मोहताज – खुशी : Moral Stories in Hindi

नीला एक मेहनती महिला थी घर बाहर सब संभालती थीं।सुबह घर का सारा काम बच्चों को स्कूल भेजकर पति राजेश भी घर पर थे ।

फैक्ट्री में नौकरी करते हुए उसका एक हाथ चला गया था तो वो भी घर पर ही था।उसका सब काम दिन भर की तैयारी करके जाना ।

नौ बजे फैक्ट्री पहुंचना उसकी चक्कर घनी बन जाती थी।राजेश को बहुत दुख होता कि वो सारा दिन घर पर रह कर अपने आप को मोहताज समझता।

उसी समय गांव से नीला की चाची उनके पास रहने आई।नीला को लगा चलो मेरी कुछ मदद हो जाएगी।

पर नीना की सबसे बड़ी गलती थी नीना के सामने तो वो बड़ी अच्छा अच्छा व्यहवार करती और उसके जाते ही वो राजेश को यह अहसास कराती

कि  वो कैसे नीना पर बोझ है वो हर समय यही कहती मेरी नीना इतनी मेहनत करती हैं

अकेले बच्चे पालना बीमार पति संभालना बिचारी क्या क्या करे ।एक दिन वो फोन पर किसी से बात कर रही थीं

कि राजेश का एक ही हाथ तो खराब है फिर भी कोई काम नहीं करता नीना की कमाई पर ऐश कर रहा है।

यह सब सुनकर राजेश को ऐसा लगा कि किसी ने उसके कानो में सीसा घोल दिया।राजेश यह सब सुन घर से निकल गया।

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वो यहां वहां काम ढूंढने गया ।पर उसे कही काम न मिला और कमजोरी के कारण वो गिर गया किसी को पता नहीं था कौन है

किसी ने उसे भिखारी समझा किसी ने एक कोने में बिठा पानी पिलायाऔर राजेश को खाना दे चला गया।

लोगों ने भिखारी समझ उसके सामने पैसे फेंके।राजेश अपनी हालत पर रो रहा था कि ईश्वर ने उसे क्यों मोहताज किया क्यों उसकी वजह से उसकी पत्नी को धक्के खाने पड़ रहे है।

उधर नीना जब घर पहुंची तो राजेश बिस्तर पर नहीं था। उसने चाची से पूछा कि राजेश कहा है चाची बोली मुझे नहीं पता।

नीना बोली आप घर पर थी फिर भी ।चाची बोली चला गया तो क्या हुआ तुम सब पर बोझ ही तो था। नीना बोली बस चाची वो हम पर बोझ नहीं हमारा आधार हैं

उनके साए में हम सुरक्षित है और कुछ समय में वो ठीक हो जाएंगे।यह कह बच्चो को समझा नीना घर से बाहर राजेश को ढूंढने निकल गई सब तरफ देखा पर राजेश नहीं मिला चलते चलते 

वो मंदिर के सामने आई अंधेरा हो गया था वो रो रही थीं सब तरफ सुनसान था।

तभी उसे वहां एक आदमी दिखाई दिया उसने उसे पूछा हुलिया बताया वो आदमी बोला कि मंदिर के आगे पेड़ के नीचे एक भिखारी बैठा है।

नीना दौड़ती हुईं वहां आई और बोली राजेश आप यहा क्यों आ गए ।आप जानते है आपके बिना हमारी क्या हालत हुई आप घर छोड़ क्यों आएंगे

राजेश बोला और कितना तुम पर बोझ बने मै सबका मोहताज हो गया हूं मुझे यही पड़ा रहने दो।

नीना बोली ये आपने क्या कहा आप तो मेरी ताकत है बोझ नहीं और अपने आपको मोहताज कह मुझे छोटा ना कीजिए।घर चलिए बच्चे आपकी इतंजार कर रहे है।

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राजेश और नीना घर पहुंचे चाची ने मुंह बना लिया। नीना बोली चाची मैं मेरा घर, पति और बच्चे सब सम्भल सकती हूं

आप कल जाके अपना घर संभाले।राजेश आप कल से मोहल्ले के बच्चो को मैथ्स का ट्यूशन पढ़ाएंगे

आज ही आदित्य और गुंजन की मां मुझे कह रही थी आप हमारे ताज है मोहताज नहीं और सभी मुस्कुराने लगे।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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