ननद सिर्फ पति की बहन ही नहीं सबसे अच्छी सखी भी तो है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

अरे रितिका क्या वहां रसोई में घुसी है भाभी के साथ, यहां आकर बैठ हमलोगों के साथ गप्पे लडा। भाभी कर लेगी न तुम क्यों परेशान हो रही वहां।हम ननदें क्या ससुराल से आकर अब मायके में भी काम करेंगी क्या रसिका बोली। तभी बीच में मम्मी रजनी भी बोल पड़ी ये रितिका भी न जब आती है रसोई में ही घुस जाती है बहू के साथ अकल नाम की तो चीज ही नहीं है इसके पास।

                रितिका और रसिका दो बहनें और एक भाई थे ।रसिका बड़ी थी और बीच में भाई शिवम् था उसके बाद रितिका थी। सबसे पहले रसिका की शादी हो गई थी उसके बाद शिवम् की और सबसे बाद में रितिका की हुई थी। बड़ी बहन रसिका जब भी मायके आती बस मां के पास बैठी गप्पे लगाती रहती है

और भाभी सोनिया को हर चीज के लिए आर्डर देती रहती है। किसी काम में हाथ नहीं लगाती।आज सबेरे सबेरे रसिका ने सोनिया के आगे ढेर सारे कपड़े डाल दिए और बोली सोनिया जरा मेरे कपड़े धो देना और हां प्रेस भी कर देना।और हां जरा मेरे लिए चाय बना लाओ और कुछ अच्छा सा गर्म नाश्ता भी बनाओ जल्दी से मुझे बड़ी जोर से भूख लग रही है ।और हां मुझे शाम को बाजार जाना है

शापिंग के लिए मेरे कपड़े तैयार कर देना।अब सोनिया परेशान अकेले क्या क्या करें नाश्ता बनाए कि खाना बनाए कि कपड़े धोए। सोनिया मन ही मन भुनभुनाते हुए रसोई में चली गई ये तो रसिका दीदी आती है तो बस बैठे बैठे आर्डर देती रहती है किसी काम में हाथ नहीं लगाती है।

                 शाम को जब रसिका को बाजार जाना हुआ तो वो सोनिया से कपड़े मांगने लगीं तो सोनिया बोली दीदी कपड़े का काम तो अभी नहीं हो पाया समय ही नहीं मिला ‌। क्या मतलब समय नहीं मिला अरे मशीन में ही तो डालना था कौन सा हाथ से धोना था । ऐसा करो दीदी आप ही कपड़े मशीन  में डाल दो धुल जाएंगे ।

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ये हलो सुनो हमारे ससुराल में ऐसा नहीं होता जब बेटियां मायके आती है तो वो कोई काम नहीं करती ।मेरे घर भी जब मेरी ननद आती है तो मांजी उससे कोई काम नहीं कराती ।और कहती हैं बेटियां मायके में आकर काम नहीं करती।और तुमसे जरा सा काम कहा था तो वो भी न हुआ‌अब मुझे बाज़ार जाना था और मेरे पास और कपड़ों में प्रेस नहीं है।तो क्या हुआ दीदी शिवम् जो कमरें में बैठा

सब सुन रहा था बाहर आकर बोला ये आयरन रखा है ले लो और कर लो कपड़ों पर आयरन और पहन लो ।मैं कर लूं ,मैं क्यों करूं बड़ा अपनी बीबी के पक्ष में बोलने लगा है । जरा सा काम कहा था तो वो भी न हुआ तेरी बीबी से।वो सारे दिन तो लगी रहती है दीदी कहां फुरसत मिल पाती है अब सब अपना-अपना काम कर लें तो उसे भी आसानी हो जाए ।सब मिलकर काम कर लें तो वो भी सबके साथ मिलकर गप्पे लगाए  हंसी खुशी से समय कटे कितना अच्छा लगे फिर । लेकिन तुम तो सोनिया पर हुकुम चलाती है बस ।

              अब रितिका की भी शादी हो गई थी वो पहले भी थोड़ा बहुत सोनिया के साथ साथ बंटाती थी और हमारे भारतीय घरों  की सासें तो बहू के आने पर अपने आपको बिलकुल आजाद समझने लगती है । जैसे कोई बहू नहीं नौकरानी ब्याह कर लाई है सारे काम का बोझ बहू पर डाल देती है।और यदि घर‌मे बराबर की बेटी है तो उसको भी काम नहीं करने देती है भाभी तो आ गई है वो करेगी बेटी तू क्यों परेशान होती है तू आराम कर।

                  इधर जब रितिका मायके आती तो सोनिया का भरपूर साथ देती हर काम में मदद करती तो बड़ी बहन रसिका को बहुत बुरा लगता।कि ये रितिका जब आती है तो रसोई में ही घुस जाती है। रसिका उसको बहुत मना करती काम करने से पर वो न मानती ।आज फिर दोनों बहनें मायके आई हुई थी तो रितिका सोनिया के साथ काम करवा रही थी। रसिका के बार बार आवाज देने पर रितिका आई और बोली क्या बात है दीदी क्यों आवाजें दे रही हो अरे क्या रसोई में घुसी हो तुम्हारा मन नहीं करता हमारे और मम्मी के साथ बैठकर बातें करने का । मायके आई हो आराम करो काम करने थोड़ी ही आई हो । हां बेटी आराम करो ससुराल में तो करती ही है मां बोली।

             नहीं दीदी यही तो तुम और मां गलती कर रही हो भाभी के ऊपर सारा बोझा डालकर। अगर हम लोग ऐसे ही करेंगे तो भाभी को अच्छा नहीं लगेगा हमारा आना।वो सोचेगी कहां से आ जाती है मुझको परेशान करने ‌।और मां अब तो तुम भी भाभी की कोई मदद नहीं करती हो काम में । पहले भी तो सारा काम तुम ही करती थी न। मेरे ससुराल में ऐसा नहीं है मेरी ननद आती है तो मेरी सास उससे कहती हैं बेटा जाओ भाभी के साथ कुछ काम में हाथ बंटाओ। यदि अकेले अकेले वो रसोई में लगी रहेगी

तो भाभी और ननद में प्यार नहीं पनपेगा तुम दोनों के बीच में ।ननद भाभी नहीं सहेली बनकर रहो जिससे मां बाप के न रहने पर भी बेटियों का मायके में जगह बनाई रहे । भाभियां ननदों को पूछती रहे कि दीदी अब आ रही हो।और दीदी ऐसा व्यवहार करोगी जैसा तुम सोनिया भाभी के साथ कर रही हो तो आगे भाभी कभी पूछेगी ही नहीं।

      रितिका बोली मेरी सास कहती हैं कि बेटा मायका तो मां बाप के न रहने पर भाई भाभी से ही होता है।और अगर तुम्हारा  अच्छा व्यवहार नहीं रहा तो भला वो क्यों पूछेगी।

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          दीदी बोझ बनकर न रहो ।हर वक्त उनपर हुकुम न चलाया करो कितना करेंगी वो अकेले ।एक भी दीदी मेरा कहा मान कर देखो, कभी भाभी के साथ काम में हाथ बंटाकर देखो भाभी को कितना अच्छा लगता है। तभी मां रजनी बोली हां रसिका रितिका ठीक कह रही है ।हम लोगों को बड़े होकर बात समझ न आई और रितिका छोटी होकर कितनी बड़ी बात समझा गई हम लोगों को।

         दूसरे दिन रसिका रसोई में जाकर सोनिया से बोली लाओ भाभी तुम रोटी बेलों में सेकं देती हूं ।और हां भाभी आज हम लोग सब साथ बैठकर खाना खाएंगे । लेकिन दीदी आप तो गर्म रोटियां खाती हो , हां खाती थी लेकिन आज सबलोग सेंक कर रखीं हुई रोटियां सब साथ साथ खाएंगे।साथ साथ खाने से आपस का प्यार बढ़ता है ‌

      फिर शाम को पहले रसिका ने खाना खा लिया तो सोनिया को खाने की टेबल पर बैठा दिया अब मैं रोटी सेंक रही हूं भाभी अब तुम खाओ।हम लोगों को कहां नसीब होती है गर्म गर्म रोटियां हम लोग तो बाद में ठंडी रोटी ही खाते हैं ।आज आपने पहले मुझे खिलाई गर्म रोटी और अब मैं आपको खिलाऊंगी गर्म रोटी।इस तरह हम दोनों खा लेंगे गर्म रोटी। सोनिया बोली सच में दीदी आज तो मजा ही आ गया।और सब साथ मिलकर खिलखिला पड़े ।

       रसिका ने रितिका को गले लगा लिया । धन्यवाद रितिका तुमने कितनी बड़ी बात आज सिखा दी ‌। मायके आई हूं तो क्यों कोई काम न करूं ये तो ग़लत है। मेरी आंखों खोल दी तुमने।सच में रिश्तों में आपसी समझौते से कितनी मिठास आ जाती हैं।सच में ननद भाभी से बढ़कर तो कोई सहेली भी नहीं होती।आज से यही रिश्ता मैं हमेशा निभाऊंगी। सोनिया भाभी आज से हम दोनों ननदें आपकी पक्की सहेली है ,है ना , हां दीदी और सब तरफ खुशहाली का माहोल हो गया। ननदों के जाते समय सोनिया बोली और आप दोनों फिर जल्दी आना ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

21 मार्च

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