मम्मी को क्या पसंद है – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

विभु ने नेहा से बोला “कल मम्मी का जन्मदिन है, कुछ सरप्राइज देते हैं मम्मी को|”

नेहा बोली “हाँ भैया, मैं भी यही सोच रही थी।”

दोनों किशोरवय से युवा अवस्था की ओर थे| रात बच्चों ने पापा अमित के साथ बैठ मम्मी के जन्मदिन का प्लान बनाया। क्या गिफ्ट देंगे, कैसे सरप्राइज देंगे वगैहरह|

नेहा बोली कल लंच में मम्मी की पसंद का खाना बनाते हैं, रात में बाहर डिनर कर लेंगे|

बात यहीं अटक गई, मम्मी की पसंद? सब सोच में थे ये तो वे जानते ही नहीं कि मम्मी को क्या पसंद है? मम्मी तो हमेशा बच्चों और पति की पसंद का खाना बनाती है।

बच्चों ने पापा से पूछा आपको तो पता होगा। अमित सोच में पड़ गए। इतना कठिन सवाल तो उनके बैंक की परीक्षा में भी नहीं आया। वे बच्चों से बोले चलो उर्मि से ही पूछ ले… पर बच्चे भड़क गए… फिर सरप्राइज कैसे देंगे। हाँ ये बात भी है अमित ने सोचा। आखिर बहुत सोच विचार करने के बाद सबने निर्णय लिया की विभा से सबकी पसंद पूछेंगे,  फिर बहाने से उनकी  पसंद पूछ लेंगे…।

रात खाने के समय सब बैठे तो विभु ने मम्मी से पूछा आपको पता है मम्मी हमें क्या पसंद है खाने में…। मुस्कुरा कर उर्मि बोली ये भी कोई पूछने की बात है… तुझे छोले भठूरे और नेहा को साउथ इंडियन…। और पापा को… अरे उन्हे तो देसी खाना.. पूरी, कचौड़ी, आलू की सब्जी और लौकी का रायता पसंद है..। सब आश्चर्य से एक दूसरे को देख रहे थे।

नेहा बोली मम्मा आपने तो सबकी पसंद बता दी पर , आपको क्या पसंद.ये नहीं बताया… … जो सब को पसंद वहीं मुझे भी पसंद कह, उर्मि बर्तन समेटने लगी। बात वहीं रह गई…। अब मोर्चा विभु ने संभाला पर मम्मा आपकी भी तो कोई पसंद होंगी… प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते उर्मि बोली… मुझे याद ही नहीं की मुझे क्या पसंद है..। अब तो सबकी पसंद ही मेरी पसंद बन गई।

 डाइनिंग टेबल पर सन्नाटा छा गया….. ऐसे कैसे हो सकता की,  किसी की पसंद इतनी बदल जाये…. अमित कुछ सोचते उठ गए…। बच्चे अपने में खोये… अपने कमरे में चले गए… ज्वलंत प्रश्न जो खड़ा हो गया।

तभी अमित को याद आया,  की क्यों  ना उर्मि की मम्मी से पूछ लिया जाये… उनको फ़ोन मिलाया… पूछा तो वे बोली बेटा उर्मि को ये घर छोड़े पंद्रह- सोलह साल हो गए… अब तो तुम लोग ही उसकी पसंद जानते होंगे…. अमित निरुत्तर हो गए…. कहीं कुछ कचोट गया…. जीवनसंगिनी है उर्मि, …एक लम्बा समय बिताया…

और आज भी उसकी भावनाओं से अछूते है..।सच कभी फुर्सत से उर्मि के साथ नहीं बैठे ….. कभी पूछा नहीं तुम कैसी हो… क्या पसंद है। अमित तो बस अपने बैंक और अपने यार दोस्तों में मग्न थे. …। घर उर्मि ने जो संभाल रखा था।

उर्मि को भी लगता क्या पति को परेशान करें…. शॉपिंग सहेलियों या बच्चों के साथ कर आती। बच्चे बड़े हो रहे थे तो उनकी भी दुनिया अलग हो रही थी। सब अपनी दुनिया में रमे थे। पर आज के ज्वलंत प्रश्न ने सबको हिला दिया।

खुद उर्मि, बच्चों को समझा आई पर खुद से पूछा क्या पसंद है,..  तो अपने को निरुत्तर पाया। … अक्सर ऐसा होता है जब एक लड़की शादी कर  दूसरे घर आती है…., तो अपने को सबके अनुरूप बनाने में वो इतना मगन हो जाती की,  अपनी पसंद -नापसंद सब भूल जाती। लौकी, टिंडा जो शादी से पहले वह स्वयं नहीं खाती थी…

अब बच्चों को पौष्टिक खिलाने के चक्कर में खुद खाने लगी…… इस बदलाव को वो भी नहीं महसूस कर पाती है… क्योंकि अपनी माँ को भी,  वो यहीं सब करते देखती आई,, तो उसे सब स्वाभाविक लगता।

 बच्चे, अमित सब उर्मि की पसंद नहीं पता कर पाये तो उदास थे… तभी बच्चों की दादी, जो दो दिन से सब देख सुन् रही थी,  बोली तेरी माँ.. अपनी शादी से पहले गोलगप्पे बहुत खाती थी…. पहली बार मैंने उर्मि को वहीं देखा था… बस फिर क्या था घर में खुशी दौड़ गई… कल गोलगप्पों का कार्यक्रम  होगा…. जो मम्मी का सरप्राइज….

घर में उर्मि को छोड़ कर सबने एक निर्णय और लिया कि अब हफ्ते में एक दिन मम्मी की पसंद का खाना बनेगा| घर के सब सदस्य एक दूसरे की पसंद का पूरा सम्मान करेंगे। अमित ने निर्णय लिया वो हर वीकेंड पर उर्मि के साथ समय बिताएगा|

 लेखिका : संगीता त्रिपाठी

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