जैसा कि अभी तक आपने कहानी “नाजायज रिश्ता” में पढ़ा कि विभू और रिया की शादीशुदा जिंदगी अच्छी चल रही है….सुबोध के हाल-चाल लेने के लिए रिया ने फोन किया…तो उसकी पत्नी द्वारा हड़काई जाने पर रिया ने मन ही मन कभी भी सुबोध से बात न करने का निर्णय लिया….इधर ऑफिस आने पर सुबोध ने रिया का कॉल अपने फोन पर देखा ….
तो बेचैन हो गया….रिया फोन उठा नहीं रही थी….उसने उसका नंबर ब्लॉक कर दिया….ऑफिस से घर आते समय रास्ते में सुबोध का मन हुआ कि रिया से मिलता हुआ जाऊं….वो रिया के घर गया….उसने डोर बेल बजाई….रिया ने दरवाजा खोला…सामने सुबोध को देखते ही वह दरवाजा बंद करने लगी….सुबोध बोला….रुको तो सही रिया….तुमसे कुछ बात करनी है ….
अब आगे….
क्या बात करनी है सुबोध….??
जितनी बेईज्जती करनी थी ….
तुम्हारी पत्नी रोशनी मेरी कर चुकी है….
तुमने जो हम पर एहसान किया उसके लिए शुक्रिया…..
सॉरी…
सॉरी रिया….
मुझे लग रहा था….कि रोशनी ने तुमसे कुछ ऐसा वैसा ही बोला होगा….
उसका नेचर ही ऐसा है ….
गलत क्या बोला रोशनी ने…
मुझे तुमसे बात करनी ही नहीं चाहिए थी ….
प्लीज ….
मेरी बात तो सुनो….
क्या कहना है ….
रिया बोली….
हम अभी कहीं जा रहे हैं….
प्लीज…जाओ यहां से सुबोध ….
तभी सुबोध की नजर रिया के पहनावे पर गई….
माथे पर बड़ी सी बिंदी,,मांग में सिंदूर,,बालों का जूड़ा बना हुआ….
बहुत ही प्यारी सी नीले रंग की साड़ी पहनी हुई रिया….
सुबोध को बहुत प्यारी लग रही थी….
सुबोध उसे देखता ही रहा….
तभी पीछे से विभू की आवाज आई….
रिया चल रही हो ….??
कौन है दरवाजे ….??
जी…
कोई नहीं….
सुबोध तुम यहां से जाओ ….
रिया धीरे से बोली….
तभी विभू दरवाजे पर आ गया ….
सुबोध तुम…
आओ यार…
इतनी देर से खड़े हो दरवाजे पर….
अंदर आओ…
रिया तुमने सुबोध को अंदर आने के लिए क्यों नहीं कहा ….??
जी वो बस हम जाने वाले थे …
इसलिए ….
मैंने कहा….कभी और आना ….
ऐसे आए हुए मेहमान को वापस करते हैं क्या….
बहुत गलत बात ….
विभू ने सुबोध को अंदर बुलाया ….
और बताओ सुबोध ….
दोनों बैठ गये….
आज ऑफिस कैसा रहा ….??
जी सर….
अच्छा रहा ….
आपका भी सारा काम आज कंप्लीट कर दिया….
सुबोध बोला…
थैंक यू सुबोध….
सुबोध ने रिया की ओर नजर डाली….
रिया अभी भी तो उसकी ओर नहीं देख रही थी….
सॉरी सर….
आप लोग तैयार हैं ….
शायद कहीं जाने वाले थे ….
मैंने आप लोगों को डिस्टर्ब कर दिया ….
नहीं-नहीं सुबोध…
थोड़ी देर में चले जाएंगे….
रिया सुबोध के लिए चाय नहीं बनाओगी…
पीकर आयेँ होंगे ऑफिस से…
रिय़ा गुस्से में बोली…
हां सर…
पीकर आया हूँ…
नहीं रिया…
बेचारा थककर ऑफिस से आया है…
जाओ चाय बना लाओ…
विभू ने रिया को हुकम दिया…
गुस्से में पैर पटकती हुई रिया किचन में चाय बनाने के लिए चली गई ….
वैसे सर कहां जा रहे हैं आप लोग…??
सुबोध पूछता है …
कहीं नहीं …
इतने दिनों बाद ऐसे ही मन हुआ चलो रिया को पिक्चर दिखा
लाऊँ…..
ये तो बहुत अच्छी बात है सर….
ठीक है सर …
मैं चलता हूं….
नहीं तो आप लोगों की स्टार्टिंग छूट जाएगी…
नहीं ….
चाय पीकर जाओ…
रिया क्या सुबोध को बिना चाय पिलाये भेजोगी …
जी….लायी….
तभी रिया चाय लेकर के आ गई ….
सुबोध बेचैन था कि रिया से कुछ पल अकेले में बात कर पाए….
लेकिन यह नामुमकिन था इस वक़्त….
जल्दी-जल्दी सुबोध ने चाय खत्म की…
अच्छा सर चलता हूं….
फिर कभी आऊंगा…
ठीक है सुबोध….
आराम से जाना…..
सुबोध अपने घर आ गया….
घर आते ही फिर से वही हाल….
पूरा घर बिखरा हुआ था ….
दोनों बच्चे आपस में खेलने में लगे हुए थे …
सुबोध को देखते ही दोनों बच्चे पापा से आकर चिपक गए….
पापा …
तुम आ गए …
हां बेटा…
क्या लाये पापा….??
ओहो आज तो भूल ही गया ….
सॉरी …
ठीक है ….
कल तुम्हारे लिए दो चॉकलेट ले आऊंगा…
बिट्टू से सुबोध ने बोला ….
रोज का ही नियम था ….
सुबोध खाना बनाता था ….
फ्रेश होकर के वो किचन में गया….
उसने दाल चावल बनाया ….
बच्चों को खिलाया….
और खुद खा लिया….
रात हो चली थी….
सुबोध मन ही मन कुछ सोच रहा था….
कि कुछ भी हो….रोशनी है तो उसकी पत्नी ही….
इस तरह से उससे दूरी बनाना ठीक नहीं….
हो सकता है…
धीरे-धीरे मैं उसके नजदीक जाऊं तो शायद उसके स्वभाव में परिवर्तन आ जाए….
यह सोच सुबोध बच्चों के सोने के बाद रोशनी के पास आया…..
रोशनी नाइटी पहन कर सो रही थी….
बहुत सुन्दर लग रही थी ….
सुबोध ने रोशनी के चेहरे पर हाथ फेरा….
और उसका चेहरा अपनी ओर किया…
वह रोशनी को अपनी बाहों में भरने ही वाला था ….
कि तभी रोशनी ने झटक कर उसके हाथों को अपने से दूर कर लिया….
डोंट टच मी….
क्यों मेरे पास आ रहे हो ….??
रोशनी चिल्लायी…
धीरे बोलो रोशनी….
बच्चे सो रहे हैँ ….
क्यों…??
मैं तुम्हारा पति नहीं हूं…??
क्या मुझे हक नहीं …
सुबोध बोला….
वो जो तुम्हारी फ्रेंड तुम्हें मिली है….
रिया …
जो कुछ प्यार करना है …
उसके साथ ही जाकर करना …
प्यार करो…
शादी करो….
कुछ भी करो…
यह क्या कह रही हो तुम रोशनी ….
ना तो रिया ऐसी है….
ना ही मैं ऐसा हूं…
वह तो बस पुरानी दोस्ती थी …
मिल गई …
तो थोड़ी बात हो गई …
तो पुरानी दोस्ती ऐसी होती है…
कि उसके पति का इलाज भी तुम ही करा रहे हो …
उसके ऑफिस में भी तुम काम कर रहे हो….
तुम्हारी सब रची रचाई साजिश है ….
और रिया तो सच में मुझे बिल्कुल कैरेक्टरलेश लगती है…
जो दूसरे के पति पर हक रखती है ….
बदचलन है वो औरत….
रिया के लिए ऐसे शब्द सुन सुबोध तिलमिला उठा …
उसने अपना आपा खो दिया…
रोशनी के गालों पर तमाचा ज़ड़ दिया….
आज के बाद मैँ रिया के बारे में कुछ भी गलत नहीं सुनूंगा….
और कोई जरूरत नहीं है…
मैं आज के बाद तुम्हारे पास भटकूंगा भी नहीं….
यह मेरे बच्चे हैं …
मैंने पाल लूंगा..
तुम्हे जैसे जीना हो ज़ियो….
वह तो बस तुम्हारे मां-बाप की वजह से कुछ कहता नहीं…
नहीं तो एक फोन लगाऊँ तो …
तो क्या …??
तुम मुझे क्या समझते हो…
कि तुम मुझे घर से निकाल दोगे …
तो क्या मेरा कोई और नहीं दुनिया में…
निकाल कर तो देखो …
ना जेल की हवा खिला दी…
तो मेरा नाम भी रोशनी नहीं…
रोशनी यह बोल दूसरी तरफ करवट कर फिर सो गई ….
अब तो सुबोध को नींद नहीं आ रही थी …
वो बरामदे में आया …
एकदम से उसके दिमाग में रिया का आज का रूप सामने आने लगा…
कि एक उसकी पत्नी रोशनी है…
जो कभी ठीक से ना तैयार हो …
ना कभी उसे प्यार दे …
ना बच्चों का ख्याल रखें ….
और दूसरी तरफ रिया…
पूरा घर भी उसका कितना अच्छे से सजा हुआ , साफ सुथरा था….
खुद भी कितनी प्यारी लग रही थी साड़ी में …
और अपनी बेटी और पति की भी कितनी केयर करती है ….
लेकिन रिया है कि मुझसे बात ही नहीं करना चाहती….
एक दोस्त की तरह बात तो कर सकती है….
सुबोध का मन नहीं माना….
उसने रात 2:00 बजे रिया को फोन लगा दिया…
इधर रिया सुबोध का फोन देखकर बाहर दूसरे कमरे में आ गई…..
सुबोध को चैन आया कि चलो रिया ने उसका नंबर ब्लॉक से हटा दिया है….
उसने दोबारा फोन किया ….
इस बार रिया ने फोन उठा लिया….
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नाजायज रिश्ता (भाग -23)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi
तब तक के लिए जय खाटू श्याम ….
मीनाक्षी सिंह
आगरा