मूवी का टिकट – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

कम्मो आज केवल मां पिताजी का ही डिनर बनाना उनसे पूछ लो उन्हें क्या खाना है वहीं बना दो हम लोग बाहर जा रहे हैं राजन ने मेड के आते ही बताया।

जी साब कहती कम्मो मांजी के पास पहुंच गई थी।

अम्मा बताए दो क्या बना दूं खाने में आप और बाबूजी के लाने..कम्मो पूछ रही थी।

अरे बच्चों की पसंद का बना ले जो वे कहें हम लोग भी वही खा लेंगे मां ने सहजता से कहा।

नहीं दादी हम लोग तो फिल्म देखने बाहर जा रहे हैं तो होटल से डिनर लेकर आयेंगे छोटी तान्या चहक उठी।

अच्छा अच्छा तुम सब बाहर जा रहे हो बाबूजी का स्वर थोड़ा उदास हो उठा था।

कम्मो कुछ भी बना ले हम दो जनि तो खिचड़ी ही खा लेंगे क्यों तू भी परेशान होएगी मां ने भी निरपेक्ष स्वर में कहा तो कम्मो नाराज हो गई

अब ये का बात हुई हम काहे परे सान होने लगे हमारा तो यही काम ही है ये लोग बाहर होटल में खाएंगे ता आप लोग उदास काहे हो आप भी बढ़िया खाइए …. अच्छा आप रहने देई अम्मा आज हम आपन पसंद के खाना आप लोगन के लिए बना देंगे… कहती कम्मो किचेन में चली गई।

राजन की मां हम दोनों फिल्म देखने कब गए थे तुम्हे याद है पिता जी सहसा पूछ बैठे..  उदासी की वजह बाहर ना जाना और ना खाना नहीं है यह बात कम्मो को कैसे बताते..!!

आप भी क्या बात लेकर बैठ गए अरे आपकी भी इच्छा हो रही है तो राजन से कह दीजिए मां ने पिताजी के दिल की बात पकड़ कर चुटकी ली थी।

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धीमे बोलो राजन की मां.. कोई सुन लेगा तो क्या समझेगा..!मेरा यह मतलब नहीं था अब इस उम्र में भला मैं राजन के साथ  मूवी देखने जाऊंगा क्या..!! पिता जी ने बुझे स्वर में कहा… जरा टीवी ऑन कर दो न्यूज लगा दो…..!

हां जब उमर थी तब तो ना जाने कितनी पिक्चर साथ में देख लिए थे और दिखा दिए थे मां ने तंज कसा तो पिता जी ज्यादा गमगीन हो गए अब तुम भी मुझे सुना लो राजन की मां !! क्या करूं जब उमर थी तब पिक्चर की तरफ ध्यान देने का समय नहीं मिल पाया ।उस समय खुद के मजे के लिए समय निकालना फिल्म आदि देखना अपराध करने जैसा प्रतीत होता था .. फिर… तुमने भी तो कभी इच्छा जाहिर नहीं की जिद नहीं की..!!पलटवार कर अपनी सफाई देकर उन्हें  तनिक तसल्ली महसूस हुई।

मेरी इच्छा भी आपकी ही इच्छा में शामिल रहती थी जी… तब समय नहीं था अब उमर नहीं है वाह री जिंदगी तू भी कमाल है गहरी सांस भर मां भागवत गीता उठाकर पढ़ने बैठ गई पर आज मन नहीं लग पा रहा था।

….मेहुल मूवी के सात टिकट  क्यों लाया है जाने वाले तो हम लोग पांच हैं मै ,तुम, तुम्हारी दोनों बहनें तान्या सान्या और तुम्हारी मम्मी  राजन आश्चर्य में था।

पांच नहीं पापा हम सात जने है मूवी देखने जाने वाले  मेहुल ने राजदारी से कहा।

तुम्हारे दोस्त आ रहे हैं क्या राजन की उत्सुकता और बढ़ गई।

नहीं पापा दादी दादा भी हमारे साथ चलेंगे मेहुल ने पापा के पास आकर रहस्योद्घाटन किया तो राजन पर मानो बम विस्फोट हो गया।

पापा और मां भी जायेंगे!! हमेशा तो मुंह लटकाए रहते हैं उन्हें तो कुछ अच्छा ही नहीं लगता वैसे भी उन लोगों की अब कोई उमर है क्या फिल्म देखने की !! राजन चिढ़ गया।

उमर की क्या बात है पापा फिल्म देखने से मेहुल ने भी चिढ़ कर प्रतिप्रश्न कर दिया.. पापा वे लोग हम सबके साथ चलेंगे उन्हें यही अच्छा लगेगा वैसे तो उमर तान्या सान्या की भी नहीं है फिल्म देखने की..!!

अरे मां पिता जी के साथ मूवी कौन देखने जाता है अच्छा लगता है क्या!!राजन ने फिर विरोध जताया।

क्यों अच्छा नहीं लगता पिता जी अगर मैं और दोनों बहनें आप लोगों के साथ मतलब अपने मां पिता जी के साथ मूवी देखने जा सकते हैं तो आप भी अपने मां पिता जी के साथ जा सकते हैं..मेहुल तर्क करने लगा ।

हां परन्तु वे लोग वृद्ध हो गए हैं मूवी देखने जाने पर बाकी लोग हंसी उड़ाएंगे मुझे तो सोच कर ही बुरा लग रहा है और फिर वे लोग जाना भी नहीं चाहते उन्हें मूवी देखना अच्छा नहीं लगता राजन का मन उसके तर्क को अस्वीकार करने पर उतारू था।

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आपको कैसे पता पापा कि उन्हें मूवी जाना अच्छा नहीं लगता क्या कभी आपने उनसे पूछा या साथ चलने को कहा..!! मेहुल ने तीखे स्वर में कहा तो राजन निरुत्तर सा हो गया।

हां मुझे कैसे पता मैने कभी उन्हें साथ चलने को कहा ही नहीं मै तो ये मान कर चलता हूं कि मूवी देखने मां पिताजी नहीं ही जायेंगे अब वे वृद्ध हो गए हैं इन सब बातों से उन्हें दूर ही रहना चाहिए…मन ही मन वह सोचने लगा।

पापा मैने आज देखा हम लोगो के मूवी जाने की बात सुनकर दादाजी कुछ अनमने से उदास से हो गए थे.. इसीलिए मैं उन लोगों के लिए भी टिकट ले आया .. आखिर उन्हें भी मनोरंजन करने का अधिकार है ।पापा प्लीज एक बार मेरे साथ  चलकर उन्हें साथ चलने को कहिए तो.. मेहुल का आग्रह राजन टाल नहीं सका।

दादाजी ये मूवी बहुत अच्छी है आप लोगों को भी अच्छी लगेगी हम सब चलेंगे मैं सबके लिए टिकट ले आया हूं मेहुल ने कमरे में घुसते ही जोर से कहा तो दादाजी चौंक गए और दादी गीता से नजरें उठाकर उसकी ओर विस्मय से देखने लगीं.!!

अरे अब हम बूढों के साथ फिल्म देखने जाओगे!!वैसे भी इतनी देर वहां कुर्सी में बैठने से घुटने दर्द करने लगेंगे मां ने तुरत राजन की तरफ देखते हुए कहा अब तू ही इसे समझा ..!!मानो वह राजन को ही जताना चाह रही थीं।

अरे मां ये तो पहले से ही बहुत समझदार है जानती हो एकलाइनर्स की टिकट लाया है जिसमें तुम आराम से पैर फैलाकर लेट कर मूवी देख सकती हो घुटनों में कोई दिक्कत ही नहीं होगी राजन ने हंसकर कहा तो पिता जी  हंसने लगे अच्छा आजकल ऐसी भी सुविधा हो गई है क्या ..!!

हां दादाजी लगता है ये सुविधा आप बुजुर्गो का ध्यान रखने के लिए ही की गई है मेहुल ने हंसकर कहा तो दादाजी खुल कर हंस पड़े तू तो कुछ ज्यादा ही समझदार हो गया है राजन ठीक ही कह रहा है।

चलिए फिर तैयार हो जाइए इस समझदार की बात तो अब आपको माननी ही पड़ेगी दादी ने गीता  बंद करते हुए खिलखिलाकर कहा तो सब लोग जोरों से हंस पड़े।

वास्तव में जिस घर में बुजुर्ग हंसते मुस्कुराते मिलते है उस घर घर पर भगवान की कृपा बनी रहती है मानो भगवान का वास होता है.. राजन कार में और फिर फिल्म देखने हुए मां पिताजी को लंबे समय के बाद  खिलखिलाते हुए देखकर गहरा सुख अनुभव कर रहा था।

लतिका श्रीवास्तव 

जिस घर में बुजुर्ग हंसते मुस्कुराते मिलते हैं उस घर में भगवान का वास होता है#वाक्य प्रतियोगिता

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