“यह क्या अनर्थ कर दिया तूने तुमसे मना किया था ना मैंने कि इस बार मुझे करवा चौथ का बायना (वस्त्र भोजन और पैसे) मत देना किसी सुहागिन औरत को देना मेरे मना करने के बाद भी तूने करवा चौथ का बायना मेरी गोद में रख दिया”दरअसल उस वक्त नेहा की सास विमला गमगीन हालत में कुर्सी पर बैठी हुई थी
तभी नेहा ने करवा चौथ का पूजन करके वस्त्र भोजन और पैसे उनकी गोद में रखकर अपनी सास का आशीर्वाद देने के लिए उनके कदमों में झुक गई थी।
सास की बात सुनकर नेहा को कुछ समय पहले की बात याद आ गई थी जब वह दुल्हन बनके अपनी ससुराल आई थी उस वक्त बेहद खुशहाल था उसका परिवार उसके सास ससुर उसे बेहद प्यार करते थे उसकी हर जरूरत का पूरा ध्यान रखते थे उसका कुछ अच्छी चीज खाने का मन करता तो उसकी सास ससुर से कहकर उसके लिए मनपसंद चीज मंगा कर उसे खाने के लिए दे देती थी वह भी अपने सास ससुर से बहुत प्यार करती
थी समय से पहले उनके खाने पीने की वस्तु बनाकर थाली में सजा कर उन्हें खिला देती थी बीमार होने पर उनकी बहुत सेवा करती थी घर में जब भी कोई त्यौहार होता तो दोनों सास बहू मिलकर धूमधाम से त्यौहार मनाती थी करवा चौथ का व्रत हो या फिर अहोई और वट सावित्री व्रत का पूजन हो नेहा व्रत संपूर्ण करने के बाद अपनी सास को बायना देकर उनका आशीर्वाद लेकर ही अपना व्रत खोलती थी
बेहद खुशी से नेहा के दिन बीत रहे थे कि अचानक एक दिन नेहा के ससुर को दिल का दौरा पडने से हृदय गति रुक जाने के कारण उनकी मौत हो गई थी जिससे उसकी सास विमला बेहद दुखी दुखी रहने लगी थी।
कुछ दिन बाद ही करवा चौथ का व्रत आने वाला था 1 दिन वह उन्हें खाना देने के लिए उनके कमरे में गई तो विमला उससे बोली”इस बार करवा चौथ का बायना मुझे मत देना किसी सुहागिन औरत को देना विधवा को करवा चौथ का बायना देना अशुभ होता है “उस वक्त सास की मनोदशा देखकर नेहा ने उनसे बहस करना उचित नहीं समझा
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और वह उन्हें खाना देकर अपने कमरे में वापस आ गई वह जानती थी कि उसकी सास ऐसा गांव की कुछ औरतों की बात सुनकर कह रही थी जो उसके ससुर के गुजरने पर उसे राय दे रही थी कि अब अपनी सास को किसी भी त्यौहार पर बायना मत देना तब उसने उन औरतों की बात को नजर अंदाज कर दिया था।
करवा चौथ के दिन उसने मन ही मन निश्चय कर लिया था कि वह किसी सुहागन को बायना देने की बजाय अपनी सास को ही बायना देगी रात को चंद्रमा निकलने के बाद जब चंद्रमा की पूजा करने के बाद उसने सास को बायना दिया तो सास गुस्सा हो गई थी।
सास की बात सुनकर वह उन्हें प्यार से समझाते हुए बोली”मम्मी जी जब भी मुझ पर कोई मुसीबत पडी सबसे पहले आपने मेरा साथ दिया था सुख में दुख में हर पल आप मेरे साथ खडी थी आपके आशीर्वाद से मैंने हर मुसीबत पर विजय प्राप्त कर ली थी यदि मैं आपकी और गांव की औरतों की बात मान लेती
तो मै हमेशा के लिए आपके आशीर्वाद से वंचित हो जाती मेरे लिए आप अब भी पूजनीय हैं इसलिए मुझे करवा चौथ का बायना देने से इंकार मत करो आपके आशीर्वाद से मै सदा सुहागन रहूंगी मुझे आपके आशीर्वाद पर पूरा विश्वास है इसलिए गुस्सा मत कीजिए और मुझे अपना बहुमूल्य आशीर्वाद दीजिए
“नेहा की बात सुनकर उसके मन में अपने प्रति सम्मान और प्यार की भावना देखकर उसकी सास की आंखों से आंसू छलक पड़े थे “सदा सुहागन रहों” का आशीर्वाद देते हुए उन्होंने प्यार से नेहा को अपने गले से लगा लिया था।
बीना शर्मा
Bi lovely❤❤❤❤
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