मम्मी जी, कल मैं अपने मायके जा रही हूं, वह क्या है ना..? मेरी भाभी, भैया के साथ शॉपिंग पर जाने वाली है, तो मेरी मां ने कहा उनके साथ जाकर मैं भी अपने राखी का तोहफा खरीद लूं, अपनी पसंद का… श्रद्धा ने अपनी सास जया जी से कहा
जया जी: पर तुम्हारे भैया की नई-नई शादी हुई है, उनके बीच में तुम्हारा जाना अच्छा नहीं लगेगा बहू… तुम किसी और दिन चली जाना अपना तोहफा लेने…
श्रद्धा: नहीं मम्मी जी… वह क्या है ना..? अगर उनके साथ जाऊंगी तो भैया भाभी के सामने मेरी किसी भी मांग को पूरा कर देंगे, वरना अकेले में तो बस एक साड़ी थमा देंगे…
जया जी और कुछ नहीं कहती और श्रद्धा अगले दिन अपने भैया से सोने की बालियां लेकर आती है और जया जी से कहती है.. देखा मम्मी जी मैं ना कहती थी आज मुझे जाने से बड़ा फायदा होगा…
थोड़े दिनों बाद श्रद्धा से जया जी से फिर से आकर कहती है.. मम्मी जी कल मैं मायके जा रही हूं…
जया जी: फिर से..? अब कहां जाना है शॉपिंग करने..?
श्रद्धा: मम्मी जी.. मेरी मां ने कहा भाभी के मायके वाले आ रहे हैं, तो इसलिए भैया ने भी छुट्टी ले रखी है, तो वह उन्हें घूमने ले जाएंगे तो मैं क्यों ना जाऊं घूमने..?
जया जी: बहू वह तुम्हारा मायका है, पर अब तुम्हारी शादी हो चुकी हैं, इसलिए तुम जब चाहो तब वहां जा नहीं जा सकती, और हर बार अपनी भाभी के साथ तुलना करना कहां तक सही है..? वह यह कर रही है तो मैं भी करूंगी, ऐसे में तुम्हारे प्रति उनका व्यवहार बदल जाएगा वह अभी-अभी उस घर में आई है, उसे घर के लोगों के साथ खुद को रमने दो, जब तब वहां जाओगी तो फिर तुम्हारी वहां कद्र भी नहीं होगी..
श्रद्धा: नहीं मम्मी जी, मेरी मां ही मुझे वहां बुलाती है, ताकि भाभी को ना लगे कि वह जो चाहे वह कर सकती है और मैं उस घर की बेटी हूं मेरी वहां कभी कद्र कम नहीं हो सकती.. आप बुरा मत मानिएगा मम्मी जी… आप तो ऐसा ही कहेंगी… क्योंकि आप जो कभी रचना दीदी को बुलाती नहीं हो, यह कहकर श्रद्धा वहां से चली गई.. पर जया जी को इस बात का काफी बुरा लगा, क्योंकि वही जानती थी की रचना के पति फौजी होने के कारण रचना को अपने बुजुर्ग सास ससुर को छोड़कर आना कितना मुश्किल होता है.. ऐसा भी नहीं था की जया की रचना को बुलाती नहीं थी, पर जब उन्होंने देखा रचना की स्थिति को, तो वह बार-बार उसे बुलाकर असमंजस में नहीं डालना चाहती थी.. खैर जया जी अपने बड़े होने के नाते श्रद्धा को समझने की कोशिश करती है.. पर श्रद्धा..? उसके कानों में जू तक नहीं रेंगती.. वह आए दिन किसी भी बहाने से अपने मायके चली ही जाती..
एक दिन जब श्रद्धा अपने मायके गई, क्योंकि उसकी भाभी अपने मायके जा रही थी तो उसकी मां ने उसे कुछ दिनों के लिए वही रहने को बुला लिया.. जब श्रद्धा वहां पहुंची तो उसकी भाभी तैयार हो रही थी… श्रद्धा घर के अंदर आते ही कहने लगी मां… में आ गई तो इस पर उसकी मां भड़क गई और कहने लग गई.. हां देख तो लिया तू आ गई.. अब इतना शोर मचाने की क्या जरूरत है..? वैसे भी तेरे आने से काम और बढ़ ही जाता है.. बहू भी जा रही है अब तो पता नहीं यहां के काम कैसे होंगे..? तू तो वैसे भी एक नंबर की कामचोर है
श्रद्धा: यह क्या कह रही हो मां..? तुम ही ने तो बुलाया मुझे यहां.. कहा भाभी मायके जा रही है जल्दी आजा.. फिर अभी ऐसा कहने का क्या मतलब..? बड़ी अजीब मुसीबत है… श्रद्धा ऐसा कह ही रही होती है कि पीछे से श्रद्धा की भाभी सौम्या कहती है… सच कहा आपने श्रद्धा.. मुसीबत खड़ी करने के लिए ही मम्मी जी आपको हमेशा बुलाती है, ताकि मैं कभी भी कोई काम करूं, वह आपके जरिए उनके कानों तक वह पहुंच जाए…
श्रद्धा: यह क्या कह रही हो भाभी..?
सौम्या: श्रद्धा आपकी भी शादी हो गई है तो आपको कैसा लगेगा अगर आप भी कहीं भी जाए तो आपकी नवद या सास आपको एक पल के लिए भी अकेला ना छोड़े..? जब से मम्मी जी को पता चला है मैं मायके जाने वाली हूं दो-चार दिनों के लिए, तब से यह यही योजना बना रही है कि कैसे मुझे रोके..? वह तो कल जब इन्होंने आपको फोन किया और यहां आने को कहा, ठीक उसके बीच यह मौसी जी का कॉल उठाकर कह रही थी, कल जा रही है पर श्रद्धा आकर ऐसा कुछ बहाना बना देगी के इसका जाना कैंसिल हो जाएगा…
मैं अभी उसी से बात कर रही थी कि तेरा कॉल वेटिंग दिखा… रुक तुझे मैं बाद में कॉल करती हूं.. मौसी जी को कॉल करने के बाद वह वापस आपको क्या बहाना बनाना है यही बताने के लिए कॉल करने ही वाली थी, तभी मैं इनके सामने प्रकट हो गई.. इनको पता चल गया इनकी पोल खुल गई और मैं जानती हूं यह आपको जो बहाना बनाने को कहती, आप वह बना भी लेती… पर श्रद्धा आपको नहीं लगता जो रिश्ता अभी-अभी बना है.. उसे हमें प्यार और समझ से सींचना चाहिए ना कि उसमें षडयंत्र और जलन के बीज बोकर खराब करना चाहिए
आज सौम्या की बातें सुनकर श्रद्धा को अपनी सास जया जी की बातें याद आ गई… आखिर मम्मी जी भी तो मुझे यही समझाने की कोशिश कर रही थी.. पर पता नहीं क्यों मैंने उन्हें गलत समझ लिया..? और वह वहां से यह कसम खा कर निकली, के अब वह किसी की मुसीबत नहीं बनेगी और बिना वजह अपने मायके भी नहीं आएगी.. वह घर जाकर सबसे पहले अपनी सासू मां से माफी मांगना चाहती थी… वह जब घर के अंदर जा रही थी तो उसे जया जी की आवाज बगीचे से आती हुई मिली.. श्रद्धा उसी तरफ चली गई जहां जया जी फोन पर अपनी बेटी रचना से कह रही थी… बेटा तू यहां की चिंता मत कर.. यहां तेरा भाई और श्रद्धा सभी हैं… पर वहां तेरे अलावा समधी जी और समधन जी का और कौन है..? इस बार दामाद जी जब छुट्टियों पर आए दोनों साथ में आना.. हम तब मिलकर जी भर कर बातें करेंगे… अब रखती हूं फोन यह कहकर जया जी फोन रख देती है और फुट-फुट का रोने लगती है… जिसे देख श्रद्धा दौड़कर वहां आती है और जया जी को गले लगा कर कहती है… क्या हुआ जो एक बेटी मिलने नहीं आ पाती.? दूसरी बेटी तो है ना..? मम्मी जी माफ कर दीजिए मुझे.. पता नहीं आपको रचना दीदी को लेकर क्या-क्या कह दिया..? जबकि आप एक समझदार मां के साथ-साथ एक समझदार सासू मां का किरदार भी बराबर निभा रही है.. सच कहूं मम्मी जी, हम अपने सरल जीवन में मुसीबत को खुद ही बुलाते हैं और फिर बाद में उसका इल्जाम किसी और के सर पर डाल देते हैं… पर अब मैं भी आपसे वादा करती हूं.. आपकी कहीं हर बात मानूंगी और आपकी बेटी बन कर दिखाऊंगी… फिर दोनों गले लग जाते हैं…
धन्यवाद
#मुसीबत
रोनिता कुंडु
Very nice and beautiful story.