मुझे माफ़ कर दो – समिता बड़ियाल  : Moral Stories in Hindi

माँ, मैं और अविनाश आ रहें हैं आज आपके पास, हनीमून से वापिस आई रोहिणी चहकती हुई अपनी माँ से बोली |मगर दूसरी तरफ़ से सिर्फ ठीक है सुनकर उसका उत्साह थोड़ा कम पड़ गया | शादी के बाद पहली बार वो अपने पति के साथ मायके आ रही थी , लेकिन उसकी माँ को जैसे कोई ख़ुशी नहीं थी |

रोहिणी को लगा शायद माँ थकी होंगी तभी ऐसे बात कर रहीं हैं | ख़ैर अगले दिन पाँच घंटे के सफ़र  के बाद वो और अविनाश उसके मायके पहुँच गए |जहाँ रोहिणी ने सोचा था उसकी माँ खुश होकर मिलेगी , ससुराल के बारे में पूछेंगी , हनीमून के बारे में पूछेंगी,  पर ये क्या माँ और पापा ने औपचारिक तौर पर बात करी |

माँ चाय-नाश्ता देकर ये कहकर कमरे से चली गईं की रसोई में खाने की तैयारी करनी है और पापा थोड़ी देर बात करके अपने कमरे में अखबार पढ़ने चले गए | रोहिणी और अविनाश एक दूसरे की तरफ़ देखने लगे | रोहिणी को बहुत बुरा लगावो अविनाश को कमरे में बिठाकर माँ के पास रसोई में चली गयी |   रसोई में माँ के गले में बाँहे डालकर मनुहार करती हुई बोली , क्या बात हे माँ ? आपने ढंग से बात भी नहीं की , मुझसे नाराज हो क्या ?

अरे क्या कर रही है एक तो वैसे ही इतनी गर्मी है ऊपर से ये क़ाम , पीछे हट ज़रा , कहते हुए रोहिणी की बाजुओं को गले से हटा दिया | रोहिणी की ऑंखें भर आई|फ़िर भी एक बार प्यार से पूछा : माँ खाने में स्पैशल क्या बनाया है?करेले की सब्ज़ी , दाल, चावल और रोटी : माँ ने जबाब दिया | पर माँ मैं करेले तो खाती नहीं ? कुछ स्पैशल नहीं बनाया ? जो बन पड़ा बना दिया अब इतना काम नहीं होता सीधा सपाट उत्तर देकर माँ अपने कमरे में चली गई |

रोहिणी आँखों में आँसू लिए वहीँ खड़ी  रही कुछ देर बाद भारी क़दमों से अपने कमरे में चली गई | उसे याद आया अभी शादी से पहले उसकी ताई की बेटी आयी थी अपने पति के साथ शादी के बाद  पहली बार | माँ और पापा ने उनकी आवभगत में कोई कमी नहीं छोड़ी थी | शाही पनीर, कोफ़्ते , राजमाह , पापड़ जाने माँ ने क्या-क्या बना दिया था |आते वक़्त वो अविनाश से कह रही थी देखना मम्मी ने बहुत कुछ बनाया होगा | खाते -खाते थक जाओगे पर माँ खिलाना बंद नहीं करेंगी | पर यहाँ तो सब कुछ ऐसे हो रहा था जैसे वो दोनों अनचाहे मेहमान हों |  

खाने की टेबल पर बैठे तो दाल, चावल , एक सब्ज़ी और रोटी देखकर अविनाश ने रोहिणी की तरफ़ देखा मानों आँखों से पूछ रहें हों कहाँ गयी सारी डिशेज़ ? रोहिणी ने ऑंखें नीचे कर लीं | कहती भी क्या? कुछ कहने के लिए था भी नहीं

तभी अविनाश ने पूछा : मम्मी जी दहीं है,  क्या मुझे खाना दहीं के साथ खाना पसंद है | नहीं दामाद जी , मैं और रोहिणी के पापा खाते  नहीं  तो घर में रखते ही नहीं हैं रोहिणी ने पापा की तरफ़ देखा शायद वो ले आएं पर पापा निर्विकार अपना खाना खाते रहे | रोहिणी ने कहा : मैं ले आती हूँ, दुकान पास में ही है ? पर अविनाश ने हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा कोई बात नहीं आज ऐसे ही खा लूंगा | रहने दो और फिर खाना खाने लग गए |

उसे याद आया जीजू की फ़रमाइश पर पापा भरी धूप  में गुलाब जामुन लेने चले गए थे , पर आज फरमाइश तो दूर की बात एक दहीं भी न ला सके ? ऐसी भी क्या नाराज़गी भारी मन से खाना खाने के बाद , रोहिणी ने कमरे में आकर सूटकेस से माँ के लिए सुन्दर सी साड़ी  और पापा के लिए वॉलेट, और बहुत से छोटे-मोटे उपहार लेकर माँ के पास गई | माँ ने उपहार लेकर सीधे अलमारी में रख दिए , एक बार खोलकर देखे भी नहीं |

बस ये कहा बेटियों से लेने से भार  बढ़ता है , दोबारा मत लाना | कहां उसने सोचा था की वो मम्मी से बहुत सारी बातें करेगी , ससुराल की बातें बताएगी, हनीमून  की बातें बताएगी ,पर यहाँ आने से जैसे किसी को कोई फर्क ही न पड़ा हो| मम्मी-पापा का व्यवहार देखकर लग रहा था यहाँ आकर गलती कर दी | तो क्या मम्मी -पापा अभी तक मुझसे नाराज़ हैं ?

अविनाश बाहर  टहल रहे थे, तभी जल्दी से अंदर आये और कहने लगे रोहिणी घर से फ़ोन आया था , मामा जी की तबीयत अचानक खराब हो गयी है, घर वापिस जाना पड़ेगा | रोहिणी ने ये बात अपनी मां को बताई तो उन्होंने कहा ठीक है | एक बार भी ये नहीं कहा की तू अभी तो आयी है , दामाद जी को जाने दे तू यहीं रुक जा

पनीली ऑंखें , भारी दिल लिए वो गाड़ी में बैठ गई |थोड़ी देर बाद उनकी गाड़ी सड़क पर सरपट भाग रही थी | रोहिणी सारे रास्ते बस बाहर की तरफ़ देखती रही | एक शब्द भी नहीं बोली | तभी गाड़ी झटके से एक होटल के सामने रुकी | रोहिणी चौंकती हुई बोली : गाड़ी यहाँ क्यों रोक दी , घर नहीं जाना क्याचल पड़ेंगे अभी अँधेरा हो रहा है , कल सुबह यहीं से चल पड़ेंगे | अविनाश सामान लेकर होटल चला गया, रोहिणी भी पीछे -पीछे आ गयी | अजीब पशोपेश में थी , क्या हो रहा है कुछ समझ नहीं आ रहा था |  

होटल के रूम में पहुँच कर अविनाश ने अपने लिए स्टॉन्ग कॉफ़ी और रोहिणी के लिए चाय का आर्डर दे वाशरूम चले गए | रोहिणी बिस्तर पर लेटकर मायके की बातें सोच दुखी हो रही थी |आर्डर आने पर दोनों पीने बैठे तो अविनाश ने बताया , मामा जी को कुछ भी नहीं हुआ है |वो बिल्कुल ठीक हैं | तो फिर मुझे घर से क्यों ले आये ?

रोहिणी ने चौंकते हुए पूछा ? ताकि तुम और ना रोओ | मतलब? मतलब ये की जबसे तुम्हारे घर गए हैं ना किसी ने ढंग से बात की और ना हमारे साथ बैठे | किचन में हो रही बात भी मैंने सुन ली थी | बहुत बुरा लगा | माना हमारी लव मैरिज है , पर शादी तो घरवालों की मर्जी से ही हुई थी ना कोई भागकर तो शादी नहीं की हमने ?

रोहिणी की आँखों में आँसू आ गए | कहने लगी तुम्हारी ज़गह कोई और होता तो आदर -सत्कार ना मिलने पर भड़क उठता | दुनिया भर के ताने सुनाता | सच में पता नहीं उन्होंने ऐसा क्यों किया? मुझे लगा शादी की थकावट है , पर एक बार गले लगाकर प्यार तो जता ही सकते थे? इतना कहकर रोहिणी अविनाश के गले लगकर रो पड़ी | इतनी देर से जो सैलाब उसके अंदर भरा था , अविनाश के प्यार से टूटकर बह निकला | अविनाश बहुत देर तक उसे ऐसे ही गले लगाए सहलाता रहा , और उसे दिलासा देता रहा कोई बात नहीं धीरे -धीरे हम उन्हें मना लेंगे | तुम परेशान न हो |

रोहिणी की आँखों से आज नींद कोसों दूर थी | अतीत की परछाइयां उसका पीछा कर रहीं थीं | वो प्रोफ़।  किशन शर्मा जी की इकलौती संतान थी | माँ स्कूल में अध्यापिका थीं | दो गर्भपात होने के बाद रोहिणी उनकी गोद में आयी थी | रोहिणी नक्षत्र में पैदा हुई तो पापा ने यही नाम रख दिया था | बहुत प्यार करते थे उससे और साथ में बुनते थे बहुत सारे  सपने | किशन जी डॉक्टर बनना चाहते थे , मग़र पैसों की तंगी के चलते मेडिकल फीस का जुगाड़ नहीं कर पाए थे |

फिर मन मारकर , घर की गाड़ी चलाने के लिए टीचिंग प्रोफेशन चुन लिया | रोहिणी में वो अपने सपनों को जीवंत होते देखते थे वो चाहते थे रोहिणी शहर की बेस्ट डॉक्टर बने | खिलौनों में डॉक्टर किट जरूर होती ताकि उसका झुकाव डॉक्टरी की तरफ़ रहे | रोहिणी भी पढ़ने में बहुत होशियार निकली |

10th में पूरे स्टेट में टॉप किया था | किशन जी कॉलोनी में मिठाई बाँट  रहे थे और साथमें ये भी कहते जा रहे थे अब मेरी बेटी डॉक्टर बनेगी , डॉक्टर।।मेरे सपने पूरे करेगी वो। घर आकर प्यार से बेटी को गले लगाया और कहा मेरी बेटी डॉक्टर बनकर मेरा नाम रोशन करेगी।  पर पापा मैं तो IAS अफसर बनना चाहती हूँ। जैसे ही किशन जी ने सुना एक झटके में अपने से अलग कर दिया और कहा नहीं तू डॉक्टर ही बनेगी। 

मैंने आज तक तेरी सब ख्वाहिशें पूरी की हैं , तू मेरा एक सपना पूरा नहीं कर सकती क्या ? पर पापा मुझे साइंस में इंटरेस्ट नहीं है।  आप मेरे मार्क्स देख लीजिये सबसे कम साइंस में ही हैं।  जब से मैंने अपने स्कूल के फंक्शन में SDM सर को देखा है , तब से ही उनके पद और प्रतिष्ठा से प्रभावित हुई हूँ।

  मैं भी उन्ही की तरह बनना चाहती हूँ।  पर बेटा IAS अफसर तो तुम मेडिकल रख कर भी बन सकती हो , बहुत से अफसर हैं जो मेडिकल लाइन में ही IAS बने हैं।  और रही पद और प्रतिष्ठा की बात , तो बेटा जितना सम्मान डॉक्टर के  प्रोफ़ेशन में है उतना कहीं नहीं है।  मेरी बात मान ले किशन जी ने आखरी बार मनुहार करते हर कहा।  पर रोहिणी ने सीधा – सपाट उत्तर दे दिया मैं साइंस नहीं रखूँगी , मुझे आर्ट्स में ज्यादा इंटरेस्ट है।

IAS का पेपर क्वालीफाई करने के लिए आर्ट्स के सब्जेक्ट ज्यादा मायने रखते हैं।  आप मुझे साइंस रखने के लिए दबाब न बनाएं। उसने +1 में आर्ट्स के सब्जेक्ट रख लिए।  उसके बाद से पापा ने उससे बात करना बहुत कम कर दी थी।  रोहिणी ने सोचा कुछ दिन की बात है ठीक हो जाएंगे , पर ऐसा कुछ ना हुआ।   

उसके बाद रोहिणी ने +1 और +में फिर टॉप किया, पर इस बार किशन जी ने कोई मिठाई नहीं बांटी।  कहा आर्ट्स भी कोई पढ़ने की चीज है , ये सब्जेक्ट तो नालायक बच्चे लेते हैं।  पर रोहिणी ने पढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी।  उसने अच्छे नंबरों से कॉलेज पास कर लिया। 

कॉलेज खत्म करने के बाद उसने सोचा एक साल कोचिंग कर लेती हूँ उसके बाद पूरी तैयारी से एग्जाम दूँगी।  पर पापा ने मना कर दिया।  उस साल उसने बिना कोचिंग के ही एग्जाम दिया, पर थोड़े नम्बरों  से रह गई।  घर से इस पढाई के लिए कोई सपोर्ट तो नहीं मिलता था अत: उसने कॉलेज के प्रोफेसर्स से बात करने की सोची।  उन्होंने सलाह दी की तुम मास्टर्स करो साथ में कोचिंग की हेल्प ले सकती हो। अन्यथा ऑनलाइन बहुत से प्लेटफार्म हैं जिनसे तुम्हें हेल्प मिल जाएगी।

इस बार रोहिणी ने कोचिंग के लिए बात की तो पापा ने कहा : इस शहर से बाहर नहीं भेजूंगा , यहीं से कर लो।  रोहिणी मान गई।  M.A. के साथ कोचिंग भी जाने लगी। M.A. में उसकी मुलाक़ात अविनाश से हुई।  वो भी आईएएस बनना चाहता था।  अब दोनों कोचिंग और क्लासेज में साथ -साथ पढ़ने लगे।  उस साल दोनों ने एग्जाम दिया। दोनों का प्रीलिम्स क्लियर हो गया।  रोहिणी बहुत खुश हुई घर जाकर मम्मी-पापा के गले लग गई। 

मम्मी तो खुश हो गयी पर पापा ने इतना ही कहा : हाँ ठीक है , प्रीलिम्स बहुतों का क्लियर होता है , mains और interview  निकले तब खुश होना।  वो भी हो जाएगा पापा।  आप बस अपना आशीर्वाद दे दीजिये।  रोहिणी ने भाव-विभोर होकर कहा।  उसने Mains के लिए दिन – रात एक कर दिया और उसे भी क्लियर कर लिया। 

अविनाश का भी mains क्लियर हो गया।  दोनों बहुत खुश थे।  उस दिन रोहिणी ने उससे अपने मन की बात कह दी।  अविनाश मैं तुम्हे पसंद करती हूँ , क्या मुझसे शादी करोगे ? अविनाश ने उसका हाथ पकड़ कर कहा : बस एक बार UPSC क्लियर कर लूँ , मैं खुद तुम्हारे मम्मी – पापा से बात कर लूंगा।  मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।    

एग्जाम का रिजल्ट आया , अविनाश का क्लियर हो गया था ,IRS  पद  मिला था उसे।  पर रोहिणी का नहीं हो पाया , थोड़े से नंबर्स की वज़ह से रह गई।  उसे बहुत दुःख हुआ पर अविनाश के लिए खुश थी। घर पर जब रिजल्ट बताया तो पापा ने कहा : मैंने तो पहले ही कहा था I.A.S हर किसी के बस की बात नहीं है।  मेरी बात मानी होती तो अब तक MBBS कर चुकी होती।  माँ ने भी कुछ ख़ास नहीं कहा।  बेचारी दिन भर अकेली कमरे में रोती  रही।  अविनाश ने उसे हिम्मत दी , तुम टेंशन मत लो अगली बार पक्का हो जाएगा। 

एक दिन सुबह -सुबह किशन जी ने सावित्री जी से कहा : आज रोहिणी को तैयार होने के लिए कह देना , मेरा दोस्त , उसकी पत्नी और बेटा उसे देखने आ रहें हैं।  उसका बेटा मैनेजर की पोस्ट पर है और घर भी इसी शहर में है।  रोहिणी की तस्वीर देखते ही उसने हाँ कर दी थी , आज शगुन डालने आ रहें हैं।

  इतना सुनते ही रोहिणी पापा के पास आ गयी और कहने लगी , मैं अविनाश से प्यार करती हूँ और उसी से शादी करुँगी।  तड़ाक :::एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा।  वो ठगी सी रह गई , आँखों से आँसू बहने लगे और एकटक पापा की तरफ देखे जा रही थी।  आज जिंदगी में पहली बार किशन ने उसके ऊपर हाथ उठाया था।  किशन जी चिल्लाकर बोले : इसलिए इस साहबजादी का पेपर क्लियर नहीं हो रहा।  प्यार के गुलछर्रे उड़ाए जा रहें हैं। 

अगर इस बार तुमने मेरी बात नहीं मानी , तो तुम्हारा -मेरा रिश्ता ख़तम समझी ?? पापा अपना फ़रमान सुनाकर अपने कमरे में चले गए।  रोहिणी बहुत देर तक रोती रही।  शाम को पापा के दोस्त की फैमिली उसे देखने आयी |जैसे ही रोहिणी लड़के से  अकेले में मिली उसने सारी बात साफ़ -साफ़ कह दी।  वो लोग बिना कुछ कहे ही चले गए और घर जाकर रिश्ते के लिए मना कर दिया।  ये सुनकर तो किशन जी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।

कहने लगे तुमने मेरे दोस्त को दिया वादा तुड़वा दिया।  उसकी आँखों में मेरी छवि ख़राब कर दी। जिससे शादी करनी है करो आज से मेरा -तुम्हारा रिश्ता ख़तम।  वो औलाद ही क्या, जो माँ-बाप की एक ना सुने।तुम कभी खुश नहीं रह पाओगी।  तुमने हर बार मेरी उम्मीदों पर पानी बहाया है।  तुम वो कभी हासिल नहीं कर पाओगी जो सोचा है।  रोहिणी अवाक,  रह गयी थी पापा की बात सुनकर , अपनी संतान केलिए इतनी नफरत ? वो समझ नहीं पाई।   

उसके बाद से पापा ने बात करना ही बंद कर दिया।  सावित्री जी भी रोहिणी के इस फ़ैसले से खुश नहीं थी। सारी बातें अविनाश को बताईं , उसने धीरज बँधाया।  कुछ दिन बाद अविनाश अपने परिवार के साथ उसके घर रिश्ते की बात करने आया। किशन जी और सावित्री जी ने ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया बस हाँ-हूँ करते रहे।  एक महीने के अंदर ही अविनाश और रोहिणी की शादी हो गयी। रोहिणी सोचने लगी अब उनसे दूर रहूंगी तो शायद नाराज़गी अपने आप ख़तम हो जाएगी।  

इस बार रोहिणी ने जी-जान लगाकर एग्जाम की तैयारी की।  प्रीलिम्स और मैन्स क्लियर भी हो गए अब बस इंटरव्यू के रिजल्ट का इंतज़ार था।  वो बेचैनी से घर में इधर-उधर घूम रही थी।  उसकी सास उसे धीरज बंधा रही थी।  तभी बाहर गाड़ी आकर रुकी।  अविनाश मिठाई का डिब्बा हाथ में लिए अंदर आया।  आते ही उसने रोहिणी को कमर से उठा लिया , मुबारक हो आईएएस साहिबा , आपका एग्जाम क्लियर हो गया है।  तुम्हे आईएएस की पोस्ट मिली है। 

इतना सुनते ही  ख़ुशी से रोहिणी अविनाश को चूम लेती है।  सास भी बहुत खुश हुईं , सर पर हाथ रखकर ढेरों आशीर्वाद दे दिए।  अविनाश ने कहा अपने मम्मी-पापा को भी रिजल्ट बता दो।  फ़ोन  कर लो उन्हें।  अविनाश ने कहा।  नहीं अविनाश ये बात मैं खुद जाकर उन्हें बताऊँगी।  इतना कहकर रोहिणी गाड़ी लेकर अपने मायके की तरफ चल दी। घंटी  बजाने पर जैसे ही दरवाजा खुला , रोहिणी माँ से लिपट गयी।  माँ मैं आईएएस अफसर बन गई। 

मेरा सपना पूरा हो गया माँ।  माँ बहुत खुश हुईं।  तभी पापा अपने कमरे से निकल कर आये , रोहिणी उनसे भी बच्चों की तरह लिपट कर चहकती हुई बोली , पापा मेरा सपना पूरा हो गया।  मैं अफसर बन गयी।  पर इतनी बड़ी बात सुनकर भी किशन  जी खुश नहीं हुए।  बस इतना कहा अच्छी बात है , पर डॉक्टर बनती तो ज्यादा ख़ुशी होती।  रोहिणी बस देखती रह गयी।  पापा अभी तक आप उसी बात पर अटके हैं?  डॉक्टर बनना मेरा सपना नहीं  था। 

मैं तो शुरू से ही आईएएस बनना चाहती थी।  हाँ तो बन गयी ना अब क्या SELUTE  करूँ तुझे ?? किशन जी गुस्से से बोले।  नहीं पापा मैं तो आपको अपनी खुशियों मैं शामिल करने आयी थी।  अरे नहीं होना शामिल।  नहीं है तू मेरी बेटी , अगर होती तो मेरे सपने पूरे करती। . पर तुमने सिर्फ और सिर्फ अपनी खुशियों  के बारे में  सोचा।  चली जा यहाँ से , किशन जी गुस्से में हाँफते हुए बोले।  रोहिणी रोते हुए घर से निकल गयी।  उसकी गाड़ी फुल स्पीड से सड़क पर दौड़ रही थी।

  रोहिणी के जाते ही सावित्री जी किशन जी पर टूट पड़ी , और कहा : माना उसने सारी  जिंदगी  अपनी मनमानी की है फ़िर भी वो मुक़ाम हासिल किया जो हर किसी के सपने में होता है , पर हासिल किसी-किसी को होता है।  अपनी मर्ज़ी  से शादी की तो हीरा ही ढूढ़ा है। उसने हर बार हमारा सर गर्व से ऊँचा ही किया है , पर आपको उससे पता नहीं क्या चाहिए ?

इधर अविनाश ने रोहिणी को फ़ोन किया।  रोहिणी फ़ोन को स्पीकर पर डालकर जार-जार रोने लगी।  अविनाश क्या गलती है मेरी ? इतनी बड़ी अचीवमेंट पर भी पापा खुश नहीं हुए, कहतें हैं तू मेरी औलाद नहीं हो सकती.? मैं क्या करूँ , रोहिणी बेतहाशा रोये जा रही थी।  अविनाश रोहिणी को समझाता है : रोहिणी आवेश में गाड़ी  मत चलाओ।  साइड पर कहीं लगा लो।  शांत हो जाओ।  मैं आता हूँ तुम्हें लेने के लिए।  तभी तेज हॉर्न  की आवाज के साथ रोहिणी की चीख़ सुनाई दी अवि…नाश…..

ाव.ा।  अविनाश सुन्न हो गया फ़ोन कट गया  था. उसने फिर कोशिश की पर रोहिणी का फ़ोन नहीं लग रहा था।  वो रोहिणी के घर की तरफ चल पड़ा। थोड़ी देर बाद किसी अनजान नंबर से फ़ोन आया : जी यहाँ एक लेडी हैं , उनका एक्सीडेंट हो गया है।  हम उन्हें सिविल हॉस्पिटल लेकर जा रहे हैं आप वहीँ आ जाइये। 

अविनाश ने गाड़ी हॉस्पिटल की तरफ़ मोड़ दी।  हॉस्पिटल पहुंचा तब तक रोहिणी को O.T में लेकर जा चुके थे।  अविनाश ने वहीँ से किशन जी और अपने मम्मी-पापा को एक्सीडेंट की बात बताई।  थोड़ी देर में ही सब हॉस्पिटल पहुँच गए।  तभी डॉक्टर O.T  से बाहर निकले और अविनाश से कहा : सर पर बहुत गहरी चोट लगी है, आंतरिक चोटें बहुत आयी हैं , अगले 4 -5 घंटे बहुत क्रिटिकल हैं।  सभी ICU की तरफ भागे।  रोहिणी पट्टियों में लिपटी हुई थी।  ऐसी हालत देख किशन जी की आँखों में आँसू आ गए।  उन्हें अब एक -एक बात याद आ रही थी , जो उन्होंने गुस्से में बोली थी।  सोचने लगे शायद मेरी बद्दुआ लग गयी मेरी बच्ची को।  तभी रोहिणी ने धीरे से ऑंखें खोली। पा…. पा……. हाँ मेरी बच्ची मैं यहीं हूँ तेरे पास।  अपने पापा को माफ़ कर दे बेटा।  मैं कभी तुझसे नाराज़ नहीं होऊंगा।  बस एक बार माफ़ कर दे।  

किशन जी रोहिणी का हाथ पकड़ कर बस रोये जा रहे थे।  तभी रोहिणी धीरे से बोली: आपकी दुआ कबूल हो गयी पापा।  आपकी बेटी होकर भी आपकी नहीं बन पाई।  मुझे माफ़ करना। …….. हाथ की पकड़ ढीली पड़ गई और रोहिणी हमेशा के लिए गहरी नींद में सो गयी।  अविनाश बुत्त सा बना खड़ा रह गया। माँ की दहाड़ों  से पूरा अस्पताल गूँज उठा।  किशन जी अब भी उसका हाथ पकडे हुए थे।  बार- बार यही दोहराये जा रहे थे : मुझे माफ़ कर  दे बेटा , मुझे माफ़ कर दे।  पर माफ़ करने वाली रोहिणी इस दुनिया से जा चुकी थी। 

लेखिका : समिता बड़ियाल

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