जाने क्या बात हुई कि सुधा ने फोन का रिसिवर उठाते हुए कहा कि आज के बाद कभी इस नम्बर पर फोन मत करना सुरेश,आज से तुम्हारा और मेरा कोई संबंध नहीं , उधर से हैलो हैलो की आवाज आ ही रही थी कि सुधा ने फोन क्रेडिल पर पटक दिया और बिजली की तेजी से उसने अपनी अलमारी खोली उसमें से सुरेश की फोटो निकाल कर उसे फाड़ने लगी
,वह फोटो जिसे वो बहुत संभाल के रखती थी सबसे छुपा के एक पुराने पर्स में अपनी अलमारी के लॉकर में इस फोटो को निकाल कर आज वह टुकड़े-टुकड़े करती हुई डस्टबिन में फेंकती जा रही थी , रचना यह देखकर हैरत में पड़ गई और पूछ बैठी की माफ करना सुधा मैंने फोन पर की बातें सुन ली तुम्हारी, अचानक सुरेश से मुंह क्यों मोड़ रही हो ,
यह क्या कर रही हो ,सुरेश तो तुम्हें बहुत पसंद था ,तुम्हारे दिल के करीब ,तुम उससे बहुत प्यार करती थी ,हां दुर्भाग्य वश तुम्हारी शादी ना हो पाई उससे , पर अपने दिल की बात अपने माता-पिता को कहने की हिम्मत ही नहीं कर पाई तुम,उनकी इज्जत तुम्हें बहुत प्यारी थी लेकिन तुम सुरेश को अपने दिल से नहीं निकाल पाई, तुमने आज तक उसकी फोटो संभाल कर रखती थी,
तो आज ऐसा क्या हुआ कि तुमने इस फोटो को निकाल कर उसके टुकड़े-टुकड़े करके इतनी बेदर्दी से उसको डस्टबिन में डाल रही हो, सुधा की आंख से आंसू बह रहे थे उसने आंसू को अपने आंचल से पोछते हुए रचना की तरफ मुड़ी और कहा ,तुम कब आई ?,मुझे तो पता ही नहीं चला, रचना बोली चाय पीने का मन हुआ तो आ गयी ,
दरवाजा भी खुला ही हुआ था,पर मुझे क्या पता था कि तू ही खौलती हुई मिलेगी , रचना की बात सुनकर सुधा बोली आज मुझे आत्मग्लानि हो रही है मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं बहुत गलत कर रही थी, मेरी शादी को छ: महीने हो गए पर मैं सुरेश की यादों को मिटा नहीं पाई थी,मेरे पति मुझसे कितना प्यार करते हैं यह मुझे महसूस हुआ मेरे जरा से देर आने पर वो चिंतित स्वर में बोले कि तुम एक फोन
नहीं कर सकती थी तुम्हें घर में न देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी जान ही निकल गई अब कभी ऐसा मत करना ,रात के नौ बज गए,कहते हुए जब मुझे गले से लगाया तो मुझे ऐसा लगा कि मैं क्यों गई थी सुरेश से मिलने ,क्या….? तुम सुरेश से मिलने गई थी रचना ने हैरानी से कहा ,हां रचना मैं सुरेश से मिलने गई थी वह अभी इस शहर आया हुआ है
उसने मुझसे मिलने की इच्छा रखी , मेरी जिंदगी में एक बहुत प्यार करने वाला पति है , जिसे मुझ पर बहुत विश्वास है, और मैं कभी उनका विश्वास तोड़ना नहीं चाहती,इस अंजान शहर में मेरे देर से आने पर भी गौरव ने मुझसे सवाल नहीं किया बल्कि चिंता थी उसके चेहरे पर,मैं बहुत खुश हूं गौरव के साथ, और यही कहने मैं सुरेश से मिलने चली गई ,
मेरा इस तरह मुंह मोड़ लेना उसे परेशान तो करेगा पर वो समझ जाएगा कि हमारा साथ बस वहीं तक था ,अब मैं सिर्फ़ गौरव की हूं, सिर्फ और सिर्फ गौरव की,मैंने सुरेश का नंबर भी ब्लॉक कर दिया ,इसलिए उसने घर के नम्बर पर फोन किया , पर मैं आज के बाद कभी उससे वास्ता नहीं रखूंगी , मेरी दुनिया मेरा प्यार,मेरा संसार मेरे पति की बाहों में है,रचना जो बात उसे समझाना चाहती थी वो उसे आज खुद समझ आ गई, रचना ने उसे जी भर कर रोने दिया, आखिर वो पश्चाताप के आंसू थे।
अर्चना झा ✍🏻