“मुझे माफ कर दो पापा ” – कमलेश आहूजा  : Moral Stories in Hindi

नेहा अरमान के प्रेम में इतनी पागल हो गई थी कि उसको कुछ भी सुध नहीं थी।कब वो उसको अपने काम के लिए इस्तेमाल करने लगा उसको पता ही नहीं चला। बस वो उसके मोह जाल में फँसती चली गई और अरमान उसका फ़ायदा उठाने लगा। नेहा की माँ ने उसे बहुत समझाया लेकिन वो अरमान के प्रेम में इतनी बावली हो चुकी थी कि उसने उसकी एक न सुनी और एक दिन घर छोड़कर अरमान के साथ चली गई।

अरमान ने कई वादे किए कई क़समें खाईं लेकिन एक दिन वो ऐसा गया कि पीछे मुड़कर भी नहीं देखा कि नेहा अकेली कैसे रह रही होगी?माँ बाप ने भी नेहा से किनारा कर लिया था।
अरमान के जाने के बाद नेहा बिल्कुल अकेली पड़ गई थी।दिन प्रति दिन उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी।घर चलाने के लिए पैसे नहीं थे उसके पास।राशन पानी भी खत्म हो चला था।

उसने अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं की थी जो छोटी मोटी नौकरी करके गुजारा कर लेती।माता-पिता से भी मदद नहीं माँग सकती थी क्योंकि उन्होंने तो उससे बात करना बंद कर दिया था।ऐसे में उसे बस राहुल ही आशा की किरण के रूप में दिखाई दिया।कॉलेज में राहुल नेहा और अरमान का कॉमन फ्रेंड था।राहुल पढ़ाई में बहुत होशियार था

और स्वभाव से भी गंभीर था।जबकि अरमान को पढ़ाई लिखाई से कोई मतलब नहीं था बस टाइम पास करना और लड़कियों के पीछे भागना उसकी आदत थी।राहुल ने कई बार नेहा को टोका था कि वो अरमान से ज्यादा दोस्ती न रखे पर कहते हैं ना..प्यार अंधा होता है। नेहा राहुल की बातों को नजरंदाज कर अरमान के साथ प्यार की पींगें बड़ाती रही और एक दिन उसके साथ घर छोड़कर चली गई।

नेहा ने राहुल को फोन किया-“हेलो,राहुल कैसे हो?”
“मैं ठीक हूं।तुम कैसी हो?”

राहुल का इतना पूछना था कि नेहा ने रो-रोकर अपनी कहानी सुनाई और उसे घर आने को कहा।

शाम को राहुल नेहा के घर आया तो उसने देखा नेहा पहले से काफी कमजोर हो गई।बातें करते करते नेहा को चक्कर आ गया वो सोफे पे पसर गई।राहुल नेहा की हालत देखकर घबरा गया।वो उसे को डॉक्टर के पास ले गया।डॉक्टर ने जॉच करके बताया कि नेहा को खून की कमी हों गई है।कुछ टेस्ट कराने के लिए बोले और दवाइयां लिख दीं।

थोड़ी देर में दोनों घर आ गए।नेहा राहुल से बोली-“आज तुम न होते तो मेरा क्या होता।तुमने मुझे संभाल लिया।”

“नेहा हम दोस्त हैं,इतना भी नहीं करूंगा तो फिर दोस्त किस बात का।”

नेहा का मन जानता था कि राहुल उसे बेइंतहा प्यार करता है लेकिन कभी जाहिर नहीं किया।वो दोस्ती में रिश्ता निभाए चले जा रहा था और नेहा अपनी पहली मुहब्बत में ही खोई हुई थी ।

“नेहा,ऐसे हालत में तुम अकेली कैसे रहोगी?तुमको किसी के साथ की बहुत जरूरत है।”

“ये सब मैं अच्छे से समझती हूं राहुल।पर मैं क्या करूं?किसके पास जाऊं?सबने मुझसे नाता तोड़ लिया है।मां तो मेरी शक्ल तक नहीं देखना चाहती।और सही भी है क्योंकि मैंने काम ही ऐसा किया है।”नेहा रुआंसी होकर बोली।

“तुम एक बार कोशिश करके तो देखो।वो तुम्हें माफ कर देंगे।जहां तक बात है तुम्हारी मां की तो मैं इतना ही कहूंगा कि…मां कभी बच्चों से खफा नहीं होती..बस थोड़ी देर के लिए उनसे दूर जरूर चली जाती है।अभी तो देर हो गई है कल मैं आऊंगा और तुम्हें तुम्हारे घर ले चलूंगा।तैयार रहना।”ये कहकर राहुल चला गया ।

नेहा मन में सोचती ही रह गई कि कोई इतना कैसे प्यार कर सकता है निःस्वार्थ भावना से?
दूसरे दिन नेहा हिम्मत जुटाकर राहुल के साथ अपने घर गई।पिता ने दरवाजा खोला और उसे देखकर गुस्से से बोले- “अब क्या लेने आई यहां?हमारी इज्जत मिट्टी में मिलाकर तुझे चैन नहीं मिला..चली जा यहां से।”

“पापा,मुझे प्लीज माफ कर दो मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई।अब दुबारा कभी ऐसा कोई काम नहीं करूंगी जिससे हमारे खानदान की इज्जत पे आंच आए।”नेहा रोते रोते बोली।नेहा की आवाज सुनकर उसकी मां वहां आ गई।नेहा की हालत देख उसका दिल पसीज गया।उसने नेहा को गले से लगा लिया और उसे घर के अंदर ले आई।

राहुल को भी अंदर आने को कहा।राहुल ने सारी बात नेहा के माता-पिता को बताई,कि कैसे अरमान ने नेहा को धोखा दिया और अकेला छोड़कर चला गया।और ये भी बताया कि डॉक्टर ने नेहा का ख्याल रखने को कहा है।
नेहा मां से बोली-“मां मुझे माफ कर दो।मैं जानती हूं आप मुझसे बहुत नाराज हैं क्योंकि मैंने आपके विश्वास को तोड़ा है।आपको मुझपर कितना भरोसा था कि मैं कभी कुछ गलत नहीं करूंगी।”

“बेटा,मां कभी अपने बच्चों से खफा नहीं होती।हां,बच्चे गलती करते हैं तो उसे दुख जरूर होता है।चल अब पुरानी बातों को भूलकर नई शुरुआत कर।”

नेहा के पिता का गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ था।तंज कसते हुए नेहा की मां से बोले-“नेहा की मां,चलो एक बार को हम तो तुम्हारी बिटिया को माफ कर देंगे पर जमाने वालों का क्या?वो इसकी इस हरकत को माफ कर पाएंगे क्या?इससे कौन शादी करेगा?”

“अंकल,आप जमाने की बात छोड़ दें।बस अपनी बेटी का ख्याल रखें।जहां तक शादी की बात है..मैं नेहा से शादी करूंगा आप चिंता न करें।”राहुल की बात सुनकर नेहा के पिता का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ।

नेहा के पिता काफी समय तक उससे नाराज रहे पर नेहा की मां सब कुछ भुलाकर पहले की तरह उसे लाड प्यार करने लगी।

राहुल की पढ़ाई पूरी हो गई और उसे नौकरी भी मिल गई।दोनो परिवारों की रजामंदी से राहुल और नेहा की शादी हो गई।नेहा अपने ससुराल में खुश थी उसे राहुल का प्यार वी साथ दोनो मिल रहे थे।अपने कुशल आचरण से नेहा ने माता पिता और परिवार का प्रेम व विश्वास पुनः हासिल कर लिया।

कमलेश आहूजा

27/505

सिद्धाचल फेज 

एचडीएफसी बैंक के सामने

वसंत विहार

थाने (महाराष्ट्र)

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