स्कूल की छुट्टी की घंटी बज चुकी थी। लेकिन आज सभी टीचर्स और स्टॉफ असेंबली हॉल में रुके हुए थे। आज प्रमोशन का रिजल्ट घोषित होने वाला था।
सभी आपस में एक दूसरे को अपने अपने अनुमान बता रहे थे।
शीतल मैम, इस बार तो आपकी तरफ से दावत पक्की…इस बार तो आपको दो दो खुशी एक साथ मिलने वाली हैं।
दो, दो खुशी …मतलब मैं समझी नहीं, “सुधा मैम बोली”
मैम, शीतल मैम की बेटी इस साल इंजीनियर बन जाएगी और मैम का प्रमोशन तो पक्का हैं ही…
साथ खड़े सभी लोगों ने हां में हां मिलाई।
तभी रजनी मैम हाथ में एक पीला और एक सफेद, दो लिफाफे लेकर आई।
शीतल मैम, प्रिंसिपल ने आपको ये
लैटर देने के लिए कहा हैं।
मेरे लिए…क्या हैं इस लेटर में…
“पता नहीं, उन्होंने मुझे, आपको ये लैटर देने के लिए कहा।”
शीतल ने जब लैटर पढ़ा, तो उसके हाथ से लैटर नीचे गिर गया। उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया था।
ऐसा कैसे हो सकता है? हम सभी आपके प्रमोशन के बात कर रहे थे, ये तो बिल्कुल उल्टा हो गया…” नूपुर मैम लैटर को देखते हुए बोली।”
“मुझे भी पक्का विश्वास था कि इस बार आपको हेड सुपरवाइजर बनाया जाएगा।”,साधना मैम की बात सुनकर शीतल के चेहरे पर फीकी मुस्कुराहट आ गई।