जैसा कि अभी तक आपने कहानी “नाजायज रिश्ता” में पढ़ा कि सुबोध रिया को बताता है…कि उसकी भी शादी हो चुकी है….उसके दो प्यारे बच्चे हैं…जिसे सुन रिया को थोड़ा जलन महसूस होती है ….रिया घर आई है ….कि विभू की तबीयत खराब है ….उसे पसीना आ रहा है …उसकी सांस उखड़ रही हैं….
वह तुरंत विभू को लेकर एंबुलेंस से हॉस्पिटल आती है…उसे कुछ नहीं सूझता क्योंकि अनजान शहर है….तो वह सुबोध को फोन लगाती है….कि वह आ जाए ….तभी डॉक्टर से पूछने पर कि विभू को क्या हुआ है….डॉक्टर ने रिया को अंदर बुलाया है….
अब आगे….
हां जी…..सर ….
कहिए….
इन्हें क्या हुआ है…??
रिया घबराती हुई बोली…
जी…
देखिए….
मैं आपको क्लियर बता दूं ….
कि आपके हस्बैंड पर वर्कलोड बहुत ज्यादा है….
चाहे वह घर में हो….
या ऑफिस में….
कहीं पर भी….
तो इन्हें प्रेशर मत दीजिए….
और इन्हें खुश रखिए …
इन्हे एनिमिया है….
और बीपी इनका लो रहता है….
अभी और टेस्ट होंगे…
तब कंडीशन क्लियर पता चलेगी ….
आखिर प्रॉब्लम क्या है….
क्या इनके साथ पहले भी ऐसा हो चुका है …??
डॉक्टर रिया से पूछता है ….
जी सर….
कई बार पहले भी ऐसा हुआ है ….
पसीना आता है इन्हे …
चक्कर आते हैं….
और एकदम से ये गिर जाते हैं….
जांच करनी पड़ेगी …
बस ऊपर वाले से ही मनाइए ….
कि कुछ भी ऐसा वैसा ना हो …
रिया घबरा गई ….
सर रिपोर्ट कब तक आएंगी …??
मैम कल तक आ जाएंगी….
आप घबराइए नहीं….
डॉक्टर बोला….
तब तक इन्हे घर ले जा सकती हूं मैं ….??
जी ….
अभी नहीं….
इन्हें हम 24 हॉर्स ऑब्जर्वेशन में रखेंगे ….
इनकी कंडीशन देखेंगे….
तभी इन्हें हम डिस्चार्ज करेंगे….
ओके सर ….
यह बोलकर रिया बाहर आ गई ….
वह विभू के पास बैठी बस रो रही है ….
और उसके हाथ को अपने हाथ में ली हुई है….
तभी सुबोध हांफता हुआ आया…..
पहले वह रिसेप्शन पर गया….
जी…
विभू सर कहां पर हैं…??
उसने पता लिया ….
वार्ड नंबर 14 में …
सुबोध दौड़ता भागता वार्ड नंबर 14 में आया ….
वहां पर रिया को बैठा देख वह दरवाजे पर ही अपने सीने पर हाथ रख खड़ा हो गया….
उसकी सांस में सांस आयी….
सुबोध रिया के पास आया ….
रिया विभू सर को क्या हुआ….?
मुझे तो लगता है…
तुम्हारी ही हाय लग गई सुबोध….
रिया गुस्से में बोली…
ऐसा क्यों बोल रही हो रिया….??
तुम्हें पता है ….
जब से तुमने बताया है….
मेरी क्या हालत हो गई है….
इतनी तेज बारिश में भी कैसे दौड़ता भागता आया हूं….
तुमसे बात चाहे कैसी भी कर लूं रिया….
लेकिन मैं इतना बुरा नहीं ….
इतना तो तुम जानती हो….
ईश्वर मेरी जान ले ले….
लेकिन विभू सर को सही सलामत रखे….
सुबोध के मुंह से यह बात सुन रिया उसके चेहरे की ओर देखने लगी ….
आज तो तुम्हारे बेटे का बर्थडे है ना ….??
मैं भूल गई थी….
तो तुम्हें आज वहां होना चाहिए ….
नहीं नहीं….रिया…
इससे ज्यादा जरूरी कुछ नहीं ….
मेरी एक दोस्त को और मेरे सर को आज मेरी जरूरत है….
बर्थडे तो और भी आते रहेंगे ….
अच्छा यह बताओ….
सर अब कैसे हैं ….??
पता नहीं ….
डॉक्टर ने बोला है….
जब होश आ जाएगा….तब बता सकते है …..
कल तक देखेंगे ….
तभी डिस्चार्ज करेंगे….
इनकी तबीयत अचानक से कैसे खराब हो गई सुबोध….
सही-सही बताना मुझे ऑफिस में क्या इनके ऊपर वर्क प्रेशर ज्यादा है….??
घर में तो ऐसी कोई बात नहीं ….
कोई काम भी नहीं करते हैं ….
रिया सुबोध से पूछती है….
मैं सच-सच बताऊं …
रिया तो सर बहुत ही सीधे हैं….
इसका फायदा ऑफिस में सभी लोग उठाते हैं….
शायद उन्होंने कभी तुमसे ना बोला हो …
यह चीज मैंने पिछले दो हफ्ते से आने के बाद यहां नोटिस की है…..
मैं तुम्हें बताना भी चाहता था….
लेकिन तुम फोन पर बात ही नहीं करना चाहती हो…
ऐसा है क्या..
ठीक है सुबोध मैं तुमसे पूछती रहा करूंगी….
अब मुझे ही इन्हें ठीक करना होगा….
यह सच में बहुत ही अच्छे हैं….
कभी आज तक मुझे अपनी तकलीफ नहीं बताई इन्होंने ….
रिया तुमने कुछ खाया ….??
सुबोध बोला..
नहीं मुझे कुछ नहीं खाना….
तुम्हारी बेटी कहां है??
सुबोध वार्ड में नजर डालते हुए बोला….
वो पास वाली आंटी को दे आई हूं ….
घबरा गई थी…
सोचा हॉस्पिटल में कैसे रखूंगी इसे….
इधर-उधर भागा दौड़ी रहेगी….
इसलिए उन्होंने कहा मैं रख लूंगी गुड़िया को….
तो मैं ले आऊं तुम कहो तो ….??
सुबोध बोला…
वैसे मैं सर के पास हूं….
अगर तुम घर जाना चाहो तो चली जाओ…??
नहीं नहीं….
तो जब तक ये ठीक नहीं हो जाएंगे….
तब तक कहीं नहीं जाऊंगी….
मैं इन्हें लेकर ही जाऊंगी….
तुम्हे जैसा ठीक लगे….
रिया मैं घर से खाना लेकर आया हूं …
थोड़ा सा तो खा लो …
नहीं सुबोध इन्होंने खाना नहीं खाया है…..
तो मैं कैसे खा सकती हूं….
यह बोल रिया की आंखों से आंसू छल्ल से निकल पड़े….
सुबोध ने रिया के आंसू पोंछे ….
सुबोध की आंखों में भी आंसू आ गए थे….
वह कुछ ना बोला बाहर आ गया….
थोड़ी देर में जब सुबोध नॉर्मल हुआ …
तो रिया के पास आया…
अच्छा रिया….
मैं तुम्हारी गुड़िया को ले आता हूं ….
तुम यही रहना ….
रात में वह परेशान कर लेगी आंटी को ….
ठीक है सुबोध….
सुबोध चला गया….
1 घंटे बाद वह रिया की गुड़िया को लेकर आया ….
जो रिया को देखते ही हाथ पैर मारने लगी….
रिया ने उसे अपने सीने से लगा लिया ….
और उसे विभू के पास लेकर गई….
विभू को देखकर गुड़िया पापा बोलकर अपने पापा को जागने लगी….
सच में रिया….
मैँ बहुत गलत था….
चाहे कोई भी रिश्ता क्यों ना हो….
कितना भी गहरा रिश्ता…पुराना रिश्ता क्यों ना हो….
लेकिन जो रिश्ता इंसान सात फेरें लेने के बाद बांधता है उसको तोड़ना इतना आसान नहीं….
देखो कैसे अपने पापा को देखकर के मचल उठी तुम्हारी छोटी सी बेटी ….
सुबोध बोला…
अच्छा तो सुबोध अब मैं देख लूंगी ….
तुम अपने घर जाओ….
अपने बेटे का जन्मदिन मनाओ….
वह बस थोड़ा घबरा गई थी ….
इसलिए तुम्हें फोन कर दिया…
कोई बात नहीं रिया…
तुमने अपने घर पर फोन कर दिया है …??
नहीं नहीं सुबोध….
अभी नहीं बताया है किसी को….
ये ठीक हो जाए तब बताऊंगी ….
नहीं तो मेरी आवाज सुनकर सब घबरा जाएंगे….
लेकिन रिया तुम यहां अकेली हो….
कम से कम किसी को तो इन्फॉर्म कर दो ….
कर दूंगी सुबह….
लेकिन अभी नहीं ….
ठीक है रिया ….
तभी थोड़ी देर में डॉक्टर आए ….
उन्होंने कहा ….
अब इनकी हालत पहले से स्थिर है …
थोड़ी देर में होश आ जाएगा….
फिर इन्हें थोड़ा चाय बिस्कुट दे दीजिएगा ….
और बस हंसी खुशी का माहौल बनाए रखिएगा….
ऐसा महसूस मत होने दीजिए…
कि इन्हे कुछ हुआ है….
ठीक है सर ….
सुबोध बोला…
वो रिया को हंसाने की कोशिश करने लगा….
तरह-तरह के मुंह बनाने लगा….जैसा उसका स्वभाव था …
गुड़िया भी सुबोध को देखकर हंसने लगी….
थोड़ी देर में ही उसने वहां का माहौल बहुत ही ह्ल्का कर दिया…..
कुछ ही देर में विभू को होश आया….
सुबोध उससे पहले ही बाहर जाकर एक फूलों का गुलदस्ता भी विभू के लिए ले आया….
उसने विभू को गुलदस्ता दिया….
लीजिए सर….
आपके लिए….
मुझे क्या हुआ रिया….
सुबोध तुम यहां कैसे ….??
सर….
बस कुछ नहीं ….
थोड़ा सा आपकी तबीयत ठीक नहीं थी ….
तो इसलिए आपका चेकअप कराने आ गए हम दोनों ….
ओह अच्छा….
मुझे तो पता ही नहीं….
मुझे क्या हुआ….
जी …
आप बिल्कुल ठीक है….
परेशान मत होईये…
थोड़ी देर में डॉक्टर डिस्चार्ज कर देंगे….
फिर हम घर चलेंगे ….
थैंक यू सो मच सुबोध….
अंजान शहर में तुमने हमारी हेल्प की….
नो नो सर …
आप ऑफिस में मेरी कितनी हेल्प करते हैं….
कोई भी वर्क हो आप कितने भी बिजी क्यों ना हो …
मुझे तुरंत समझाते हैं….
इसके लिए मैं आपका शुक्रगुजार हूं ….
सुबोध बोला….
सुबोध बाहर से जाकर चाय और बिस्किट ले आया….
उसने निकालकर विभू को अपने हाथों से खिलाय़ा …
जिसे रिया बहुत ही गहराई से देख रही थी….
उसे अब सुबोध बिल्कुल गलत नहीं लग रहा था ….
वह सोच रही थी कि शायद मैं ही गलत थी …
डॉक्टर साहब ने विभू को डिस्चार्ज कर दिया….
सुबोध अपनी गाड़ी में बैठा कर रिया और विभू को ले आया….
और उन्हें घर पर ड्रॉप कर दिया ….
रिया….
एक बात सुनो…
शाम को अब एक-दो दिन तक खाना मत बनाना…
मैं सुबह शाम खाना दे जाया करूंगा…
इधर से होकर ही ऑफिस निकलता हूं….
नहीं नहीं ….
इतनी फॉर्मेलिटी की जरूरत नहीं है ….
मैं कर लूंगी….
रिया बोली….
तुम परेशान मत हो …
तुम ऑफिस में बस अपना काम संभालो ….
और मेरी एप्लीकेशन भी दे देना सर को….
बाकी मैं ऑनलाइन भी अप्लाई कर दूंगा ….
विभू बोला….
ठीक है सर ….
आप आराम कीजिए ….
जब तक चाहे तब तक छुट्टी लीजिए ….
वैसे भी वो साले बहुत ही परेशान कर दिए हैं आपको….
थोड़ा दिन उन्हें भी झेलने दीजिए….
सुबोध थोड़ा कड़ाई से बोला ….
विभू रिया की ओर देखकर कुछ नहीं बोला ….
रिया विभू को बहुत ही गुस्से की नजरों से देख रही थी…..
अच्छा रिया मैँ चलता हूं…..
ये दवाइयां है …..
और खत्म हो जाए तो मुझे बता देना…..
किसी चीज की जरूरत हो तो भी….
ठीक है….
सुबोध चला गया…..
रिया ने दरवाजा बंद किया….
वो जाकर के विभू के सीने से लग गई ….
और बहुत देर तक रोती रही….
पता है जी ….
आप जब बीमार हो गए….
तो मेरा मन हुआ….
कि मैं भी मर जाऊं….
कुछ भी समझ नहीं आ रहा था ….
मैं क्या करूं …
रिया तुम सच में पागल हो….
अब आपका पूरा ख्याल मुझे रखना है….
और आपके ऑफिस में क्या बात चल रही है….
प्लीज मुझे बताइये….
मुझे सुबोध ने बताया….
बताता हूं रिया बैठो …
ध्यान से सुनना …
हां हां जी ….
मैं सुन रही हूं …
बोलिए…
मेरे ऑफिस में जब मैं यहां एक साल पहले काम करने आया था….
एक रागिनी नाम की महिला थी….
जो कि यहां की हेड थी ….
इधर सुबोध गाड़ी से अपने घर पहुंचा है….अपने घर का नजारा देख वो सीधा…..
अगला भाग
नाजायज रिश्ता (भाग -20)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi
तब तक के लिए जय श्री श्याम ….
मीनाक्षी सिंह
आगरा