रात को सोते सोते अचानक फिर अपने गाल पर मम्मा के हाथ का स्पर्श महसूस किया वहीं नरम गुदगुदी मोटे से हाथ वही गर्माहट वही रेशम आंखों से आंसू अपने आप बह निकले। मानों वह बस हमेशा यूं ही तैयार रहते हैं बरसने के लिए।
पूरे 569 दिन हो चुके हैं मां को गए पर पता नहीं फिर भी रोज सुबह उठकर अपने आप को एहसास दिलाना पड़ता है कि वह जा चुकी है अब वह नहीं है बैठक में लगी वह तस्वीर जिस पर एक माला भी डाला जा चुकी है यह जताने के लिए कि वह उनकी तस्वीर है जो जा चुकी है फिर भी इस बात को याद दिलाने के लिए नाकाफी है रोज अपने आप से यही सवाल करती हो कि वह क्यों चली गई थोड़े दिन और रह लेती हमारे साथ हमारे पास अपनी तरफ से कोई भी तो कमी नहीं छोड़ी थी ना हमने डाक्टर दवाइयां दान दक्षिणा सब कुछ कुछ भी उन्हें बचाने के लिए काफी नहीं था शायद फिर लगता है कि अगर यह सब उन्हें बचा भी लेता तब भी क्या मां की हालत हम लोगों से सहन होती क्या वह वही जीवन जी पाती जो उन्होंने जिया? शायद नहीं
अब उनके पास वह ताकत नहीं थी आज तक उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए कुछ नहीं किया पहली बार स्वार्थी होकर अपने लिए अपनी मौत चुन ली अपने बच्चे अपने पति का ख्याल ना कर वह पहली बार स्वार्थी हो गई
समझ में नहीं आता इसे उनका स्वार्थ कहूं या उनकी मुक्ति काश मैं अंतिम क्षण में उनसे बात कर पाती और पूछ सकती कि वह क्या चाहती हैं अगर मौत उनके बस में है तो फिर सारे कष्ट सहते हुए भी अपने परिवार के साथ रहना था कष्टों से मुक्ति!
उनका जवाब जानती हूं मैं शायद तब भी वह मुझसे पूछती कि तुम लोगों की खुशी किसमें है
मैं जानती हूं कि मौत अगर बस में होती तब वह जिंदा रहती इसलिए नहीं कि वह जिंदगी से ज्यादा प्यार करती थी पर इसलिए कि वह हमारा दुख नहीं बर्दाश्त कर सकती थी इसीलिए वह सारे कष्टों को सहते हुए भी जिंदा रहती हमारे लिए ताकि हमारी आंखों से एक बूंद भी आंसू ना गिरे।
वो इस मौत से भी बदतर जिंदगी जिसमें 1 साल में रोटी के एक निवाले तक को तरस गई एक गिलास पानी भी ठीक से ना पी पाई ऐसी नरक की जिंदगी जी लेती वो थी बस इसलिए क्योंकि वह मां थी अपने बच्चों का दुख बर्दाश्त नहीं था उन्हें बात बस इतनी सी है कि वह मौत से जीत नहीं पाई
पता नहीं भगवान ने मां को इतनी शक्ति कहां से दे दी शायद खुद मां बनने के बाद जान पाऊँ हूं मगर अब तक बस इतना ही समझ पाई हो कि मां दुनिया की सबसे सुंदर सबसे ताकतवर सबसे सहनशील नेमत है उससे सुंदर कुछ भी नहीं ।