ननद-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“बेटा••!अब मैं ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहूंगी•• लेकिन जाते-जाते तुझसे एक वादा लेना चाहती हूं••! रीना जी अपनी बेटी केतकी का हाथ अपने हाथ में लेते हुए बोलीं। 

“मां•• प्लीज! ऐसी बात दोबारा अपनी जुबान पर मत लाना आप ठीक हो जाएंगी! कुछ नहीं होगा आपको••!

  ये सब तो मन बहलाने वाली बात हैं मुझे भी पता है कि कैंसर जैसी बीमारी से बचा नहीं जा सकता वह भी फोर्थ स्टेज का••! खांसते हुए रीना जी बोलीं।

 “मां अगर आप पॉजिटिव रहेंगी तो बीमारी से लड़ सकती हैं”! केतकी रोते हुए बोली ।

ना बेटा•• मेरे पास समय कम है तुझे मुझसे•• एक वादा करना होगा !

हां मां•• बोलिए !

  इस घर की बड़ी बेटी होने के नाते भाई अक्षर के शादी की जिम्मेदारी•• तुझ पर छोड़ कर जा रही हूं इस जिम्मेदारी को बहन नहीं मां समझकर निभाना! मेरे जाने के बाद अक्षर बिल्कुल टूट जाएगा तुझे ही उसे संभालना होगा! इस आखिरी इच्छा को पूरा करेगी ना मेरी बच्ची••? 

हां ••आपको मैं वचन देता हूं कि••  एक बहन की तरह नहीं बल्कि एक मां की तरह मैं अपनी जिम्मेदारियां निभाऊंगी! परंतु आप खुद ही उसकी शादी करेंगी! ऐसी बात करके हमें और भी दुखी मत करें••! कहते हुए केतकी रोने लगी।

रीना जी के तीन बच्चों में दो बेटियां केतकी और अंकिता थी और एक छोटा बेटा अक्षर। बेटी केतकी की शादी उन्होंने अपने ही शहर के बिजनेसमैन के साथ की ससुराल और मायका दोनों पास-पास होने के कारण केतकी का अक्सर मायका जाना हो जाता।

अंकिता की शादी दूसरे शहर में हुई थी इसलिए उसका साल में एकाध बार अपने मां-बाप से मिलना हो पता ।

बेटियों की शादी से रीना जी निश्चिंत ही हुई थीं कि उन्हें फोर्थ स्टेज के कैंसर का पता चला। अपने इन बचे-चुने दिनों में उन्होंने अक्षर के लिए लड़की ढूंढनी शुरू कर दी और जल्द ही एक अच्छे परिवार से रिश्ता तय कर दिया । आनन-फानन उनका इंगेजमेंट हुआ•• मगर शादी की आस लिए रीना जी इस दुनिया को अलविदा कर गईं ••।

काम-क्रिया निपट जाने के महीना  बाद शादी का डेट निकाला गया। अब कुछ ही दिन शेष थे इस वजह से पूरी जिम्मेदारियां केतकी और अंकिता के कंधों पर आ गई।

केतकी रीना जी के दिल के काफी करीब थी और इस घर की बड़ी बेटी सो उसे पता था की शादी और घर को कैसे मैनेज किया जाए। बहन अंकिता के साथ वह सारी चीजें बखूबी देखने लग गई। अब सारे रिश्तेदार भी आ गए••। सभी को खिलाने-पिलाने से लेकर उनके रुकने तक की व्यवस्था दोनों ने मिलकर किया ।

 पिता रामचंद्र जी पत्नी की मौत से अब तक सदमे में थे इसलिए बेटियां पिता को कम से कम परेशान करना चाहती और जितना हो सके खुद ही निर्णय लेती । 

शादी वाले दिन अक्षर को दूल्हे के रूप में देखकर रामचंद्र जी काफी खुश थे बेटा अगर आज तेरी मां होती तो कितनी खुश होती••

तू अपनी मां की “आखिरी ख्वाहिश” को बखूबी निभा रही है वह जहां कहीं भी होगी खुश हो रही होगी•••! कहते हुए उनकी आंखें भर आई।

शादी अच्छी तरह से संपन्न हुई और घर में एक नई नवेली दुल्हन का प्रवेश हुआ 

  सारे रस्म हो जाने के बाद जब ” कनिका” बेडरूम में पहुंची तो:-

” कनिका•• पहले मां का आशीर्वाद लो•• फिर घर के सभी बड़ों का पैर छू उनसे भी आशीर्वाद लेना !

 रीना जी से आशीर्वाद लेने के बाद कनिका सभी बड़े बुजुर्गों के पैर छूने लगी और अंत में केतकी के पैर छुए ।

  कनिका••! क्या तुम्हें पता नहीं कि पहले अपनों के पैर छुए जाते हैं इस घर में मां-पापा के बाद मैं बड़ी हूं•• तो तुम्हें इस हिसाब से पहले अपनी #ननद का पैर छूना चाहिए था बाकियों का आशीर्वाद बाद में लेती! केतकी उखड़ी हुई  बोली।

शायद यहां ऐसा ही रिवाज होगा ये सोच कनिका ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया ।

शादी के 3 दिन बाद ‘बहुभोज” का आयोजन रखा गया इस बीच केतकी सारे रस्म अपनी बड़ी मां से पूछ-पूछ कर पूरी कर रही थी। चौठारी के दिन बड़ी मां अपने तरफ से लाई “पीली साड़ी” कनिका को देते हुए बोलीं कि••” बहू !ये साड़ी पहनकर जल्दी से तैयार हो जा अभी चौठारी की रस्म बाकी है देवकी जी के हाथ से जैसे ही कनिका ने साड़ी लिया वैसे ही केतकी  वहां आ गई।

 हमारी वाली साड़ी कहां है••?

 “दीदी•• वह तो रखी हुई है! 

हां तो ठीक है ना•• उसे पहन, जल्दी तैयार हो जाओ !

 फिर देवकी जी की तरफ देखते हुए बोली सॉरी बड़ी मम्मी !आपकी साड़ी किसी और दिन पहन लेगी•• देवकी जी मुंह लटकाते हुए वहां से चली गईं उनके जाते ही ••” कनिका तुम बड़ी मम्मी को नहीं जानती नई नवेली दुल्हन को खराब करने की सारी जिम्मेदारी इन्होंने ही ले रखी हैं•• इसलिए इनसे दूर ही रहो तो ज्यादा अच्छा है ! कहते हुए केतकी कमरे से बाहर चली गई।  परंतु कनिका को नंद का व्यवहार कुछ अटपटा सा लगा लेकिन यहां  चुप रहना ही उसने बेहतर समझा। 

रिसेप्शन के बाद सभी रिश्तेदार अपने-अपने घर चले गए अंकिता भी अपने घर चली गई।

  लेकिन केतकी अपनी भाभी को रहने- सहने का ढंग सीखाने हर दिन पहुंच जाती। जब भी वह किसी रिश्तेदारों या आस-पड़ोस  वालों से उसे बात करते देखती तो  बात न करने की सलाह दे कहती•• बेफुजुल के बात करके अपना समय नष्ट ना करो। 

 हर बात पर रोकना-टोकना कनिका को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता।

दीदी! हर बात पर मुझे क्यो टोकती है?

 जब भी वह अक्षर से केतकी के बारे में बोलती तो अक्षर यह बोल टाल जाता कि इस घर की बड़ी है “मां” के बाद हमारे लिए वही सब कुछ है जो बोलती हैं•• चुपचाप सुन लिया करो !

फिर कनिका चुप हो जाती। 

एक दिन:- 

रामचंद्र जी के ऑफिस जाने का टाइम 9:00 था। इधर अक्षर को इमरजेंसी में 8:00 बजे ही ऑफिस निकलना था।

 कनिका ! पापा  9:00 बजे ऑफिस जाते हैं” आज मुझे जल्दी ऑफिस के लिए निकलना है सो पहले मेरा नाश्ता लगा दो टाई बांधते हुए अक्षर बोला।

 जी•• मैं अभी लगा देती हूं! कनिका फटाफट अक्षर के लिए नाश्ता बनाने लग गई। तभी रामचंद्र जी को भी ऑफिस में किसी काम से जल्दी जाना पड़ गया।

 बेटा•• मैं ऑफिस में ही खा लूंगा तुम आराम से अक्षर के लिए नाश्ता तैयार करो••!

 पर•• पापा !आप भी 10 मिनट रुक जाइए अब नाश्ता बनने ही वाला  है खाकर जायेगा••!

 नहीं नहीं बेटा मुझे अभी तुरंत ही निकलना होगा तुम मेरी चिंता मत करो !

कहते हुए वह ऑफिस के लिए निकल गए ।

“पापा आज ब्रेकफास्ट में आपकी बहू ने आपको क्या बनाकर खिलाया••?

ऑफिस में फोन करते हुए केतकी रामचंद्र जी से पूछी ।

अरे बेटा•• आज मुझे ऑफिस जल्दी आने की वजह बगैर नाश्ते के आना पड़ा !

फिर आपने क्या खाया ••? केतकी आश्चर्य से पूछी।

मैंने कैंटीन में ही खा लिया! 

इतना सुनते ही केतकी मन ही मन•• अभी से यह हाल है कि पापा बिना खाए हुए ऑफिस चले आए बाद में पता नहीं क्या होगा••?

 मुझे जाकर कनिका को धमकाना चाहिए वरना सर पर चढ़ जाएगी!

 शाम में  वह मायके पहुंची ।

 उसे देखते ही कनिका अरे दीदी आप••? बैठिये मैं पानी और चाय बना कर लाती हूं!

 चाय-वाय छोड़ो••! पहले मुझे ये बताओ कि तुम्हारी मां ने तुम्हें समझाया नहीं कि सांस-ससुर की सेवा कैसे की जाती है••? शुक्र है कि मां नहीं, वरना तुम्हारी इस हरकत से उन्हें बहुत बुरा लगता कि तुम खाना-पीना की जिम्मेदारी भी सही से नहीं संभाल सकती!आज पापा बिना खाए हुए घर से चले गए तुम्हें पता है ना उन्हें बाहर का खाना सूट नहीं करता••? 

केतकी एक सांस में ही सारी बात कह गई। 

पर दीदी••! मुझे नहीं पता था कि पापा इतनी जल्दी जाएंगे वो तो उनका अचानक से कॉल आया और उन्हें जाना पड़ा•••! कनिका समझाते हुए बोली।

  तुम उन्हें जल्दी-जल्दी बनाकर खिला सकती थी•• लेकिन नहीं तुमसे तो काम होता ही नहीं••! कैसे कर पाओगी तुम इतना सब कुछ••? और जब बच्चे हो जाएंगे तब कैसे मैनेज करोगी•••?

  अगर आप यह सोचती हैं कि  मैं यह सब कुछ नहीं कर पाऊंगी•• तो आप  यहां रहकर घर को संभाल लीजिए ••!मैं अपने मायके चली जाती हूं ••!कहते हुए केतकी के आंख भर आई•• और वह अपने कमरे की ओर जाने ही लगी थी कि 

  क्या हुआ कनिका तुम रो क्यों रही हो••? और तुम लोगों की किस बात पर इतनी बहस हो रही है••?  इतना सुनते ही कनिका अपने कमरे में चली गई! 

सारी बात से अवगत हो रामचंद्र जी केतकी से बोले 

 बेटा ••इसमें बहू की कोई गलती नहीं ••  अचानक से इमरजेंसी कॉल आने की वजह मुझे भी जल्द ही ऑफिस जाना पड़ गया••! ये बेचारी तो दिन-रात मेरा ख्याल रखती है! तेरी मां की कमी नहीं खलने देती ! बेटा ••तेरी मां ने जो तुझे जिम्मेदारी दी थी तूने बखूबी निभाया परंतु अब बहू भी अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा रही है उसे हर बात पर इतना जलील करना कहां की समझदारी है••! उसने आज तक तेरे लिए कभी भी गलत शब्द अपने मुंह से नहीं निकला ! तेरे इस बर्ताव से अगर वह भी मर्यादा तोड़ तुझे जवाब देना शुरू कर दे तो तब तेरी कितनी बेज्जती होगी••? और अक्षर को भी यह सुनकर कितना बुरा लगेगा कि तुम हमेशा उसकी पत्नी के पीछे पड़ी रहती है,

इसलिए हर रिश्ते को मर्यादा में रहकर ही निभाना पड़ता है मेरी बच्ची ••!

जा•• कनिका को सॉरी बोल के उसे मना ले! अब वही तुम्हारे लिए सब कुछ है मेरा क्या 2 दिन की जिंदगी है फिर तो रिश्ते तुझे भैया- भाभी के साथ ही निभाने होंगें परंतु अगर आज रिश्तो में खटास हुआ तो यह रिश्ता कमजोर पड़ जायेंगा! पिता की बात सुन, केतकी को अपनी गलती का एहसास हुआ। 

कनिका मुझे माफ कर दें! मुझसे गलती हो गई••!  मैंने तुम्हें कुछ ज्यादा ही रोकना-टोकना शुरू कर दिया था मुझे लगने लगा था कि मैं तुम्हें अगर शासन में रखूंगी तो तुम हम लोगों की इज्जत करते रहोगी!  परंतु पापा के समझाने से मुझे समझ आया कि रिश्तों में डर नहीं प्यार होना चाहिए! 

नहीं दीदी••मुझे भी आपसे इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी••!  कहते हुए दोनों नंद और भाभी एक दूसरे के गले लग गए। चलिए मैं आप सब के लिए गरमा- गरम पकोड़े और चाय बनाती हूं!

 रामचंद्र जी बहुत खुश थे क्योंकि  आज उन्होंने इस घर को, इस रिश्ते को टूटने से बचा लिया।

 रिश्तो में मर्यादा होनी बहुत जरूरी है•• वैसे रिश्ते ज्यादा दिन बने रहते हैं । #नंद दोस्त भी होती है बहन भी होती है और एक सास की तरह भी होती है लेकिन सास नहीं ।

दोस्तों अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई हो तो प्लीज इसे लाइक्स ,कमेंट्स और शेयर जरूर कीजिएगा ।आपकी प्रतिक्रिया मुझे प्रेरणा देती है!

 धन्यवाद।

 मनीषा सिंह

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