” ननद” – पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

मां इतना बड़ा घर कहां है हमारा इस छोटे से फ्लैट में आप बुआ को भी अपने साथ रखने के लिए कह रही हो , आप खुद बताओ कहां रहेगी बुआ? एक कमरा हमारा एक दोनों बच्चों का और एक छोटा सा कमरा आपका, बताओ क्या 1 सदस्य के बढ़ जाने से परेशानी नहीं हो जाएगी ऊपर से वो बीमार भी है उनके ऊपर एक आदमी चाहिए।

क्या उनका बेटा उन्हें मुंबई नहीं ले जा सकता? अपना बेटा ना हो तो भी समझ में आता है, दीपक ने तो यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मेरा फ्लैट तो बहुत छोटा है मुंबई में वैसे ही जगह की बहुत दिक्कत है। जब बड़ा फ्लैट किराए पर लूंगा तब आपको आकर में खुद ले जाऊंगा। अरे ऐसे कैसे बुआ माँ है उसकी तो जिम्मेदारी तो उसी की बनती है? मैं और निकिता दोनों सुबह जॉब पर चले जाते हैं, आप और निकिता कितनी सुबह से काम में लग जाती हो, तब जाकर समय से काम होता है। आखिरबूआ ने आपको क्या घोल कर पिला रखा है

पापा के न रहने पर भी आपने उनके सम्मान में कभी कोई कमी नहीं छोड़ी। भला इस उम्र में किसकी भाभी अपनी नंद को इतना पूछती है। हम भी तो बस खाते पीते ही लोग हैं इतनी जिम्मेदारी हम कैसे उठा सकते हैं? अगर उनका बेटा अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहा तो आप मुझ पर क्यों उनकी जिम्मेदारी डालना चाहती हो? निकिता ने तो साफ मना कर दिया है मैं किसी की तीमारदारी नहीं करूंगी मुझे जॉब पर भी जाना होता है। आजकल बच्चे अपने मां बाप का करदे वही बहुत है। भला इस तरह दूसरों को कौन घर में बसाता है?

मम्मी जी ने तो हमारा घर धर्मशाला सोच रखा है। अब आप ही बताओ बुआ की वजह से मैं अपने घर में क्लेश कैसे कर लूं रोज-रोज की चिक चिक फिर मुझसे सहन नहीं होगी? तुम्हारी बहू तो अभी से मुंह बनाए बैठी है। मनोरमा जीअबतक चुपचाप अपने बेटे अमित की बातें सुने जा रही थी, बड़े गुस्से से बोली। देखो अमित

 तुम्हारी बुआ इस घर की लड़की है। तुम्हारे फूफा जी की मृत्यु को भी 2 साल हो चुके हैं बेचारी जैसे तैसे  अकेली अब तक रह ही रही थी अगर उनका बेटा नालायक निकल गया तो इसमें उनकी क्या गलती?

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 हमारा भी तो उनके प्रति कोई फर्ज है। अगर इस हाल में उन्हें हमने अकेला छोड़ दिया तो मैं तुम्हारे पापा को ऊपर जाकर क्या मुंह दिखाऊंगी? तुम नहीं जानते उन्होंने हमारे लिए क्या-क्या किया है? अगर तुम उन्हें यहां रखना नहीं चाहते तो मैं उनके पास जाकर रह लूंगी। लेकिन उन्हें किसी कीमत पर अकेला नहीं रहने दूंगी। मां आपको मेरी कसम आखिर क्या वजह है जो आप उन पर इतनी जान छिडकती हो बचपन से आज तक देखता आ रहा हूं? निकिता भी बहुत हैरान थी अपनी सासू मां का ऐसा रूप देखकर।

जाने क्यों बुआ की वजह से अपने घर में भी दिन रात का कलेश करने को तैयार है मम्मी जी। मनोरमा जी का फैसला सुनकर उनका बेटा और बहू अपने कमरे मेपैर पटकते हुए चले गए। सावित्री जी वही अपने कमरे में कुर्सी पर बैठकर बीती बातों में खो गई आखिर कैसे बताऊं अपने बेटे को अगर मेरी नंद ना होती तो मेरा घर भी कभी नहीं बसता। शादी के 5 साल बाद तक। भी मनोरमा जी के कोई औलाद नहीं हुई उसे डॉक्टर ने साफ-साफ मना कर दिया था कि मनोरमा जी कभी माँ नहीं बन सकती।

तो उनके सास ससुर अपने बेटे का दूसरा विवाह करने को तैयार हो गए थे। आखिर इकलौता बेटा था उनका, उनके पति ने साफ मना कर दिया दूसरी शादी करने को अनाथ आश्रम से बच्चा गोद लेने के लिए कहा लेकिन उनके माता-पिता को किसी और का खून नहीं अपना ही खून चाहिए था। इसी बात को लेकर घर में तनाव चलता रहता था। इसी बीच में उनसे 2 साल बड़ी उनकी नंद ने अपने पति की रजा मंदी से।अपने दूसरे बेटे के पैदा होते ही अपना बेटा अपनी भाभी की गोद में अपने मां बाप से ये कहकर डाल दिया था, मां यह तो आपकी बेटी का ही खून है इसे तो इस परिवार में एक बेटे का दर्जा मिलेगा ना।

 मनोरमा जी तो अपनी नंद के पैरों में ही गिर पड़ी थी 

 आखिर कितनी बड़ी अनमोल खुशी जो दी थी उन्हीं की वजह से उनके घर में औलाद हो गई थी। अगर उस वक्त उन्होंने अपना बच्चा उन्हें न दिया होता तो आज उनके घर में अंधेरा ही रहता उन्हीं की वजह से आज उनका घर भी भरा पूरा घर है। फिर नहीं चाहती थी कभी यह सच उनके बेटे को पता चले लेकिन आज उन्होंने फैसला ले लिया था कि यह सच्चाई अमित को बता ही देंगे क्योंकि इसके सिवा कोई चारा भी नहीं है अपने घर की शांति बनाए रखने के लिए? अगले दिन नाश्ते की टेबल पर भी कोई आपस में नहीं बोल रहा था तब।

 मनोरमा जी ने अपने बेटे को सारी बात बता दी। और कहां ठीक है अमित उनका एक बेटा नालायक है लेकिन दूसरा बेटा तो समझदार है। अब तुम बताओ मुझे इस स्थिति में क्या करना चाहिए? मैं नहीं चाहती थी मेरे बेटे को कभी पता चले कि मैं उसके असली मां नहीं लेकिन दिल पर पत्थर रख के आज मुझे तुम्हें यह सच्चाई बतानी पड़ी। अमित की आंखों से तो आंसू बहे जा रहे थे वह मनोरमा जी की गोद में सर रखकर फफक कर रोने लगा। मनोरमाजीउसके बालों में उंगलियां फिराते हुए बोली देख बेटा मैं तो तेरी यशोदा मां हूं देवकी तो तेरी बुआ ही है। उन्होंने जो दौलत मुझे दी है

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 उसके सामने मैं उनके लिए कुछ भी कर लूं कम ही है। मेरे लिए मेरी नंद भगवान से कम नहीं है।

 अगले दिन सब लोग जबरदस्ती बुआ को अपने साथ अपने घर ले आए और उन्हें शहर में बड़े डॉक्टर को दिखाया तो उनकी तबीयत में भी सुधार होने लगा था।अब दोनों नंद भाभी इस घर में बड़े प्यार से रह रही है। अमित अब अपनी बुआ को बुआ मां कहकर ही बुलाता है। अमित की पत्नी भी इस सच को स्वीकार कर चुकी है कि बुआ की जिम्मेदारी नहीं हमें एक मां के प्रति कर्तव्य निभाना है।

 अगर दिल में प्यार हो तो छोटा सा घर भी स्वर्ग से सुंदर हो सकता है जगह दिल में होनी चाहिए घर में तो अपने आप ही हो जाती है। 

 पूजा शर्मा स्वरचित।

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