मुझे महान नहीं बनना – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : 2 दिन से रितु की आंखों से नींद गायब थी! वह बड़ी कशमकश या कहें दुविधा में थी !समझ नहीं आ रहा कि वह क्या निर्णय ले ? जब से उसके पति रवि ने उसे बताया की, मां को दिल का दौरा पड़ा है और उन्हें तुम्हारी जरूरत है! मां बुला रही है, और अपने किए का पश्चाताप कर रही हैं, और हमेशा साथ रहने के लिए आग्रह कर रही हैं!

कैसे भूल जाए रितु , जो उसने सहा है! कैसे  माफ कर दे उन्हें. ? किंतु  उनकी आज की स्थिति को देखते हुए, एक बार मन में उनके प्रति दया का भाव भी उमड़ रहा है !लेकिन अगले ही क्षण उसका मन उनकी कड़वी बातों से  नफरत से भर गया!

   22 साल की थी रितु, जब वह इस घर में बहू बनकर आई थी !अपने अच्छे व्यवहार और चाल चलन से सभी की चहेती बहू  बनने में उसे ज्यादा देर नहीं लगी! किंतु उसके आने के पश्चात माया देवी उससे  होड़ करने लगी !रवि अगर कभी कोई चीज ऋतु के लिए लेकर आ जाता था,

तो फिर घर में कलेश मचा देती, और … मां की तो कोई कदर ही नहीं है, जोरू का गुलाम बन गया , ऐसे तानों से उसे सुशोभित करती थी! अब रवि ने कुछ भी बोलना बंद कर दिया, किंतु ऋतु का देवर वीरेन अपनी भाभी पर होते हुए अत्याचार नहीं देख पाता था और वह अपनी मां को सुनाता…..

मां, तुम हर समय भाभी पर इतना जुल्म क्यों करती हो, क्या कमी रखती है भाभी, हम सभी की देखभाल करने में! जैसा तुम कहती हो, वैसा वह करती है, और फिर भी तुम्हें उसे परेशान करने में मजा आता है! ससुर जी बेचारे सब देखते हुए भी कुछ नहीं बोल पाते थे! एक दिन सासू मां की अंगूठी कहीं मिल नहीं रही, तो उन्होंने बिना सोचे समझे इल्जाम ऋतु के ऊपर डाल दिया और कहा..

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यह महारानी मेरी अंगूठी चुरा कर अपनी मां के घर रख आई है, यह भी चोर है, और इसके घर वाले भी चोर हैं! कैसे-कैसे कंगलों से पाला पड़ गया! इतना सुनने के बाद रितु ने घर छोड़कर जाने का निश्चय कर लिया! जिस घर में उसकी कोई परवाह नहीं ,कोई जरूरत नहीं, ऐसे परिवार में रहकर  भी क्या फायदा !

इतना अत्याचार सहने के बाद भी उसने अपनी सास को कभी उल्टा जवाब तक नहीं दिया! कई बार  आत्महत्या करने तक की भी सोच डाली! लेकिन अपने दो छोटे-छोटे बच्चों की सोच कर उसके कदम रुक जाते और वह यह सब सहने को मजबूर हो जाती! लेकिन आज उसको चोर साबित करने पर वह बिल्कुल शांत हो गई!

अपनी भाभी को सदमे से बाहर निकालने के लिए भाई जैसा वीरेन उसे जबरदस्ती अपने साथ घर के बाहर ले गया और वहां एक आइसक्रीम पार्लर में ले जाकर अपनी भाभी की पसंदीदा आइसक्रीम खिलाने लगा! और अपनी भाभी को हंसाने की भी पूरी कोशिश करने लगा !वीरेन के अथक प्रयास से रितु थोड़ा सा मुसकुराईं!

वीरेन और रितु जैसे ही घर पहुंचे, देखा  पूरा घर  वहां एकत्रित था !तब सास ने चिल्ला कर बोला… क्यों री अपने पति से मन नहीं भरा क्या.. जो ,अब अपने देवर पर भी डोरे डाल रही है! अरे.. इसे तो  छोड़ दे? आज बात उसके चरित्र पर आ गई थी! बस अब हद हो गई उसकी सहनशक्ति की! आज  वह दृढ़ निश्चय के साथ घर छोड़कर चली भी गई!

आज उसके साथ उसका पति भी था! तब सास ने फिर जोर से कहा… अरे चली जा यहां से.. और दोबारा घर में कदम मत रखना! मैं तेरी शक्ल भी नहीं देखना चाहती, मनहूस कहीं की! कुछ समय बाद उसके ससुर जी भी भगवान को  प्यारे  हो गए! जीवन अपनी गति से  चलता रहा! उधर देवर की भी शादी हो गई! किंतु वह देवर की शादी में भी नहीं गई!

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उसकी देवरानी मीनल अपनी सास से भी दो कदम आगे निकली!  सास उसको भी बस में करने की कोशिश करती, किंतु मीनल उसे हमेशा उल्टा जवाब देकर चुप कर देती, क्योंकि वीरेन ने उसे अपनी भाभी के साथ हुए अत्याचारों के बारे में उसे बता रखा था! मीनल सास के अत्याचार  बिल्कुल सहन नहीं करती थी कुछ समय बाद वह भी देवर को लेकर अलग हो गई!

अब सास पूरे घर में अकेली रह गई, और हर समय पश्चाताप करती कि उसने ऋतू जैसी मासूम के साथ बहुत अन्याय किया है! और इसी सोच की वजह से एक दिन अचानक से उन्हें दिल का दौरा पड़ गया! किराएदारों की सूचना पर दोनों बेटे तुरंत मां को लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां 10 दिन के बाद मां को छुट्टी मिल गई!

अब समस्या थी.. घर पर मां की देखभाल कौन करें?  मीनल ने साफ इनकार कर दिया कि वह अपनी सास की सेवा नहीं कर सकती ! अब सबकी आशाएं  सिर्फ ऋतु से  थी !आज सास अपने आप को बिल्कुल असहाय महसूस कर रही थी !उसकी सारी दबंगई समाप्त हो गई! आज वह अपनी  करनी पर पश्चाताप कर रही थी!

और बार-बार अपनी बड़ी बहू से अपने कर्मों की माफी मांग रही थी, और उसे वापस अपने घर आने की कह रही थी! और यही बात रवि उससे कह रहा था! किंतु आज  रितु ने पक्का फैसला कर लिया कि वह उसे घर में किसी भी स्थिति में नहीं जाएगी! उसे वह सारे अत्याचार चलचित्र की भांति दिखाई देने लगे !

आज जब सास  इस स्थिति में है, तब उन्हें पश्चाताप हो रहा है! इससे पहले तो वह अपने घमंड में ही जी रही थी! कई बार उसका मन करता की कोई बात नहीं मैं उनके जैसी नहीं हूं! इस समय उन्हें मेरी जरूरत है, तो मुझे वहां जाना चाहिए! किंतु  अगले ही पल उसका मन कहता.. नहीं मैं वहां नहीं जाऊंगी! और  अंततः उसने अपने पति रवि को बोल ही दिया, कि तुम दोनों भाई अपनी मां की जितनी सेवा करना चाहते हो करो! मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी!

अगर चाहो तो तुम उनके लिए एक केयरटेकर लगा सकते हो, जिसका खर्चा भी हम उठाएंगे! लेकिन मैं अब उस घर में वापस नहीं जा सकती, चाहे तुम इसे मेरा स्वाभिमान समझो या मेरा अभिमान!  मुझे देवी या महान बनने का शौक नहीं है! मैं जब भी उनको देखूंगी मुझे मेरे ऊपर हुए अत्याचार याद आएंगे और मैं उनकी कोई सेवा नहीं कर पाऊंगी! चाहे आज जमाना मुझे कितनी ही गालियां दे ले, मैं सब बर्दाश्त कर लूंगी! किंतु मैं वहां नहीं जाऊंगी, और यह मेरा आखिरी फैसला है!

  हेमलता गुप्ता (स्वरचित)

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