नई माँ-रीटा मक्कड़

कितना खुश था रवि उस दिन जब उसको पता चला कि उसके पापा उसे लेने आ रहे हैं।उसकी दादी ने उसको बताया अब वो शहर में ही रहेगा। दो साल से उसको दादी दादू के साथ गांव में रहना पड़ रहा था। हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे। दो साल पहले रवि की मम्मी किसी दुर्घटना की वजह से उसको हमेशां के लिए छोड़ कर चली गयी थी। ऐसे में उसके पापा को समस्या आ गयी वो रवि को अकेले कैसे संभालते।मजबूरन उन्हें रवि को गांव में छोड़ना पड़ा ।क्योंकि अपनी नोकरी  के चलते उनके लिए मुश्किल था सात साल के बच्चे को अकेले संभालना।

परिवार वालों और रिश्तेदारों के कहने पर उन्होंने जल्द ही दूसरी शादी कर ली। अब रवि अपने दादी के घर और उसके पापा अपनी दूसरी पत्नी  रीना के साथ शहर में रह रहे थे । दो साल बीत गए।एक दिन पता चला कि रीना माँ बनने वाली है।

रीना का अब कोई भी काम करने को मन नही करता था। एक दिन वो अपने पति से बोली,”सुनो क्यों न हम रवि को यहीं पर बुला लें। आप तो सुबह जा कर रात को आते हो ।ऐसे में मैं घर पर अकेली रह जाती हूँ। मेरा भी दिल लगा रहेगा और रवि भी आपके पास रह कर खुश हो जाएगा और दूसरा बच्चा आने के बाद हमारा परिवार भी पूरा हो जाएगा।


रवि के पापा को भी ये बात पसंद आ गयी और वो दो ही दिन बाद जा कर गांव से रवि को लेकर आ गए कि चलो अब रवि यहीं रहेगा और शहर में अच्छे से पढ़ाई भी कर सकेगा।

रवि जब से अपने पापा के घर आया खुशी से फूले नही समा रहा था। अपनी नई माँ को भी उसने बहुत जल्द ही अपना लिया था। उनका घर कुछ इस तरह बना था कि मेरे घर से उनका आंगन दिखता था।

रवि के स्कूल में तो शायद अभी छुट्टियां चल रही थी ।वो दिन भर मुझे आंगन में आते जाते दिखता रहता था। कभी कूड़ेदान में कूड़ा फेंकने आता।कभी झाड़ू रखने आता तो कभी पोछे  वाला पानी गिराने। कभी सूखे कपड़े उठाने आता तो कभी सब्जी वाले से सब्जी लाने।यहां तक कि अब वो बाहर के छोटे मोटे काम भी करता था । पापा के जाने के बाद वो दिन भर भाग भाग के सारे काम करता रहता।

और मैं उसको देखकर ये सोच कर  उस बच्चे के लिएबहुत दुखी होती कि क्या सच मे उसकी नई माँ को अपने परिवार को पूरा करने के लिए बेटे की जरूरत थी या बिना पैसों के छोटू की।

जिस बच्चे का अभी ये हाल है तो अपना बच्चा आने के बाद उसकी नई माँ उसके साथ क्या न्याय कर पायेगी। क्या रवि के पापा का उसको अपनी दादी के घर से लाने का फैसला सही था??

स्वरचित एवम मौलिक

रीटा मक्कड़

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