नाजायज रिश्ता (भाग -30)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

जैसा कि अभी तक आपने कहानी “नाजायज रिश्ता” में पढ़ा कि रिया और विभू  का झगड़ा  हो जाता  है….अम्मा के द्वारा विभू  के मां-बाप को भी बता दिया जाता है…जिस वजह से वह लोग भी घर आ रहे हैं ….सुबह विभू को होश आता  है…वह रिया से माफी मांगता है …और ऑफिस की ओर निकल जाता है….उसके जाने के बाद रिया भी मन में कुछ विचार कर तैयार होकर बाहर निकल आती है ….और सुरभि को फोन लगाती है ….सुरभि   जैसा कि तूने कहा था….

अब आगे…

हां बोल रिया….

क्या कह रही है….

सुबोध और तेरी बात आगे बढ़ी क्या….??

सुरभि बोली….

सुरभि तू क्यूँ भूल क्यों जाती है ….

मुझे सुबोध के साथ शादी नहीं करनी …

वह तो बस मैं उसे सबक सिखाने के लिए ऐसा कर रही थी….

जैसे कि   रोशनी और सुबोध को अपनी गलती का एहसास हो….

वो  दोनों एक हो जाए….

लेकिन इस वजह से मैंने अपनी ही गृहस्थी में आग लगा ली….

रिया बोली….

जस्ट चिल रिया ….

तू भी क्या छोटी-छोटी बातों को लेकर के टेंशन लेती है….

जीजू तेरे हस्बैंड है…

वो तेरे से बहुत प्यार करते हैं….

वो  कुछ ऐसा वैसा नहीं करेंगे….

वैसे एक बात बताऊँ रिया  अगर तू बुरा ना माने तो …??

हां बोल सुरभि…

क्या कह रही है….??

रिया बोलती है ….

सुबोध और तुम एक दूसरे को बेइंतहा  प्यार करते थे….

और शायद आज भी सुबोध  तुझे करता है….

और जहां तक मैं समझती  हूं ….

तेरे मन में भी सुबोध के लिये जगह तो होगी….

कहां सुबोध और कहां विभू जीजू ….

जमीन आसमान का फर्क है दोनों में ….

पर्सनालिटी में भी ,,बातचीत में भी ,,हर चीज में …

तुझे नहीं लगता ऐसा….

और रिया इसमें  गलत क्या है ….??

आजकल लोग 2-4  शादियां करते हैं….

अगर इंसान किसी शादी में खुश नहीं है…

तो क्या पूरे जीवन एक ही शादी में रहना ठीक है ….

जीजू से अलग हो जा….

और सुबोध के साथ क्यों नहीं चली जाती तू ….

बहुत खुश रखेगा तुझे…..

क्यूँकि  सुबोध भी अपनी पत्नी रोशनी के साथ खुश नहीं है ….

और ना ही तू ….

सुरभि बोली…

जस्ट शट अप सुरभि …..

मैंने तुझे बस राय लेने के लिए फोन किया था ….

और तूने ही मुझे समझाया …

कि तू ऐसा  कर तो शायद उनके रिश्ते में सुधार आ जायें ….

लेकिन अब तू  मुझे ही उल्टा पाठ पढ़ा रही है ….

मैं विभू जी से बहुत प्यार करती हूं ….

और उनकी दी हुई निशानी मेरी गुड़िया मेरे पास है…..

मैं कभी भी उन्हें धोखा देने का नहीं सोच सकती ….

और ना ही उनसे दूर होने का….

समझी….

अगर तुझे मेरी कोई हेल्प करनी है तो बता …..

नहीं तो मैं खुद ही काफी हूं….

रिया बोली….

जस्ट गो टू हेल रिया ….

एक तो अच्छा समझा  रही हूं….

तेरे जीवन को और खुशनुमा बनाना चाहती हूं….

आई है बड़ी सति सावित्री बनने ….

यह बोल सुरभि ने फोन रख दिया….

रिया को समझ नहीं आ रहा था ….

कि सुरभि ने भी उसका साथ छोड़ दिया है…

अब वह करें तो क्या करें …

वह अभी सुबोध के घर जाने का सोच रही थी …

लेकिन तभी उसके कदम  डगमगा गए…

उसने  सोचा नहीं रिश्ते तो बहुत खराब हो चुके हैं …

अब और ज्यादा नहीं खराब करने ….

इसे किसी और तरीके से हैंडल करना होगा….

रिया ने सुबोध को फोन किया….

हेलो सुबोध …

शुक्र है रिया तुमने कॉल किया….

बहुत देर से तुम्हें फोन करने का सोच रहा था…

लेकिन फिर सोचा कि कहीं विभू सर और तुम्हारा झगड़ा ना हो रहा हो ….

मेरे फोन से और ना बढ़ जाए….

रियली वेरी सॉरी रिया …..

मैं तुम्हारे और विभू सर  के बीच झगड़े का एक कारण बना ….

सुबोध बोला…

सुबोध अगर तुम सच में मुझे अपना एक अच्छा दोस्त मानते हो….

तो प्लीज मेरी एक हेल्प करो….

क्या रिया…

बोलो…

मैं तुम्हारे लिये सब कुछ करने को तैयार हूँ…

विभू  जी से सामने आकर के कहो…

कि तुम मुझसे शादी करना चाहते हो…

और मुझसे प्यार करते हो …

तुम मुझे और मेरी बेटी को अपनाने को तैयार हो…

फिर मैं देखती हूं  आगे ….

रिया बोली…

हां हां …

क्यों नहीं रिया….

बिल्कुल मैं यह करने को तैयार हूं …

ठीक है जैसे ही तुम्हारी उनसे बात होती है …

मुझे बताना…

रिया ने इतना बोल फोन रख दिया….

सामने से आते हुए उसे उसके  साथ ससुर दिखाई पड़े….

रिया का मन अब  कहीं जाने का नहीं हुआ…

सीधे उल्टे पांव अपने घर की ओर लौट आई…

इधर सुबोध अपने घर आ गया था….

रोशनी को उसने ध्यान से  देखा…

रोशनी आज बहुत ही खूबसूरत लग रही थी…

लाल रंग की उसने साड़ी पहन रखी थी…

और अपने दोनों बच्चों को हाथों से खाना खिला रही थी…

उसका पूरा घर सजा संवरा  हुआ था …

सब चीज अपनी जगह पर थी ….

जिसे देख सुबोध  एक पल को तो मुस्कुराया….

लेकिन अगले ही पल रिया की बात याद आयी….

नहीं मुझे तो रोशनी से तलाक लेना है…

यह सोच वह फिर से बाहर  निकल आया …

उसने विभू को फोन किया ….

इधर रिया जैसे ही घर में आई …

उसके सास ससुर आ चुके  थे ….

बहू तुम कहां थी …..??

सास उठकर बोली…

बस मम्मी जी…

अभी आई…ज़रूरी काम से गयी थी …

उसने दोनों सास ससुर के  पैर छुए…

दोनों ने भर भर आशीर्वाद दिए…

मेरी बहू खुश रहे …

ईश्वर इसका सुहाग हमेशा अमर रखें …

उसके ससुर जी ने भी आशीर्वाद दिया …

तभी अम्मा सामने से पानी लेकर आई …

अरे यह क्या…

तुम तो पाप चढ़ा रही …

इतनी बड़ी बुजुर्ग होकर हमारे लिए पानी लेकर आए रही….

विभू की मां बोली…

तुम हमाई समधन है .. इतनो तो कर सकूँ मैं…

अब लाली दामाद जी ते बात कर लेयो …

काये कूँ झगड़ा कर रहे ये….

अम्मा बोली…

बहू इधर बैठ …

ला गुडिय़ां को मुझे दे …

सास  ने गुड़िया को अपने हाथ में ले लिया…

शाम हो चली थी…

विभू भी घर आ गया था …

रिया  के साथ ससुर ने रिया को और विभू को सामने बैठाया …

और उनसे बोले…

आज हम एक फैसला लेकर के आए हैं …

अगर तुम्हें मंजूर हो बच्चों …

तो बताओ…

नहीं तो हमारे आगे और भी समस्याएं हैं …

क्या मां तुम क्या कहना चाह रही हो …

बताओ तो सही …

विभू बोला…

मैं तेरी दूसरी शादी….

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नाजायज रिश्ता (भाग -31)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

तब तक के लिए जय श्री राधे…

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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