घर की लाडली बेटी शैलजा का रिश्ता बहुत बड़े घर में हो गया। घर में सभी लोग फूले नहीं समा रहे थे। बड़े-बड़े फलों के टोकरे, मिठाईयां के दर्जनों डिब्बे से घर भरा पड़ा था। गोल्ड और डायमंड की वेशकीमती ज्वेलरी देख कर सबको शैलजा की किस्मत पर नाज हो रहा था। मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखने वाले लोगो का इतने ऊंचे घर में बेटी का रिश्ता कर आना किसी स्वप्न से कम तो नहीं था।
रिंग सेरेमनी का कार्यक्रम भी बहुत बड़े से हाल में रखा गया था। लड़का थोड़ा श्यामला था जबकि शैलजा दुग्ध सी श्वेत। पर क्या हुआ पैसे वाला तो था? फिर भी सबको रिश्ता खूब भा रहा था।
अरेंज मैरिज में कम पैसों में ही इतने बड़े घर में रिश्ता होना किस्मत की ही बात थी। सब शैलजा के भाग्य की सराहना ही कर रहे थे।
फोन का सिलसिला भी जारी हो गया। एक हफ्ते पश्चात ही लड़के ने शैलजा को अपने साथ 4 दिन की ट्रिप पर मनाली ले जाने की बात की।
सबको बड़ा अटपटा लगा शादी से पहले हनीमून। “यह भी कोई बात हुई एक बार शादी हो जाए फिर कहीं भी ले जाना घूमाने।” शैलजा के पापा बोले
शैलजा की मम्मी ने भी मना किया। उन्होंने राहुल (शैलजा का होने वाला दूल्हा) की मम्मी से भी इस विषय पर बात की तो उन्होंने हाई क्लास सोसाइटी का चलन बताकर उनकी बात को हंसी में ही उड़ा दिया।
अब समस्या यह थी कि अगर शैलजा को शादी से पहले ही घूमने फिरने भेज दिया जाए तो उच्च नीच का डर। अगर नहीं भेजें तो रिश्ता टूटने का डर। मध्यम वर्गीय परिवार बड़े घर में रिश्ता करके फंस गया था।
लड़के के द्वारा भी घूमने का अधिक दबाव बनाया गया। इसलिए शैलजा को राहुल के साथ घूमने भेज दिया गया। वहां जाने के बाद तो मानो शैलजा को पर ही लग गये। राहुल ने शैलजा को खूब शापिंग कराई। उसके लाए हुए कपड़े तो राहुल को पसंद ही नहीं आए। छोटे-छोटे कपड़े जो शैलजा ने आभासी दुनिया में ही देखे थे आज खुद के लिए खरीदना उसके लिए भी चौंकाने वाला था। अब वह भी स्वप्न की दुनियाँ में गोते लगाने लगी।
चार दिन तक दोनों खूब घूमे फिरे। लिव इन रिलेशन की तर्ज पर ही दोनों का रिश्ता चलने लगा। अब तो आम बात हो गई कभी कहीं, कभी किसी नहीं जगह पर। राहुल शैलजा को घूमाने ले ही जाता। नाइट क्लब पार्टी भी चलने लगी। शैलजा की हाई क्लास सोसाइटी की उड़ान चल रही थी।
3 महीने तक दोनों खूब मजा करते रहे। मान मर्यादा सब ताक पर रख दी गई। शैलजा की घरवालों ने भी दृष्टि नीचे कर रखी थी। आंखों आगे सब कुछ चल रहा था लेकिन आंखें सभी की मिची हुई थी।
अब राहुल अपने कुछ फ्रेंड्स के साथ टूर प्लान करता है। शैलजा को भी ले जाता है। नाइट क्लब में खूब नशा और डांस किया जाता है।
क्लब से निकलने के बाद राहुल का दोस्त साहिल शैलजा का हाथ पड़कर अपनी गाड़ी में बिठाने लगता है। शैलजा को बड़ा अटपटा लगता है वह राहुल से कहती है। राहुल कहता है,”कोई बात नहीं शैल आज तुम साहिल के साथ ही उसके रूम में चली जाना। मेरे साथ साहिल की गर्लफ्रेंड जाएगी।”
शैलजा के पैरों के नीचे से जमीन निकल गई यह सब देखकर। उसकी रूह कांप उठी। हाई क्लास सोसाइटी का इतना घिनौना सच तो उसने पहले कभी नहीं देखा था।
उसने सख्त़ाई से मना कर दिया इस वेनाम वेश्यावृत्ति के लिए।
शैलजा घर लौट आई। उजाड़ सी निर्जन बिखरी हुई थी शैलजा।
2-4 दिन बाद लड़के वालों ने लड़की गंवार है कहकर रिश्ता तोड़ दिया।
सारे परिवार पर कलंक लग गया क्योंकि बदनामी तो मध्यम वर्गीय परिवारों की ही होती है। बड़े घरों की बात तो छुप ही जाती है।
विचार कीजिएगा क्या विवाह से पहले इस तरह से घूमना फिरना उचित है क्या?
क्या इस तरीके के रिश्ते समाज में जायज है?
क्या भारतीय समाज इस तरीका के संबंधों की इजाजत देता है क्या?
#प्राची_अग्रवाल
खुर्जा उत्तर प्रदेश
कलंक शब्द आधारित बड़ी कहानी