नाजायज रिश्ता (भाग -1)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

का हो बिटवा……देख आयो  छोरा…….

खाट पर बैठी अम्मा बेटे रघुवीर  से बोली……

हां अम्मा…..देख आए……

का कुछ बात बनी…….??

अच्छा पहले शिकंजी पी लैं…..

फिर बता का कही छोरा वारों ने……

का बताऊं अम्मा…….बाकी सब बढ़िया…..

हमारी लाली रिया तो उन्हे पहली नजर में ही पसंद आ गयी थी ……

छोरा सरकारी नौकरी में है……

घर परिवार से भी भले लोग हैं…..

ज्यादा मांग भी ना है अम्मा……..

बस एक ही जगह पर आकर बात अटक रही है……

गमछे से अपने माथे पर आए पसीने को पोंछते  हुए रघुवीर जी  अपनी मां सुशीलाजी  से बोले…….

का  बात अटक  रही लला…..

जरा बता…..

अरे वही अम्मा……

पता तो है तुम्हें……..छोरा हमारी लाली रिया से 11 साल बड़ा  है……

तुम ही बताओ अम्मा………

समझ ना आ रहा……

हमारी रिया 20  की और छोरा 31 का……

तभी हाथों में शिकंजी लिए रघुवीर जी की पत्नी वैभवी आयीं……

जी मैंने पहले भी आपसे मना किया था कि इस घर में रिश्ता ना करो……हमारी रिया तो पसंद आनी ही थी उन्हे ……

तब भी मैंने मना किया ……जब यह हमारी  छोरी को देखने आए वो सब……

आप तब भी ना माने ……

मुझे ना करनी इतने बड़े छोरा से शादी अपनी  बिटिया की ……

वैभवी जी तांव में बोली……

क्यों ???

मैं भी तो तुझसे   10 साल बड़ा  हूं ……

आज तक कोई समस्या आई क्या ???

आपसी समझ अच्छी है …..

अच्छी घर  गृहस्थी  चल रही है……

तू ही बता  सरकारी नौकरी वाले  लड़के आजकल मिल ही कहां रहे हैं ……

और हमारी रिया भी कौन सी ज्यादा पढ़ी लिखी है …..

बीए  ही तो किया है उसने…..

पता चला यह लड़का भी हाथ से निकल जायें……

तभी अम्मा बीच में टोकती  हुई बोली ……

कर दे तू यहां ब्याह लला…मैँ कह रही……

 अपनी सरला  भी तो दामाद जी से 12 साल छोटी है…..

और वो  कुमुद ….. वह तो 14 साल ……

खूब बढ़िया घर चल रहा……

अपनी लाली का घर  भी  बढ़िया ही चलेगो……

समझदार है छोरी……

तो बात पक्की तो कर आया ना???

सुशीला जी बोली….

हां अम्मा …..

लगभग तो बात पूरी हो गई है…..

बस तुम लोग और एक बार पक्की कर दो …..

तो कल तक उन्हें बोल दूं ……

जल्दी ही लगुन सगाई और शादी की तारीख पंडित से निकलवा लूँ……

ठीक है लला…..कर ले कल बात…..

अच्छा दिन है सोमवार ……

रिया छत पर बैठी अपनी छोटी बहन पिंकी के साथ खेलने में मस्त थी ……

तभी उसकी मां वैभवी अपनी बिटिया के पास आई …..

और भावुक होते हुए उसे गले से लगा लिया …..

क्या हो अम्मा काहे रो रही…….??

पापा बात पक्की कर आयेँ क्या ???

हां  लाली शादी की बात हो गई पक्की ……

अब तू सासुरे  चली जायेंगी…..

वह तो अम्मा सबको जाना है …..

क्यों रो रही हो …..

पापा कह रहे  कि लड़का  सरकारी नौकरी में है ….

तो तुम्हें परेशान भी नहीं करूंगी …..और खुशी से रहूंगी…..

कितने सारे गहने कपड़े मिलेंगे…..

मैं अच्छे से रहूंगी अम्मा ……

तुम फिकर ना करो…..

खूब ख्याल रखूँगी  सबका…..

और तुम भी तो कौन सी दूर हो……

तुमसे भी मिलने आ जाया करूंगी ……

अरे हट पगली……

लड़कियां जाने के बाद क्या अपनी मर्जी से आ पायें हैं ……

जब ससुरार  वाले इजाजत देवे  …..

तभी तू आ पाया करेगी……

लाली बस तू खुश रह…..

यही चाहूँ हूँ…..

रिया अपनी मां से एक छोटी बच्ची की तरह गले से लग गई……

बस अगले दिन ही पंडित जी को बुलाकर रघुवीर जी ने सगाई और शादी की डेट पक्की करवा ली……

24 मई की सगाई और 10 जून की शादी ……

घर में खूब हंसी  खुशी का माहौल था……

धीरे-धीरे सगाई की डेट भी पास आ रही थी …..

अम्मा भी सभी रिश्तेदारों को फोन कर न्यौता  दे रही थी……

कि समय पर आ जइयो…..

कोई अबेर  ना करियो…..

मेरा रघुवीर अकेले हैं……

आकर हाथ बटाये  दियो…..दस काम होवे है ब्याह वारे घर में….

लगभग सभी तैयारियां पूरी थी ….

रिया भी तैयार होने में व्यस्त थी…..

तभी उसके फोन पर मैसेज आया ….

हेलो रिया…..

आई एम विभू ……

आपका  होने वाला  जीवनसाथी …..

यह  मैसेज देखकर रिया शर्मा गई ….और अपने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया…..

आप कैसी लग रही है सगाई में ???

क्या मुझे फोटो भेजेंगी  …..

ज्यादा बेक़रार मत होइये जनाब…..

मैं कुछ ही समय में मैं आपके सामने होऊंगी….

तभी देख लीजिएगा …..तब तक दिल थामकर बैठिये…..

समझे……

रिया ने  इतना मैसेज किया …..

और  तैयारी में फिर व्यस्त हो गई…..

शाम को सगाई थी …..

धीरे-धीरे करके सभी मेहमान गेस्ट हाउस की तरफ पहुँच  रहे थे…..

शाम हो चली थी…..

अम्मा भी सूती   नीले रंग की साड़ी पहने बहुत ही खूबसूरत लग रही थी …..

क्या अम्मा……

तुम तो इस उम्र में भी क़यामत ढ़ाये  हो …..

बाबा होते तो तुम्हें देखकर आज फिर से ब्याह कर लेते …….

चुटकी लेती हुई बड़ी बहू बिन्दू बोली……

चुप कर…..

ज्यादा ही टांग खींचे है मेरी …..

वह तो मुझे भी पता है ….

मैं हूं ही मलूक…..

चलो सब की सब अब निकरो…..

एक जना घर पर रहना……

ए सुशीला……

देविका  से कह दे…..

वह घर पर रुकेगी……

बाकी सब लोग  जाएंगे……

ऊपर की साकर  लगा देगी…..

बाहर का गेट लगा लेगी…..

शादी विवाह का घर है ……

हर एक की नजर होगी…….

और चौकन्नी नींद सोवे …..

उसे समझा कर जाना…..

घर की बत्ती जला कर रखेगी…..

दिया बाती कर देगी…..

शुभ समय है….

घर में अंधेरा ना रखें…..

ठीक है अम्मा ….

जैसे तुम कह रही……

मैं समझा दूंगी जीजी को…..

अम्मा और सभी मेहमान बोलोरो गाड़ी में बैठे…..

और गेस्ट हाउस की तरफ चल दिए……

सगाई  का समय भी पास आ गया…..

रघुवीर जी साफी कुर्ता पजामा पहने …..

सर पर पगड़ी बांधे मेहमानों के स्वागत में गेट पर ही खड़े थे ……

तभी लड़के वाले गाड़ी से उतरे …….

आगे की कहानी के लिए थोड़ा इंतजार ……

दो दिन के बाद फिर से मिलते हैं कहानी नाजायज रिश्ता में…….

आपको यह पहला अंक कैसा लगा ???

कृपया बताएं …..

और अंत तक कहानी में  बने रहे …..

शुरुआत में कहानी से इतना अपनापन नहीं बन पाएगा ……

लेकिन अगर आप पढ़ते  जाएंगे तो कहानी अपने आप आपको खींचती चली जाएगी…..

आपकी सकारात्मक प्रक्रियाओं का इंतजार है …..

और कुछ कमी है तो उसे भी बताइएगा …..

अगला भाग

नाजायज रिश्ता (भाग -2)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

आपकी प्रिय लेखिका…..

मीनाक्षी सिंह

आगरा

राधे राधे

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