नाजायज रिश्ता (भाग -33)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

जैसा कि अभी तक आपने कहानी “नाजायज रिश्ता” में पढ़ा कि विभू और रिया का रिश्ता तलाक की दहलीज पर पहुंच चुका है…लेकिन शायद मन से दोनों नहीं चाहते कि उनका तलाक हो….दोनों के ही मन में उलझन है…इधर सुबोध और रोशनी का रिश्ता भी कुछ सही राह पर जाता हुआ  नजर आ रहा है….घर में अच्छा माहोल है… विभू  और उसका पूरा परिवार बैठकर नाश्ता कर रहे हैं….सुबह का समय है…तभी अम्मा जी बोली …जे  दरवाजे पर कौन है….

अब आगे ….

कौन है अम्मा…??

रिया  ने पूछा….

मोये तो जे  तेई  सहेली सुरभि लग रही लाली….

पर जे इतयी गरीब कैसे है गयी…

सबरे कपड़े फटे हुए हैं य़ा लाली के…

बंजारिन सी लग रही….

लेकिन जे ऐसी तो नहीं हती लाली….

अम्मा जी उस लड़की को घूरती हुई बोली…

रिया का दिल धक से हुआ …

कुछ अनहोनी का सोच वो  जल्दी से उठकर दरवाजे की ओर दौड़ी …

वहां सच में सुरभि ही थी..

जिसका हाल देखा नहीं जा रहा था…

गंदे से कपड़े,,फटे हुए,,,बाल बिखरे हुए और पूरे चेहरे पर नाखून के निशान …

सुरभि को देख रिया घबरा गई….

रिया ने सुरभि को अंदर बुलाया…

और दरवाजा बंद कर लिया…

पूरा परिवार  सुरभि के पास आकर खड़ा हो गया….

क्या हुआ तुझे सुरभि….??

बोल मेरी बहन…..

रिया ने पूछा….

अच्छा तू  बाद में बताना…

पहले मैं तेर हाल  ठीक कर दूं…

जल्दी से रिया ने पानी लाकर सुरभि का चेहरा पोंछा…

उसके बालों को ठीक से बांधा…..

उसके हाथ साफ किये…

सुरभि  तू मेरे कपड़े पहन ले …

वो अभी  भी रोती  जा रही थी….

रिया ने उसे वॉशरूम में ले जाकर  उसके कपड़े बदले….

अपने कपड़े पहना दिए…

उसने सुरभि को सोफे पर बैठा दिया….

और अम्मा से बोली…

अम्मा इसके लिए चाय और कुछ नाश्ता बना लाओ….

अम्मा मुंह बनाती हुई किचन की ओर चली गई ….

चाय नाश्ता बना लायी…

सुरभि तू चाय पी ले…

घबरा मत …

फिर आराम से बता  क्या हुआ….

सुरभि का रोना बंद ही नहीं हो रहा था….

अब रोती ही रहेगी य़ा मुंह भी खोलेगी छोरी…

रिया की सास बोली….

सुरभि  रिया को पकड़कर फफककर रोने लगी…

विभू  भी सहानुभूति दिखाते हुए बोला…

सुरभि  क्या हुआ है…??

बताओ तो …

हम तुम्हारे अपने हैं….

हां हां बेटा बताओ….

क्या बात है ….

तुम इतनी घबराई हुई हो …

बचपन से तुम और रिया  साथ रही हो ….

हमने तो यही सुना है….

रिया के ससुर जी बोले….

सुरभि रिया  के गले लग गई…

आंसू बहाती रही….

रिया का मन बहुत घबरा रहा था….

अब  तो बता भी दे हुआ क्या है तुझे….??

तेरी ऐसी हालत मुझसे देखी  नहीं जा रही….

रिया की आंखों में भी आंसू आ गए थे….

उसने सुरभि को चुप कराया …

सभी ने  ढ़ांढस बंधाया …

तब सुरभि  ने बोलना शुरू किया….

रिया मुझे माफ कर दे….

जीजू मुझे माफ कर दो …

शायद मैंने  आप लोगों के साथ बहुत ही गलत किया…

उसी का परिणाम मुझे आज मिल रहा है …

तेरी अच्छी खासी घर गृहस्थी  चल रही थी  रिया…

मैंने ही  तुझे नौकरी के लिए उकसाया…

वह तो अच्छा हुआ तूने जल्द ही नौकरी छोड़ दी ….

वह सब छोड़ तू …

यह बता तेरा यह हाल कैसे हुआ ….??

रिया ने पूछा ….

रिया सबके सामने नहीं बोल सकती मैं…

विभू के इशारें पर  सभी लोग दूसरे कमरे में चले गए….

सुरभि बोली…

रिया तू  अपने ऑफिस के मैनेजर सर को तो जानती ही है….

और तू मेरा नेचर भी जानती है …

घूमने फिरने वाली फक्कड़ लड़की हूँ मैं …

सर ने  रात को कहा चलो सुरभि मूवी  देखने चलते हैं …

मुझे तो वैसे  भी  बहुत शौक है …

मैं उनके साथ चली गई…

मैंने कहा …

सर बाकी स्टाफ के लोग कहां है…??

तो बोले वह लोग आ जाएंगे…

चलो हम दोनों पहले चलते हैं…

उन्होंने मूवी दिखाई…

मूवी देखने के बाद मेरा मन फिर भी नहीं माना…

मैंने बार-बार पूछा स्टाफ के लोग कहां है सर…

तो उन्होंने गाड़ी को मोड़ लिया…

और एक सुनसान जगह पर ले गए…

उन्होंने मेरे साथ गलत काम करने की कोशिश की…

वह तो रिया मैं बहुत तेज तेज चिल्लाने लगी….

रोने लगी….

तो शायद आसपास कुछ लोग थे ….

उनके कदमों की आवाज सुनकर मैनेजर सर  भाग गए …

और मुझे वैसे ही हाल में वहां  छोड़कर चले गए….

मेरी हालत ऐसी नहीं थी…

कि मैं कहीं जा सकूँ…

अगर अपने रूम पर जाती…

तो वहां भी आसपास और भी लोग रहते हैं…

और भी लड़कियां रहती हैं पीजी में…

तो मेरा मन नहीं माना….

मैंने सोचा तू ही मेरी एक सच्ची दोस्त है ….

तेरे पास ही चली जाती  हूं …

सुरभि ने अपनी बात खत्म की…

और वह फिर से रोने लगी …

रिया ने उसे सीने से चिपका लिया….

सुरभि मैंने कहा था…

तुझे की ऐसे लोगों से दूर रहे …

तू बहुत अच्छी है …

बस थोड़ा बाहर आकर  लोगों के साथ रहकर भटक गई है ….

सुरभि तू  अपनी घर चली  जा….

वहां आराम से अपने घर में रह…

मां-बाप के घर से  ज्यादा सुरक्षित घर कोई भी नहीं होता….

यह तो मैं भी समझ गई हूं….

रिया बोली…

तभी अम्मा अंदर आई ….

तुम दोनन  की बात होये गयी हो तो आयें  जाए अंदर…

अम्मा ने बोला…

हां हां …

आ जाओ अम्मा……

सभी लोग अंदर आ गए ….

सुरभि  कोई दिक्कत आ रही हो …

या कहीं दर्द हो तो बता दो….

मैं डॉक्टर को बुला देता  हूं….

विभू ने कहा…

नहीं-नहीं जीजू …

मुझे माफ कर दो…

मुझसे क्यों माफी मांग रही हो ….

कोई बात नहीं …

अपनों के पास ही आते हैं लोग तकलीफ में….

नहीं नहीं जीजू ….

मैं माफी इस बात की नहीं मांग रही …..

मैंने  ही रिया को उकसाया था…

कि वह सुबोध के साथ बातचीत करें …

उसको अपनी लाईफ में वापस लाये….

और उसके साथ अपने रिश्ते को आगे बढ़ाये….

शायद मैं बहुत गलत थी ….

उसी का परिणाम आज मुझे मिला है ….

विभू रिया के  चेहरे की ओर देखता रहा….

क्या तुमने  रिया के कान भरे हैं ….

इधर सुबोध और रोशनी मूवी देखकर घर वापस आ चुके हैं….

दोनों बच्चे सो गए हैं …

आज अपने आप ही रोशनी सुबोध के पास आई…

और उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर बोलने लगी….

जी मुझे माफ कर दीजिए …

मुझसे  बहुत गलतियां हुई है …

कुछ भी हो…

रहूंगी तो आपकी पत्नी ही …

अच्छी हूँ  या बुरी….

पर यह क्या तभी सुबोध को ….

आगे की कहानी जल्द…

तब तक के लिए जय श्री राधे

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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