Moral Stories in Hindi : नमिता अपने पिता की तीन बेटियों ओर 1 बेटे में सबसे छोटी बेटी थी। नमिता के पिता जी एक छोटे किसान थें। और माता जी एक सफल गृहणी , सफल इसलिए क्यों की 4 बच्चों, एक बूढ़ी सास और 2 गायो और गांव के घर को बढे अच्छे से संभाल रखा था। नमिता की दोनों बडी़ बहनों की शादी भी पास के गाँवों मे कर दी थी उनके पिता ने उन की राजी-बाजी से ,
अब नमिता के पिता को नमिता के विवाह चिंता थीं।
वे उसके लिए सबसे अच्छा वर खोज रहे थे। नमिता पढ़ी लिखी और गृह कार्य में निपुण थीं।
उसी बीच उनके एक रिश्ते दार ने एक रिश्ता उन्हें सुझाया लड़का पढ़ा लिखा था।
और सविंदा शिक्षक था। पर पैसों के मामले मे अच्छे नहीं थे वो मतलब ज्यादा धनवान नही थें, तो नमिता के पिता ने उस रिश्ते को ज्यादा तूल नहीं दिया।
फिर 2-3 महीनों बाद एक दूर के रिश्ते दार ने एक रिश्ता सुझाया बोले उन लोगों को में जातिय तोर पर तो नहीं जानता पर सुना है, अच्छे लोग हैं ,पैसे बाले है और दान दहेज भी कुछ नहीं चाहिए सिर्फ गुणी , और रूप वान कन्या चाहिए जो हमारी नमिता है, आप कहैं तो मैं बोलूं, उनसे नमिता के लिए,
यदि आपको ठीक लगे तो आगे आप और खोज खबर ले लेना, नमिता के पिता जी को उन रिश्ते दार की बात ठीक लगी।
निधारित दिन लड़कें के साथ जिसका नाम राजू था, के साथ वो लोग नमिता को देखने आ गए। उन्होंने बताया की राजू तलाक शुदा है, उसकी पहली पत्नी कम दिमाग थी,तो शादी के 4 माह बाद ही रिश्ता टूट गया था अब तलाक हो गया तो राजू के लिए नयी दुल्हन ठूंढ रहे है। हम लोगों को नमिता पसंद है अब सब आप के हाथ में है। आप घर द्वार देख ले पता कर लें फिर हमें सूचित करें।
नमिता के घर वाले पहले ही उनकी 4चको वाली गाड़ी से प्रभावित हो चुके थे। उपर से उन्होंने राजू के तलाक की बात भी वगैर शर्माये बता दी।
नमिता के पिता को किसी ने बताया तो था की लड़का तलाक शुदा है पर उन्हें, राजू के घर वाले पहली मुलाकात में ये सब बता देंगे ये नहीं सोचा था उन्होंने,वो इस सब से बहुत प्रभावित हो गयें।
8 दिन के बाद शहर राजू के घर पहुंचे तो उनकी बहुत आवभगत हुई ओर घर भी काफी बड़ा था । घर में राजू उसके माता पिता , बडे भाई ओर उनकी पत्नी और 2 बच्चे थें।
नमिता के पिता को राजू की माँ ने सबसे मिलवाया पर राजू की भाभी से नहीं ,काम का बहाना देकर टाल दिया। नमिता के पिता ने भी हाथ जोड़कर सबसे विदा ली और घर आ गए।
उन्हें सब कुछ बहुत अच्छा और सही लगा, एेसा घर आकर उन्होंने बताया। नमिता के घर खुश नुमा माहौल था।
और ज्यादा जानकारी लेना नमिता के पिता ने जरूरी नहीं समझा। उन्होंने सोचा ज्यादा जांच पड़ताल में अच्छा रिश्ता हाथ से न निकल जाए।
2महीनो के भीतर ही शादी हो गई नमिता को इतने जेवर मिले जितने उसकी दोनों बहनों को मिलाकर भी नहीं मिले थे।
नमिता भी अपने भाग्य पर इठला रही थी क्योंकि राजू उससे दो तीन बार ही मिला था और जब मिला तो बहुत अच्छे से पेश आया था ,और महंगे तोहफे लाया था।
नमिता को सब एक खूबसूरत सपने की तरह लग रहा था।
नमिता शादी करके अपने ससुराल पहुँची, बहुत भव्य स्वागत किया गया नयी दुल्हन का,मेहमान भी थे घर मे। नमिता 2 दिन बाद अपने मायके आई, और सबको अपनी ससुराल की आवभगत कह सुनाई।
सब नमिता को इस प्रकार खुश देखकर बहुत खुश हुए।
महीने 2 महीने बाद नमिता से फोन पर कम बातें होने लगी, और कभी नमिता फोन करतीं तब ही बातें हो पातीं थी । क्योंकि कभी वैष्णो देवी का टूर तो कभी , गोवा का
नमिता के माता पिता खुद तो धन्य समझ रहे थे।
साल भर तब बीत गया पता नहीं चला, नमिता माँ बनने वाली थी तो
उसके ससुराल बालों ने साफ कह दिया जब तक डिलीवरी नहीं हो जाती बहु घर से बाहर नहीं निकल सकती मायके भी नहीं ,
नमिता की डिलीवरी हुई बेटा हुआ। इन दो सालों में नमिता सिर्फ 5-6 बार ही मायके आयी और जब आयीं तो राजू के साथ ही आयीं मिलकर 1 दिन रूककर राजू के साथ ही वापिस वो कभी 8-10दिन के लिए आइ ही नहीं
उसके माता पिता सोचते कितना अच्छा दामाद है हमारी बेटी को पलकों पर बिठा के रखता है एक पल अकेले नहीं छोड़ता।
इस प्रकार सब बढियां चल रहा था नमिता ने दूसरी बेटियों की तरह 2 सालों में एक बार भी ससुराल की बुराई नहीं की थीं।
और जब नमिता के भाई को अपने व्यवसाय के लिए पैसों की जरूरत थी तो उन्होंने बे झिझक मदद की थी । सब सही चल रहा था,
इस बीच मतलब नमिता की शादी के तीन साल बाद नमिता के भाई की शादी निकलीं। नमिता के पिता ने सब को बुलाया।
इस बार वो नमिता को शादी से 15दिन पहले ही लेने चले गये नमिता कभी इतने दिनों के लिए मायके नही गयी थी तो उसकी सास ने कहा की कल राजू ही छोड़ देगा शादी का बाजार करवा के, तो नमिता के पिता जी अच्छा कहकर विदा लेकर चले गए।
दूसरे दिन नमिता अपने मायके आ गयी सब नमिता को देखकर बहुत खुश हुए।
पर नमिता पहले से कमजोर और काली हो गयी थी ।
तो जब सब ने पूछा तो उसने कहा मुन्ना पचाता है बस इसलिए, पर अब नमिता पहले जैसी खुश मिजाज़ नही रही, वो अब खोई -खोई और सहमी रहती थी। 4-5 दिन नमिता के साथ रहकर उन्होंने महसूस किया फिर एक दिन अचानक वो चक्कर खाकर गिर पड़ी पानी डालने से होंश नही आया तो उसको डॉक्टर के पास लेकर गये उसके सारे टेस्ट हुए 7.5 ही हिमोग्लोविन था जो एक व्यस्क स्त्री मे कम से कम 12 से 14 के बीच होना चाहिए। शरीर पर भी पुरानी छोटों के निशान थे।
नमिता के पिता जी का डॉक्टर की बात सुनकर दिमाग ठनक गया। उन्हें सुनकर बहुत अजीब लगा की एेसे कैसे हो सकता है। नमिता के ससुराल वाले तो बहुत सज्जन लोग हैं।
फिर 2 दिन बाद नमिता अस्पताल से घर आयीं तो सब घर वाले उससे सच जानने के लिए चिंतित थे।
फिर नमिता न बताना शुरू किया शादी के दो महीने तक तो सब सही था। जब हम वैष्णो देवी गये तो रिंकू दीदी मेरी ननंद और उनके पति भी हमारे साथ गये थे।
तो मैंने जीजाजी से हसकर बातें की मेरी स्वभाव ही एेसा था।
इन्होंने (राजू )घर आकर मुझे मारा बेल्ट से किसी ने इन्हें नहीं रोका और ना ही किसी ने इनसे कुछ पूछा बल्कि सब मुझे ही ताने दे रहे थे ।
इसी की कोई गलती रही होगी सब एेसा बोल रहे थे। मुझे खाना भी नही पूछा,सिर्फ भाभी ने मुझे खाने का पूछा। और फिर हर 8 दिन में एेसा होने लगा, उसके पिता जी ने रोकते हुए पूछा
पर बेटा तुम तो वहाँ से आने के बाद गोवा गयीं थी और फिर उसके बाद फिर ओर कही।
नमिता चीखते हुए बोलीं कही नही गए थे। और आप मुझे विदा करके भूल ही गये मुझे कभी खुद फोन नहीं किया मेरा फोन बंद था तो पूछा भी नहीं क्यों बंद है, मुझे मिलने भी नहीं आये ,कोई मेरे घर रूकने भी नहीं आया आपने तो एेसे मुझे भुला दिया जैसे की में मर गयीं हूँ ।
नमिता की माँ बोलीं की बेटा एेसा तो मत बोल तेरे पिता तेरा भाई कितनी बार गये तुझे मिलने गए तु मिली ही नहीं कभी तु बाजार मे होती कभी तेरी नंद के घर होती और कभी दामाद जी के साथ बाहर घूमने गयी होती। और दामाद जी , तुम दोनों की कितनी अच्छी अच्छी फोटो भेजते थे।
हमे कभी अजीब लगा ही नहीं और तूने भी तो कभी कुछ नहीं बताया तो फिर
माँ सब दिखावा था एेसा कुछ नहीं था,नमिता बस रोये जा रही थी
तो नमिता तूने एक बार भी मुझे क्यों नहीं बताया मेरी बहन, नमिता के भाई के आवाज में दर्द था।
नमिता ने कहा भैय्या कोशिश की थी मैने आपसे बात करने की पर मेरी सास ने मुझे कहा की राजू के दो दोस्त पुलिस में है तेरे भाई और बाप को झूठे केस मे बदं करवा देंगे मेरी हिम्मत टूट गयी माँ और मेरे पास मेरा फोन भी नहीं था। बाहर के लोगों से मैंने बात करने की कोशिश की पर इन लोगों की बाहर बहुत इज्जत है, सब ने मुझे बाहर पागल साबित कर दिया कोई बात ही नहीं करता मुझसे।
मुझे लगा अब शायद यही मेरी जिंदगी है। पर जब भैय्या की शादी ते लिए पिता जी मुझे लेने आए तो मन में एक उम्मीद जागी, पर उन्होंने मुझे एक दिन रोक के भेजा ताकि मुझे और धमका सकें उन्होंने कहा की मायके मे कुछ बताया तो मुन्ने को हमेशा के लिए मुझसे दूर कर देंगे और भैय्या की
शादी भी तुड़वा देंगे। में उन्हें वादा करके आयी थी की कुछ नहीं बताऊंगी पर में बीमार हो गई और अब सब आपके सामने है। नमिता के पिता और भैय्या पुलिस स्टेशन गयें रिपोर्ट लिखवाने।
घर में, नमिता और उसकी माँ ही थे उसी समय राजू आया और कहने लगा चलो नमिता शहर में डॉक्टर को दिखा देंगे तुम्हारे पिता जी ने बताया था तुम गिर गयी थी। नमिता की माँ ने चिल्ला कर कहा कहीं नहीं जायेगी वो
राजू अपनी सास के व्यवहार से समझ गया की अब दिखावे का कोई मतलब नहीं है उसने नमिता को उसकी माँ के सामने ही दो थप्पड़ जड़ दिये और मुन्ने को लेकर चला गया नमिता चीखती रही मेरा मुन्ना मेरा मुन्ना।
अब सब कुछ स्पष्ट था।
नमिता के पिता ने राजू पर घरेलू हिंसा का केस किया था जिसकी गवाही उसके शरीर पर बने हुए निशानो ने दे थी।
समाप्त
मेघा मालवीय
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