नाजायज रिश्ता (भाग -35) अंतिम भाग – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

जैसा कि अभी तक आपने “कहानी नाजायज रिश्ता ” में पढ़ा कि  विभू  और रिया अपनी बेटी को टीका लगवाने हॉस्पिटल आए हैं…वहीं सुबोध और रोशनी भी अपने बच्चों को दिखाने आए हुए हैं …सुबोध  मौका पाकर रिया को पार्क में बुलाता है…दोनों के बीच बातचीत होती है…रिया सुबोध को अपने रिश्ते के बारे में बताती है…और सुबोध भी रिया से कहता है कि  रोशनी में  बहुत बदलाव आया है…..कि तभी  ऊपर बालकनी से विभू  दोनों को देख लेता है …और वह नीचे आता है …

अब आगे…

विभू,,रिया और सुबोध का हाथ पकड़ एक दूसरे के हाथों में रख देता है….

अब खुश …??

य़ही चाहते थे तुम दोनों….

सुबह विभू  की तरफ आश्चर्य की नजरों से देखता  है…

यह क्या कर रहे हैं सर आप….??

सुबोध बोला…

रिया झट से सुबोध के हाथ से अपना हाथ खींच देती है…

क्या हुआ है आपको जी…??

यह क्या कर रहे हैं आप ….??

रिया झल्लाती हुई बोली…

जो मुझे बहुत पहले ही कर देना चाहिए था रिया….

शायद तुम दोनों  एक दूसरे के लिए ही बने हो….

मैं अब तुम दोनों के रास्ते में कभी नहीं आऊंगा…

जल्द ही अब तलाक के कागजों पर अपनी मोहर लगा दूंगा….

अब मुझे विश्वास हो गया है …

कि शायद मैं इस रिश्ते में हार गया रिया….

विभू बहुत व्यथित था…..

ऐसा क्यों कह रहे हैं जी…??

ऐसा बिल्कुल नहीं है…

तभी रोशनी भी बहुत देर तक सुबोध को आता ना देख इधर-उधर उसे ढूंढने लगी …

उसकी भी नजर उन तीनों पर पड़ी …

वह भी नीचे पार्क में आई…

वहां का नजारा देख वह भी स्तब्ध रह गई …

सर प्लीज…

लिसन…

आप बहुत ही अच्छे हस्बैंड हैं …

और रिया बहुत ही अच्छी पत्नी …

शायद मैं ही गलत था…

जो आप दोनों के रिश्ते के बीच में आना चाह रहा था …

और रिया ने मुझसे  अपना रिश्ता सिर्फ इसलिए बढ़ाया …

वह भी सिर्फ एक नाटक था…

कि मैं और रोशनी एक दूसरे के पास आ जायें…

रोशनी के अंदर बदलाव आ जाए …

और वह  मेरी तरफ और बच्चों की तरफ ध्यान देने लगे…

और सच में सर आप यकीन नहीं मानेंगे…

रिया के व्यवहार का असर भी हुआ …

रोशनी में बहुत ही परिवर्तन आया है …

क्यों रोशनी …?

रोशनी भी सुबोध  की तरफ देख रही थी …

उसने कहा …

जी…

रिया दीदी…

थैंक यू सो मच ….

आपने सच में मेरी आंखें खोल दी….

उस दिन आपने इतना कुछ बोला…

ऐसे लगा कि मैं सच में एक अच्छी पत्नी नहीं हूँ…

मुझे खुद से घिन होने लगी …

कि मैं अच्छी पत्नी नहीं हूं …

एक अच्छी मां नहीं हूं…

उस दिन से ही मैंने अपने में  चेंज  लाया….

और शायद उसमें कुछ हद तक सफल भी हो रही हूं….

मैंने आपके साथ जो भी व्यवहार किया…

उसके लिए आपसे बहुत-बहुत माफी मांगती हूं…

रोशनी ने हाथ जोड़कर रिया से माफी मांगी….

रिया की आंखों से आंसुओं की धारा अनवरत  बह रही थी….

क्या यह बात सच है रिया ….??

मैं तुमसे पूछता हूं …

विभू ने  कहा…

रिया विभू  के पैरों के पास बैठ गई …

जी…

सच में मैंने  आपके साथ बहुत गलत किया….

लेकिन ऐसा मत सोचिए…

कि मैं आपसे प्यार नहीं करती …

या मेरा सुबोध से कोई गलत  संबंध है….

मैं सिर्फ और सिर्फ आपकी हूं …

और आप से ही प्यार करती हूं …

मेरे जीवन में आपके सिवा कुछ नहीं है…

कोई नहीं है…

और ना ही कभी होगा …

मुझे माफ कर दीजिए ….

यह बात सच है…

कि सुरभि की बातों में आकर के  मैंने  सुबोध से प्यार का झूठा नाटक किया…

उसी का परिणाम है…कि आपने मेरे फोन पर चैट पढ़ ली….

गलत  समझ बैठे…

लेकिन हम दोनों के बीच में ऐसा कोई भी रिश्ता नहीं है ….

जिसकी वजह से आपको मुझ पर शर्मिंदा होना पड़े …

हो सके तो अपनी इस पत्नी को माफ कर दीजिये…

आपके बिना मर जाऊंगी…

रिया  रो रही थी…

और उसकी आंखों से आंसू बहकर  विभू के पैरों पर पढ़ रहे थे….

विभू अपने पैरों को बार बार सिकोड़ रहा था…

सर प्लीज…

रिया को माफ कर दो …

मैं अब आप लोगों के रिश्ते में कभी भी नहीं आऊंगा…

हम दोनों वैसे भी यहां से जाने वाले हैं …

ट्रांसफर के लिए मैंने अप्लाई कर दिया है…

जल्दी शायद मुझे ट्रांसफर मिल जाए …

सुबोध बोला…

नहीं नहीं सुबोध…

ऐसी कोई बात नहीं है…

मैं इतना भी कठोर आदमी नहीं हूं…

मुझे तुम दोनों के रिश्ते से कभी समस्या नहीं हुई….

लेकिन उस दिन वह चैट सच में परेशान करने वाली थी….

मेरे मन में पूरा भरोसा था…

कि मेरी रिया मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती…

लेकिन दिमाग नहीं मान रहा था…

मां  और पिताजी के इतना  कहने के बाद भी मैंने  तलाक के लिए मंजूरी नहीं दी …

शायद कहीं ना कहीं मेरे मन में रिया के प्रति  विश्वास था …

तभी तो …

विभू शर्मीला था…

वह सुबोध और रोशनी के सामने रिया से कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था…

यह बात सुबोध और  रोशनी को भी समझ आ रही थी…

रोशनी ने रिया को उठाकर अपने गले से लगा लिया…

दीदी …

मुझे माफ कर दीजिए…

आप खुश रहिए हमेशा …

इतना ही  चाहती हूं मैं…

रोशनी ने भी रिया का हाथ विभू के हाथ में रख दिया …

सुबोध ने भी रिया  से हाथ जोड़कर माफी मांगी…

और विभू  से भी…

मुझे माफ कर दीजिए सर …

अब हम चलते हैं…

आप लोग प्लीज अपने रिश्ते को बनाये रखिए…

नहीं तो मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाऊँगा …

मन पर बोझ रहेगा हमेशा मेरे…..

सुबोध  जैसे ही चलने को हुआ …

विभू ने उसे पीछे से पकड़ा …

और उसके गले से लग गया …

सुबोध रिश्ता खत्म नहीं करना…

हम दोस्त रहेंगे …

इस तरह से रिश्तों को खत्म करना सही नहीं…

और क्या गलत था इसमें…

कुछ भी गलत नहीं था …

सुबोध ने भी अपनी नम आंखों से विभू की  पकड़ को मजबूत कर लिया….

रोशनी और सुबोध  एक दूसरे का हाथ पकड़े चले गए…

विभू रिया के सामने दोनों कान पड़कर खड़ा हुआ था…

क्या मेरी पत्नी,,मेरी हमसफर ,,मुझे माफ कर सकती है…??

मैंने सच में अपनी मासूम सी,,इतनी प्यारी सी ,,पत्नी का बहुत दिल दुखाया है …

शायद ही कोई इतना बुरा पति हो ….

प्लीज रिया …

मुझे माफ कर दो…

इतने दिनों से अपनी पत्नी के गालों पर हाथ भी नहीं फेरा  हैं….

कितना तड़प रहा हूं मैं तुम्हारे लिए …

जानती हो रिया….

रिया माफ कर सकोगी अपने विभू को …??

रिया कुछ ना बोली …

बस विभू  के चेहरे को चूमने लगी …

वह यह भी नहीं समझ पा रही थी ..

कि वह किस जगह पर मौजूद है…

रिया सब हमारी तरफ देख रहे हैं…

अगर यह सब घर पर चलकर करें …

तो ज्यादा सही रहेगा ना…

रिया के चेहरे पर मुस्कान आ गई …

जी …

आप भी ना…

चलिये अब….

दोनों एक दूसरे के गले लग गए …

और अपने घर की ओर चल दिए …

घर आकर उन दोनों के चेहरे पर खुशी और हाथों में हाथ डाले देखकर अम्मा जी ,, विभू के माता और पिता के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी …

तो आखिर मेरे बच्चे एक दूसरे के समीप आ ही  गए…

बेटा ..

हमें माफ कर दो…

किसलिये पापा…??

वह तुम दोनों के तलाक का  तो सिर्फ एक नाटक था…

हम बस यही चाहते थे…

कि तुम्हारे मन में क्या है..

वह हमें पता चल सके..

और सच में बहू  तुझसे  और तू बहू  से बहुत प्यार करता है…

विभू के पिता जी बोले…

सही कहा जी…

तुम दोनों में आपसी विश्वास ही बहुत है…

मां  बोली  …

अब हमें पूरा विश्वास है …

कि मेरे बच्चे कभी भी अपने मार्ग से विचलित नहीं हो सकते …

विभू और रिया ने मां ,,पिता के पैर छुए …

मैं तो कहीं रही …

कि मेरी लाली ऐसी ना है..

बस थोड़ी सी बहक गयी बचपना में…

वोऊँ शायद कोई गलतफहमी ही भई होगी..

बहुत अच्छो  भयो  ठाकुर जी …

तुमने मेई  सुन ली …

रोज में उपाशी रह रही …

वाई को  परिणाम है ..

मंदिर जा रही..

अब संभालो अपनी गुड़िय़ा को…

बहुत परेशान करें है …

अम्मा जी बोली…

अम्मा जी की बातों पर विभू और रिया मुस्कुरा दिए …

रात को इधर सुबोध और रोशनी एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले प्यार के खुशनुमा पलों  का आनन्द  ले रहे हैं…मां बाप खुश तो बच्चे तो अपने आप ही खुश हो जाते हैं….

सुबोध के बच्चे भी बहुत खुश थे ….

और इधर विभू और रिया एक दूसरे की ओर प्यार भरी निगाहों से देखने में लगे थे ..

रिया बस विभू के स्पर्श को खुद में समा लेना चाहती थी….

सच में पति-पत्नी के रिश्ते जैसा कोई रिश्ता नहीं…

बहुत ही बेवकूफ होते है वो  लोग …

जो छोटी-छोटी सी बातों के लिए अपने रिश्ते को तलाक के कगार पर पहुंचा देते हैं…

जो कि  बहुत गलत है …

कोई भी दूसरा पति  य़ा कोई भी दूसरी पत्नी,,जिससे आप विवाह करोगे …

कभी भी वह पहले संबंध जैसा हो ही नहीं सकता…

मजबूरियां अलग हैं …

झगड़े हर जगह होते हैं…

लेकिन ज्यादातर जो पहली  शादी का रिश्ता होता है…

उसकी बात ही अलग होती है…

बाकी तो सिर्फ समझौता होता है …

इसलिए जो भी लोग इस कहानी को लास्ट तक पढ़ रहे थे…

उन सबसे विनम्र निवेदन  है…

कि आपके आसपास य़ा आपके परिवार में कोई भी इस तरह का कोई फैसला लेता है…

तो उन्हे समझाइए,,उकसाये नहीं…

जल्दबाजी में लिया गया फैसला या फिर ईगो  के लिए लिया गया फैसला बहुत ही गलत होता है…

इसका खामियाजा सिर्फ वही भुगतता है…

और कोई नहीं…

यह  समाज भी उन्हें किस नजर से देखा है…

वह वही समझते हैं …अंदर से खोखले होते है ऐसे लोग…

आप लोगों को कहानी कैसी लगी …

प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा …

फिर आएंगे नयी  कहानी के साथ…

आप लोग ऐसे ही हमेशा मेरी कहानियों को प्यार देते रहे…

जय श्री श्याम

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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