबल पर रख कर उसे अपने कमरे में ले गई।
सुमन ने कहा कि देखो श्री सालों साल प्यार करने वाले पति पत्नी छोटे सी बात पर झगड़ा करके अलग हो जाते हैं ऐसे में वे ज़िंदगी भर अकेले नहीं रह जाते हैं अपनी ज़िंदगी को दूसरा मौका जरूर देते हैं । एक बार सोचो पत्नी की मृत्यु होते ही पति दूसरे जीवन साथी को चुन लेता है बच्चों का वास्ता देकर इतना ही क्यों सौरभ की जगह तुम होती थी ना सौरभ बराबर शादी कर लेता था इसलिए किसी एक के चले जाने से ज़िंदगी रुक नहीं जाती है बेटा हमें आगे बढ़ते ही रहना चाहिए । नवीन बहुत ही अच्छा लड़का है तुम्हारे अतीत को जानने के बाद भी तुम्हें बहुत चाहता है । मेरे ख़याल से ऐसे साथी को छोड़ना बेवक़ूफ़ी है । ज़िंदगी को दूसरा अवसर देना ही तो जीवन है । मुझे जितना कहना था मैंने कह दिया है श्री अब आगे तुम्हारी मर्ज़ी है कहकर उसे सोचने के लिए समय देते हुए सुमन वहाँ से चली गई ।
दोपहर को सबके खाना खाने के सुमन रसोई का काम ख़त्म करके आराम करने के लिए कमरे की ओर जा रही थी कि श्रीजा तैयार होकर आई और कहने लगी कि भाभी आपका बहुत बहुत धन्यवाद अपनी ज़िंदगी की नई शुरुआत करने के लिए मैं नवीन के पास जा रही हूँ ।
सुमन ने एक गहरी साँस ली और उसे सुखी रहने का आशीर्वाद दिया । इस बीच ससुर जी भी आ गए और कहने लगे कि श्री के जीवन को सुधार कर तुमने बहुत ही सराहनीय कार्य किया है बेटा । मेरी चिंता दूर हो गई है अगले साल ही श्री ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया था ।
के कामेश्वरी