नाजायज रिश्ता (भाग -5)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

जैसा कि अभी तक आप सबने पढ़ा कि रिया और विभू  की शादी हो चुकी है…..

रिया ससुराल आ गयी है ….

रिया का स्वागत किया जा रहा है…..

रिया ने  अभी घर में प्रवेश किया ही है कि तभी रिया की ताई सास ने उसे रोका ……

और बोली …..

अब आगे…..

यह क्या बहू ने तो मुंह खोल रखा है……

इसने तो घूंघट भी ना किया है ….

का नयी बहू ऐसे रहवे है….

हमाये तो चार चार बालक है गये….

मजाल है नाक से नीचे आयी हो लाज……

ये आयी है मोडर्न  बहू……

ताई सास मुंह बनाते हुए बोली….

तभी रिया की सास विमला जी बोली….

जीजी…..

मुझे ना करवाना अपनी बहू से घूंघट …..

जमाना बदल गया है जीजी…..

हम जैसे अपनी बहू को रखेंगे वैसे ही वह रहेंगी……

हमने आपने खूब कर ली आज….

और कितनी परेशानी भी झेली….

य़े  भी तो जाने हो जीजी……

मान सम्मान सभी को इज्जत दे मेरी बहू….

जे  ही बहुत है मेरे लिए…..

बहु इतना घूंघट बहुत है……

रिया  अपनी सास को ममता भरी नजरों से देखने लगी ……

ताई सास अपनी देवरानी की बात पर मुंह चिढ़ाकर अंदर की ओर चली गई ……

सभी लोग अंदर आए……

रिया की और विभू  की गांठ खोली  गई …..

दोनों का भव्य  स्वागत किया गया……

रिया को उसके कमरे में लाया गया……

रिया का कमरा बहुत ही खूबसूरत सजाया गया था….

रिया अपने कमरे को देख उसे निहारती ही रह गई ……

और खुशी से चहक उठी…..

इतना सुंदर कमरा  मम्मी जी…..

यह तो बहुत प्यारा  है…..

उसका पूरा बेड गुलाब के फूलों से सजाया गया था……

चारों ओर वेलकम बहू लिखा हुआ था……

ऐसी खूबसूरती ,,,ऐसी सजावट तो रिया ने कभी भी नहीं देखी थी……

विभू भी रिया के बचपने को देख  हंस दिया……

अरे पगली यह तो कम है ……

हम तो बहुत कुछ सोच रहे थे …..

लेकिन इतने काम हो गये कि व्यवस्था उतने ढंग  से हो ना  पाई……

रिया की साथ विमलाजी बोली …..

नहीं नहीं…..मम्मीजी …..

यह तो बहुत ही प्यारा है……

अच्छा खाना खा ले…..

फिर थोड़ी देर आराम करना तुम दोनों …..

रिया और विभू  ने खाना खाया…..

शाम हो चली थी…..

सभी रिश्तेदारों ने रिया की  मुंह दिखाई की……

जो जाने वाले थे वो  रिया को लिफाफा देकर अपने घर की ओर रवाना हो गए ……

कुछ लोग अगले दिन महिला संगीत के लिए रुक गए……

आज रिया और विभू के  जीवन का वो दिन था ज़िसका हमारे देश में सभी नवयुगल इंतजार करते हैं …..

क्यूँकि यही से पति पत्नी के जीवन का पहला अध्याय प्रारम्भ होता है …….

रिया और विभू  को उनके कमरे में भेजा गया…..

रिया मन में तरह तरह के सपने संजोये बैठी हुई थी ……

विभू उसके पास आया …..

और बोला….

रिया इतना भारी भरकम क्यों पहन रखा है…..

गर्मी बहुत है….

हल्के  कपड़े पहन लो …….

ठीक है जी…..

माँ ने कहा था कि ऐसे ही तैयार होकर बैठना…..

हाहा…. मम्मी जी ने तुम्हे ये भी समझाकर भेजा है…..

नहीं तुम कपड़े हल्के पहन लो……

जिसमें तुम्हें आराम मिले…….

विभू  बोला…..

रिया ने जाकर के कपड़े चेंज कर लिए……

दोनों लोग बैठे हुए थे …….

विभू  ने बात शुरू की…..

रिया तुम्हें एक बात बतानी है…..

जी कहिये…..

तुम एक बहुत ही मासूम सी ,,प्यारी सी लड़की हो ……

उम्र में भी मुझसे बहुत कम हो…..

इसलिए बस इतना ही तुमसे कहना  चाहता हूं कि मेरे घर वालों को मान सम्मान देना…..

भले ही काम  करो ना करो …..

बस कभी ऊँची आवाज में बात ना करना…..

क्यूँकि  मां मेरी बहुत ही नाजुक दिल की है …..

वह कोई भी गलत बात बर्दाश्त नहीं कर पाएगी…..

तुम्हे सर आँखों पर बिठाकर रखेंगी बस अपनी माँ जैसा प्यार देना उन्हे…..

ठीक है जी……

वो मेरी माँ ही तो है …..

जैसे मैं अपनी मम्मी ,,,उनके  साथ रहती थी …..

वैसे ही इन मम्मी के साथ भी रहूंगी …..

रिया बोली…..

विभू खुश हो गया…..

मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम पूरे परिवार को संभाल लोगी….

विभू ने रिया को बाहों में भर लिया…..

रिया ने भी अपनी पकड़  मजबूत कर दी…..

रिया और विभू का रिश्ता शुरू हो चुका था…..

अगले दिन की शुरुआत हुई…..

तभी  पता चला कि विभू का तबादला दिल्ली हो गया है …..

जो कि घर  से 600 किलोमीटर की दूरी पर है……

और उसे एक हफ्ते में ही वहां के लिए रवाना होना है……

यह सुन रिया उदास हो गई …..

विभू का मन भी बुझा बुझा सा था…..

क्योंकि रिया को पगफेरों के लिए भी मायके भी जाना था…..

अभी विभू को एक हफ्ते बाद निकलना भी था …..

नई-नई शादी हो य़ा कोई भी समय हो ,,,

हर पति पत्नी चाहते हैं कि वह साथ में रहें ……

विभू ने रिया  को समझाया कि रिया अभी तुम यहीं रहो….

कुछ समय बाद तुम्हें अपने साथ ले चलूंगा…..

लेकिन अभी हमारी नई-नई शादी है ना ….

तो मां के पास भी रहना जरूरी है…..

दस लोगों को तरह तरह की बातें कहने का मौका मिल जायेगा रिया…..

ठीक है जी …..

आप चले जाइये…..

आज भईया  और पापा लेने आ रहे हैं …..

मुझे मायके जाना है …..

यह सुन विभू उदास हो गया …..

तो अब कब आओगी रिया….

माँ  कह रही थी चार दिन बाद मुहूर्त है वापस आने का …..

चार दिन कैसे रहूंगा मैँ तुम्हारे बिना….

अब तो आप मेरे साथ मेरे से बहुत दिनों के लिए दूर जा रहे हैं…..

तब कैसे रहेंगे  वहां…

बोलिये जी ??

रिया विभू की आँखों में आँखें डालकर बोली….

जाऊंगा  ना तुम्हें लेकर….

अभी तो मां के पास भाभी हैं….

अभी तुम मेरे साथ चल सकती हो….

बस एक महीने रुको…..

मैँ अरेंजमेंट कर  आऊँ…..

सच कह रहे है जी आप….

ले जाएंगे ना पक्का…..

हां हां जरूर ले जाऊंगा…..

रिया ने ख़ुशी से विभू के हाथ चूम लिए…

रिया के भाई और पिता रघुवीर जी रिया को लेने आ गए थे …..

रिया को उसके मायके भेज दिया गया ……

रिया कुछ दिन मायके में रही बहुत ही अच्छे से हंसी  खुशी से रही…..

फिर उसे वापस ससुराल आना पड़ा…..

विभू जा चुका था….

रिया बहुत उदास सी रहती थी….

उसका किसी काम में मन नहीं लगता था ….

रिया की सास विमला जी पर अपनी बहू का उदास चेहरा देखा ना गया…..

उन्होने रिया के जाने की सारी तैयारी  नौकरी वाली जगह पर जाने की कर दी थी …..

उन्होने विभू को बिना बताये कि रिया आ रही है विभू के पास….

रिया को छोटे बेटे दीपू के साथ भेज दिया…..

रिया की ख़ुशी का ठिकाना ना था ….

मन ही मन बहुत खुश थी रिया कि एक महीने बाद अपने पति से मिलूँगी….

कितने खुश होंगे मुझे देखकर….

पर  यह क्या जैसे ही रिया का देवर दीपू और रिया सबसे पता पूछते हुए विभू के कमरे पर आयेँ…..

कमरा  खुलते ही वहां का माहोल देख रिया के पैरों तले  जमीन खिसक गयी….

विभू का हुलिया देख रिया सहम गयी….   

कहानी कैसी लग रही है….

जरूर बताइएगा …..

आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहता है ….

लाइक ज़रूर करके जायें….

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आपकी  लेखिका

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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