नाजायज रिश्ता (भाग -29)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

जैसा कि अभी तक आपने कहानी “नाजायज रिश्ता “में पढ़ा कि विभू  और रिया के रिश्ते खराब हो चले हैं….विभू को रिया के सुबोध  के साथ संबंधों का पता चल चुका है….जिसकी वजह से वह पूरी तरह से टूट चुका है….वह ड्रिंक करके आता है….और घर में आकर रिया के बाल कसके पकड़ लेता है ….रिया की अम्मा विभू  की मां को फोन कर अगले ही सुबह आने को बोलती  हैं….

अब  आगे….

जी …

क्यों मुझे इतनी तकलीफ दे रहे हो…??

क्या हुआ है…??

मुझे बताएंगे…

रिया सिस्कते हुए  बोली ….

अभी भी तुम अनजान बन रही हो ….

अगर तुम्हें सुबोध  से ही प्यार था….

तो मुझसे शादी क्यों की ….??

क्यों मुझे धोखा दिया …??

मैं तो अभी तक यही समझता था कि मेरी रिया सिर्फ और सिर्फ मेरी है …

तुम्हे मैं पसंद नहीं था तो मना कर देती, नहीं होती  हमारी शादी….

मुझे लगा था मेरी रिया कभी धोखा नहीं दे सकती मुझे….

मैंने  तुम पर अंधा विश्वास किया ….

तुम्हे यहां शहर लेकर आया….

तुम्हारे कहने पर वो सब कुछ किया जो तुम चाहती थी….

विभू रुआंसा सा बोल रहा था….

ऐसा तो कुछ नहीं है जी….

रिया बोली …

ऐसा नहीं है…

अभी भी झूठ बोल रही हो….

विभू  ने रिया के गाल पर कर दो चार थप्पड़ जड़ दिए ….

दामाद जी…

यह क्या कर रहे हो …??

ऐसे लाली को मारना ठीक ना है…

तुम काहे अपना हाथ खराब कर रहे हो ….

मैंने  सबको बताये दी है …

कल ही  सब आए जाएंगे…..

मेरी मानो तो सब कुछ भूल जाओ….

अब आगे से ना करेगी लाली ….

अम्मा बोली….

अम्मा तुम अपने कमरे में जाओ…

यहां दखल देने की जरूरत नहीं….

विभू ने यह  बोल कमरा अंदर से बंद कर लिया ….

रिया सहमी  हुई थी…

जी बताइए तो सही…

आपको ऐसा क्यों लग रहा है ….

कि मेरे सुबोध  के साथ गलत संबंध है…

मैंने ऐसा क्या किया है ….??

रिया  अभी भी तुम झूठ बोल रही हो….

मैंने  तुम्हारी और सुबोध की सारी चैट पढ़ ली है…

तुम सुबोध  से मिलने गई थी….

तुम सुबोध  का उसकी पत्नी से तलाक करा रही हो ….

और मुझसे  भी तलाक लेना चाहती हो……

इतना कुछ हो गया….

और मुझे कानों कानों खबर तक नहीं हुई…

मेरे आगे एक फूल सी बच्ची है…

यह बिन बाप की हो जाएगी….

नहीं तो आज ही मैं खुद को खत्म कर लेता ….

क्योंकि यह मेरी बर्दाश्त के बाहर है…

यह बोल विभू बिस्तर पर लुढ़क गया ….

रिया चिल्ला रही थी ….रो रही थी…

सुनिए तो सही…..

वह कुछ और बोलती ….

उससे पहले ही  विभू गहरी नींद में सो गया ….

सुबोध के कई फोन आ रहे थे….

रिया ने फोन ना उठाए….

तो सुबोध रिया के घर आ गया ….

अम्मा ने आधा  दरवाजा खोला ….

अब क्यों आया है ….

पूरी घर गृहस्थी बरबाद कर  दी मेरी लाली की ….

अब क्या करने आया है…..

कमीने जा यहां से,,नाये तो य़ाई डंडा ते मारूँगी….

अम्मा दरवाजा तो खोलो…..

जल्दी से अम्मा को झटका देकर  सुबोध ने  दरवाजा खोला….

अंदर वाले कमरे में सुबोध  बार-बार दरवाजा खटखटा रहा था…..

रिया  दरवाजा नहीं खोल रही थी ….

रिया दरवाजा तो खोलो….

क्या हुआ है…??

कुछ अनहोनी तो नहीं हुई…??

सुबोध  गिड़गिड़ा  रहा था ….

रिया कुछ नहीं बोल रही थी….

वह बस विभू  के पास बुत बनी बैठी हुई थी….

काफी आवाज देने के बाद भी जब रिया ने दरवाजा ना खोला तो हार मानकर सुबोध बाहर चला गया ….

रिया विभू  के चेहरे पर आए पसीने को पोंछ  रही थी…..

उसके हाथों को अपने हाथ में लेकर उसे चूम रही थी….

जी आप मुझे गलत समझ रहे हैं ….

आपकी रिया  बिल्कुल ऐसी नहीं है….

प्लीज़ समझिए…

ओह  मैंने यह क्या कर दिया….

मेरी छोटी सी गलती ने मेरे रिश्ते को कहां लाकर खड़ा कर दिया है…..

रिया सुबकते हुए  बोली ….

अगली सुबह भी विभू को होश नहीं आया था ….

अम्मा ने विभू को नींबू पानी पिलाया ….

उसे कई उल्टियां हुई….

उसकी तबीयत खराब हो गई थी….

क्योंकि उसने जीवन में  पहली बार शराब  पी थी ….

तभी अचानक से उसे होश आया …

मुझे क्या हुआ था अम्मा……??

अरे रात तुम पीके आए  दामाद जी….

य़ाई लिये तुम बीमार होये गये …

यह मैंने क्या कर दिया…..

लला  तुम्हारे अम्मा बापू  भी आते होंगे….

मैं घर का हाल ठीक कर दै रही….

अम्मा गोदी में खिलाती गुड़िय़ा को चुप कराते हुए बोली…..

क्या आपने उनको भी खबर कर दी है ….??

हां और का…

तुम रात को लाली कूँ  ऐसे  मार रहे…

मैं घबराये  गई…

मैंने उन्हें आयबे की बोल दी है…

अम्मा ने अपनी बात खत्म की….

यह क्या किया अम्मा तुमने ….

रिश्ते पूरे ही तरह से खराब कर दिए…

विभू ने  अपनी मां को फोन लगाया…

अरे मां नमस्ते…

नमस्ते लला…

वो ना रिया की अम्मा जरा ऊंचा सुनती है मां….

उन्होंने गलत सुन लिया…

वह मैं अपनी ऑफिस की बात को लेकर के फोन पर किसी से कुछ कह रहा था….

अम्मा  को लगा शायद मैं रिया से झगड़ा कर रहा हूं…..

लेकिन बेटा अम्मा  बता रही थी कि तू बहू को मार रहा था….

नहीं नहीं मां…

ऐसी कोई बात नहीं है….

आप घबराएं नहीं….

आराम से रहिए ….

नहीं बेटा …

फिर भी हम आ रहे हैं…

थोड़ा तुम लोग को देख भी लेंगे…

विभू की मां बोली…

ठीक है मां…

जैसी तुम्हारी मर्जी….

लेकिन ऐसा मत सोचना  कि कुछ घर में ऐसा हुआ है….

यह बोल विभू ने नमस्ते कर  फोन रख दिया….

रिया अभी भी बाल बिखराये उसी सिचुएशन में बेड पर बैठी हुई थी …..

आज सुबह से उठकर उसने कोई काम भी नहीं किया था….

विभू  को खुद पर बहुत पछतावा हो रहा था….

कि उसने आज अपनी फूल सी पत्नी पर हाथ उठाया….

लेकिन उसकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी ….

कि रिया से  कुछ बोले….

किसी  तरफ उसको संभालते हुए  वह नहाया…

और अम्मा से बोला …

अम्मा मेरा खाना पैक कर दो ….

मैं ऑफिस जा रहा हूं….

दामाद जी  तुम्हारी तबीयत ना ठीक है ….

आज मती  जाओ….

नहीं अम्मा….

घर में मन नहीं लगेगा…..

मैं जाऊंगा….

विभू  तैयार हो गया…

उसे अपने जूते नहीं मिल रहे थे ….

उसने रिया से पूछने की जरूरत नहीं समझी ….

खुद ही किसी तरह  जूते ढूंढे ….

रिया की आंखें पथरा गई थी….

जाते-जाते विभू का मन नहीं माना ….

और रिया के पास आया….

रिया के चेहरे पर हाथ फेरते हुए उसे सॉरी बोला …

फिर ऑफिस की ओर निकल गया….

विभू के जाने के बाद रिया उठी….

उसने अपने आंसू पोंछे….

वह नहाई ,,उसने पूजा की….

और कपड़े पहने….

अपनी अम्मा से बोली….

अम्मा आज गुड़िया को देखना….

कहा जाये रही है अब…

चैन ना मिला तोये….

आज मैं फैसला करने जा रही हूं ….

आज आर होगा या पार….

पता नहीं मेरे जीवन का क्या होने वाला है….

इतना बोल रिया ने अपना पर्स  उठाया….

बाहर निकल गई….

बाहर आते ही उसने सुरभि को फोन किया….

तूने जैसा कहा था सुरभि  ….

अगला भाग

नाजायज रिश्ता (भाग -30)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

तब तक के लिए जय श्री श्याम ….

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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