नाजायज रिश्ता (भाग -32)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

जैसा कि अभी तक आपने कहानी “नाजायज रिश्ता” में पढ़ा कि विभू और रिया दोनों ही असमंजस की स्थिति में है….विभू  के माता- पिता विभू  की दूसरी शादी करना चाहते हैं ….रिया अन्दर ही  अंदर कुढ़ रही है….वह विभू  के फोन पर उस लड़की का मैसेज देखकर  उसकी सारी चैट डिलीट कर देती है…विभू  जैसे ही कमरे में आता है …फोन पर मैसेज ना पाकर वह रिया पर हाथ उठाने वाला होता है….कि तभी रिया  की अम्मा आकर बोलती  हैं …दामाद जी…लाली…वकील बाबू आए हैं…

अब आगे…

सामने वकील साहब  बैठे हुए थे ….

जी बैठिये  आप दोनों….

वकील बाबू ने दोनों लोगों को बैठाया….

जी तो…

हां बताइए …

कागज तैयार है….

लेकिन आप लोग तलाक क्यों लेना चाहते हैं….??

इसका भी कारण बतायें मैं नोट कर रहा हूँ….

वकील साहब ने चाय की चुस्की लेते हुए विभू और रिया से पूछा…..

विभू रिया की ओर देख रहा था….

और रिया विभू की ओर…

यह का बताएंगे….

सब मैं बताती हूं…

वो वकील बाबू  नेक  लाली के पग  डगमगाए  गए….

तो  हमाए  दामादजी को गुस्सा आएगो ,,लाली   पर हाथ उठायो  दो….

अम्मा जी बोली…

तो यहां लाली कौन है…??

किस पर हाथ उठाया इन्होनें..??

वकील साहब कन्फूज़ हो गये…

जी मैं ये रिया लाली की बात कर रही….

आगे तो सुनो….

तो  फोन कर दो मैने दामाद जी के मईय़ा बापू कूँ….

यह लोग आए गए …

और इन लोगों ने कहीं कि  दोनों को तलाक ही  हो जाए…

वैसे मोये पतो  है …

क्या पता है ..??

य्ई कि दोंनों लोग ना चाहे  कि तलाक होवे….

अम्मा जी ने अपनी बात खत्म की…

ओह  तो यह बात है …

लेकिन किसी के डर दबाव में आप लोग तलाक नहीं दीजिए…

अगर आप लोग मन से चाहते हैं…

तभी बोलिएगा…

अगर चाहे तो कुछ समय की मोहलत ले लीजिए….

वकील साहब बोले…

विभू  कुछ बोलने वाला था….

तभी उसकी मां बीच में टोकते हुए बोलीं ….

अरे नहीं नहीं…

दोनों ही एक दूसरे के साथ इस रिश्ते में खुश नहीं है….

तो इस तरह के  बोझ  के  रिश्ते को चलाना ठीक नहीं….

आपकी जो भी औपचारिकता हो…उसे पूरा कर लीजिए …

और जब भी पेशी हो…

उसमें यह लोग आ जाया करेंगे …

अबकि विभू के पिताजी बोले….

पिताजी के मुंह से यह बात सुनकर विभू  के चेहरे पर चिंता  के भाव जाग  गए….

यह क्या कह रहे हैं पापा आप…??

क्या गलत कह रहा हूं बेटा…??

क्यों तुम्हें बहू  से तलाक नहीं लेना….??

सवाल जवाबों का दौर शुरू हुआ…

जी इतनी जल्दबाजी क्या है पापा….

थोड़ा समय तो ले लेने  दीजिए …हमें सोच समझने का ….

विभू बोला…

तभी तो बोल रहा हूं…

कि तुम लोग सोच समझ लो …

तब तक आगे की  कार्रवाही होती रहेगी …

जहां तक मुझे लगता है …

कि इस रिश्ते  मैं अब सुधार  होने वाला नहीं….

विभू की मां  बोली….

सर ,,अभी हम कुछ नहीं कह सकते…

अभी हमारा कोई फैसला नहीं है…

ऐसा कुछ होगा तो हम बताएंगे…

विभू बोला…

तो मेरा समय क्यों खराब किया आप लोगों ने ….??

पहले तो आप लोग फोन करके बुलाते हैं…

फिर आप लोगों का डिसाइड नहीं है…

अबकी बार रिया का पारा भारी हो गया….

आपने क्या शादी को गुड्डे  गुड़िया का  खेल समझ रखा है सर….

जो इतनी आसानी से हम दोनों का तलाक कराने  चले हैं ….

इतना आसान नहीं तलाक कराना …

जहां पर एक बच्चा भी हो ….

रिया तिलमिलाते हुए बोली…

अन्दर से विभू भी रिया की बात से सहमत हो हूँ हूँ कर रहा था….

पति पत्नी के  एक क्या, चार-चार बच्चे हो वो  भी तलाक  लेते हुए देखे है मैडम…

यह बात तो आप कहिये ही मत…

वकील  साहब बोले…

बहू  ,,तू ऐसे बड़ों  से बात मत कर…

अच्छा ना लगता….

अभी हम हैं बात करने के लिए…

विभू की मां  बोली.. 

तू अंदर चली जा….

मैं नहीं जाऊंगी…

आखिर यह मेरे जीवन का सवाल है …

आज रिया बोल पड़ी थी …

विभू रिया के चेहरे की ओर  घूर कर देख रहा था….

ठीक है वकील बाबू…

अभी आप जाइए…

जो भी बात होगी ,,हम आपको  फोन  कर बता  देंगे….

विभू  के पिताजी बोले….

दनदनाते  हुए वकील साहब दरवाजे से बाहर चले गए …

यह क्या नाटक बना रखा है तुम दोनों ने ….??

हम लोगों को भी परेशान कर रखा है …

और खुद भी रिश्ते में खुश नहीं हो…

आखिर  तुम दोनों चाहते क्या हो ….??

पिता जी आज दहाड़ रहे थे….

विभू कुछ ना बोला…

ना ही रिया कुछ बोली …

दोनों ही अलग-अलग दिशाओं की ओर मुड़ गए…

इधर सुबोध  घर आया …

उसका मन हुआ चलो आज रिया से बात करूं…

लेकिन तभी सामने से उसकी गुड़िया आई…

और सुबोध की गोद में बैठ गई …

पापा आप भूल गए क्या…??

क्या बेटा…??

मैं तो कुछ नहीं भूला…

मम्मा  का बर्थडे है पापा आज…

हां वो तो  भूल गया बेटा …

सुबोध  बोला…

तो पापा हम लोगों को बाहर लेकर चलिए ना…

कुछ खिला  लाइए…

घूमने चलते हैं…

उसकी बड़ी बिटिया ने सुबोध से ज़िद  की…

तभी उसे सामने से रोशनी आती हुई दिखाई दी …

उसके चेहरे पर मुस्कान थी…

क्या तुम लोग चलने को तैयार हो …??

सुबोध पूछता है…

हां हां पापा…

हम सब रेडी है …

देखो नए-नए कपड़े पहने है,, मम्मा भी रेडी है…

बस आप तैयार हो जाओ…

दोनों बच्चे ने हठ की हुई थी…

सुबोध  मुस्कुरा दिया…

वह भी तैयार हो गया…

बहुत ही प्यारा लग रहा था पूरा परिवार …

चले रोशनी…??

सुबोध बोला…

जी चलिए…

रोशनी ने कहा…

रोशनी ने दोनों बच्चों के हाथ पकड़ लिए…

और सभी लोग आकर गाड़ी में बैठ गए …

और घूमने के लिए निकल आए…

इधर रात हो चली थी…

विभू और रिया की आंखों से नींद कोसों  दूर थी…

रिया की बेटी कच्ची नींद में उठ गई…

तो रिया उसे गोद में लेकर घूमने लगी….

तभी विभू भी जाग गया …

मुझे लाओ बिट्टी को…

तुम थक गई होगी …

पूरे दिन तो देखती  हो इसे…

मैं सुला  देता हूं…

विभू ने कहा…

जी रहने दीजिए …

अब इसकी आदत डालनी पड़ेगी …

अब मुझे ही देखना है इसे ..

रिया ने मुंह फेर लिया…

विभू ने ज़िद से अपनी गुड़िया को अपनी गोद में ले लिया…

जाओ तुम सो जाओ…

मैं इसे देख लूंगा…

विभू बोला…

अगले दिन सुबह हुई…

नाश्ता तैयार था…

विभू की मां ने सभी को आवाज़ लगाई …

आजा  विभू बेटा…

तेरी पसंद का ही नाश्ता बनाया है …

सूजी  का हलवा,,बेसन और आलू की पकौड़ी…

और रिया तेरे लिए बेटा…

सैंडविच…

सभी लोग नाश्ते  की टेबल पर बैठे हुए थे….

कि तभी अम्मा जी बोली …

हाय रे …

यह दरवाजे पर कौन है …

आगे की कहानी जल्द…

तब तक के लिए जय श्री श्याम

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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