नाजायज रिश्ता (भाग -20)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

जैसा कि अभी तक आपने कहानी “नाजायज रिश्ता “में पढ़ा कि विभू  की तबीयत खराब हो गई थी….रिया उसे अस्पताल लेकर के आई….जहां उसके जरूरी चेकअप हुए….और डॉक्टर ने अगले दिन रिपोर्ट आने के लिए बोला….सुबोध भी रिया के बुलाने पर होस्पिटल  पहुंच चुका है …उसने  अपनी तरफ से उनकी हर संभव मदद की…..

विभू को डिस्चार्ज कर दिया गया है ….सुबोध ने  अपनी गाड़ी से उन्हें उनके घर पर ड्रॉप कर दिया…और जरूरत पड़ने पर बुलाने का बोल अपने घर वह  आया है….इधर विभू  रिया के पूछने पर  बता रहा है…कि वह ऑफिस में मानसिक तनाव में है….जब वह इस शहर में नया-नया आया था….तब उसके ऑफिस में एक महिला हेड थी…जिनका नाम रागिनी था….और उधर सुबोध अपने घर आया है….अपने घर का हाल देख वह सीधा…..

अब आगे….

आज सुबोध के बेटे का बर्थडे है….

वह अपने पापा को देख तुरंत ही  गोद में आ जाता है ….

वो  नंगा,,गंदा सा,,चेहरे पर  बहती हुई नाक ,,, बस रो रहा था….

सुबोध ने तुरंत अपने बेटे को गोद में ले लिया….

अपना बैग और सामान वहीं पटक दिया….

क्या हुआ ….??

तुम ऐसे क्यों घूम रहे हो बिट्टू….??

मम्मा कहां है….??

मम्मा फ़ोन चला रही है पापा…..

सुबोध बहुत अच्छी तरह से जानता था ….कि उसकी पत्नी पर बच्चों के लिए बिल्कुल भी समय नहीं है ….

उसकी बेटी भी पापा की आवाज से बाहर आ गयी….

पापा भूख लगी है …. सुबह से कुछ नहीं खाया….

बेटी स्वीटी बोली….

सुबोध  तिलमिलाता  हुआ अंदर अपनी पत्नी रोशनी के पास आया ….

जो जींस टी शर्ट पहने अपने हाथों में फोन लिए किसी से बात कर रही थी…..

और उसके कानों  में ईयरफोन लगे हुए थे …

सुबोध को गुस्सा आया….

उसने रोशनी के कान  से ईयरफोन हटाए….

और उसने  चिल्ला कर बोला….

रोशनी….

रोशनी ने हड़बड़ा के अपना फोन काट दिया….

क्या हुआ ….??

क्यों गुस्सा हो रहे हो…??

आ गये….

आयेँ ही क्यूँ ….

रोशनी बोली….

तुम्हें दिख नहीं रहा है….

बिट्टू का आज बर्थडे है….

आज के दिन भी बच्चे ऐसे घूम रहे है ….

कुछ तो शर्म करो रोशनी….

मैं पूरा दिन ऑफिस में काम करता हूं….

तुम घर पर भी कोई काम नहीं करती हो….

बस तुम्हें अपने शौक  श्रृंगार इसी से मतलब है….

जब बच्चे के पापा  को ही मतलब नहीं ….

कि उसके बेटे का जन्मदिन है….

उसे घर पर होना चाहिए….

तो मुझे ही क्यों मतलब हो …

मुझे तो नहीं चाहिये थे ये बच्चे….

क्यूँ लाये इन्हे दुनिया में….

गलती कर दी मैने रोशनी….

तुम्हे समझ नहीं पाया….

पता होता कि तुम इनके साथ ऐसा व्यवहार करोगी तो इन्हे आने ही ना देता….

सुबोध बोला…

चलो अब बर्थ डे मना लेते है बिट्टू का….

जन्मदिन तो आते रहेंगे ….

मुझे कोई मतलब नहीं ….

गो टू हेल…

यह बोल रोशनी फिर से फोन पर लग गई ….

सुबोध जानता था की रोशनी बदलने वाली नहीं….

जब से आई है….

वो  इस तरीके की है ….

सुबोध ने शादी अपने परिवार के दबाव  में कर तो ली….

लेकिन वह रोशनी के स्वभाव से बिल्कुल भी परिचित नहीं था…..

बच्चे तो हो ज़ाते है ..ज़ानवरों के भी हो जाते हैं ……

उनके भी हो गये….

सुबोध कुछ ना बोला ….

उसने अपने बेटे को पहले चुप कराया….

उसके लिए केक और बाकी सामान लेकर के आया था….

जाकर के उसने बाथरूम में अपने बेटे को नहलाया….

उसके लिए लाए हुए नए कपड़े उसे पहनाये….

स्वीटी तुम भी पहन लो ये कपड़े …

सुबोध ने स्वीटी को कपड़े दिये…

पापा बहुत अच्छी ड्रेस है …

स्वीटी बहुत खुश थी….

सुबोध ने केक निकाला…

और बाकी सामान निकाले…

ज़िसे  देखकर के बिट्टू बहुत खुश हो गया ….

अरे  पापा…

तुम इत्ती  साली  चीज लेकल  आए हो ….

आप बहुत अच्छे पापा हो….

सुबह से तुमने कुछ खाया बिट्टू….??

नहीं पापा …

मम्मा ने बस बूबू दे दिया था….

वही पिया  है ….

बिट्टू बोला…

ओह…

अच्छा रुको….

अभी केक काटेंगे …

पहले मैं तुम लोगों के लिए  कुछ बना दूं ….

जल्दी से सुबोध किचन में गया ….

पूरी किचन बिखरी  हुई थी….

सारे बर्तन सिंक में पड़े हुए थे….

सुबोध को कोई भी बर्तन खाना बनाने के लिए नहीं मिल रहा था…..

उसने एक कढ़ाई को साफ किया…

उसे गैस पर चढ़ाया …..

थोड़ा सा सूजी का हलवा बनाया ….

और उसे लेकर के आ गया….

पहले उसने ठंडा करके बच्चों  को हलवा  खिलाया….

खाने के बाद बच्चों के चेहरे पर खुशी के भाव साफ  नजर आ रहे थे ….

चलो पापा….

अब केक कांटे….

स्वीटी बोली…

पापा और  बच्चे तो आए नहीं है….

तुम बोलकर नहीं आए बेटा ….??

पास के बच्चों से ….

मम्मा ने कहा ही नहीं ….

कोई बात नहीं….

आपके पापा है ना….

हम सब  मिलकर आपका बर्थडे मनाएंगे ….

सुबोध  बोला…

सुबोध रिया को सिर्फ इसलिए ही अपने घर  बुलाना चाहता था….

कि वह समझ सके कि  जिस सुबोध  को वो बहुत खुश समझ रही है ….

उसके दोस्त के क्या हाल हैं ….

सुबोध  भी नए कपड़े पहनकर तैयार हो गया….

पापा मम्मा  को बुला लाऊँ….??

हां बेटा …

बुला लो….

छोटा सा बिट्टू अपनी  मां के साथ केक काटने की जिद कर रहा था ….

बिट्टू अंदर मां के पास गया….

जो अभी भी फोन पर लगी हुई थी….

मम्मा चलो ना केक काटते हैं ….

पापा केक लेकर आए हैं ….

ओह तो तुम्हारे पापा को इतना याद था …

कि केक लाना है …

यह तो चलो बहुत अच्छी बात है…

रोशनी अपनी आंखें बड़ी कर देखने लगी …

वह जरा भी खुश नहीं थी….

बेटे के  कई बार जिद करने पर वह बाहर आ गई ….

सुबोध ने रोशनी की तरफ देखा भी नहीं …

उसने बिट्टू को अपनी गोद में लेकर केक कटवाया…

हैप्पी बर्थडे के साथ में तालियां बजाई …

स्वीटी जोर जोर से बोल रही थी …

हैप्पी बर्थडे बिट्टू ….

ज़िसे  देख  बिट्टू के चेहरे पर हंसी आ गई….

सुबोध  ने बच्चों के  2-4 फोटोस लिए ….

और बिट्टू के चेहरे पर केक लगा दिया…

हैप्पी बर्थडे मेरे बेटे…

तू हमेशा ऐसे ही खुश रहे ….

और  तुझे मेरी भी उम्र लग जाए ….

सुबोध बोला…

केक काटते   ही रोशनी फिर से अंदर कमरे की ओर जाने लगी….

जा कहां रही हो….??

मैं थकाहारा ऑफिस से आया हूं ….

खाना नहीं बनाओगी ….??

भूख लगी है ….

तो बना लो खुद….

मुझे तो भूख नहीं है…

रोशनी बोली….

बिट्टू  स्वीटी तो भूखे  है….

इनके लिए तो कुछ बना दो ….

बिट्टू को दूध दे दो….

रखा हुआ है …..

नया पैकेट है   उबाल लेना……

इतना बोल फिर से रोशनी अंदर चली गई….

मन तो हुआ सुबोध का कि  रोशनी के  गाल पर एक तमाचा ज़ड़ दे ….

लेकिन बस रोशनी के परिवार,,उसके माँ बाप का सोचकर चुप रह जाता था ….

क्योंकि उसके मां-बाप ने उसे हाथ जोड़कर कहा था….

कि उनकी  बेटी का स्वभाव थोड़ा इस तरह का है …

आप ही उसमें  बदलाव ला दे तो अच्छा है….

उन पर पांच बेटियां थी …

जिसमें अभी तीन बेटियों का ब्याह और बाकी था….

अगर उनकी बेटी को वह तलाक दे देता…

तो उनके ऊपर और बोझ बढ़ जाता ….

बस यही सोच कर सुबोध इतने सालों से निभाता आ रहा था ….

रात हो चली थी ….

सुबोध का मन हुआ रिया से फोन कर विभू के हाल-चाल जान ले…..

लेकिन उसने फिर उनके जीवन में दखल ना  देना ही सही  समझा….

वह बिट्टू और स्वीटी को लेकर के सो गया….

इधर विभू  रिया को बता रहा था….

कि उसके ऑफिस में जो रागिनी थी….

उसका स्वभाव इस तरह का था….

कि  जो उसकी जी हजूरी करें ….

वह तो उसके लिए अच्छा है….

लेकिन जो ना करें…

उसको बहुत ही परेशान करती थी….

उसने कई बार मेरी दी हुई फ़ाइल को भी पास नहीं किया….

मैं बहुत परेशान रहता….

कई बार फाइल को चेक करता  फिर भी रिया वो हर बार कुछ ना कुछ कमियां निकाल देती……

एक बार मैंने उसका बहुत विरोध किया…..

मैंने उसके खिलाफ एक कंप्लेंट कर दी….

कि वह मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है….

लेकिन  उसकी पहुंच ऊपर तक थी….

उसने मुझ पर गलत तरीके से अंजाम लगाकर जेल भिजवाने की कोशिश की….

लेकिन मेरे स्टाफ वाले मेरे समर्थन में उतर आए….

और उन्होंने मुझे बचा लिया….

सभी ने मेरा साथ दिया…..

और मैडम के खिलाफ मिलकर के आवाज उठाई…..

फिर हमारे सीनियर  सर ने उनका ट्रांसफर कहीं और करवा दिया…..

लेकिन उसके बाद भी उनके कुछ चमचे हैं ….

जो उनकी तरह के हैं….

जो अभी भी परेशान करने में लगे हुए हैं …..

वह कोई काम नहीं करना चाहते….

कोई भी काम आता है….

सीधा मेरे पास भेज दिया जाता है……

अपना भी काम करता हूं….

बस यह लगता है ….

कि कोई भी काम ,,किसी का भी,,,हमारी वजह से रुकना नहीं चाहिए ….

सरकार हमें पैसा दे रही है …

तो उसका हमें नाजायज फायदा नहीं उठाना चाहिए…

बस रागिनी इसी वजह से काम का प्रेशर बहुत ज्यादा हो जाता है…..

तो ये बात है ….

आप मुझे बताते तो कम से कम आपका मन तो हल्का होता…

रिया बोली….

कोई बात नहीं रिया….

आज से तुम्हें अपने मन की हर बात बता दिया करूंगा …..

सुबह हो गई थी….

रिया अभी भी  सो रही थी….

विभु उठा….

रिया तुम अभी तक सो  रही हो…??

तुम्हें आज ऑफिस नहीं जाना….??

8:00 बजने को आए…

9:00 बजे तुम्हें पहुंचना है….

जल्दी करो …..

जी नहीं…

मैं अब नौकरी नहीं करूंगी….

सर से फोन पर कह दूंगी ….

प्राइवेट नौकरी है  इस्तीफा देने की भी जरूरत नहीं….

यह क्या कह रही हो रिया……??

जी मैँ  समझ गई हूं कि नौकरी इतनी जरूरी नहीं….

जितना परिवार है और आप है ….

आप हमारे घर  की जिम्मेदारी संभालने वाले हैं….

बस आपका और अपनी बिटिया का ख्याल रखूंगी….

यह बाहर की चका चौंध और यह सब चीज मुझे पसंद नहीं आई….

रिया बोली ….

रिया की यह बात सुनकर विभू  की खुशी का ठिकाना नहीं था….

वह तो बस यही चाहता था….

कि रिया यह नौकरी ना करें ….

रिया की खुशी के लिए ही बस वो करने दे रहा था….

ओह रिया ….

तुम जानती नहीं हो….

तुम्हारी इस बात से  मुझे कितनी खुशी मिली…..

आज से मैं ऑफिस में भी टेंशन फ्री रहूंगा…..

कि मेरी गुड़िया के पास उसकी मां है ….

अभी तो आप छुट्टी पर है ना…..??

वैसे तो रिया ठीक फील कर रहा हूं ….

अगर तुम कहो तो ऑफिस चला जाऊं….??

ना कहो तो रुक जाऊँ….

कहीं घूमने चलेंगे ….

क्या सच में…??

रिया बोली ….

हां हां…

मूवी देखना पसंद है ना….

चलो आज शाम को देखने चलते हैं …

विभू  बोला….

पहले आपकी तबीयत ठीक हो जाए….

एक-दो दिन बाद चलेंगे…

तुम तो बड़ी समझदार हो गई हो….

पहले तो तुम मूवी के नाम पर ऐसे चहक उठती  थी ….

कोई भी जरूरी काम क्यों ना हो….

तुरंत चलने को तैयार रहती थी….

जी….

धीरे-धीरे समझदारी आ रही है….

आपकी पत्नी में….

रिया बोली….

दोनों ठहाके  मार कर हंसने  लगे…..

रिया का मन सुबोध के हाल-चाल जानने का था….

उसने सोचा की लाओ  फोन कर उसके  बेटे  को जन्मदिन ही  विश कर दूं ….

रिया ने सुबोध  को फोन लगाया….

सुबोध अपने बेटे को नहला रहा था…

उसने दो बार फोन नहीं उठाया ….

तीसरी बार फोन करने पर सुबोध की पत्नी रोशनी ने फोन उठाया…..

हेलो आप कौन….??

रोशनी बोली…

इधर विभू की रिपोर्ट भी आ चुकी थी…..

अगला भाग

नाजायज रिश्ता (भाग -21)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

तब तक के लिए जय माता दी….

मीनाक्षी सिंह

आगरा

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!