Moral stories in hindi : बाहर कूड़ा फेंकने आयी मोहिनी से कमला जी बोली…..
मोहिनी कल तेरी सास क्या बोल रही थी ?? पता है तुझे….पड़ोस की रिश्ते में चचिया सास लगती हैँ कमला जी…
क्या बोल रही थी चाची मम्मी जी….. हाथ में कूड़े की बाल्टी लिए मोहिनी वहीं खड़ी हो गयी….
कमलाजी चारों तरफ देख बोली… यहीं बोली तेरी सास कि ऐसी बहू किसी को ना दे भगवान…. कल मेरा दही खाने का मन था… सामने बैठे बच्चे और बहू खाते रहे… जब मैने कहा बहू थोड़ा सा दही दे दे तो बोली… खत्म हो गया मम्मी जी… बस ज़माने भर का रखा हैँ…. ऐसे ही परसों बोली कि मायके से आयें रसगुल्ले सब चटकारे मारकर खा रहे… पर मुझे किसी ने सूंघने को ना दिया… रोज झूठे आंसू बहाके तेरी बुराई करती रहती हैँ… मैं तो तेरा भला चाहती हूँ बहू… इसलिये बता दिया तुझे… तू पूरे दिन इस घर में पीसती हैँ.. नतीजा क्या ??
तो क्या हो गया चाची… मम्मी जी ने कुछ गलत तो कहा नहीं…. मैं सच में नहीं देती उन्हे …. जल्दी जुकाम हो जाता हैँ उन्हे और शुगर भी है …. वो भी जानती हैँ ये….. पर बच्चे बूढ़े एक समान होते हैँ… अपने मन की आप लोगों से कहके मन हल्का कर लेती हैँ….. मन में रखेगी तो दिल की बिमारी हो जायेगी उन्हे … अन्दर ही अन्दर घुटती रहती… कह दिया अच्छा रहा चाची …. मुझसे कहती मम्मी जी तो सोचती कि मैं चार बातें ना सुना दूँ …. इसलिये इंसान ज़िसकी बात उससे नहीं कह पाता उसे किसी और से कहकर उसे संतोष मिलता हैँ….इसे चाहे बुराई कह लो य़ा कुछ भी … मुझे तो बिल्कुल बुरा नहीं लगा चाची…. मम्मी जी तो चुपके से दीदी (ननद) को भी बोलती हैँ…. मैँ सुन भी लेती हूँ.. और हंसकर चली ज़ाती हूँ… अपना काम करने लगती हूँ….
ठीक हैँ चाची चलती हूँ… राम राम….
चाची कमला बहू मोहिनी के मुंह से यह सुन सन्न पड़ गयी कि क्या ऐसी भी बहू होती हैँ… कोई और होती तो घर में लठ्ठ चलवा देती इतनी बात पर … उन्होने मोहिनी के सर पर हाथ रख दिया…
जीजी बड़ी किस्मत वाली हैँ… जो तेरी जैसी बहू मिली… जा तू …
मोहिनी कूड़े की बाल्टी लिए हंसते हुए अंदर चली गयी…
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा