धनिया बहुत ही प्यारी लड़की थी | अपने दो भाई दो बहनों में सबसे दुलारी थी | सीधी साधी होने के कारण सब घर में उसका बहुत ध्यान रखते | बहुत ही प्यार दुलार मिलता था | धनिया की शादी हो गई | ससुराल वाले ठीक ठाक ही थे | कभी धनिया को कुछ दुख भी होता तो वो खुद ही रो के चुप हो जाती |
अपने मायके वालों को नहीं बताती थी | धीरे धीरे समय बीतता गया | धनिया के दो बच्चे भी हो गए | घर में सास ससुर सब उसके सीधेपन का फायदा उठाने लगे | धनिया के अब बर्दास्त करने की क्षमता खत्म होने लगी | वो अपने पति से बोलती देखो जी आप के मां पापा मेरे साथ बहुत बुरा बर्ताव करते है |
उसका पति गुस्सा हो जाता बोलता तो क्या हुआ? तुम्हारे मां पापा भी तो लगते है | चलो जाओ यहां से मेरे पास तुम्हारा बकवास सुनने का टाइम नहीं है | धनिया अंदर ही अंदर घुटने लगी | अब खूब हसने बोलने वाली धनिया उदास रहने लगी | धनिया के रोने धोने उदास रहने का किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था |
धनिया के बच्चे अपने मां के बदले व्यवहार को देख बहुत दुखी थे | बच्चो ने अपनी मां को बोला मां आप ऐसे उदास रहेगी तो सब ठीक हो जाएगा क्या? धनिया बस रोने लगती | कुछ भी कह नहीं पाती थी | बच्चो ने अपनी मां से बोला मां आप पापा दादी दादा जी की इतनी उल्टी सीधी , बाते क्यों बर्दास्त करती है |
आप अपना कीमती समय क्यों बर्बाद कर रही है | इन लोगो के फालतू बातों के पीछे | मां आप अपने परिवार वालों की “मोहताज “नहीं है ,भगवान ने आपको हाथ पैर सब कुछ सही सलामत दिया है | आप कुछ करिए जिंदगी में आगे बढ़िए | रोने धोने से कुछ नहीं होगा |
धनिया की आंखे खुल गई | वो उठी | अच्छे से तैयार होके अपने मायके चली गई |और अपने भाई से बोला भाई मै कुछ करना चाहती हु | आप मेरी मदद करोगे ? भाई ने बोला बिल्कुल करूंगा तू ,बोल तो प्यारी बहना |
भाई हमको सिर्फ खाना बनाना आता है,बस और कुछ ठीक से नहीं आता |तो ठीक है ,हम तेरे ससुराल के पास ही एक होटल खोलते है | ठीक है | फिर क्या था | अपने मायके वालों की मदद ले के धनिया ने अपना होटल खोल लिया | अब सारा दिन वो होटल में ही बिताती | उसके पति को अच्छा नहीं लगा |
उसने धनिया को बहुत गुस्सा किया | लेकिन धनिया ने बोला मै काम बंद नहीं करूंगी | जब आप लोगों को मेरे दुख सुख से कोई लेना देना ही नहीं है तो मै क्यों किसी के बारे में ध्यान दूं | आज धनिया का बदला रूप देख उसका पति शांत हो गया |
धनिया अब बहुत खुश थी | कोई किसी का “मोहताज” नहीं होता
| अपने दुख और सुख का कारण इंसान खुद ही होता है |
मेहनत और अच्छी सोच इंसान की जिंदगी बदल सकती है | जैसे धनिया ने बदल ली |
रंजीता पाण्डेय