देख वासु ….अब मैं तेरा एक नई सुनने वाली …तू शादी करेगा भी या नहीं …मुझे सच सच बता दे…..जब देखो शादी के नाम पर टाल-मटोल करता रहता है….32 साल का हो गया है बुढ़ा हो जायेगा तब शादी करेगा…? सुमित्रा जी ने शिकायत भरे लहजे में अपने बेटे वासु को हिदायत दी…….I
सुमित्रा जी और संदीप जी का एक बेटा वासु और एक बेटी वंशिका थी…. वासु पढ़ लिख कर एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंजिनियर बन चुका था…. वंशिका की शादी हो चुकी थी और वो भी अपने पति के साथ अन्य मेट्रो सिटी में जॉब करती थी …!
सुमित्रा जी और संदीप जी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर लाल गंज में रहते थे….I रोज फोन पर वासु से घंटों बात करती थीं सुमित्रा जी…….कभी कभी वासु झल्ला जाता था सुमित्रा जी के सवालों से…..! “पर माँ तो माँ ” बेटे की झल्लाहट थोड़ी भी बुरी नहीं लगती थी सुमित्रा जी को…..रोज वही सवालों के साथ फोन की घंटी बजा ही देती थी बेटे वासु को……!!
शुरू शुरू में सब कुछ ठीकठाक चलता रहा कुछ समय बाद सुमित्रा जी के फोन जाते ही उधर से आवाज आ जाती….हाँ मम्मी सब ठीक है खाना खा लिया हूँ आप आराम करिये कल बात करेंगे…..सुमित्रा जी समझ नहीं पा रहीं थीं जिस बच्चे से बात करने के लिए दिन भर इन्तजार करती थी उसके पास 10 मिनट का भी समय नहीं था अपनी माँ के लिए….I
अक्सर फोन करने पर सुमित्रा जी को उधर से आवाज आती….” आप जिस व्यक्ति से बात करना चाह रहे हैं वो अभी उत्तर नहीं दे रहे हैं. “…..इसके बाद सुमित्रा जी पूरी रात सो नहीं पातीं थीं….I संदीप जी हमेशा सुमित्रा जी को समझाते थे…..आजकल नया ज़माना है बड़े शहरों में एक फैशन सा है जहां सप्ताह के अंत में दो दिन बच्चे वीकेंड के नाम पर खूब मौजमस्ती करते हैं …आप चिंता ना करें…..I इस दिवाली में घर आयेगा तो उसकी शादी पक्की कर देंगे…….!!
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एक दिन सुमित्रा जी ने फोन पर बातों ही बातों में बेटी वंशिका से कहा…..आजकल वासु के पास जरा भी टाइम नहीं होता हमसे बात करने के लिए… जब भी शादी की बात करती हूं …टालमटोल करता रहता है…
वंशिका जैसे तू शादी ब्याह करके अपना घर बसा ली है …वैसे ही वासु की भी शादी हो जाती… वो भी अपने दांपत्य जीवन में आगे बढ़ जाता तो हम दोनों पति-पत्नी भी इत्मीनान की सांस लेते …।
अरे मम्मी… आप बेवजह चिंता कर रही हैं…काफी दिनों से मेरी भी वासु से बात नहीं हुई है… आज लगाती हूं फोन और उसकी खबर लेती हूं…!
बिटिया की बात से सुमित्रा जी थोड़ी निश्चित हुई कि वंशिका आज हमारी भावनाओं को बेटे तक पहुंचाएगी…।
Bक्या भाई …इतना बिजी हो गया है कि अपनी दीदी को ही भूल गया… कभी फोन भी नहीं लगाता …फोन करते ही वंशिका, वासु से बोली…।
सॉरी दी….वाकई काफी दिनों से मेरी आपसे बात नहीं हुई है…. दरअसल इधर अपने प्रोजेक्ट में बिजी था…
बड़ा आया प्रोजेक्ट वाला …कौन से प्रोजेक्ट में बिजी है…? कहीं कोई गर्लफ्रेंड वाला प्रोजेक्ट तो नहीं …?
मजाक की आड़ में वंशिका ने भाई के मन में झांकने की कोशिश की…।
अरे नहीं दी… ऐसी कोई बात नहीं है बस अब तो घर भी जाने वाला हूं…!
इंतजार करते करते आखिर वो दिन आ ही गया….पूरे एक साल के बाद वासु को देख रहे थे सुमित्रा जी और संदीप जी….I बातों बातों में संदीप जी ने वासु को दो तीन लड़कियों के फोटो दिखाये और बोले अब देख कर बताओ…किससे बात आगे बढ़ानी है…..I
वासु स्तब्ध……अरे पापा इतनी जल्दी क्यों है शादी की….लाख बहाना बनाना चाहा शादी ना करने की… लेकिन इस बार वासु की एक नही चली …सुमित्रा जी और संदीप जी ने ठान ही ली थी वासु की शादी कर के ही दम लेंगे…I
मम्मी …वो ….एक….बात….करनी थी…मेरी एक दोस्त है मैं उससे शादी करना चाहता हूं…..हकलाते हुए वासु ने अपनी बात पूरी की….I
सुमित्रा जी और संदीप जी एक दूसरे का मुँह देखने लगे …धीरे से संदीप जी ने सुमित्रा जी को इशारा किया– “स्वीकृती “का… !!
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ठीक है तुम्हें कोई लड़की पसंद है तो उसी से शादी कर देंगे…..मन मार कर सुमित्रा जी और संदीप जी तैयार हो गये…!! पर कौन है बताओ तो….नाम क्या है…सुमित्रा जी उत्सुकता से पूछे जा रहीं थी ….मम्मी मरियम नाम है और हम साथ में काम करते हैं……..मरियम नाम सुनते ही सुमित्रा जी और संदीप जी एकदम शांत हो गये और दोनों वहाँ से उठकर कमरे में चले गये I
अब ये तो वासु को स्पष्ट पता चल चुका था कि अलग जाति में तो शादी के लिए मम्मी पापा मान गये थे पर अलग धर्म में कभी नहीं मानेंगे….I
छुट्टी खत्म होने वाली थी वासु के जाने की तैयारी चल रही थी वासु जबसे मरियम के बारे में बताया था घर का माहौल उदास-उदास सा था…I
जाते समय मम्मी पापा को दुखी देख कर और उनकी शादी के लिये लगातार दबाव बनाना देख कर……वासु मम्मी पापा के बातों का समर्थन कर , राजी हो गया और बोल गया कि आप लोग जहां भी शादी करेंगे मैं तैयार हूँ I
कुछ समय के बाद धूम धाम से वासु की शादी एक पढ़ी लिखी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली लड़की विधि के साथ हो गई …..I दोनों साथ में काम करते थे समय अच्छी तरह बीत रहा था….I इसी बीच एक दिन विधि सोशल मीडिया पर वासु का प्रोफाइल देख रही थी…..कुछ कमेन्ट पढ़ कर उसे अजीब सा लगा…..उसने वासु से जानना चाहा…I वासु ने सब कुछ सच सच बताया…. मरियम के बारे में…..
विधि को इस बात से संतोष हुआ कि अब वासु का मरियम से कोई कॉन्टेक्ट नहीं है…..I
पर कहते हैं ना झूठ ज्यादा दिन छिपता नहीं है…..शादी के बाद भी वासु निरंतर मरियम के संपर्क में था और विधि से हमेशा झूठ बोलता रहा..I
पढ़ी लिखी सुन्दर नौकरी पेशा वाली लड़की विधि कई बार समझाने की कोशिश की वासु को मरियम से संपर्क ना रखे ….पर वासु लाख कोशिश के बाद भी मरियम से संबंध तोड़ ना सका था I
पढ़ी-लिखी समझदार विधि जानती थी वासु के इस कदम से बूढ़े सास ससुर बहुत दुखी होंगे… इस अवस्था में परिणाम शायद गंभीर हो जाए.. इसलिए उसने अपनी ननद वंशिका से बात करने की सोची….!
सारी बातें विधि ने वंशिका से सांझा की… वंशिका ये सब बातें सुन स्तब्ध थी….
ये कैसे हो सकता है… वासु तो बचपन से हर बात मुझसे शेयर करता था….फिर ये वाली बात क्यों नहीं बताई…. शायद मैं ही कोई मदद कर सकती उसकी …. फिर उसने विधि से शादी ही क्यों की…।
इस पूरे प्रकरण में विधि का क्या दोष..? उसे क्यों “मोहरा” बनाया गया..!
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विधि कोई भी फैसला लेने से खुद को असमर्थ महसूस कर रही थी…दोनों ननद भाभी की इस विषय पर काफी बातें होती थी ….एक दिन वंशिका ने स्पष्ट रूप से कहा…
विधि, रिश्ते में तुम मेरी ” भाभी ” जरूर हो पर सबसे पहले एक महिला हो और किसी को भी हक नहीं बनता की कोई किसी महिला के साथ धोखा करें.. सच मानो यदि मैं तुम्हारी जगह होती तो इस कृत्य के लिए मैं अपने पति को कभी माफ नहीं करती…..वासु मेरा भाई जरूर है पर उसे भी कोई हक नहीं बनता कि वो तुम्हारा अपमान करें…!
आगे तुम्हारा जो भी फैसला होगा विधि… मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी और उस फैसले का स्वागत करूंगी…।
धन्यवाद दीदी… आपसे बात कर मुझे हौसला मिला है…. मैं निर्णय लेने में सक्षम हो पाई हूं….सच में आज आपसे बात कर कर मुझे ऐसा लगा …हम लोग नंद भाभी नहीं , एक दोस्त हैं… इतनी अच्छी समझाइश के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद दीदी…।
विधि समझ चुकी थी… उसके साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है ….माँ बाप के खुशी के लिए उसे ” मोहरा ” बना कर शादी कर लिया है वासु ने…! अंततः विधि ने अहम फैसला लिया…….वासु से अलग होने का फैसला……तलाक के पेपर तैयार हो चुके थे…I
तलाक के पेपर वासु के सामने रखते हुए बड़े ही आत्मविश्वास से विधि ने कहा ….इस पर हस्ताक्षर करो वासु…
वासु के तो जैसे होश ही उड़ गए….
शायद पहली बार वासु को एहसास हुआ उसने जिंदगी में बहुत बड़ी गलती की है … “विधि के विश्वास के साथ धोखा ” विधि के सामने हाथ जोड़कर रोते हुए माफी मांगने लगा वासु….I
दुबारा ऐसी गलती ना करने का वादा करता रहा वासु….!!!
नहीं वासु… अब और नहीं… शायद मरियम को भूलाना तुम्हारे वश में ही नहीं….. वरना पूरे होशो हवास में तुमने मुझसे शादी की…. पति धर्म भी निभा रहे हो….पर साथ में अपने पहले प्यार को भी साथ लेकर चल रहे हो ….
तुमने सिर्फ मेरा नहीं….एक पत्नी के सम्मान को अपमानित किया है वासु…
आंसू भरे आंखों और कांपते हाथों से जैसे ही पेन उठाना चाहा वासु…. पीछे से किसी ने आकर जोर से पेन छीना…नहीं… वासु… नही…
मरियम तुम….. आशु के होंठ फड़फड़ाए….
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एक मौका और दीजिए विधि जी वासु को…..यकीन मानिए जब भी वासु मुझसे मिलने गया है… हमेशा मैंने मिलने से मना किया है.. बहाने बनाए हैं… आनाकानी की है….पर वर्षों का प्यार इतनी आसानी से ….थोड़ा वक्त तो लगेगा ना विधि जी …
बहुत तारीफ करता है आपकी.. बहुत प्यार करता है आपसे वासु….
बस आज के बाद हर उस जगह पर ताला लगा होगा….जहां पर मेरी और वासु के मिलने की संभावना होगी…. कुछ गलतियां मेरी भी हैं मुझे भी माफ कर दीजिए….!
हेलो वंशिका दी… क्या करूं रोते हुए विधि ने सारी बातें बता कर वंशिका से मदद मांगनी चाही….
जोर से कान पड़कर पहले तो दो थप्पड़ लगाओ वासु को ….तब तक मैं भी बस पहुंच ही रही हूं…. बाकी की कसर मैं पूरी कर दूंगी….।
कुछ गलतियों को सुधार कर.. भूलाकर.. पक्के वचन के साथ दो युगल जोड़ी… वैवाहिक जीवन आगे बढ़ाने को एक बार फिर कदम बढ़ा रहे थे..!
साथियों ,आजकल शादी के बाद भी पुराने गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड से बातें करना, सम्बन्ध रखना भले ही फैशन का हिस्सा बन गया है….पर यह कहीं से भी उचित नहीं है…..जब भी आप शादी के लिए तैयार हों ..अपनी पूरी मर्जी से हों , ना कि किसी भी दबाव में आकर फैसला लें… शारीरिक रूप के अलावा… मानसिक रूप से भी तैयार होना अति आवश्यक है तभी रिश्ते की खूबसूरती फैलेगी……!!!!
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित और अप्रकाशित रचना)
साप्ताहिक विषय # भाभी
संध्या त्रिपाठी