” ये कैसी सब्जी बनाई है तुमने तुम्हे कोई काम ठीक से आता भी है !” विक्रम अपनी पत्नी रीना पर चिल्लाता हुआ बोला।
” वो …आज तबियत कुछ ठीक नहीं थी ऊपर से व्योम भी तंग कर रहा था इसलिए शायद कुछ ऊंच नीच हो गई सब्जी में रुकिए मैं ठीक करके लाती हूं !” रीना बोली।
” रहने दो मुझे नही खाना …तुम्हे तो गलतियाँ कर बहाने बनाने की आदत है तंग आ चुका हूं तुमसे ! मैं नफरत होने लगी है तुमसे मुझे …समझी तुम !” ये बोल विक्रम घर से निकल गया।
रीना की आंख में आंसू आ गए। पांच साल इस ग्रहस्थी को इस रिश्ते को देने के बाद आज ये सुनने को मिल रहा है नफरत होने लगी है तुमसे। छोटी मोटी गलती तो हर किसी से होती है विक्रम खुद कौन सा इतना महान है कि कोई गलती नही करता पर नही उसे छोटी छोटी बात पर सुनाता है और आज तो हद ही हो गई । ये सब सोचते सोचते रीना अपने डेढ़ साल के बेटे व्योम को खाना खिला रही थी।
विक्रम ने घर से निकल अपने खास दोस्त अमित को फोन किया और उसके घर जा पहुंचा।
” अरे तू रसोई में क्या कर रहा है भाभी जी कहां है !” अपने दोस्त को रसोई में खाना बनाते देख विक्रम ने पूछा।
” आज तेरी भाभी की तबियत ठीक नहीं है तो वो आराम कर रही है !” अमित बोला।
” और तू यहां उनकी सेवा कर रहा है मैने तो सोचा था यहां आ भाभीजी के हाथ का बढ़िया सा खाना खाऊंगा क्योंकि मेरी बीवी तो जाहिल औरत है कुछ काम नही आता उसे …पर ये नही पता था हम दोनों एक ही नाव के सवार है। !” विक्रम व्यंग्य से बोला।
” खाना तो मैं भी बढ़िया बनाता हूं पर तू बोल क्या रहा है होश मे तो है । भाभी जी से तकरार हुई है क्या ?” अमित उसकी बात सुन हैरानी से बोला।
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” कुछ नही यार उस औरत से अब तो तकरार करने का भी मन नहीं होता नफरत सी हो गई है उसके चेहरे से हर वक्त थकी सी रहती है जबकि काम ही क्या होते हैं…अब आज ही ले इतना बकवास खाना बनाया की पूछ मत। हम सारा दिन बाहर खट कर आएं और इनसे ठीक से खाना भी नही बनता ऊपर से बच्चे का बहाना बनाने लगती है !” विक्रम ने मानो सारी भड़ास निकाल दी।
” अरे यार भाभी जी तो इतना अच्छा खाना बनाती है आज हो गई होगी गलती आखिर गलती भी तो इंसान के जीवन का हिस्सा है तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तूने आज तक कोई गलती नही की …और अगर तूने गलती नही की तो तू इंसान नही भगवान है और अगर गलतियां तुझसे भी होती है और तब भी तू खुद से नफरत नही कर सकता तो भाभी जी की या किसी की भी गलती पर तुझे उनसे नफरत करने का हक नही…यार हम किसी की छोटी से गलती पर कितनी आसानी से बोल देते है ना मुझे तुमसे नफरत है कल को कोई हमे यही शब्द बोले तो…!” अमित ने उसे समझाया।
” हम्म पर…!” विक्रम उसकी बात सुनकर कुछ बोलने को हुआ तो अमित ने उसे चुप कर दिया।
” अभी तू बैठ खाना खा मैं तेरी भाभी और भतीजी को बुला कर लाता हूं।” अमित बोला और अंदर चला गया।
थोड़ी देर बाद अपनी पत्नी गुंजन और बेटी मिष्टी के साथ वापिस आया। विक्रम ने गुंजन को नमस्ते की। खाने की मेज पर उसने देखा अमित गुंजन को जबरदस्ती खाना खिला रहा है साथ साथ मिष्टी को भी अपने हाथ से खिला रहा है। गुंजन को देख विक्रम को रीना का चेहरा याद आया वैसे तो वो हमेशा थकी थकी रहती है पर आज ज्यादा ही कुम्हलाई लग रही थी। पर उसने एक बार भी रीना की तबियत की तो पूछी नही ऊपर से गुस्सा और दिखा दिया इतना।
” विक्रम भैया रीना और व्योम कैसे है ? रीना कैसे घर और बच्चे की देखभाल इतने अच्छे से कर लेती है। घर भी हमेशा चमचमाता है आपका जबकि मैं तो इस शैतान मिष्टी के साथ ही इतना थक जाती हूं कि कई बार खाना अमित को ही बनाना पड़ जाता है !” गुंजन विक्रम से बोली।
” जी भाभी सही है व्योम बस आज रीना की तबियत थोड़ी खराब है !” विक्रम के मुंह से सच्चाई निकल ही गई।
” क्या भाभी जी की तबियत खराब है और तब भी तू उनपर गुस्सा कर उन्हें अकेला छोड़ यहां आ गया हद करता है तू विक्रम । अरे सारा दिन वो घर बच्चे को संभालती है तेरा भी तो फर्ज है उनके प्रति चल फटाफट खाना खत्म कर और घर जा भाभी जी को तेरी जरूरत है ।” अमित बोला।
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” हां भैया हम औरतों को जरा सा पति का साथ मिल जाए तो हम परेशानी में भी खिल उठती हैं। सारा दिन बच्चों और घर को संभालने के बाद शाम को पति से बस इतनी आशा होती है वो प्यार से एक नजर देखे , हम बीमार है तो थोड़ी केयर करे ज्यादा नहीं बस दो शब्द तारीफ के ही बोल दे !” गुंजन प्यार से अमित को देखते हुए बोली।
विक्रम अमित और गुंजन की बात सुन शर्मिंदा हो उठा। अमित को गुंजन का ख्याल रखते देख उसे खुद पर ही गुस्सा आ रहा था आज क्योंकि उसने कभी रीना का ख्याल रखना तो दूर तबियत तक के बारे में नही पूछा था। अब उससे खाना खाना भी भारी हो रहा था अमित को प्यार से पत्नी और बेटी को खिलाते देख उसे लग रहा था गलत तो वो खुद है। आधा अधूरा खाना खा वो अमित और गुंजन से इजाजत ले घर की तरफ चल दिया। आखिर अपनी गलती की माफी भी तो मांगनी थी रीना से।
दोस्तों ऐसा अक्सर कई घरों में होता है पत्नी की जरा सी गलती पर पति इतना कुछ सुना देता है मानो खुद कोई गलती ना करता हो। साथ ही उन्हें लगता है पत्नी घर में करती ही क्या है जिनकी ऐसी सोच है वो दो दिन पत्नी का किरदार निभा कर देखें और तब अपनी गलतियों पर खुद से नफरत करें।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल