नाजायज रिश्ता (भाग -4)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

अभी तक आप सबने पढ़ा कि आज विभू  और रिया की शादी है…….

बारात गेस्ट हाउस पहुंच चुकी है…….

तभी बारातियों को गेट पर ही चार-पांच लोगों  ने रोक लिया……

यह क्या यह तो पुलिस वाले थे …….

अब आगे ……

विभू के परिवार वाले घबरा गए …….

कि ऐसा क्या हो गया कि यह लोग रोकने लगे…….

तभी रिया के बड़े ताऊ तू जो कि पुलिस कमिश्नर थे……

वह आगे आयेँ ……

और जोर से ठहाके  मार कर हंसने लगे……

अरे ,,अरे …..घबराइए नहीं…….

वह तो बस ऐसे ही मजाक  किया था…….

जी भाई साहब …..थोड़े मजाकिया अंदाज के हैं …….

हमेशा से ही उनका यही रवैया रहा है ……..

चलिए……आप लोग अंदर चलिये ……

सभी लोगों ने बरातियों का  टीका  किया…….

विभू के  घर वाले तो एक पल को तो थोड़ा सहम गए थे…..

क्या ऐसा भी कोई मजाक करता है ….

विभू के पापा मन ही मन बुदबुदाये ……

लेकिन अगले ही पल सब नॉर्मल हो गए ……

विभू  को घोड़े से उतारा  गया……

धीरे-धीरे कर  वह आगे बढ़ रहा था…….

गेस्ट हाउस बहुत ही सुंदर था……

विभू  के परिवार जन गेस्ट हाउस की सुंदरता ,,वहां की व्यवस्था,,,,देखकर बहुत ही खुश हुए……..

भाई कुछ भी हो……

लड़की वालों ने व्यवस्था तो बहुत ही  अच्छी की है……

विभू के चाचा  बोले……

विभू  के पिता राकेशजी  बोले….

हां रवि……

इस बात का तो पूरा भरोसा था कि  व्यवस्था तो अच्छी ही होगी…….

चलिए खाना खाया खायें…..

राकेशजी सभी लोगों को खाने की स्टाल  की ओर ले गये……

लोगों ने खाने का लुत्फ  उठाया…….

तभी रिया के पास उसकी चाची की लड़की आई…….

रिया दीदी ,,रिया दीदी…..

आपको बुलाया जा रहा है ……

जीजा  जी आ गए हैं……

रिया दीदी ,,,जीजाजी तो शेरवानी में ऐसा लग रहा है जैसे बहुत ही गुस्से में हो……

अरे नहीं बिट्टू …….

वो ना थोड़ा सा  घबराहट हो जाती है……

जब शादी का दिन होता है……

रिया  की मां बोली…..

चल लाली……

तू तैयार हो गई……

रिया ने मां का हाथ पकड़ लिया ……..

मां आज बताया नहीं तुमने ……

मैं कैसी लग रही हूं ???

बेटा अब ज्यादा  बोलने की हालत में नहीं हूं ……

नहीं तो अभी से ही रोना शुरू कर दूंगी ……

और शादी भी ठीक से नहीं कर पाऊँगी…..

अरे मां…..

तुम भी….

आपको ऐसे घबराहट होगी तो बीमार हो जाओगी…..

वैसे भी आपको बीपी रहती है ……

अरे,,,मैं आ जाया करूँगी…….

आप क्यों घबरा रही हो……

विभू  जी से मैने  बात कर ली है ……

उनसे वादा लिया है वह हर महीने मेरे को आपके पास लेकर के आएंगे……

और चार-पांच दिन आपके पास रहा करूंगी…….

हट पगली…..

चल अब……

रिया हल्के गुलाबी रंग का लहंगा पहनी हुई है ……

इतनी खूबसूरत लग रही है कि आज उसे कोई भी देखे तो बस देखता ही रह जाए……

और यह सोचे कि दुल्हन हो तो ऐसी…..

रिया को धीरे-धीरे करके उसकी सहेलियां और बहनें स्टेज पर लायी ……

विभु ने उठकर रिया का हाथ थाम लिया ……

पीछे से दो लड़कियां खड़ी थी……

उन्होंने रिया का लहंगा पकड़ा हुआ था…..

रिया धीरे-धीरे कदमों से स्टेज की सीढ़ियां चढ़ती हुई विभू  के पास आकर खड़ी हो गई……

सभी लोग रिया और विभु को ही निहार रहे थे …..

आज उनका दिन जो था….

सभी उन्हे अपने कमरे में कैद कर लेना चाहते थे……

तभी किसी ने बोला…..

वरमाला पहनाइए …..

विभू ने रिया  को वरमाला पहनाई …….

और रिया ने विभू  को……

उनके ऊपर फूलों की बारिश की गई …..

सभी लोग तालियों  की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत कर रहे थे….

उन दोनों को स्टेज पर बैठाया गया …..

फिर सभी रिश्तेदारों का फोटो सेशन शुरू हुआ …..

सभी अपने परिवार के साथ लड़का लड़की को लिफाफा पकड़ा  कर या कोई गिफ्ट देकर फोटो खींचा रहे थे…..

आखिर तैयार भी तो इसी पल के लिये होकर आते हैं सब…..कि बस स्टेज पर फोटो में एक बार एंट्री हो जायें…..

यह कार्यक्रम 2 घंटे का चला ……

विभु ने रिया  की ओर देखा…….

जिसका चेहरा पसीने से तरबतर हो चुका था…….

विभू ने अपनी जेब से रुमाल निकाल कर रिया  की ओर बढ़ा दिया……

रिया ने पलक उठाकर विभू को देखा…..

और धीरे से रुमाल ले लिया…..

घबराइए नहीं…..

गर्मी लग रही है…..

वो भईया,,जरा यह पंखा रियाजी की तरफ कर दीजिए ……

विभु ने पास खड़े लड़के से बोला …..

लड़के ने पंखा रिया  की ओर कर दिया…..

इस दृश्य को देख रिया  की मां भी निश्चित हो गई कि सच में विभू  रिया की बहुत ही फिक्र करता है …….

उसे खुश रखेगा…..

यह कार्यक्रम खत्म हुआ तो अब विभू और रिया को पंडाल में लाया गया……

शादी की रस्में शुरू हुई ……..

विभू और रिया की गांठ बांधी गई ……

विभु ने रिया की मांग में सिक्के से सिंदूर भरा ……..

और उसके गले में मंगलसूत्र पहनाया …….

पंडितजी  मंत्र बोलने में लगे थे…..

दोनों  को सात फेरों के लिए खड़ा किया गया …..

रिया और विभू  सात फेरों के वचनों को बड़े ही ध्यान से सुन रहे थे……

और उसको दोबारा से दोहरा रहे थे……

विभु हर एक वचन को बहुत ही आत्मविश्वास के साथ बोल रहा था……

और रिया की ओर देख अपनी आंखों से उसकी हामी  भर रहा था……

साथ फेरे पूरे हुए …..

विभू  की मां और पिता रघुवीरजी ने कन्यादान लिया……

फिर घर के बाकी लोगों  ने कन्यादान की रस्म पूरी की…..

सुबह हो चली थी…..

सारे  रस्मों ,रिवाज पूरे हो चले थे …..

विभु की साली  ने जूता चुराई में विभू  से पैसे मांगे ….

विभू  ने अपनी साली को गोद ने उठा लिया…..

अरे मेरी छोटी साली साहिबा…..

आपको पैसा  तो क्या पूरा घर ही दे दूंगा……

बोलिए तो सही…..

क्या चाहिए???

ज्यादा नहीं……

जीजा जी मुझे एक फ्रॉक……

और जीजी आपने क्या कहा था ,,हां 5000 रूपये दे दीजिए……

बस इतना सा……

मैं तो आपके लिए बहुत कुछ लेकर के आया हूं …..

आप तो सस्ते में काम चला रही हैँ……

विभू  ने अपनी जेब से सोने की चेन निकाल कर अपनी साली को दी……

और एक पैसे की गड्डी  भी पास में खड़ी उसके चाचा की लड़की को दी …..

अरे जीजा जी तो बहुत अच्छे हैं……

हमें तो लगा पैसे देने में  बहुत दिक्कत करेंगे ……

साली बोली…..

विभू  मुस्कुरा दिया….

और अपनी साली को गोद से उतार दिया……

रिया भी या दृश्य देख मुस्कुरा रही थी ……

अब रिया की विदाई का समय आ चला था……

पूरा गेस्ट हाउस गमगीन था…..

सभी की आंखें नम थी…..

रिया की मां का रो-रो कर बुरा हाल था….

छोटी बहन रिया से लिपट गयी….

अब मेरे साथ कौन खेलेगा जीजी……

यह रिंकी, मिनी,सिया है ना …..

सब तेरे साथ खेलेंगे…..

मैने सबसे बोला है अगर नहीं खेलेंगे तो मैं सबके काम खिंचूंगी…..

मेरी छोटी को कोई परेशान नहीं करेगा…..

रिया बोली…..

और उसने अपनी बहन को गले से लगा लिया…..

उसका भाई भी रिया को देख जोर से रोने लगा ……

क्यों रोता है रे ….

अब तो तेरी कोई शिकायत भी नहीं करेगा पापा से ……

अब तू  कितना भी बाहर जाकर खेल….

कोई तेरे को नहीं डांटेगा ….

पढ़ाई के लिए…..

नहीं जीजी …..

आपका डांटना अच्छा लगता था…..

मत जाओ ना जीजी…..

उसका भाई रिया के गले से लग गया……

ऐसा करो तुम भी हमारे साथ चलो….

विभू  बोला…..

यह सुन सभी लोग मुस्कुरा दिए …..

रिया अपने पापा से गले मिल बहुत देर तक रोती रही…..

रघुवीर जी का गला बंध  गया था…..

वह बिटिया की विदाई में पहली बार ऐसे रोए होंगे……

पापा आप तो मुझे जाने ही नहीं दोगे ……

इतना परेशान  होगे तो मैं कैसे रहूंगी वहां …..

अच्छा ठीक है तू खुश लाली….

ना रो रहा…..

जब याद आए बोल दिया करना…..

तेरा बाप आ जाया करेगा…..

अब रिया की मां रिया  की ओर देख भी नहीं पा रही थी ….

उनकी आंखें धुंधला गई थी…..

रिया अपनी मां के आगे तो फूट कर रो पड़ी …..

जो अभी तक सबको समझा  रही थी…..

मां के आगे उसका बस नहीं चला …..

बिटिया जा अब अपने दूसरे घर को संभाल…..

सबको खूब खुश रख ……

सबकी सबकी खूब सेवा कर…..

कभी कोई दिक्कत हो तो हम हैं…..

रिया की अम्मा  सुशीलाजी आगे आई …..

लाली तुझे एक बात बताये रही हूं ….

जीवन भर गांठ बांध के रखियो…..

ससुराल में कोई भी समस्या आए दिल खोल के अपने मायके वालों को बताना …..

लेकिन ससुरारियों  को बिल्कुल अपने जैसो समझियों…..

ऐसो  करेगी तो जीवन भर खुश रहवेगी तू …..

सदा सौभाग्यवती भव…..

सुशीला  जी ने उसके सर पर हाथ रख दिया…..

विभू और रिया गाड़ी में बैठ गए…..

ससुराल आ गया था …..

रिया की सास और बाकी घर वाले रिया और विभू के  स्वागत में खड़े थे ….

दोनों की आरती उतारी गई ….

रिया ने अपने दायें  पैर से चावल का लोटा गिराया …..

और अपने पैरों में कुमकुम के भरे थाल से पूरे घर में निशान बनाएं….

कि तभी रिया की बड़ी  ताई सास ने उसे रोका….

यह क्या बहू ने तो ……

ऐसे ही साथ बने रहे और कहानी को प्यार देते रहे ….

जहां गलती हो  उसे भी बताएं ….

असली मोड़ तो अब कहानी में आने है जो कलयुग की कड़वी   सच्च्चाई  है ….

अगला भाग

नाजायज रिश्ता (भाग -5)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

आपकी  लेखिका

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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