मम्मी जी , यह देखिए मैं आपके और मेरे लिए यह वाली साडियां लाई हुं बोलते हुए रजनी अपने हाथ में पकड़ी हुई थैलियों में से साडियां निकालने लगी !!
सुधा जी ने जैसे ही साडियां देखी , उनका मुंह फुल गया और वे बोली बहु , मुझे तो बिल्कुल अच्छी नहीं लगी तुम्हारी लाई हुई साडियां !! तुम जानती तो हो मेरे लिए साडी हमेशा तुम्हारी नंनद कमिनी ही लाती हैं और मैं तो कहती हुं तुम भी अपना दिमाग मत चलाया करो ज्यादा !! तुम्हारी साड़ी भी कामिनी से ही मंगवा दिया करो !!
वह खुशी खुशी ला देगी बेचारी !! तुम देखती तो हो वह कितना करती हैं इस घर के लिए और उसकी पसंद भी हमेशा से अच्छी रही हैं !!
रजनी बहुत प्यार से अपनी सास और अपने लिए साड़ी लाई थी मगर सुधा जी के मुंह से यह बात सुनकर रजनी का दिल फिर एक बार खट्टा हो गया !!
रजनी की शादी के बाद वह पहली बार अपने हाथ से कुछ खरीदकर लाई थी मगर वह भी मम्मी जी को पसंद नहीं आया जबकि रजनी के मायके में तो सब रजनी की पसंद पर नाज करते हैं पर यहां जाने मम्मी जी को मेरी पसंद क्यों पसंद नहीं आती यही सोचते सोचते रजनी को उस दिन की बात याद आ गई जब रजनी अपनी सास और ननद के साथ बैठी हुई थी और बाहर चुडियां बेचने वाला आया था !!
सुधा जी बोली कामिनी मुझे चुडियां खरीदनी हैं चल बाहर से चुडियां ले लेते हैं !!
रजनी भी दोनों के साथ बाहर गई !!
रजनी को लाल रंग की चुडियां बहुत पसंद आई और कामिनी को गुलाबी !!
सुधा जी तब भी यही बोली कामिनी गुलाबी कह रही हैं तो गुलाबी खरीद लेती हुं , आखिरकार अब तक कामिनी की पसंद का ही तो पहनते आई हुं !!
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फिर सुधा जी बोली कामिनी तेरे लिए भी चुडियां खरीद ले बेटा !!
तुने भी तो पुरानी चुडियां पहन रखी हैं !!
कामिनी बोली हां मम्मी बहुत समय से नई चुडियां नहीं खरीदी हैं !!
सुधा जी ने जबरन बेटी के लिए भी नई चुडियां खरीद ली मगर रजनी को किसी ने एक बार भी नहीं पूछा कि क्या उसे भी चुडियां चाहिए ??
रजनी यह मां बेटी का ड्रामा अपने घर में कहीं दफा देख चुकी थी !!
उतने में सुधा जी के मोबाईल की घंटी बजी और रजनी की तंद्रा टूटी !!
उनकी बेटी कमिनी का ही फोन था !!
कामिनी का फोन आया नहीं कि सुधा जी बोल पड़ी हो सके तो शाम को घर आ जा बेटा !! तेरी भाभी जाने कहां से सडियां उठा लाई हैं , जिसे बदलवानी पड़ेगी !! शाम को तु आ जाती तो तेरी भाभी के साथ जाकर बदलवा देती !!
यह सब सुनकर रजनी उदास हो गई !!
रजनी की शादी को एक साल से उपर हो चुका था मगर अभी भी घर में सासू मां के मुंह पर हमेशा उनकी बेटी कमिनी का ही नाम रहता !!
रजनी अपने घर के प्रति समर्पित एक समझदार बहू थी मगर सुधा जी कभी रजनी को एक बहू वाला दर्जा दे ही नहीं पाई क्योंकि उनके दिमाग में हमेशा उनकी बेटी कामिनी ही रहती !!
कामिनी जब भी आती अपने साथ कठिनाईयों का खजाना लाती !!
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उनके मुंह से हमेशा एक नई कठिनाई सुनने को मिलती जिस वजह से रागिनी को भी उन पर दया आती !!
कामिनी का मायका और ससुराल दोनों ज्यादा दूर नहीं थे इसलिए शाम को कामिनी अपने मायके आ गई !!
कामिनी के आते ही सासू मां तुरंत उसके पास बैठ गई और बोली बेटा ,कैसी हैं तु और जमाई बाबु के व्यवहार में अब कुछ बदलाव हैं या नहीं ??
नहीं मां , उनके व्यवहार में बदलाव आना होता तो आ गया होता कब से ?? मुझे नहीं लगता अब वे कभी बदलेंगे कामिनी बोली !!
सुधा जी बोली तु चिंता मत करना , हम लोग हमेशा तुम्हारे साथ खड़े हैं !!
मम्मी , मुझे जरा दस हजार रुपए दे देना !! दोनों बच्चों की स्कूल फीस भी भरनी हैं कामिनी ने कहा !!
हां हां बेटा रूक अभी लाई !! कहते हुए सुधा जी उनके कमरे में जाकर अलमारी खोलने लगी और पैसे लाकर कामिनी के हाथ में रख दिए !!
रजनी जब से इस घर में आई थी तब से यही देख रही थी कि उसके सास ससुर बार बार बेटी को पैसे देते हैं !!
थोड़ी देर बाद कामिनी और रजनी साडियां बदलवाने गए जहां कामिनी ने अपने लिए भी एक साड़ी खरीद ली और सासू मां से लिए पैसों में से ही उसने साड़ी के पैसे दिए !! रजनी को पहले तो कमिनी दीदी पर बहुत दया आती थी क्योंकि वे हमेशा बताती कि उनके पति और ससुराल वाले मिलकर उन पर बहुत अत्याचार करते हैं मगर बार बार दीदी का अपने मायके से यूं पैसे लेना अब रजनी को भी अखरने लगा था और आज तो दीदी ने हद ही कर दी थी !! जो पैसे उन्होंने मम्मी जी से बच्चों की स्कूल फीस के नाम पर लिए थे उसी में से उन्होंने अपने लिए इतनी महंगी साड़ी खरीद ली थी !!
आज रजनी को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हुई !! आज रात वह अपने पति राजीव से बोली – कामिनी दीदी को हमारे घर से बार बार पैसे क्यों दिए जाते हैं राजीव ??
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राजीव बोला कामिनी दीदी का पति हितेश कामिनी दीदी और उसके बच्चों का खर्चा उठाता कहां हैं रजनी ?? दोनों पति पत्नी के संबंध बिल्कुल अच्छे नहीं हैं इसलिए मम्मी पापा कामिनी दीदी और उनके बच्चों के सारे खर्चे उठाते हैं और वैसे भी वह सारा पैसा मम्मी पापा का हैं वे चाहे जिस पर खर्च करें !! रजनी को सुनकर थोड़ा अचंभा लगा क्योंकि मां बाप के पैसों पर बेटे और बेटी दोनों का हक बराबर का होता हैं !!
अगर बेटी दुःखी हैं तो उसके प्रति फर्ज निभाना मां बाप का कर्तव्य हैं किंतु अपने बेटे के लिए पैसे बचाना भी तो उनका फर्ज हैं !!
नवरात्री चल रहे थे और तीन दिन बाद घर में माताजी का कीर्तन था जिसकी तैयारी में सुबह से रजनी लगी हुई थी !! सभी आस पड़ोस वाले , रिश्तेदारो को आने का न्यौता दे दिया गया था !!
माताजी के कीर्तन मे रजनी ने सभी का खुब अच्छे से स्वागत किया !! भजन कीर्तन से लेकर खाना पीना एक एक चीज का रजनी ने बहुत ध्यान रखा !!
अंत में सारे रिश्तेदारों ने रजनी की बहुत तारीफ की !! उस दिन सुधा जी को भी रजनी पर गर्व महसूस हुआ !!
कीर्तन में कामिनी और उसके पति हितेश भी आए हुए थे !! दोनों दूर बैठकर कुछ अपनी ही बातों में मग्न थे और दोनों बहुत हस हसकर बातें कर रहे थे !!
उन दोनों को देखकर रजनी सोचने लगी – दोनों को देखकर बिल्कूल भी नहीं लगता कि दोनों के बीच ऐसा मनमुटाव होगा और आखिर दुनिया में ऐसा कौन सा पति होगा जो अच्छा खासा कमाते हुए भी अपनी पत्नी और बच्चों का खर्च ना उठाए !! दीदी जीजाजी तो इतने सालों बाद भी दूर बैठकर इस तरह बातें कर रहे हैं जैसे कोई नवविवाहित जोड़ा हो !!
जब रजनी ने कामिनी दीदी और हितेश जीजाजी को नाश्ता दिया तो दोनों एक ही पलैट में नाश्ता करने लगे !!
रजनी को जैसे आज शक नहीं यकीन हो चला था कि दीदी जीजाजी में बहुत गहरा प्यार हैं तो क्या दीदी यहां मायके में जीजाजी के खिलाफ सब कुछ झूठ बताती हैं ?? दीदी की वह एक के उपर एक कठिनाईयां क्या सिर्फ एक दिखावा हैं ??
लेकिन दीदी अपने ही मायके वालों को इतना झूठ क्यों बोलेंगी ?? मायके वालों से तो एक बेटी का अटूट रिश्ता होता हैं !!
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इतना झूठ क्या सिर्फ पैसों के लिए ??
क्या एक बेटी अपने मायके वालों से इतना झूठ बोल सकती हैं ??
रजनी के मन में बहुत सारे सवाल आ चुके थे !!
उतने में रजनी को पीछे से किसी ने आवाज दी !!
रजनी ने सारे विचार एक तरफा रखें और फिर से मेहमानों की आवभगत में लग गई मगर उस रात रजनी के मन में सवाल आने लगे कि कहीं ऐसा तो नहीं कि कमिनी दीदी अपने पति की सारी कमाई बचाकर इस घर से अपने खर्चे पुरे कर रही हैं क्योंकि वे जानती हैं कि उनके मम्मी पापा के पास बहुत पैसा हैं !!
हितेश जीजू और कामिनी दीदी दोनों को देखकर बिल्कुल नहीं लग रहा था कि जीजू और उनके बीच का रिश्ता सामान्य नहीं हैं !!
रागिनी जानती थी उसके पति या सास ससुर से इस बारे में बात करके कोई फायदा नहीं क्योंकि वे लोग सोंचेंगे कि मुझे कामिनी से जलन हैं इसलिए मैं ऐसा सब बोल रही हुं !! वैसे भी एक बेटी के बारे में मां पापा कभी गलत क्यों सोचेंगे ??
वह अगली बार का इंतजार करने लगी कि देखते हैं दीदी वापस कब पैसे मांगती हैं ??
दूसरी ओर सास सुधा जी के व्यवहार में काफी बदलाव आ चुका था !! नवरात्रि में जब से सारे रिश्तेदारों ने उनकी बहू की तारीफ की थी सुधा जी को भी अपनी बहू थोडी थोड़ी अच्छी लगने लगी थी !!
अब वे ज्यादा टोका टोकी नहीं करती थी और हर मसले में रजनी की राय भी पूछने लगी थी !!
रजनी भी सासू मां में आए बदलाव से खुश थी !!
थोड़े ही दिन बाद कामिनी ने अपनी मां सुधा जी को फोन किया और बोली मम्मी , राजीव से कहो जल्दी से मेरे नम्बर पर दस हजार गूगल पे कर दें !! बिजली का बिल ना भरने की वजह से बिजली वालों ने हमारे घर की लाईट काट दी हैं !!
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सुधा जी ने फोन रखकर राजीव से तुरंत दस हजार कामिनी को गूगल पे करने कहा !!
रजनी बोली – रुको राजीव !! पहले मेरी यह बात सुन लो फिर रजनी सुधा जी से बोली मम्मी जी , यह तो बहुत गलत हो रहा हैं कामिनी दीदी के साथ !!
उनकी शादी को दस वर्ष हो गए हैं और अगर उनके पति और कामिनी दीदी का रिश्ता इतना ही खराब चल रहा हैं तो दीदी को ऐसे पति के साथ रहने की क्या जरूरत हैं ?? दीदी को और उनके बच्चों को हमेशा के लिए यहां मायके आ जाना चाहिए वैसे भी उनका सारा खर्च हम ही तो उठाते हैं और हमें उनके पति के खिलाफ कंम्पलेंट भी करनी चाहिए !!
ऐसे आदमी के साथ रहकर दीदी का क्या फायदा जो ना दीदी को प्यार देता हैं और ना पैसे !! मैं तो कहती हुं मम्मी जी हमें इन दोनों का तलाक करवा देना चाहिए !! कम से कम कामिनी दीदी का ऐसे आदमी से पीछा तो छूटेगा और दीदी हमेशा यहां मायके में रहेगी तो उन्हें हमारा सपोर्ट भी मिलता रहेगा !! वहां दूर बैठे बैठे ना जाने बिचारी कितनी परेशान होती होगी और कितनी ही बातें हमसे कह भी नहीं पाती होगी !!
सुधा जी को भी रजनी की बात बिल्कुल सही लगी और वे बोली हां बहू !! तुम बिल्कुल सही कह रही हो वैसे भी कामिनी पहले से ही इतनी दुःखी हैं !! जब भी फोन करती हैं रोती रहती हैं बेचारी को एक पल सुख ना मिला उस आदमी से !!
ऐसे निर्लज आदमी के साथ रहने से क्या फायदा ?? जो मेरी बेटी को हर पल नीचा दिखाता हैं !! रुको मैं अभी फोन लगाती हुं और कह देती हुं कि हमेशा के लिए छोड़ दे ऐसे पति को !!
काश !! यह बात पहले ही मेरे दिमाग में आ गई होती तो मेरी बेटी को इतने दुःख नहीं देखने पड़ते !! हमें पहले ही अपनी बेटी और नाते नातिन को यहां ले आना चाहिए था !!
सुधा जी ने कमिनी को फोन किया तो वहां से कामिनी और हितेश एक दूसरे के सामने मुस्कुराने लगे और हितेश बोला लगता हैं पैसे भेज दिए होंगे तभी फोन आया हैं तुम्हारी मम्मी का !!
कामिनी ने खुशी से फोन उठाया और बोली हां मम्मी पैसे भेज दिए क्या ??
सुधा जी बोली बेटा , तु और बच्चे हमेशा के लिए यहां आ जाओ , ऐसे निर्लज आदमी के साथ क्या रहना ?? जो तुम्हें इतना त्रास देता हैं !!
कामिनी यह सब सुनकर स्तब्ध रह गई और बोली मम्मी यह क्या कह रही हो तुम ??समाज क्या कहेगा ?? आस पडोस के लोग क्या कहेंगे ??
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मुझमें इतनी ताकत नहीं कि मैं जमाने का सामना करूं और सभी को दलीले दु इसलिए मुझे नहीं आना मम्मी मायके !!
सुधा जी बोली बेटा !! जमाने भर को दलीलें देने हम जो बैठे हैं , तुम्हें कोई जरूरत नहीं किसी के आगे अपनी सफाई देने की !!
बस अब बहुत हुआ !! तु एक पल भी नहीं रहेगी ऐसे आदमी के साथ जिसने तेरे साथ इतनी बदसलुकियां की !!
दरहसल गलती हमारी ही थी जो सब कुछ जानते हुए भी तुझे ऐसे आदमी के साथ रहने दिया !! वैसे भी जब से तेरी शादी हुई हैं तब से तेरा और बच्चों का सारा खर्च हमने ही उठाया हैं !! यही खर्च हम तुझे हमेशा अपने पास रखकर भी तो उठा सकते थे !!
वो तो आज बहू ने यह बात सुझाई तब मुझे ख्याल आया कि तु इतने सालों से ऐसे आदमी के साथ क्यों रह रही हैं ?? बस अब तु आ जा !!
कामिनी यह सब सुनकर घबरा गई और समझ गई कि इससे पहले कि मां को सब सच पता चल जाए मुझे फोन रख देना चाहिए !! कमिनी बोली मम्मी मैं मायके नहीं आ सकती !!
मैं तुमसे बाद में बाद करती हुं चलिए फोन रखती हुं !!
फोन रखने के बाद हितेश बोला क्या हुआ ?? पैसे आ गए क्या ?!
कामिनी बोली पहले की बात ओर थी हितेश !! अब वहां मेरी भाभी आ चुकी हैं जिसने शायद हमारी यह चालाकी पकड़ ली हैं !!
अब हमारे पास कोई पैसे वैसे नहीं आने वाले !!
हमारी भलाई इसी में हैं कि अब हम वहां से पैसे ना ले !!
थोडे दिनों तक तो कामिनी मायके भी नहीं आई !!
अब तो रजनी को पुरा यकीन हो चुका था कि कामिनी झूठ ही बोलती थी और चोरी पकड़े जाने पर अब उसने यहां आना भी छोड़ दिया हैं !!
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सुधा जी ने आज कामिनी को अपनी कसम देकर घर बुलाया तो कामिनी अपने मायके आई !!
सुधा जी बोली कामिनी मेरे फैसले पर तुने विचार किया या नहीं ??
कामिनी बोली मम्मी !! अब हितेश में धीरे धीरे बदलाव आ गया हैं !! मेरे हमेशा मायके चले जाने की धमकी सुनकर वह घबरा गया हैं और अब वह मुझे पैसे भी दे रहा हैं कहते हुए उसने चोर निगाहों से रजनी की तरफ देखा !!
रजनी वहीं खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी !!
सुधा जी जब कुछ काम से बाहर गई तो रजनी बोली कामिनी दीदी !!
एक बेटी का अपने मायके से अटूट रिश्ता होता हैं क्योंकि उसने वहां अपनी जिंदगी के बीस बाईस वर्ष बिताए होते है !!
अपने मायके वालों से झूठ बोलने के बारे में एक बेटी सोच भी नहीं सकती मगर कुछ लोग लालच में कुछ भी कर सकते हैं यह बात अब समझ आई हैं मुझे !!
कामिनी बोली रजनी प्लीस यह बात मेरे माता पिता या भाई किसी को मत बताना !!
उन सबका मुझ पर से विश्वास उठ जाएगा !!
रजनी बोली दीदी , मैं जानती हुं इसलिए तो अब तक मैंने किसी से कुछ नहीं कहा हैं !!
मैं भी नहीं चाहती कि एक माता पिता जो अपनी बेटी पर इतना भरोसा करते हैं उनका उस भरोसे पर से विश्वास उठ जाए !!
दोस्तों !! कभी कभी कुछ लोग लालच में इतने अंधे हो जाते हैं कि अपने लोगों से ही फायदा उठाने लगते हैं !!
अपनों के भरोसे का गलत फायदा उठाने लगते हैं मगर वे यह भूल जाते हैं कि सौ दिन लौहार के एक दिन सोनार का !!
झूठ को कितना भी लाग लपेट के बोल लिया जाए झूठ एक दिन पकड़ा ही जाता हैं !!
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धन्यवाद !!
आपकी सहेली
स्वाती जैंन