नए डब्बे की क्या जरूरत थी ?? इतने डब्बे घर में पहले से रखे हुए हैं सास लता जी बहु मीनू से बोली !!
मीनू बोली मम्मी जी आपके हाथ के सारे डब्बे बहुत पुराने हो गए हैं तो मैंने सोचा क्यूं ना धीरे- धीरे नए डब्बे इकट्ठा किए जाए !!
लता जी बोली बहु यह मेरी यादें हैं जिसे मैं अपने से बिल्कुल दूर नही कर सकती इसलिए कभी कोई नई चीज इस घर में लाने की सोचना भी मत !!
मीनू बिना जवाब दिए अपने कमरे में आकर कुर्सी पर बैठ गई और सोचने लगी आज उसे शादी किए इतने बरस हो गए मगर अब तक सास के राज में वह एक नई चीज अपने हिसाब से नहीं ला पाई थी !!
मीनू शादी के बाद तुरंत टीचर की जॉब पर लग गई थी और बचा – खुचा समय बच्चों को घर पर ट्यूशन पढ़ाती जिस वजह से लता जी ने पुरे घर पर शासन जमा लिया था !!
हर नई चीज बस वही लाती , घर का खाना भी वही बनाती और मीनू को रसोई में ज्यादा आने भी नही देती !!
शुरुवाती दिनों में मीनू सोचती कि मम्मी जी कितनी अच्छी हैं
उसकी कितनी मदद करती हैं मगर थोड़े सालो बाद जब उसे समझ आया कि मम्मी जी का घर पर अधिकार जमाने का तरीका बस अलग हैं तब तक बहुत देर हो चुकी थी !!
मीनू का पति लोकेश भी अपनी मम्मी का ही साथ देता था और हर बारी मीनू को ही डांटता , वैसे भी मीनू को संतान ना होने की वजह से वह अपने आप को व्यस्त रखना चाहती थी !!
उसने दूसरे बच्चों को पढ़ाने में ही अपनी खुशी ढूंढ ली थी ताकि उसके दिमाग में कोई उटपटांग विचार ना आए !!
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थोड़े सालो बाद देखा तो घर में भी उसका स्थान बस एक टीचर के जैसा ही था जो रसोई में कुछ भी काम करने जाती तो लता जी उसकी बनाई रोटी से लेकर उसकी बनाई हर चीज में खोट निकाल देती जिसका नतीजा यह हुआ कि मीनू अपना आत्मविश्वास ही खो बैठी थी !!
उसे लगने लगा कि शायद वह कभी घर के काम अच्छे से कर ही नही पाएगी !!
उसका स्वाभिमान उसे हमेशा चकनाचूर होता दिखाई देता !!
लोकेश की बहन सोनिया और उसके बच्चे जब भी घर आते सभी लता जी के बनाए खाने की इतनी तारीफ करते कि मीनू का विश्वास ओर बढ़ गया था कि शायद उसमें वह खुबी हैं ही नही कि वह भी अच्छा खाना बनाए या घर संभाले !!
मीनू को अपनी आत्मा बार – बार झकझोर कर कहती कि एक औरत होकर वह रसोई नहीं संभाल सकती जबकि उसकी वह हमेशा से स्वाभिमानी स्त्री रही हैं मगर यहां सास और पति ने मिलकर उसे इतना अपमानित किया था कि उसे अपने आप पर ही शक होने लगा था !!
खैर अब तक तो यही होता आया था !!
मीनू की नौकरी में सैलेरी दिन ब दिन बढ़ती गई और लता जी के कारण उसका रिश्ता रसोई से खत्म होता गया !!
अब तो यह आलम था कि लता जी बाहर दुनिया वालों के सामने अपने गुणगान गाने लगी कि वह इस उम्र में भी कैसे पुरा घर अकेले संभालती हैं !!
मीनू तो इस घर में मेहमान की तरह रहती हैं जो सिर्फ खाती – पीती हैं और वापस अपने काम पर लग जाती हैं !!
अगर मैं ना रहुँ तो यह घर चल ही नहीं सकता !!
मीनू के कान तक जब यह बात पहुँची तो अब उसे सहन नही हुआ और उसने सास और पति को सबक सिखाने की ठानी क्यूंकि सास तो सास पति भी कभी साथ नही देता !! वह बोली मम्मी जी मैं सोच रही हुँ कि मैं जॉब छोड़ दूँ क्यूंकि अब इस उम्र में आप अकेले कैसे काम करेंगी ??
लता जी जानती थी कि अकेले लोकेश की सैलेरी से घर का गुजारा होना मुश्किल था वे बोली अरे क्या जरूरत हैं जॉब छोड़ने की ??
मम्मी जी मैं घर से ट्यूशन लेना बंद नही करूँगी वह शुरू रहेगें मगर जॉब पर आठ घंटे की ड्यूटी करने में बहुत ज्यादा समय चला जाता हैं इसलिए अब मैं काम पर नहीं जाऊँगी और वह अपने कमरे में चली गई !!
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लता जी यह बात सुनकर सकपका गई और एक महिने के अंदर ही उन्हें इसका परिणाम भी भुगतने मिल गया जब लोकेश बोला माँ मेरी सैलेरी तो घर की इ.एम. आई भरने में ही चली जाती हैं मैं अकेले घर का खर्च कैसे चलाऊँ ??
लता जी और लोकेश दोनों जाकर मीनू से बोले कि तुम वापस जॉब ज्वाइन करो तब मीनू बोली लोकेश मैं क्यूं जॉब ज्वाइन करूँ जब मैं अपनी पसंद की एक चीज भी नहीं ला सकती इस घर में !!
मम्मी जी ने मुझे कभी रसोई के काम हाथ लगाने नही दिए और अब बाहर के लोगो से शिकायते करती फिर रही हैं कि मैं मेहमानों की तरह इस घर में रहती हुँ जिसे घर के कामों से कोई मतलब नही हैं !!
लोकेश ने अपनी मां को घूर कर देखा तो लता जी ने मुंह उधर घुमा दिया !!
लोकेश को समझते देर न लगी की मीनू ने उसकी मां की वजह से जॉब छोड़ा है !!
लोकेश बोला मीनू मैं मां की तरफ से तुमसे माफी मांगता हूं मगर तुम जॉब मत छोड़ो प्लीस !!
मीनू बोली मैं एक ही शर्त पर वापस जॉब ज्वाइन करूंगी मुझे घर में पूरा बहू का अधिकार चाहिए , मेरी भी अपनी पसंद नापसंद हैं !!
मम्मी जी की वजह से मेरा आत्मविश्वास खो गया है , मेरे स्वाभिमान की धज्जियाँ उड़ गई हैं जिसे मैं वापस पाना चाहती हूं इसलिए मैंने घर पर रहकर रसोई संभालने की सोची थी !!
लता जी बोली बहू अब से घर में तुम रसोई का भी काम करना मैं तुम्हें टोका टोकी नहीं करूंगी !!
मीनू बोली मम्मी जी आप बाहर लोगों से मेरी बुराइयां करते समय यह भूल गई थी की रसोई में जो खाना बनता है वह पैसों से आता है और अगर पैसा कमाने वाला घर में बैठ जाए तो रसोई संभालने वाला रसोई नहीं संभाल सकता !!
अब बताईए इस घर के लिए ज्यादा कौन ज्यादा जरूरी हैं आप या मैं ??
किसके बिना यह घर नहीं चल सकता !!
लता जी अपने किए पर शर्मिंदा थी !!
मीनू ने उन्हें शानदार सबक सिखाया था और आज उसमें वहीं स्वाभिमान था जिसे वह बरसों पहले खो चुकी थी !!
दोस्तों कभी कभी हम कमाने वाले इंसान को हल्के में ले लेते हैं मगर हम यह भूल जाते हैं कि उसके बिना घर में चूल्हा तक नहीं जल सकता !!
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आपकी सहेली
स्वाती जैंन