नागिनी के कांटे – पूनम भटनागर : Moral Stories in Hindi

आज फिर आफिस से निकलने में लेट हो गया, अभी सब्जी भी खरीदनी है नहीं ‌तो रात क्या कल आफिस में क्या बना कर ले जाऊंगी। रेहू के दिमाग में आफिस से निकलते समय यही चल रहा था।  तभी सड़क पर वह ‌किसी से टकराते टकराते बची।

सोरी, मैं —जब रेहू ने आंख उठाकर सामने देखा तो सामने नमन को कविता के साथ देखकर कर गुस्से से भर गई।

वो दोनों भी उसे सामने पाकर हतप्रभ थे।

रेहू अपना रास्ता बदल कर चली गई। नमन का कुछ कहने के लिए उठा हाथ वैसे ही रह गया।

कविता, तूम कह रही थी न, कि रेहू को समझाऊं ,पर वह तो मेरी तरफ देखना भी नहीं चाहती।

हां , मैंने देखा कहते हुए कविता व नमन अपने घर की तरफ चल दिए।

उधर रेहू ने दिल में गुस्से से भनभुनाती हुई बिना सब्जी लिए घर आ गयी।

घर आकर सोफे पर बैठ गई। दिल फिर नमन की ओर चल पड़ा। पर आज नमन पहले की अपेक्षा अधिक उदास लग रहा था। दाड़ी भी ऐसा लगता था कि काफी दिन से बनाई नहीं है। उसने उठ कर अपने लिए चाय बनाई। चाय का कप लेकर वह बालकनी में आकर बैठ गई।

उसे याद आ गया अपने शादी का समय ‌, वह कितनी खुश थी अपनी व नमन की शादी से। नमन एक सोफ्टवेयर इंजीनियर था । शादी से पहले वो व नमन दो तीन बार मिले थे। उसे नमन एक सुलझा हुआ इंसान लगा। रेहू भी कारपोरेट में अच्छे पद पर नौकरी करती थी।

नमन को उसके नौकरी से भी कोई परेशानी नहीं थी। नमन के घर में माता पिता के अलावा एक बड़ा भाई है जो लंदन में रहता था। शादी भी बहुत धूमधाम से हुई। सब मेहमानों के चले जाने के बाद बड़ा भाई भी एक महीने रह कर चला गया। जब तक सब लोग थे, घर में चहल-पहल थी।

पर उनके जाने के बाद बस माता पिता ही रह गए। एक महीने की छुट्टी के बाद दोनों ने अपने अपने आफिस जाना शुरू किया। पर शनिवार इतवार को दोनों घर से बाहर घूमने जा कर खूब मस्ती करते। कभी मां पिताजी भी साथ चल देते, अन्यथा वे व नमन अपनी जिंदगी खूब खुशी से बिता रहे थे।

     तभी एक दिन वे दोनों घर से बाहर थे। माल में शापिंग करने गए हुए थे रेहू कपड़े की दुकान में अपनी कोई ड्रेस देख रही थी कि उसे लगा कि नमन किसी से बात कर रहा है, उसने पीछे मुडकर देखा तो एक लड़की व नमन दोनों गले मिलकर खड़े थे,व दोनों काफी देर तक इसी पोज में खड़े रहे। जब रेहू ने जाकर नमन को पुकारा तब नमन उससे अलग हुआ।

रेहू ये , कविता है पहले मेरे आफिस में मेरे साथ काम करती थी। और कविता ये मेरी पत्नी रेहू है।

कविता ने बताया कि अब वह फिर से इसी शहर में आ गयी है और आफिस का पता बताने ‌पर उसका आफिस नमन के आफिस के पास निकला।

अगले दिन भी कविता उसके घर आ गयी। पर आज रेहू को नमन व कविता के इतनी बेतकल्लुफी से बात करना अच्छा नहीं लग रहा था। खाना खा कर वह तो चली गई। उसने नमन से जो अच्छा ‌नही लगा , उसका जिक्र किया। नमन ने कहा कि वह ऐसी ही बेतकल्लुफ़ है।

 अब तो कविता ज्यादा तर समय छुट्टी वाला उनके साथ ही बिताना चाहती। नमन तो कविता के आने पर खुश हो ता पर नमन कुछ दिन से देख रहा था कि रेहू, कविता के आने पर पर बड़ी अनमनी सी हो जाती। वह ज्यादातर समय रसोई घर में ही बिताती।

एक दिन तो जब रेहू कमरे में आई तब कविता और नमन को एक दूसरे पर झुके हुए कोई फोटो देखते पाकर उसने कविता को ठीक से व्यवहार करने के लिए कहा। कविता कुछ नहीं समझते हुए सकपका गई। व उस दिन वह कोई काम का बहाना बनाकर जल्दी ही चली गई।

उस दिन कविता के जाने के बाद दोनों पति-पत्नी में जमकर झगड़ा हुआ। नमन ने बताया कि ऐसी कोई बात नहीं है, पर रेहू   नमन की कोई बात सुनने को तैयार नही थी।

अब तो कविता जब जब आती , दोनों खूब लड़ते। रेहू ने एक बार कविता के आने पर उसकी खूब बेइज्जती की वखुद भी नमन से लड़कर मां के पास चली गई। मां व भाई ने उसका साथ दिया ,पर भाभी को यह फूटी आंख नहीं भाया। जब रेहू को भाभी बात बात पर ताने देने लगी तब रेहू ने आफिस से मिले घर में रहने लगी।

  इसी बीच कविता ने उससे बात करनी चाही तो उसने साफ मना कर दिया। पर आज फिर दोनों को साथ देखकर वह गुस्से से आग-बबूला हो गई।

अगले दिन वह आफिस के लिए लंच बना रही थी घर की कालबेल बजी। रेहू ने दरवाजा खोला तो सामने कविता को देखकर वह फिर से गुस्से में भर गई ।पर कविता भी बोली कि रेहू , एक बार मूझे अपनी बात कह लेने दो वरना तुम ने नमन पर जो केस फाइल किया है,

उसमें सबसे ज्यादा नुक्सान तुम्हें ही होने वाला है। अब रेहू थोड़ी ढीली पड़ी। कविता ने अपनी बात रखते हुए कहा कहा कि, वे व नमन दोनों अच्छे दोस्त हैं। इस से ज्यादा कुछ भी नहीं है है। नमन की शादी से पहले हमारा चार लोगो का गुरूप  था हम सब मिलकर ऐसे ही वक्त बिताते थे।

पर मेरे दिल में नमन के लिए व उसके दिल में मेरे लिए एक दोस्त से ज्यादा कुछ नहीं है। नमन अब भी सिर्फ तुम्हें चाहता है। अब भी सिर्फ तुम्हारी ही बातें करता है। कल भी जो तुमने देखा वह मैं उसे डॉक्टर के पास ले गयी थी। उसका टायफाइड बिगड़ गया। वह तुम्हें अपने घर वापस लाना चाहता था

पर तूम तो उसकी कोई बात ही नहीं सुनना चाहती। रेहू नमन के पास चली जाओ, वह अपना बिल्कुल ध्यान नहीं रख रहा। मैं भी कल अमेरिका जा रही हूं । मेरी तरफ से निश्चित हो जाओ। नमन अभी भी सिर्फ तुम्हारा ही है। अपना केस वापस ले लो।

कविता के जाने के बाद रेहू को बहुत रूलाई आई कुछ देर रोकर उसे अपनी ग़लती समझ आई कि नमन तो उससे बात कर सुलह करना चाहता था पर वही अपने दामन में नागफणी के कांटे बिछाए बैठी थी ‌

वह उठी तथा नागफनी के कांटों को दूर कर अपने नमन के पास जाकर सारी गलतफहमियां दूर करने के  लिए उठाए खड़ी हुई।    

* पूनम भटनागर  ।

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