नाजायज रिश्ता (भाग -23)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

जैसा कि अभी तक आपने कहानी “नाजायज रिश्ता” में पढ़ा कि सुबोध रिया के घर से अपने घर वापस आ चुका है ……

उसका अपनी पत्नी रोशनी से रिया को लेकर झगड़ा हुआ है….

परेशान होकर रात को 1:30 बजे वह बाहर बरामदे में घूम रहा है….उसका मन नहीं माना….तो उसने रिया को फोन लगाया….सुबोध को जानकर खुशी हुई कि अब रिया ने उसका नंबर ब्लॉक से हटा दिया है….दूसरी बार फोन करने पर रिया ने फोन उठा लिया ….

अब आगे …..

हेलो रिया…

हेलो हेलो….

रिया….

तुम सुन रही हो ना….???

सुबोध ने कई बार बोला ….

पर उधर से रिया का कोई जवाब नहीं आया….

रिया सुनो तो ….

तुम मुझे गलत मत समझो प्लीज ….

रिया कुछ तो बोलो….

सुबोध बोला ….

सुबोध तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है ….???

तुम जब चाहो तब फोन लगा देते हो ….

मुझे समझ नहीं आ रहा…

कि तुम मेरे पीछे क्यों पड़े हो ….???

ठीक है तुमने हमारी हेल्प की….

उसके लिए तुम बताओ मैं क्या करूं ….????

अरे रिया….

तुम तो मुझे गलत समझ बैठी हो….

मैं तो बस एक दोस्त होने के नाते तुमसे अपने दुख दुख शेयर करना चाहता हूं …..

और कुछ नहीं ….

क्या सुख-दुख …

सुबोध तुम अपनी पत्नी रोशनी के साथ शेयर  करो ना….

मैं इधर अपने पति विभूजी के साथ खुश हूं ….

तो कैसा सुख-दुख साझा करना मुझे….

क्यों…

तुम मेरी दोस्त हो तो क्या मेरे बारे में नहीं जान सकती….

क्या बताना है तुम्हें रात के 2:00  बजे…???

तुम्हें थोड़ी तो शर्म आनी चाहिए ….

कि हम दोनों शादीशुदा हैं….

और तुम फोन लगा रहे हो….

रिया मुझे बहुत ही खुशी हुई जानकर कि तुमने मेरा नंबर ब्लॉक से हटा दिया है ….

बता नही सकता…..

सुबोध बोला….

एक पल चुप रहने के बाद रिया बोली….

मैंने नहीं हटाया है ….

इन्होंने हटाया है….

ये मेरे फोन से तुम्हारा फोन लगा रहे थे….

तो उन्होंने देखा कि तुम्हारा नंबर मैंने ब्लॉक पर लगा रखा है….

तो इन्होंने खुद ही हटा दिया शायद….

तो तुमने नहीं हटाया….

मैं क्या बेवकूफ हूं ….

जो अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारुंगी….

अगर दोबारा हटाऊंगी तो फिर से ये बोलेंगे कि क्यों मैं बार-बार हटा रही हूं ….

रिया बोली …

अब तुमने फोन क्यों किया है ….

बताओगे….???

रिया तुमसे एक बात कहनी है….

बोलो क्या बात है ….

रिया जब तुम्हारी शादी हुई…

तब तक मैं दो बच्चों का बाप बन चुका था ….

कॉलेज करने के बाद मेरे सेटल ना होने की वजह से तुम तो मुझसे दूर हो गई….

लेकिन मेरे मम्मी पापा को मेरी शादी की जल्दी थी ….

मां पर कुछ काम नहीं होता था ….

तुम तो उनकी बीमारी का जानती ही हो ….

बस कॉलेज से निकलते ही एक ही महीने में मेरी शादी कर दी गई….

रोशनी शुरू शुरू में तो बहुत अच्छी थी….

लेकिन वह बहुत ही लापरवाह पत्नी है ….

ना ही बच्चों का ख्याल रखती है….

ना ही मेरा ख्याल….

मेरा घर भी पूरा अस्त व्यस्त ऐसे ही पड़ा रहता है ….

मैं ही आकर बच्चों को साफ सुथरा करता हूं ….

उनके लिए खाना बनाता हूं….

और  अपने साथ लेकर सोता हूं ….

सुबोध अपने मन की व्यथा बता रहा था ….

तो यह सब बातें मुझे क्यों बता रहे हो ….???

जो भी दिक्कत है तुम्हें….

तुम अपनी पत्नी  रोशनी से बोलो ना….

वैसे तुम कह रहे थे….

कि तुम्हारी पत्नी रोशनी तो बिल्कुल वैसी है….

जैसी तुम चाहते थे….

पानी मांगो तो तुरंत हाजिर कर देती है ….

रिया चिढ़कर बोली….

वह तो बस रिया ऐसे ही बोल दिया ….

बस मैं चाहता हूं कि रोशनी में तुम जैसी भी कुछ आदतें आ जाएं….

मैंने देखा…

कैसे तुम अपने घर को सजाकर रखती हो …..

खुद भी अच्छे से रहती हो …

विभू सर को भी खुश रखती हो ….

और बेटी भी तुम्हारी तुम्हारे बिना एक पल नहीं रह पाती ….

मेरे बच्चे तो बस मेरे ही पीछे भागते हैं…..

उन्हें अपनी मां से बिल्कुल प्यार नहीं ….

सुबोध अपनी बेबसी रिया के सामने जाहिर कर रहा था…..

रिया को उस पर तरस आ रहा था….

लेकिन उसने अपने मन पर काबू करते हुए कहा ….

मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है …

तुम्हारी जो भी पर्सनल समस्या है तुम अपनी पत्नी के साथ ही सॉल्व करो ….

तो ज्यादा अच्छा है….

वैसे भी मुझे तुम्हारे जीवन में दखल नहीं देना चाहिए….

इससे मेरी शादीशुदा जिंदगी पर भी प्रभाव पड़ेगा….

लेकिन रिया  अगर तुम मुझसे बात करोगी तो मुझे नहीं लगता कि विभू सर को बुरा लगेगा….

हम दोस्त की तरह ही बात करेंगे…..

सुबह से शाम तक मेरा दिमाग बहुत भारी रहता है…..

घर की टेंशन,,बच्चों की टेंशन लगी रहती है….

अगर तुमसे अपना दुख साझा करूंगा तो शायद थोड़ा हल्का महसूस करूँ ….

बस इसलिए एक दोस्त चाहता हूं …..

सुबोध मैं ही क्यों …

और भी लोग हैं दुनिया में ….

जरूरी है एक मैरिड औरत को ही तुम अपना दोस्त बनाओ….

कोई आदमी ,,कोई और भी तुम्हारे दोस्त हो सकते हैं….

रिया बोली….

रिया दोस्तों की कोई कमी नहीं ….

लेकिन जो भी होगा वह मेरी बेबसी का मजाक ही बनाएगा….

तुम तो मुझे कई सालों से जानती आई हो ….

मेरे स्वभाव को भी तुम अच्छे से समझती हो….

तुम मेरी बात को समझोगी….

और मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मेरी बेबसी पर हंसोगी भी नहीं….

सुबोध बोला ….

मुझे इन सब फालतू बातों में इंटरेस्ट नहीं ….

मैं फोन रख रही हूं….

रिया बोली ….

रिया सुनो तो….

आज तुम बहुत ही खूबसूरत लग रही थी नीली साड़ी में…..

बिल्कुल वैसे ही जैसी तुम उसे दिन फेयरवेल में पहन कर आई थी ….

और मैं तुम्हें देखता ही रह गया ….

तुम्हारी निगाह भी मेरे ऊपर से हट नहीं रही थी ….

मैं भी मैरून रंग का कोट पैंट पहना था ….

शायद तुम्हें अच्छा ही लग रहा होऊँगा….

रिया हम दोनों को बेस्ट कपल ऑफ कॉलेज का खिताब मिला था….

याद है ना …???

फेयरवेल होने के बाद कैसे हम दोनों बाइक पर ….

सुबोध कुछ और बोलता ,,उससे पहले ही रिया ने बोला….

शट अप ….

मैंने तुमसे कितनी बार कहा है…

पहले की बातों को क्यों बोल रहे हो ….

बस रिया…

पुरानी बातें याद कर कुछ अच्छा लगता है ….

काश…काश ….

तुम मेरे जीवन में होती….

तो शायद मैं इतना दुखी नहीं होता….

सुबोध बोला ….

अब इन सब बातों का क्या फायदा सुबोध ….

तुम अपनी शादीशुदा जिंदगी को अगर सही करने में अपना समय खर्च करो तो ज्यादा अच्छा नहीं रहेगा….

रिया बोली ….

सही-सही बताना …

रिया क्या तुम्हारे दिल में मेरे लिए थोड़ी सी भी जगह नहीं है….

क्या कभी भी तुम्हें मेरे साथ बिताया वह समय याद नहीं आता…

कैसे हम हाथों में हाथ डाले घूमा करते थे ….

और तुम मुझसे बात किए बिना एक पल भी नहीं रह पाती थी….

सुबोध अपने मन की सब बातें रिया से बोल रहा था….

यह सोचे समझे बिना की अब वह दोनों शादीशुदा है ….

शायद रोशनी से प्यार ना मिलना भी उसका एक बड़ा कारण था….

लोग आदमी और औरत के संबंध को नाजायज तो कह देते हैं….

लेकिन उससे पहले उनके अंदर की तकलीफ को भी समझना जरूरी है….

हां मानते हैं यह चीज गलत है …

इससे दूर होना ही बेहतर है…

लेकिन कुछ लोग अपने जज्बात पर काबू नहीं कर पाते …

और इसमें बहते चले जाते हैं ….

इसका परिणाम बहुत ही बुरा होता है …

शायद वही रिया और सुबोध के साथ भी हो रहा था…

रिया भी तो सुबोध की बातें बड़े मन से सुन रही थी ….

और सुबोध के साथ बिताए हुए लम्हों को याद कर रही थी….

तभी रिया की बेटी की रोने की आवाज आई….

अच्छा तो सुबोध मैं रखती हूं फोन…

फिर कभी फोन करूंगी …

यह बोल रिया ने फोन काट दिया….

रिया से बात करने के बाद अब सुबोध कुछ अच्छा महसूस कर रहा था …

अपने बालों पर हाथ फेरते हुए…

अपने चेहरे पर एक मुस्कान लिए सुबोध कमरे में आकर  अपने बच्चों के पास सो गया….

रिया भी बेटी को सुला रही थी…

उसके चेहरे पर भी एक अलग ही ललारी थी….

अगले दिन विभू के जाने के बाद रिया  साड़ी पहनकर तैयार हुई ….

और खुद को आईने में निहारने लगी….

तभी आईने के सामने उसे सुबोध नजर आया….

तुम यहां ….

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नाजायज रिश्ता (भाग -24)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

तब तक के लिए जय श्री राधे ….

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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