जोया और अर्सलान के निकाह को हुए कुछ ही समय हुआ था । लेकिन अर्सलान का देर से आना ,जोया को समय ना देना । ये सब बाते जोया को मजीद तकलीफ़ देने लगी । एक दिन जोया ने पूछ ही लिया । क्या बात हैं अर्सलान ?? तुम मुझसे इतने खिचे-खिचे क्यों रहते हो । अर्सलान ने कहा “कोई बात नही हैं जोया “
नही , कोई बात तो ज़रूर हैं …..
ठीक हैं ,अगर तुम नही बताना चाहतें तो कोई बात नही ,“मैं तुम्हारे अब्बू से ही पूछ लेती हूँ । वैसे भी तुम सब कुछ उनके कहने पे करते हो “!
नही, जोया ! क्या कर रही हो ?? अब्बू को क्यों परेशान करना ।
तो मुझे सच-सच बताओ !
सच ये है जोया ! “मैं शायना से प्यार करता हूँ और निकाह करना चाहता हूँ “।
ये सब जान जोया ने कहा -“ यें ठीक नही है ! मैं तुम्हारी बेगम हूँ और तुम दूसरी औरत के साथ प्रेम प्रसंग बना रहे हो ।
ये सुन !! अर्सलान बोला दूसरी तो तुम हो ! मैं ना तो तुम से प्रेम करता हूँ और ना ही तुमसे निकाह करना चाहता था । लेकिन तुम्हारे अब्बा की शान-ए- शौकत देख, मेरे अब्बू ने तुम से निकाह करने पर ज़ोर दिया । वरना मेरा इश्क तो शायना हैं और मैं शायना से भी निकाह करूँगा । ये तुम क्या कह रहे हो ????? अर्सलान
हमारे मजहब में चार निकाह जायज़ है । तो तुम कौन होती हो ऐतराज करने वाली ।
अगर तुम्हारी यही इच्छा हैं तो ,तुम मुझे तलाक़ दे दो । मैं ऐसे मजबूरी के रिश्ते में नही रह सकती । ऐसा हरगिज़ नही होगा ! हमारे ख़ानदान में आज तक कोई तलाक़ ना हुई हैं और ना ही मै तुम्हें तलाक़ दे अपने परिवार का नाम डुबोना चाहूँगा ।
वाह !! अर्सलान वाह !! तुम दूसरा निकाह कर सकते हो , पर मुझे तलाक़ नही दे सकते ।इज्जत और मर्यादा के दोहरें मापदंड निर्धारित करने वाले तुम होते कौन हो ।
ये सब जानने के बाद ज़ोया ने अपना सामान उठाया और अपने घर चली गयी । घर जाकर उसने जब अपनी अजीयत भरी दास्ताँ सुनाई तो उसकी अम्मी बोली …..कोई नही बेटी ! उसे दूसरा निकाह करना हैं तो करने दो । बस तुम्हें तलाक़ ना दे !
ये आप क्या कह रही है अम्मी ???
सिर्फ़ इसलिए कि हमारा मजहब इस बात की इजाज़त देता है ,तो आप कुछ भी कर सकते हो !
मैं ऐसे शख़्स के साथ नही रह सकती । ये मेरा आख़री फ़ैसला हैं । वो मुझे तलाक़ नही दे सकता तो कोई बात नही ,जैसे उसे चार निकाह का हक़ है ! वैसे ही मुझे खुला लेने का भी हक़ हैं !
नही बेटी ! ऐसा करने से तुम्हारे अब्बा की मान मर्यादा को बहुत ठेस पहुँचेंगी और हमारे माश्रे में तलाक़ याफ़्ता के लिए कोई अच्छा जीवन साथी भी नहीं मिलता ।
तभी जोया के अब्बा अंदर दाखिल होते है और जोया की अम्मी पे चिल्लाते है । ये तुम क्या कह रही हो बेगम….. मेरी बेटी की ख़ुशी से मेरा नाम डूब जाएगा । नाम सही का साथ देने से नही ग़लत करने से डूबता है ।और मेरी बेटी ग़लत नही है ,जो हक़ उसका हैं वो उसे जरूर मिलेगा !!
#मुहावरा प्रतियोगिता
#नाम डुबोना
स्वरचित रचना
स्नेह ज्योति